OR

The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.

Loading...

Your daily story limit is finished please upgrade your plan
Yes
Matrubharti
  • English
    • English
    • ગુજરાતી
    • हिंदी
    • मराठी
    • বাংলা
    • മലയാളം
    • తెలుగు
    • தமிழ்
  • Quotes
      • Trending Quotes
      • Short Videos
  • Books
      • Best Novels
      • New Released
      • Top Author
  • Videos
      • Motivational
      • Natak
      • Sangeet
      • Mushayra
      • Web Series
      • Short Film
  • Contest
  • Advertise
  • Subscription
  • Contact Us
Write Now
  • Log In
Artboard

To read all the chapters,
Please Sign In

Mannu ki vah ek raat by Pradeep Shrivastava | Read Hindi Best Novels and Download PDF

  1. Home
  2. Novels
  3. Hindi Novels
  4. मन्नू की वह एक रात - Novels
मन्नू की वह एक रात by Pradeep Shrivastava in Hindi
Novels

मन्नू की वह एक रात - Novels

by Pradeep Shrivastava Matrubharti Verified in Hindi Love Stories

(660)
  • 85.9k

  • 63.8k

  • 52

बरसों बाद अपनी छोटी बहन को पाकर मन्नू चाची फिर अपनी पोथी खोल बैठी थीं। छोटी बहन बिब्बो सवेरे ही बस से आई थी। आई क्या थी सच तो यह था कि बेटों-बहुओं की आए दिन की किच-किच से ...Read Moreकर घर छोड़ आई थी। और बड़ी बहन के यहां इसलिए आई क्योंकि वह पिछले एक बरस से अकेली ही रह रही थी। वह थी तो बड़ी बहन से करीब पांच बरस छोटी मगर देखने में बड़ी बहन से दो-चार बरस बड़ी ही लगती थी। मन्नू जहां पैंसठ की उम्र में भी पचपन से ज़्यादा की नहीं दिखती थी वहीं वह करीब साठ की उम्र में ही पैंसठ की लगती थी। चलना फिरना दूभर था। सुलतानपुर से किसी परिचित कंडेक्टर की सहायता से जैसे तैसे आई थी। मिलते ही दोनों बहनें गले मिलीं और फ़फक पड़ीं। इसके पहले उन्हें किसी ने इस तरह भावुक होते और मिलते नहीं देखा था।

Read Full Story
Listen
Download on Mobile

मन्नू की वह एक रात - 1

(40)
  • 9.3k

  • 5.5k

बरसों बाद अपनी छोटी बहन को पाकर मन्नू चाची फिर अपनी पोथी खोल बैठी थीं। छोटी बहन बिब्बो सवेरे ही बस से आई थी। आई क्या थी सच तो यह था कि बेटों-बहुओं की आए दिन की किच-किच से ...Read Moreकर घर छोड़ आई थी। और बड़ी बहन के यहां इसलिए आई क्योंकि वह पिछले एक बरस से अकेली ही रह रही थी। वह थी तो बड़ी बहन से करीब पांच बरस छोटी मगर देखने में बड़ी बहन से दो-चार बरस बड़ी ही लगती थी। मन्नू जहां पैंसठ की उम्र में भी पचपन से ज़्यादा की नहीं दिखती थी वहीं वह करीब साठ की उम्र में ही पैंसठ की लगती थी। चलना फिरना दूभर था। सुलतानपुर से किसी परिचित कंडेक्टर की सहायता से जैसे तैसे आई थी। मिलते ही दोनों बहनें गले मिलीं और फ़फक पड़ीं। इसके पहले उन्हें किसी ने इस तरह भावुक होते और मिलते नहीं देखा था।

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 2

(31)
  • 7k

  • 3.5k

‘बिब्बो मेरी शादी कैसे हुई यह तो तुम्हें याद ही होगा ? पैरों की तीन अंगुलिया कटी होने के चलते जब शादी होने में मुश्किल होने लगी तो बाबू जी परेशान हो उठे। ऊपर से दहेज की डिमांड उन्हें ...Read Moreभी तोड़ देती थी। धीरे-धीरे जब मैं तीस की हो गई तो वह हार मान बैठे और एक दिन मां से कहा,

