मन्नू की वह एक रात - 9

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‘मगर वो ऐसा क्या कर रहा था?’ ‘बताती हूं , वह कुर्सी पर बैठा था। मेज पर कोर्स की किताब खुली पड़ी थी। और ठीक उसी के ऊपर एक पतली सी छोटी सी किताब खुली पड़ी थी। चीनू ने कुर्सी थोड़ा पीछे खिसका रखी थी। उसने बनियान उतार दी थी। ट्रैक सूट टाइप का जो पजामा पहन रखा था वह उसकी जांघों से नीचे तक खिसका हुआ था। वह अपने आस-पास से एकदम बेखबर सिर थोड़ा सा ऊपर उठाए आंखें करीब बंद किए हुए था और दाहिने हाथ से पुरुष अंग को पकड़े तेजी से हाथ चला रहा था। उसकी हरकत देख कर मुझे बड़ी तेज गुस्सा आ गया और मैं इस स्थिति में बजाय चुपचाप वापस आने के एक दम से दरवाजा खोल कर अंदर पहुंच गई।