उजाले की ओर –संस्मरण

  • 2.5k
  • 1
  • 870

सभी स्नेही मित्रो को नमस्कार जीवन की गति न्यारी मितरा, गुप-चुप करते बीते जीवन, मन होता है भारी मितरा। निकलना पड़ता है उस भारीपन से मित्रों क्योंकि हमें जीवन जीना है, घिसटना नहीं है। जीवन को परीक्षाओं के बिना जीने के लिए नहीं बनाया गया है और किसी भी प्रकार के दर्द से बचने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को त्यागना, चाहे वह मानसिक हों या शारीरिक, जीने का अच्छा तरीका नहीं है। हर बार जब हम किसी समस्या का सामना करते हैं, उसके सामने युद्ध करना ज़रूरी है। हम बचपन से सुनते आते हैं कि जीवन युद्धक्षेत्र है, जब हमने