Find out how a flying elephant changes the life of a poor farmer. उड़नहाथी भील लोककथा किसी छोटे से गांव में एक किसान गन्ने उगाता था। वह अपने खेत में ख़ूब मेहनत करता और आशा करता कि फ़सल बहुत अच्छी होगी। एक सुबह उसने देखा कि खेत से बहुत सारे गन्ने ग़ायब हैं। अगली सुबह भी बहुत से गन्ने ग़ायब थे। आज सारी रात जाग कर मैं देखूंगा कि कौन मेरे गन्ने चट कर रहा है,\" किसान ने मन-ही-मन सोचा। उस रात किसान खिड़की के पास बैठकर खेत की रखवाली करने लगा। चांद उगा तो किसान ने आसमान में एक छोटे बिन्दु को बड़ा आकार लेते देखा। वह एक हाथी था जो सीधा उसके खेत पर उतर रहा था। आश्चर्य में पड़ा किसान उसे नीचे उतरते देख रहा था। नीचे उतर कर हाथी आराम से गन्ने खाने लगा। किसान चुपके-चुपके खेत में पहुंच कर इन्तज़ार करने लगा कि हाथी कब खाना ख़त्म करे। खाना ख़त्म होने के बाद जैसे ही हाथी उड़ने लगा, किसान ने लपक कर उसकी पूंछ पकड़ ली और वह भी उड़ने लगा। शीघ्र ही अपने खेतों से उड़ता हुआ किसान इन्द्र देवता के राज्य— स्वर्ग में पहुंच गया। स्वर्ग सुन्दर-सुन्दर फूलों और पंछियों से भरा था। फ़र्श चांदी की घास और हीरे-जवाहरात से बिछा था। किसान राज-दरबार में पहुंच कर इन्द्र से बोला, आप का हाथी धरती पर उतर कर मेरे सारे गन्ने खा जाता है। मेरी फ़सल चौपट हो गयी है।\" मुझे बहुत दु:ख है। मेरे राज से तुम जो ले जाना चाहो ले लो। मैं इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखूंगा कि फिर वह नीचे उतर कर तुम्हारी फ़सल को बरबाद न कर पाये,\" इन्द्र ने कहा और आशीर्वाद दिया कि उसकी यात्रा शुभ हो। किसान ने दो मुट्ठी हीरे-मोती बटोरे और घर लौट आया। उसने अपने लिए एक बढ़िया घर बनवा लिया और बहुत अमीर आदमी बन गया। उसके ठाठ देख कर सारे गांव को बड़ी हैरानी हुई। एक दिन कुछ गांववालों ने किसान की पत्नी से जाकर पूछा, तुम्हारे यहां इतना सारा धन कहां से आ गया? क्या खेत में गड़ा ख़ज़ाना मिल गया?\" किसान की पत्नी ने उन्हें सारा क़िस्सा सुना दिया। उस शाम गांववालों ने निश्चय किया कि वे हाथी को ललचा कर नीचे उतार लायेंगे। जब हम स्वर्ग जायेंगे तो दो मुट्ठी से ज्यादा हीरे-मोती बटोर कर लायेंगे।\" उन्होंने कहा। बस, गांववालों ने गन्ने का एक खेत तैयार कर लिया। पक्की बात थी— एक रात हाथी नीचे उतर आया। कई गांववाले वहां इकट्ठा थे। एक गांववाले ने उसकी पूंछ दबोच ली और देखते-न-देखते हाथी के पीछे गांववालों की एक लम्बी क़तार उड़ने लगी। उड़ते-उड़ते वे आपस में बातें करने लगे कि स्वर्ग से क्या-क्या साथ लायेंगे। जिस गावंवाले ने हाथी की पूंछ पकड़ी थी, जब उसके बताने की बारी आयी तो खुशी से भरपूर वह बोल उठा, मैं इतने सारे हीरे-जवाहरात संग लाऊंगा!\" और ऐसा कहते-कहते उसने अपनी बांहें फैला दीं, हाथी की पूंछ छूट गयी। सब लोग धड़ाम से धरती पर आ गिरे। इन्द्र देवता के हाथी को आकाश में गायब होते देख वे बड़े दु:खी हुए। चिन्ता की कोई बात नहीं है। हाथी कल फिर से आयेगा,\" गावंवालों ने कहा। लेकिन, गावंवालों की करतूत के बारे में सुन कर इन्द्र देवता ने स्वर्ग में ही गन्ने का खेत लगवा लिया। अब हाथी को धरती पर उतरने की ज़रूरत ही न रही। गावंवाले कई रातों तक आकाश को ताकते हुए हाथी का इन्तज़ार करते रहे, लेकिन वह फिर कभी नीचे नहीं उतरा। Illustration: Emanuele Scanziani Music: Ladislav Brozman & Riccardo Carlotto Translation: Vandana Maheshwari Narration: Vandana Maheshwari Animation: BookBox
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