दिल है कि मानता नहीं - भाग 6

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शाम को निर्भय जब घर आया तो श्रद्धा को देखकर उसने कहा, “अरे जीजी तुम अचानक?” “अचानक ही आना पड़ा निर्भय, मैं तेरे लिए कुछ लाई हूँ।” “क्या लाई हो जीजी,” कहते हुए निर्भय आकर श्रद्धा के गले से लग गया। “यह देख निर्भय, यह तस्वीर कैसी है?” “किसकी तस्वीर जीजी?” “अरे पागल यदि तुझे पसंद हो तो मैं इसे अपनी भाभी बना सकती हूँ।” “मुझे कोई तस्वीर नहीं देखनी,” कहते हुए निर्भय अपने कमरे में चला गया।    सुबह जब निर्भय उठा तो आज वही दिन था जिस दिन, तीन साल के लंबे इंतज़ार के बाद उसने सोनिया के सामने