उजाले की ओर---संस्मरण

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उजाले की ओर --संस्मरण ----------------------- नमस्कार मित्रों जीवन हमें बहुत कुछ देता है इसमें कोई संशय नहीं है | लेकिन हर देने के पीछे लेना भी तो होता है | जैसे हम समाज में बात करते हैं कि लेना-देना दोनों साथ होते हैं यानि सामाजिक कार्यों में एक ही व्यक्ति नहीं होता जो केवल देता ही रहता है ,वह लेता भी है | और यही जीवन को जीने का तरीका है | हम कोई खरीदारी करने जाते हैं तो वहाँ हम पैसा देते हैं और अपनी इच्छित अथवा अपनी आवश्यकतानुसार वस्तु खरीद लेते हैं|