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 3

(29)
  • 4.7k

  • 3.1k

मुझे तुमसे बहुत शिकायत है मुन्नी वह मुझे मुन्नी ही कहती थीं। अचानक कही गई उनकी इस बात से मैं एकदम हक्का-बक्का हो गई, मैंने डर से थर-थराते हुए धीरे से कहा, ’अनजाने में कोई गलती हुई हो ...Read Moreमाफ कर दीजिए अम्मा जी।’ अब जाने में कुछ हो या अनजाने में यह तो तुम्हीं जानो। मैं तो नौ महीने में ही पोते को खिलाना चाहती थी। तुम से जाते समय कहा भी था मगर साल बीत गए पोता कौन कहे कान खुशखबरी भी सुनने को तरस गए। माना कि तुम लोग नए जमाने के हो। फैशन के दिवाने हो। मगर लड़का-बच्चा समय से हो जाएं तो ही अच्छा है।

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 4

(26)
  • 4.1k

  • 2.9k

‘बिब्बो मैं बच्चे की चाहत में इतनी पगलाई हुई थी कि इनके जाने के बाद थोड़ी देर में ही तैयार हो गई। पहले सोचा कि पड़ोसन को साथ ले लूं लेकिन फिर सोचा नहीं इससे हमारी पर्सनल बातें मुहल्ले ...Read Moreमें फैल जाएंगी। चर्चा का विषय बन जाएंगी। यह सोच मैं अकेली ही चली गई बलरामपुर हॉस्पिटल की गाइनीकोलॉजिस्ट से चेकअप कराने। लेकिन वहां पता चला वह तो दो हफ़्ते के लिए देश से कहीं बाहर गई हैं। मुझे बड़ी निराशा हुई, गुस्सा भी आई कि यह डॉक्टर्स इतनी लंबी छुट्टी पर क्यों चली जाती हैं।

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 5

(22)
  • 4k

  • 2.4k

‘जल्दी अंधेरा करो, जल्दी अंधेरा करो।’ हम कुछ नहीं समझ सके तो उसने खिड़की दरवाजे बंद करके पर्दे से ढक देने को कहा। मकान तो देख ही रही हो कि तीन तरफ दूसरे मकान बने हैं। रोशनी आने का रास्ता ...Read Moreसामने से है। और सबसे पीछे कमरे में तो अंधेरा ऐसे हो जाता है मानो रात हो गई हो। हम पीछे वाले कमरे में ही थे। उसने हम दोनों को करीब बुलाया और फिर धीरे-धीरे अपनी मुट्ठी खोली तो उसकी हथेली पर उस अंधेरे में कुछ चमक रहा था। महक भी कुछ अजीब सी आ रही थी। वह महक दीपावली की न जाने क्यों याद दिला रही थी। फिर उसने कहा,

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 6

(29)
  • 3.8k

  • 2.3k

'‘ले तेरी मंशा अब पूरी हो जाएगी। इसे अपने संतान उत्पन्न करने वाले स्थान पर सात बार आधा प्रवेश कराओ और निकालो फिर सारी बाधाएं दूर हो जाएंगी। नौ महीने में ही तेरी गोद में बच्चा किलकारी भरेगा।'’ मैं बाबा ...Read Moreबात का मतलब समझ न पाई और हक्का-बक्का देखती रही तो वह गरज उठा ‘'देवी के आदेशों का अपमान करेगी तो अगले और दस जन्मों तक निसंतान ही रहेगी।'’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 7

(24)
  • 3.8k

  • 2.6k

‘मगर दीदी तुम ने तो घर में भाइयों से भी ज़्यादा पढ़ाई की है। बहुत तेज होने के कारण ही बाबूजी तुम्हें हॉस्टल में रह कर पढ़ने देने के लिए लखनऊ भेजने को तैयार हुए थे। उनके इस निर्णय ...Read Moreचाचा-चाची यहां तक कि मां भी मुझे लगता है पूरी तरह सहमत नहीं थीं। मुहल्ले में लोगों ने जो तरह-तरह की बातें कीं वह अलग। और शादी के बाद जीजा ने रोका न होता तो तुम पी0एच0डी0 पूरी कर लेती। इतना कुछ तुमने पढ़ा फिर तुम से कैसे अनर्थ हो गया। मैं सोचती हूं कि बहुत ज़्यादा पढ़ाई भी हमें भटका देती है।’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 8

