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तृप्ति - भाग (१)

एक वैभवशाली राज्य में,
अरे,श्याम......
आज ठीक से मृदंग क्यो नही बजा रहे,आज तुम्हारे सुर ठीक से क्यो नही लग रहे, कमलनयनी बोली।
आज मेरा मन थोड़ा विचलित है,राजनर्तकी जी,श्याम बोला।
क्यो विचलित है? अच्छा चलो तो मेरे साथ नृत्य का अभ्यास करो, कमलनयनी बोली।
श्याम कमलनयनी के साथ नृत्य का अभ्यास करने लगता है!!
"कमलनयनी, पल्लव देश के राजा कर्णसेन की राजनर्तकी है,कर्णसेन , कमलनयनी से बहुत प्रेम करते हैं,उसे अपनी प्रेमिका मानते हैं लेकिन कमलनयनी उनसे सिर्फ प्रेम का दिखावा करती है ताकि उसका राजनर्तकी का पद बना रहे,उसे सिर्फ अपने एशो-आराम का लोभ है, इतना बड़ा राजमहल,इतने सारे दास-दासियां वो त्यागना नही चाहती,राजा कर्णसेन तो उससे विवाह करना चाहतें हैं लेकिन कमलनयनी ने कहा आपकी दो रानियां और पांच पुत्र पहले से है अगर मैंने आपसे विवाह कर लिया तो मैं तो सबसे छोटी और तीसरी रानी कहलाऊंगी, मेरी होने वाली संतान को भी उचित स्थान नहीं मिलेगा।
और श्याम, कमलनयनी का नृत्य सहायक है और साथ में मृदंग भी बजाता है, वो भी कमलनयनी को हृदय की गहराई तक प्रेम करता है लेकिन कभी कह नहीं पाया, कमलनयनी जानते हुए भी अनजान बनी रहती है।
मयूरी, कमलनयनी की सखी, दासी, सौंदर्य-चतुरा, नृत्य सहायिका, बहुत कुछ है वो कमलनयनी को सच्चे हृदय से स्वामिनी मानती है लेकिन प्रेम श्याम से करतीं हैं।
आज पड़ोसी देश के राजा पधारें है, उनके सम्मान में आज रात राजनृतकी कमलनयनी का नृत्य हैं इसलिए कमलनयनी नृत्य का अभ्यास कर रही है, उसके साथ श्याम भी मृदंग बजाएगा लेकिन श्याम का मन आज इसलिए विचलित है कि फिर दरबार में कमलनयनी का नृत्य देखा जाएगा और कोई तो उसकी प्रसंशा करेगा और कोई अभद्रतापूर्ण टिप्पणियां,ये सब से कमलनयनी को कोई अंतर नहीं पड़ता लेकिन श्याम का हृदय द्रवित हो जाता है।
रात्रि के समय कमलनयनी का श्रृंगार मयूरी ने बहुत निपुणता से किया, बहुत ही खूबसूरत लग रही थी कमलनयनी लाल रंग के परिधान में,घने बालों का जूड़ा बनाकर,गजरे से सजा दिया गया था, दोनों गालों को अलके(बालों की लट) छू रही थी,माथे पर मोतियों का मांग टीका सजा था, एक सूरज के आकार वाली बिंदी भी माथे पर सजी थी, कमलनयनी की आंखें तो कमल के समान खूबसूरत थी,जो काजल से सजी हुई और भी सुंदर दिख रही थी, होंठ गुलाब की पंखुड़ियों के समान सुन्दर दिख रहे थे,कानों में झुमके,गले में मोतियों का सात लड़ियों वाला हार था, बाजुओं में मोतियों के ही बाजूबंद और कलाइयों में सोने की चूड़ियां, पतली कमर खुली थी और नाभि को छूती हुई एक पतली सी सोने की कमरबंद पहन रखी थी, महावर लगे पैरों में घुंघरू बंधे थे और गोटेदार लाल लम्बी सी चुनर ओढ़ रखी थी,गजगामिनी सी चाल चलते हुए, कमलनयनी जब दरबार में पहुंची तो सबकी आंखें चौंधिया गई।
