Dil hai ki manta nahin book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dil hai ki manta nahin is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दिल है कि मानता नहीं - Novels
by Ratna Pandey
in
Hindi Love Stories
रोहन बदहवास सा हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर के बाहर चहलकदमी कर रहा था । ऑपरेशन थिएटर की रेड लाइट उसे चिढ़ा रही थी । पिछले 3 घंटे से उसकी पत्नी सोनिया ऑपरेशन थिएटर के अंदर थी । अकेले होने के कारण रोहन की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी । कभी वह सोनिया की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करता; कभी ऑपरेशन थिएटर की लाइट की तरफ देखता; कभी अपनी कलाई में बँधी घड़ी की तरफ देखता । उसे लग रहा था मानो आज समय की रफ़्तार रुक सी गई है।
तभी रोहन की नज़र सामने से आती, सोनिया की मम्मी माया पर पड़ी । माया की मानसिक मजबूती उनके व्यक्तित्व से ही झलकती थी । वक़्त के थपेड़ों ने उन्हें हर परिस्थिति को धैर्य से संभालना सिखा दिया था । उनके स्वयं के मन के समंदर के भीतर भारी तूफ़ान आया हुआ था; लेकिन चिंता की लहरें, उनके साहस के किनारों को हिला नहीं पा रही थी । रोहन के फ़ोन के बाद से अब तक उन्होंने अपने को संभाल रखा था । वह अच्छे से जानती थी कि अगर वह ज़रा भी बिखरी तो रोहन और सोनिया को कैसे संभालेगी।
उधर रोहन ने अब तक अपने आँसुओं को किसी तरह से काबू में कर रखा था; लेकिन माया पर नज़र पड़ते ही रोहन के सब्र का बाँध टूट गया और वह बिलख-बिलख कर रो पड़ा।
“रोहन बेटा, फ़िक्र मत करो। सब ठीक हो जाएगा,” माया रोहन को दिलासा देने लगी । माया की इकलौती बेटी सोनिया जीवन और मृत्यु के मध्य झूल रही थी।
रोहन बदहवास सा हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर के बाहर चहलकदमी कर रहा था । ऑपरेशन थिएटर की रेड लाइट उसे चिढ़ा रही थी । पिछले 3 घंटे से उसकी पत्नी सोनिया ऑपरेशन थिएटर के अंदर थी । अकेले होने ...Read Moreकारण रोहन की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी । कभी वह सोनिया की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करता; कभी ऑपरेशन थिएटर की लाइट की तरफ देखता; कभी अपनी कलाई में बँधी घड़ी की तरफ देखता ।उसे लग रहा था मानो आज समय की रफ़्तार रुक सी गई है। तभी रोहन की नज़र सामने से आती, सोनिया की
निर्भय अपने मन की बात सोनिया से कहने का इरादा करके आया ज़रूर था पर उसकी बड़ी-बड़ी आँखों की गहराई में डूबने लगा, वह हकलाने लगा। वह भयभीत था इसलिए नहीं कि वह डरता था बल्कि इसलिए कि उसकी ...Read Moreसुनकर कहीं सोनिया इंकार ना कर दे। बस इसी कारण उसकी जीभ शब्दों के साथ न्याय नहीं कर पा रही थी। तभी सोनिया ने कहा, " जल्दी बोलो ना निर्भय, तुम क्या कहना चाहते हो?" "सोनिया मैं... मैं ... तुमसे प्यार करता हूँ बहुत प्यार करता हूँ और तुम्हें अपनी जीवन संगिनी बनाना चाहता हूँ, क्या तुम ... ?" सोनिया
उधर सोनिया का इंकार सुनकर निर्भय की आँखों से मानो आँसू के रूप में अंगारे बरस रहे थे। वह अपने आप को संभाल नहीं पाया, इतना तनाव सहन नहीं कर पाया, उसका ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ गया और वह ...Read Moreखाकर वहीं गिर पड़ा। इतने में कॉलेज के कुछ लड़के और निर्भय का दोस्त कुणाल वहाँ आ गए और उसे तुरंत ही अस्पताल लेकर गए। डॉक्टर ने उसे देखकर कहा तुम लोग इसे सही समय पर ले आए। यदि 10-15 मिनट की भी देर कर देते तो हालात गंभीर हो सकते थे। "लेकिन डॉक्टर इसे अचानक हुआ क्या? सुबह तो
सोनिया के इंकार करने के बाद, उसके अगले दिन से निर्भय ने कॉलेज जाना बंद कर दिया। एक महीने बाद वह सीधे परीक्षा देने के लिए ही गया। कॉलेज पहुँचते ही उसने सामने से आती सोनिया को देखकर अपनी ...Read Moreको मसला, फिर देखा, फिर मसला, फिर देखा; पर वह जो देख रहा था, वह आँखों का धोखा नहीं सच्चाई थी। निर्भय यह सच्चाई देखकर टूट गया। उसकी आने जाने वाली साँसें जिसमें वह सोनिया को महसूस करता था उन साँसों में से सोनिया उसे बाहर कहीं दूर जाती हुई दिखाई दे रही थी। सोनिया का विवाह हो चुका था।
सोनिया से बिछड़ने के ग़म को निर्भय ने अपने सीने में दफ़न कर लिया और फिर ख़ूब पढ़ाई करके उसने अपना ग्रेजुएशन पूरा कर लिया। उसका मन तो करता था कि वह इस दुनिया को छोड़ कर कहीं दूर ...Read Moreमें चला जाए और सोनिया को भी वही पहुँचा दे; किंतु जब भी वह ऐसा कुछ करने का सोचता उसके सामने एक मूरत आ जाती जो उसकी माँ की होती और फिर वह ऐसा कुछ नहीं कर पाता। देखते-देखते 8 माह बीत गए। भट्टी में जलती आग की तरह उसका मन हमेशा जलता ही रहता था। इसी ग़म को भुलाने