(24)
  • 3.7k

  • 2.1k

‘सही कह रही हो तुम। घर-परिवार लड़कों-बच्चों में अपना सब कुछ बिसर जाता है। मगर ये मानती हूं तुम्हारी याददाश्त पर कोई ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ा है। इसलिए छत वाली घटना तुम्हीं बताओ मेरे दिमाग में तो बात एकदम ...Read Moreआ रही है।’ ‘अच्छा तो याद कर वह जेठ की दोपहरी ...... । और सामने वाले घर का चबूतरा। जहां मुहल्ले के उद्दंड लड़के छाया के नीचे अ़क्सर बैठ कर ताश वगैरह खेलते रहते थे, या बैठ कर गप्पे मारा करते थे। आए दिन सब आपस में भिड़ भी जाते थे। उस समय तू यही कोई नवीं या दसवीं में रही होगी।’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 9

(22)
  • 3.5k

  • 2.1k

‘मगर वो ऐसा क्या कर रहा था?’ ‘बताती हूं , वह कुर्सी पर बैठा था। मेज पर कोर्स की किताब खुली पड़ी थी। और ठीक उसी के ऊपर एक पतली सी छोटी सी किताब खुली पड़ी थी। चीनू ने कुर्सी ...Read Moreपीछे खिसका रखी थी। उसने बनियान उतार दी थी। ट्रैक सूट टाइप का जो पजामा पहन रखा था वह उसकी जांघों से नीचे तक खिसका हुआ था। वह अपने आस-पास से एकदम बेखबर सिर थोड़ा सा ऊपर उठाए आंखें करीब बंद किए हुए था और दाहिने हाथ से पुरुष अंग को पकड़े तेजी से हाथ चला रहा था। उसकी हरकत देख कर मुझे बड़ी तेज गुस्सा आ गया और मैं इस स्थिति में बजाय चुपचाप वापस आने के एक दम से दरवाजा खोल कर अंदर पहुंच गई।

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 10

(22)
  • 3.7k

  • 3.3k

‘पहली तो यही कि जब कपड़े चेंज करने का वक़्त आया तो कमरे में कोई सेपरेट जगह नहीं देख कर मैं और नंदिता अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ जाने लगे। तो काकी ने पूछा, '‘कहां जा रही हो?'’ हमने ...Read Moreचेंज करके आ रही हूं।’ '‘तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत है?’' उसकी इस बात से मैं और नंदिता चुप-चाप उसे देखते रहे तो वह बोली, '‘यहीं क्यों नहीं चेंज करती। हम सब भी यहीं करते हैं। ये कमरा है, कोई चौराहा नहीं कि लोग तुम्हारी देख लेंगे।'’ तभी रुबाना बीच में बोली,

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 11

(28)
  • 3.4k

  • 1.6k

‘अब यह तो मैं बहुत साफ-साफ समझा नहीं पाऊंगी। शायद वह छात्र रहते हुए यह सब कर रहा था। और रुबाना वाली घटना भी मेरे छात्र जीवन की थी। इस समानता ने ही शायद एकदम से याद दिला दी ...Read Moreकी।’ ‘तो चीनू की हरकत तुमने जीजा से नहीं बताई।’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 12

(25)
  • 3.4k

  • 1.7k

मैं वास्तव में उसके कहने से पहले ही चुप हो जाने का निर्णय कर चुकी थी। क्यों कि मेरे दिमाग में यह बात थी कि इन्हें अभी ऑफ़िस जाना है, फिर शाम को दो हफ़्तों के लिए बंबई। इसलिए ...Read Moreवक़्त ऐसी बातों के लिए उचित नहीं है। मैंने यह सब करके गलत किया। यह बात दिमाग में आते ही मैं एकदम चुप हो गई। यह इसके बाद भी कुछ देर बड़बड़ाते रहे। फिर चले गए।

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 13

(27)
  • 3.5k

  • 2.1k

यह सोचते-सोचते मुझे हर तरफ से ज़िंदगी में अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह चुड़ैल मुझ पर हंस रही है कि देख तेरा आदमी मेरे तलवे चाट रहा है, छीन लिया ...Read Moreउसे तुझसे, तू मूर्ख है, हारी हुई बेवकूफ औरत है। मैं बेड पर एक कोने में बैठी घुटने में सिर दिए यह सोचते-सोचते रोने लगी। भावनाओं में डूबती-उतराती मेरे रोने की आवाज़़ कब तेज होकर ऊपर चीनू तक पहुँचने लगी मैं जान नहीं पाई। पता मुझे तब चला जब वह आकर आगे खड़ा हो गया और चुप कराते हुए बोला,

