मन्नू की वह एक रात - 10

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‘पहली तो यही कि जब कपड़े चेंज करने का वक़्त आया तो कमरे में कोई सेपरेट जगह नहीं देख कर मैं और नंदिता अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ जाने लगे। तो काकी ने पूछा, '‘कहां जा रही हो?'’ हमने कहा ‘कपड़े चेंज करके आ रही हूं।’ '‘तो बाहर जाने की क्या ज़रूरत है?’' उसकी इस बात से मैं और नंदिता चुप-चाप उसे देखते रहे तो वह बोली, '‘यहीं क्यों नहीं चेंज करती। हम सब भी यहीं करते हैं। ये कमरा है, कोई चौराहा नहीं कि लोग तुम्हारी देख लेंगे।'’ तभी रुबाना बीच में बोली,