Sajna sath nibhana book and story is written by Saroj Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sajna sath nibhana is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सजना साथ निभाना - Novels
by Saroj Verma
in
Hindi Love Stories
फ़रवरी की हल्की ठंड!!
सेठ धरमदास का हवेलीनुमा मकान जो उनके दादा जी ने बनवाया था,समय के साथ-साथ मकान में भी आधुनिक परिवर्तन किए गए,नये बाथरूम बनाए गए, सहूलियत के हिसाब से उसमें फेर-बदल होते रहे,बस नहीं बदलीं तो उस घर की परम्पराए।।
सामने बहुत बड़ा लोहे का गेट,गेट से अंदर आते हुए अगल-बगल फुलवारी लगी है फिर आंगन है और आंगन में तुलसी चौरा है, जहां सुबह-शाम दिया जलाया जाता है।।
सेठ धरमदास अग्रवाल के घर की छत में चहल-पहल मची हुई है,सब देवरानियां-जेठानियां मिलकर छत पर बड़ियां और पापड़ बना रहे हैं,सब जो जिस काम में माहिर बस अपनी-अपनी कला दिखाने में लगा हुआ है,सब एक-दूसरे से हंसी-ठिठोली कर रही है।
फ़रवरी की हल्की ठंड!! सेठ धरमदास का हवेलीनुमा मकान जो उनके दादा जी ने बनवाया था,समय के साथ-साथ मकान में भी आधुनिक परिवर्तन किए गए,नये बाथरूम बनाए गए, सहूलियत के हिसाब से उसमें फेर-बदल होते रहे,बस नहीं बदलीं तो ...Read Moreघर की परम्पराए।। सामने बहुत बड़ा लोहे का गेट,गेट से अंदर आते हुए अगल-बगल फुलवारी लगी है फिर आंगन है और आंगन में तुलसी चौरा है, जहां सुबह-शाम दिया जलाया जाता है।। सेठ धरमदास अग्रवाल के घर की छत में चहल-पहल मची हुई है,सब देवरानियां-जेठानियां मिलकर छत पर बड़ियां और पापड़ बना रहे हैं,सब जो जिस काम में माहिर बस
जब सब खाना खा चुके,तब सभी एक साथ उठे__ नवलकिशोर भी उठा और पूर्णिमा से बोला,अच्छा आंटी जी अब मैं चलता हूं,इतने अच्छे लंच के लिए धन्यवाद।। ठीक है बेटा,आते रहना शादी का घर है कुछ ना कुछ काम ...Read Moreही रहता है आते रहोगे तो कुछ मदद हो जाया करेंगी, पूर्णिमा बोली।। जी आंटी, इतना कहकर नवलकिशोर चला गया।। घर आकर नवलकिशोर के मन में विभावरी की सूरत और उसकी बातें ही चल रही थी, उसने ऐसी चंचल लड़की कभी नहीं देखी थी।। उधर विभावरी भी नवल के बारे में सोच रही थी कि कितना बुद्धू है लेकिन मेरी
विभावरी बोली, मां ऐसे कैसे तुम मेरी बलि चढ़ा सकती हो, मैं कैसे दीदी की जगह बैठ जाऊं, कुछ तो सोचों मेरे बारे में, अभी एक मिनट पहले मैं हंसती मुस्कुराती लड़की थी और दूसरे मिनट में मुझे तुमने ...Read Moreकी दुल्हन बनने को कह दिया।। कहां जाएगा मेरा भविष्य,जब लड़के वालों को पता चलेगा कि मैं वो नहीं हूं जिसे वो ब्याहने आए थे, इतना बड़ा धोखा,अगर उनलोगो ने मुझे स्वीकार नहीं किया तो.... ऐसा कुछ नहीं होगा बेटी,मुझ पर भरोसा रख, मैं तेरे साथ अन्याय नहीं होने दूंगी, पूर्णिमा बोली।। अन्याय.....अन्याय की दुहाई मत दो मां,वो तो तुम
विभावरी बस स्टैण्ड पहुंच तो गई,अब किससे पूछें कि चंदननगर कौन सी बस जाती है, उसने कभी अकेले सफर ही नहीं किया था,ऊपर से अंधेरा भी हो चला था।। उसे अपने ऊपर बहुत अफसोस हो रहा था कि कैसे ...Read Moreअनपढ़ गंवार की तरह व्यवहार कर रही है कि उसे ये समझ नहीं आ रहा कि किस बस में जाना है और पता भी कैसे हो घरवालों ने कभी अकेले बाहर ही नहीं जाने दिया ना ही कालेज भेजा तो आत्मविश्वास कभी पैदा ही नहीं हुआ मन में।। फिर जैसे तैसे उसने हिम्मत करके एक महिला से पूछा,बहनजी चंदननगर जाना
मोटर से टकराते ही विभावरी बेहोश होकर गिर पड़ी, ड्राइवर ने अचानक से ब्रेक लगाकर मोटर रोक दी तभी मोटर में से एक जनाना आवाज आई___ क्या हुआ रामदीन? मोटर क्यो रोक दी? लगता ...Read Moreमालकिन !कोई टकरा गया है मोटर से, रामदीन बोला।। इतना सुनकर मोटर की मालकिन फ़ौरन मोटर से उतर पड़ी।। और उसने विभावरी को फ़ौरन उठाकर पूछा, ज्यादा चोट तो नहीं लगी आपको,मोटर की मालकिन ने विभावरी को सीधा किया,विभावरी का चेहरा देखकर मोटर की मालकिन बोली ये तो बच्ची है कितनी मासूम है बेचारी।। लेकिन विभावरी उस समय बेहोश थी, उसके