सजना साथ निभाना--भाग(२)

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जब सब खाना खा चुके,तब सभी एक साथ उठे__ नवलकिशोर भी उठा और पूर्णिमा से बोला,अच्छा आंटी जी अब मैं चलता हूं,इतने अच्छे लंच के लिए धन्यवाद।। ठीक है बेटा,आते रहना शादी का घर है कुछ ना कुछ काम लगा ही रहता है आते रहोगे तो कुछ मदद हो जाया करेंगी, पूर्णिमा बोली।। जी आंटी, इतना कहकर नवलकिशोर चला गया।। घर आकर नवलकिशोर के मन में विभावरी की सूरत और उसकी बातें ही चल रही थी, उसने ऐसी चंचल लड़की कभी नहीं देखी थी।। उधर विभावरी भी नवल के बारे में सोच रही थी कि कितना बुद्धू है लेकिन मेरी