तृप्ति - भाग (१)

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एक वैभवशाली राज्य में, अरे,श्याम...... आज ठीक से मृदंग क्यो नही बजा रहे,आज तुम्हारे सुर ठीक से क्यो नही लग रहे, कमलनयनी बोली। आज मेरा मन थोड़ा विचलित है,राजनर्तकी जी,श्याम बोला। क्यो विचलित है? अच्छा चलो तो मेरे साथ नृत्य का अभ्यास करो, कमलनयनी बोली। श्याम कमलनयनी के साथ नृत्य का अभ्यास करने लगता है!! "कमलनयनी, पल्लव देश के राजा कर्णसेन की राजनर्तकी है,कर्णसेन , कमलनयनी से बहुत प्रेम करते हैं,उसे अपनी प्रेमिका मानते हैं लेकिन कमलनयनी उनसे सिर्फ प्रेम का दिखावा करती है ताकि उसका राजनर्तकी का पद बना रहे,उसे सिर्फ अपने एशो-आराम का लोभ