डॉमनिक की वापसी - 7

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उस दिन दीपांश से हुई मुलाक़ात और हरि नौटियाल की बातों से हमने जितना उसके बारे में जाना था उससे ज्यादा जानने की चाह हमारे मन में थी। उधर तब तक ‘डॉमनिक की वापसी’ का कई बार मंचन हो चुका था। दीपांश के अभिनय का जादू सबके सिर चढ़कर बोल रहा था। उसके अभिनय की तारीफ़ में अख़बारों में बहुत कुछ लिखा गया था। नाटक के दिल्ली से बाहर भी कई शो हो चुके थे। पच्चीसवाँ शो दिल्ली में ही होने वाला था जिससे पहले विश्वमोहन ने प्रेस के कुछ लोगों के साथ मुझे भी अपने ऑफिस जो कि क्नॉटप्लेस में एक आर्ट गैलरी के ऊपर था, बुलाया था। शायद उन्होंने अपने नाटक पर मेरा लेख पढ़ लिया था।