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 14

(23)
  • 3.1k

  • 1.8k

उसका उत्तर सुन कर मैं फिर अपने कमरे में आ गई। आते ही मैंने तेज लाइट ऑफ कर दी और नाइट लैंप ऑन कर दिया और बेड के पास आकर खड़ी हो गई। नजरें मेरी उस कम रोशनी में ...Read Moreजमीन देख रही थीं। अपने पैरों के करीब ही। तभी चीनू कमरे में दाखिल हुआ। मैं सोच रही थी कि वह डरा सहमा संकोच में कुछ सिकुड़ा सा होगा। लेकिन नहीं ऐसा नहीं था उस पर कोई ख़ास फ़र्क नहीं था।

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 15

(30)
  • 2.6k

  • 1.9k

‘तो फिर क्या तुमने फिर अपने को सौंप दिया उस सुअर को।’ ‘बिब्बो और कोई रास्ता बचा था क्या मेरे लिए?’ ‘हे भगवान! क्या यही सब सुनवाने के लिए जिंदा रखा है मुझे। अरे! तुम चाहती तो रास्ता ही रास्ता निकल ...Read Moreचाहने पर क्या नहीं हो सकता। अरे! इतनी कमजोर तो उस वक़्त नहीं रही होगी कि एक छोकरे से खुद को न बचा पाती। अरे! एक लात मार कर उस हरामजादे को बेड से कुत्ते की तरह बाहर कर सकती थी।’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 16

(21)
  • 2.3k

  • 2.3k

इसके बाद हमारी दो चार बातें और हुईं। लेकिन उन सारी बातों से मुझे पूरी उम्मीद हो गई थी कि आते ही मैं अपनी योजनानुसार बहुत कुछ कर सकुंगी। न जानें क्यों मेरे दिमाग में यह कूट-कूट भर गया ...Read Moreकि मैं कुछ ही हफ़्तों में प्रिग्नेंट हो जाऊंगी। अब एक-एक पल जहां मुझे एक-एक बरस लग रहा था। वहीं मैं हर संभव कोशिश कर रही थी कि गर्भवती हर हाल में हो जाऊं। कोई कसर कहीं बाकी न रह जाए। अब जब क़दम बढ़ा है, उठ ही गए हैं तो क्यों न उसका फायदा उठाया जाए। अपनी सूनी गोद को हरा-भरा किया जाए। फिर इससे किसी को नुकसान तो हो नहीं रहा है। हालांकि अब यह सब मुझे एक पागलपन से अधिक कुछ नहीं लग रहा।’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 17

(22)
  • 2k

  • 1.6k

‘पलक-पांवड़े बिछाए जिसका इंतजार करती रही वह जब आया तो पहले की ही तरह फिर गाली, दुत्कार अपमान मिला।’ ‘पहले ही दिन में ?’ ‘हां ..... पहले ही दिन में। जब आए तो रात को मैंने सोचा कि लंबे सफर से ...Read Moreहैं सो उनकी देवता की तरह खातिरदारी की। मगर उनका रूखा व्यवहार ज्यों का त्यों बना रहा। बंबई से फ़ोन पर ठीक से बात शायद उस कमीनी के सामने होने की वजह से कर ली थी। खैर रात मैंने यह सोच कर इनके बदन की खूब मालिश की कि लंबे सफर के कारण बहुत थक गए होंगे इससे इन्हें आराम मिलेगा। फिर बजाय मैं पहले की तरह दूसरे कमरे में जाने के इन्हीं के साथ लेट गई।’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 18

(28)
  • 2.2k

  • 2.2k

ज़िया की इस बात से मैं सिहर उठी। कांप गई अंदर तक कि चीनू ने सब बता दिया है। उसने मुझे ज़िया के सामने एकदम नंगी कर दिया है। मुझे अपनी नजरों के सामने फांसी का फंदा झूलता नजर ...Read Moreलगा था। क्योंकि मैं यह ठाने बैठी थी कि अगर चीनू ने किसी को भी बताया तो मैं ज़िंदा नहीं रहूंगी। आत्महत्या कर लूँगी । मैं इस ऊहा-पोह के चलते कुछ क्षण तक कुछ न बोल पाई तो ज़िया फिर बोली,

