निर्वाण--भाग(५)

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भामा ने जल्दी से वर्दी बदली और सादे से सलवार कमीज़ में गाँव की छोटी सी हाट से सामान लेने चल पड़ी,उसका मन बहुत ही खिन्न था,उसे अब थानेदार पुरूषोत्तम यादव पर बिल्कुल भरोसा नहीं रह गया था,वो तो बस उससे अब अपनी जान छुड़ाना चाहती थी लेकिन उसे कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था,उसे पुरूषोत्तम की आँखों में उसके लिए कुत्सित वासना नज़र आती थी,वो यही सब सोच ही रही थीं कि उसे हाट में किशना की पत्नी रामजानकी दिख गई,जो थाने में अपनी गुमशुदा बेटी की रिपोर्ट लिखवाने आई थी,वो उसके पास गई और पूछा..... तुम रामजानकी