कमलनयनी ने राजसभा को प्रणाम किया, राजदरबार में सबकी नजरें सिर्फ़ कमलनयनी को ही देख रही थी,सबकी नजरें अपनी तरफ उठते देख कमलनयनी अपने को गर्वित महसूस करती लेकिन श्याम को ये सब पसंद नहीं आ रहा था।
फिर कर्णसेन ने आदेश दिया कि नृत्य शुरू किया जाए_____
नृत्य शुरू हुआ, कमलनयनी की भाव-भंगिमा देखकर सब हतप्रभ रह गए,श्याम की मृदंग और कमलनयनी का जादू सब पर इस तरह छाया की कोई अपनी पलकें भी नहीं झपका पाया, कमलनयनी मोरनी की तरह थिरक रही थी, बिजली सी फुर्ती थी उसके अंदर और नृत्य करते समय जो उसके मुख पर तेज चमक रहा था वो उसके अंदर के आत्मविश्वास को दरशा रहा था,उसका एक-एक अंग नृत्य कर रहा था,बस पुरूष वर्ग तो उसका नृत्य देखकर बस आहें भर रहे थे कि काश कमलनयनी उनको मिल जाए।
कमलनयनी का नृत्य समाप्त हुआ, तालियों की गड़गड़ाहट से समूचा राजदरबार गूंज उठा, पड़ोसी राजा भी बहुत प्रसन्न हुए, उन्होंने अपने गले का हार कमलनयनी को उपहार स्वरूप दे दिया,कर्णसेन भी बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने अपने हाथ की हीरे की अंगूठी कमलनयनी को उपहार स्वरूप भेंट कर दी,श्याम नृत्य करके वहां से चला आया,ये सब उसे पसंद नहीं था, उसे अच्छा नहीं लगता था कि उसकी कला का अपमान इस तरह से हो कि कोई भी अपने उतारें हुए गहने उतार कर उसकी तरफ फेंके, उसकी कला उसके लिए अनमोल थी लेकिन कमलनयनी को इन सब से कोई अंतर नहीं पड़ता था,वो तो बस इसी राग-रंग से प्रसन्न थी।
राजा कर्णसेन के राजपुरोहित अब बहुत ही ज्यादा बूढ़े हो चुके थे, राजपुरोहित जी ने खुद ही कर्णसेन से कहा कि अब उन्हें हमेशा के लिए अवकाश चाहिए,अब उनके बूढ़े जर्जर शरीर में कार्यभार सम्भालने की क्षमता नहीं रह गई है ,अब आप किसी नवयुवक को इस पद पर आसीन करें चूंकि पुरोहित जी के कोई संतान नहीं थी, नहीं तो उनके पुत्र को ही वो पद दे दिया जाता।
कर्णसेन के पड़ोसी मित्र राजा ने कहा, हे!मित्र आप चिंता ना करें, मैं एक बहुत ही अच्छे ज्ञाता नवयुवक को जानता हूं,वो आपके राज्य के राज्य पुरोहित बनने के योग्य हैं,अगर आप कहें तो मैं उनसे इस विषय पर वार्तालाप करूं, कर्णसेन बोले,राजन आपने तो मेरी बहुत बड़ी समस्या को हल कर दिया, आपका बहुत आभार।
कुछ दिनों के बाद नये पुरोहित का आगमन हुआ,नये पुरोहित कम उमर के हृष्ट- पुष्ट नवयुवक थे,महल की महिलाएं उन्हें देखकर वार्तालाप करती कि नये राजपुरोहित किसी राजकुमार से कम नहीं है,बेहद ही सुंदर और सजीले नवजवान है,साथ में बहुत बड़े ज्ञाता भी है और किसी महिला की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखते, बहुत ही चरित्रवान हैं।
उड़ते-उडते ये बात कमलनयनी तक पहुंची,मयूरी ने उसे सारी बात बताई, कमलनयनी बोली, मैंने अच्छे-अच्छों का मोह भंग किया है, इस पूरोहित को भी चुटकियों में वश में कर लूंगी।
राज्य के मंदिर-प्रांगण में बहुत बड़ा उत्सव है और आज फिर समारोह में राजनर्तृकी का नृत्य हैं।

क्रमशः___

सरोज वर्मा___🐦