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 19

(20)
  • 1.8k

  • 2.3k

‘बताऊं क्यों नहीं, जब एक बार शुरू कर दिया है तो पूरा बता कर ही ठहर पाऊंगी। जैसे एक बार चीनू के सामने फैली तो बरसों फैलती ही रही।’ ‘क्या! बरसों।’ ‘हां यह सिलसिला फिर कई बरस चला। शुरू के कुछ ...Read Moreतो एक आस रहती थी कि शायद इस बार बीज उगेंगे, कोंपलें फूटेंगी। मगर धीर-धीरे यह आस समाप्त हो गई। हर महीने पीरिएड आकर मुझ को अंदर तक झकझोर देता। मेरे अंदर कुंठा भरती जा रही थी। और तब गांव की पंडिताइन चाची की बात याद आती जो वह अपनी बड़ी बहुरिया जिसके लाख दवादारू के बाद भी कोई बच्चा नहीं हुआ था, कोसती हुई कहती थीं कि ‘'अरे! ठूंठ मां कहूं फल लागत है।' या फिर 'रेहू मां कितनेऊ नीक बीज डारि देऊ ऊ भसम होइ जाई। अरे! जब बिजवै जरि जाई तो फसल कहां से उगिहे।'’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 20

(22)
  • 2.2k

  • 1.7k

‘तब तो तुम दोनों के संबंध और भी ज़्यादा उन्मुक्त और निर्द्वंद्व हो गए होंगे।’ ‘हां ..... ।’ ‘तो जब वह तुम दोनों का सहारा भी बन रहा था तब तो तुम्हारे लिए यह दोहरा फ़ायदा था कि कोई कभी शक ...Read Moreन करता, तो फिर दूसरा लड़का क्यों गोद लिया।’ ‘एक तो मैं छोटा बच्चा गोद लेना चाहती थी। दूसरे चीनू से जो रिश्ता बन पड़ा था उसे देखते हुए यह संभव ही न था।’ ‘हां ये तो है। फिर ...... ?’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 21

(21)
  • 1.8k

  • 2k

‘अच्छा जब तुमने बच्चे को गोद ले लिया तो उसके बाद चीनू से किस तरह पेश आई। जबकि तुम्हारे कहे मुताबिक यदि वह जी-जान से न लगता तो तुम्हें बच्चा गोद मिल ही नहीं सकता था।’ ‘हां बिब्बो यह बात ...Read Moreसच है। जिस तरह से तरह-तरह की अड़चनें आईं उससे यह क्या मैं भी खुद त्रस्त हो गई थी। हार मान बैठी थी। इन्होंने तो एक तरह से मुंह ही मोड़ लिया था। मगर वह न सिर्फ़ बराबर लगा रहा बल्कि हमें उत्साहित भी करता रहा। यह उसके प्रयास से ही संभव बन पड़ा।’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 22

(22)
  • 1.9k

  • 2.1k

‘मगर बच्चा गोद लेकर संतान वाली तो हो ही गई थी। और आगे का भविष्य क्या है यह भी जान गई थी। मैं ऐसा नहीं कह रही कि तुम पति को भी संतान भाव में लेती। तुम उनके साथ ...Read Moreवासना का खेल-खेल सकती थी खेलती पर उस छोकरे के साथ तो नहीं। जबकि तुम बता रही हो कि बच्चा लेने के बाद तुम्हारा मन सेक्स की तरफ और मुड़ गया क्योंकि जीजा और तुम्हारे बीच कटुता तो खत्म हो गई थी लेकिन अब सेक्स के प्रति वो उतना उतावले नहीं थे जितना कि तुम। दूसरे अब बीच में बच्चा आ गया था और वह उसकी तरफ ज़्यादा खिंच गए थे।

