उजाले की ओर –संस्मरण

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स्नेही मित्रो नमस्कार आज का युग तकनीकी युग है, हमें इस तकनीक ने बहुत कुछ दिया है, इसमें कोई संशय नहीं है लेकिन यह भी उतना ही सच है कि हम जितने इसके आदी होते जा रहे हैं उतने ही खुद से दूर होते जा रहे हैं | कम में ख़ुश रहना अब बिलकुल बंद हो गया है | सबको अपनी-अपनी चीज़ें चाहिएँ --चाहे स्कूटर, बाइक, गाड़ी हो, कम्प्यूटर हो, या कमरे ! सब अपने-अपने, हमारा कोई नहीं, कुछ नहीं --- हमने अपने ज़माने में देखा है कि हमारे रसोईघरों में माएँ अधिकतर बैठकर खाना बनातीं, नीचे बैठकर, कुछ न