A yellow bug in a world of red, Lara the Ladybird just wants to fit in. लारा... पीली गुबरिल लेखिकाएं - कैथरीन होल्ट्ज़हौसेन, मार्था इवंस, नदीन क्रिएल लारा एक विषेश गुबरिल थी। अपने बाक़ी साथियों से अलग, उसके पंख चमकीले पीले रंग के थे। सब उसके पीले पंखों को बहुत पसंद करते थे। हर सुबह, बीबी तितली हेल्लो कहती। और मंटो मैंटिस हमेशा हाथ हिलाता था। सेसा, उदासी मकड़ी, भी उसे देखकर ख़ुश होती। स्कूल में वह अपने बहुत सारे दोस्तों के साथ खेलती। लेकिन लारा दूसरे गुबरिलों की तरह दिखना चाहती थी। \"काश मेरे पास आपकी तरह लाल पंख होते मम्मा,\" दुःखी वह बोली। तो एक दिन, उसको खुश करने के लिये, लारा की माँ ने उसके पंख चटक लाल रंग कर दिये। अगली सुबह स्कूल जाते समय लारा का किसी ने भी अभिवादन नहीं किया। और जब वह वहाँ पहुँची तो किसी ने भी हेल्लो नहीं कहा। लारा बिलकुल अकेली बैठी रही। किसी ने उसके नये लाल पंख नहीं देखे। जब तक मिस मिया ने उसे न पहचाना और कहा, \"वाह तुमने अपने सुन्दर पीले पंखों को रँग दिया!\" लारा के दोस्त चकित हो गये। \"तुम्हारे पंख विशेष हैं!\" \"कितने अद्वितीय हैं!\" \"कितने दुर्लभ!\" \"लारा,\" मिस मिया ने कहा, \"तुम्हारे पीले पंख ही तुम्हारी पहचान हैं। जिस तरह सिफ़ो की चित्तियाँ… और सैली के चिह्न के पैर।\" घर पहुँचकर, लारा बहुत देर तक नहायी और उसने अपने पंखों को ख़ूब रगड़ा जब तक की उसके सुनहरे पंख चमकीले न हो गये। “मैं अपने पंखों को कभी नहीं रँगूँगी!\" उसने सोचा। “शायद एक या दो बार बस ... हलका सा बैंगनी ... या कुछ सुन्दर सा। पर हमेशा के लिये नहीं, सिर्फ़ मज़े के लिये।“ Story: Catherine Holtzhausen, Martha Evans, and Nadene Kriel Illustrator: Catherine Holtzhausen Animation: BookBox Translation: Priya Guru Narration: Neha Gargava Music: Rajesh Gilbert
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