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 23

(16)
  • 1.9k

  • 2.1k

‘यह क्या फालतू बात कर रहे हो। मुझ बुढ़िया से शादी करोगे।’ इस पर वह बोला, ‘फालतू बात नहीं कर रहा हूं, जो कह रहा हूं सच कह रहा हूं। इतना कह कर उसने अपना सिर मेरी गोद में रख दिया। ...Read Moreरो पड़ा। उसके दोनों हाथ अब मेरी कमर के गिर्द लिपटे थे। उसके गर्म आंसू मेरे पेट को गीला किए जा रहे थे। मैं इस अप्रत्याशित घटना से एकदम हतप्रभ थी। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि ये क्या हो रहा है। ये नई मुशीबत क्या है ? इस लड़के को क्या हो गया है ? पगला गया है, मुझ से शादी करने के लिए बोल रहा है। काफी सोचती-विचारती रही। वह मेरे पेट को गीला किए जा रहा था।

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 24

(19)
  • 2.2k

  • 2.3k

मेरी यह दलील सुन कर चीनू एक बार फिर भड़क गया। बोला, '‘शादी-शादी-शादी, दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा। तुम असल में मेरी शादी नहीं बल्कि अब मुझ से भी जी भर जाने के कारण पीछा छुड़ाने में लगी हो। ...Read Moreतुम्हारा मतलब निकल गया है तो मुझ से बचना चाहती हो।'’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 25

(23)
  • 2k

  • 2.6k

'‘मैं ऐसी लड़की से ही शादी कर सकता हूं जो मेरे सामने जब आए तो मुझे ऐसा अहसास हो कि सामने तुम खड़ी हो। क्योंकि तुम्हारी जैसी जो होगी उसी के साथ मैं रह पाऊंगा।'’ ‘अरे! मुझ में ऐसे कौन ...Read Moreसुर्खाब के पर लगे हैं जो किसी और लड़की में नहीं हैं।’

  • equilizer Listen

  • Read

मन्नू की वह एक रात - 26 - लास्ट पार्ट

(44)
  • 2.1k

  • 3.6k

‘जब मैंने अंदर देखा तो जो कुछ दिखा अंदर उससे मैं एकदम गड्मड् हो गई। सीडी प्लेयर चल रहा था। एक बेहद उत्तेजक ब्लू फ़िल्म चल रही थी। और यह दोनों भी एकदम निर्वस्त्र थे। आपस में प्यार करते ...Read Moreसी हरकतें करते जा रहे थे। काफी कुछ वैसा ही कर रहे थे जैसा उस फ़िल्म में चल रहा था। दोनों में कोई संकोच नहीं था। बल्कि अनिकेत से ज़्यादा बहू बेशर्म बनी हुई थी। उसकी आक्रमकता के सामने मुझे अनिकेत कहीं ज़्यादा कमजोर दिखाई पड़ रहा था। दोनों सेक्स के प्रचंड तुफान से गुजर रहे थे। मैं हतप्रभ सी देख रही थी।

  • equilizer Listen

  • Read

Best Hindi Stories | Hindi Books PDF | Hindi Love Stories | Pradeep Shrivastava Books PDF Matrubharti Verified

More Interesting Options

Hindi Short Stories
Hindi Spiritual Stories
Hindi Novel Episodes
Hindi Motivational Stories
Hindi Classic Stories
Hindi Children Stories
Hindi Humour stories
Hindi Magazine
Hindi Poems
Hindi Travel stories
Hindi Women Focused
Hindi Drama
Hindi Love Stories
Hindi Detective stories
Hindi Social Stories
Hindi Adventure Stories
Hindi Human Science
Hindi Philosophy
Hindi Health
Hindi Biography
Hindi Cooking Recipe
Hindi Letter
Hindi Horror Stories
Hindi Film Reviews
Hindi Mythological Stories
Hindi Book Reviews
Hindi Thriller
Hindi Science-Fiction
Hindi Business
Hindi Sports
Hindi Animals
Hindi Astrology
Hindi Science
Hindi Anything
Pradeep Shrivastava

Pradeep Shrivastava Matrubharti Verified

Follow

Welcome

OR

Continue log in with

By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"

Verification


Download App

Get a link to download app

  • About Us
  • Team
  • Gallery
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Refund Policy
  • FAQ
  • Stories
  • Novels
  • Videos
  • Quotes
  • Authors
  • Short Videos
  • Hindi
  • Gujarati
  • Marathi
  • English
  • Bengali
  • Malayalam
  • Tamil
  • Telugu

    Follow Us On:

    Download Our App :

Copyright © 2021,  Matrubharti Technologies Pvt. Ltd.   All Rights Reserved.