एक था ठुनठुनिया - 2

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2 मेले में हाथी ................. ठुनठुनिया अभी छोटा ही था कि एक दिन माँ के साथ होली का मेला देखने गया। गुलजारपुर में होली के अगले दिन खूब बड़ा मेला लगता था, जिसमें आसपास के कई गाँवों के लोग आते थे। पास के शहर रायगढ़ के लोग भी आ जाते थे। सब बड़े प्रेम से एक-दूसरे से गले मिलते। साल भर जिनसे मिलने को तरस जाते थे, वे सब इस मेले में मिल जाते थे। इसलिए सब उमंग से भरकर इस मेले में आते थे। ठुनठुनिया अपनी माँ के साथ मेले में घूम रहा था कि तभी शोर मचा, “गजराज