आख़िर वह कौन था - सीजन 3 - भाग - 7 - अंतिम भाग

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उधर आदर्श की बात मानकर श्यामा आपसी समझ के साथ ही अलग-अलग रहने के लिए मान गई।  अगले दिन श्यामा ने करुणा के पास जाकर कहा, “माँ मुझे माफ़ कर देना। मैं अब और आगे आदर्श का साथ ना दे पाऊंगी,” कहते हुए श्यामा ने करुणा के पाँव छुए। करुणा तो सब कुछ जानती थी। उन्होंने श्यामा को अपने सीने से लगाते हुए कहा, “बेटा क्या यही तुम्हारा अंतिम फ़ैसला है।” “हाँ माँ मैं जा रही हूँ।” “लेकिन श्यामा बच्चे …?” “माँ बच्चे बड़े हो चुके हैं, वह जो चाहे कर सकते हैं। जिसके साथ रहना हो रह सकते हैं।”