360 डिग्री वाला प्रेम

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कहते हैं प्रेम का आना आपके जीवन मे पूर्व निर्धारित होता है, भले ही वह विवाहोपरांत ही हो। ऐसा प्रेम जिसे आप पूरी जिंदगी शिद्दत से जी सकें! आप उस प्रेम में गहरे डूबते-उतरते रहें, और जिंदगी के सफर को खूबसूरती से पार करते चलें... अपने जीवन साथी के साथ स्वप्निल यात्रा का आनंद लेते रहें! परन्तु, जब ऐसा नहीं हो पाता है, इन प्रेम सम्बंधों में थोड़ा भी विचलन होता है, तब वह प्रेम दुःस्वप्न बन कर जिंदगी के एक-एक लम्हे को जिस उलझन में डाल सकता है, वह अवर्णनीय होता है. बहुत से कारण हो सकते हैं, पर सर्वाधिक प्रभावित करता है जीवन साथी का रुख! इसके बावजूद इच्छाशक्ति और रिश्तों के निर्वहन में ईमानदारी हो, तो रास्ते भी निकल ही आते हैं! जीवन चुनौतियों को जीने की कला है, उनको अपने पक्ष में ढालिये, और जीवन यात्रा पर बढ़ते चलिए, कुछ करने के जज्बे के साथ, क्योंकि समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता, और पीछे मुड़कर देखने पर उदासियां ही हावी होती हैं, रास्ते आगे ही मिलते हैं. यही दर्शाने का प्रयास है यह उपन्यास.

Full Novel

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360 डिग्री वाला प्रेम - 1

०००० कहते हैं प्रेम का आना आपके जीवन मे पूर्व निर्धारित होता है, भले ही वह विवाहोपरांत ही हो। प्रेम जिसे आप पूरी जिंदगी शिद्दत से जी सकें! आप उस प्रेम में गहरे डूबते-उतरते रहें, और जिंदगी के सफर को खूबसूरती से पार करते चलें... अपने जीवन साथी के साथ स्वप्निल यात्रा का आनंद लेते रहें! परन्तु, जब ऐसा नहीं हो पाता है, इन प्रेम सम्बंधों में थोड़ा भी विचलन होता है, तब वह प्रेम दुःस्वप्न बन कर जिंदगी के एक-एक लम्हे को जिस उलझन में डाल सकता है, वह अवर्णनीय होता है. बहुत से कारण हो सकते हैं, ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 2

२. कॉलेज की जिन्दगी..यही है जिंदगी “तो डियर स्टूडेंट्स, आप लोग तैयार हो ना ग्रुप प्रोजेक्ट वर्क के लिए में आते ही पूछा चंद्रन सर ने. फिर, एक निगाह छात्रों पर डालने के बाद उन्होंने ग्रुप्स के नाम बताने शुरू कर दिए. और कहा कि सब ग्रुप्स को दिए गये टॉपिक्स की लिस्ट बाहर नोटिस बोर्ड पर थोड़ी देर में लगा दी जाएगी. सदा की भांति अटेंडेंस रोल में आरिणी का पहला और आरव का दूसरा क्रमांक था. साथ में थे भूमिका और देव. आरिणी पढ़ने-लिखने में तीक्ष्ण बुद्धि तो थी ही, ईश्वर ने उसे सुंदर नयन-नक्श और मधुर ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 3

३. ऐसे ही बनती है अंतरंगता अट्ठाइस जनवरी, यानि महीने का अंतिम सप्ताह, और भरपूर सर्दी. यह नवाबी शहर की गर्मी में भरपूर गर्म और दिसम्बर से फरवरी की सर्दियों में बर्फ-सी गलन की सर्दी का अहसास दे ही जाता है. घड़ी में सवेरे के लगभग ९.५५ बजे थे. लाँग कोट और कैप पहने भूमिका ने स्टैंड पर अपनी एक्टिवा खड़ी की और क्लासरूम के बाहर फैली गुनगुनी धूप के पास जाकर रुक गई. वहां देवेश और आरिणी भी थे. धूप थोड़ा हल्की थी, इसलिए मौसम में ठिठुरन भरी थी. देवेश क्लासरूम से दो स्टूल उठा लाया था, पर ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 4

४.. आरव… और परिवार भारतीय रेल सेवा में डिप्टी ऑपरेशन मेनेजर के महत्त्वपूर्ण पद पर तैनात थे आरव के राजेश प्रताप सिंह. उसी के नाते उनको लखनऊ की विशिष्ट कॉलोनी विक्रमादित्य मार्ग में एक बंगला मिला हुआ था. विशिष्ट इसलिए कि वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले उनके आस-पास ही थे, मुख्य सचिव का बंगला उनके घर से डेढ़ सौ मीटर दूर था, तो प्रदेश का राजभवन मात्र आधा किलोमीटर. चारों ओर आई ए एस और आई पी एस अधिकारियों के सरकारी आवास. लगभग आठ हज़ार वर्ग फीट के इस बंगले का डिजाइन और निर्माण यूँ तो ब्रिटिश काल ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 5

५. कॉलेज और प्रोजेक्ट… ठीक ९.३० बजे आरव निकला कॉलेज के लिए. सारा डाटा, ड्राफ्ट रिपोर्ट उसके पास लैपटॉप पेन ड्राइव दोनों में सेव थी. सवेरे का ट्रैफिक जाम तो जरूरी था पार करना. सवा दस बजे तक फिर भी वह कैंपस पहुँच चुका था. क्लास रूम के पास ही सर्दी की सुनहरी धूप में देव खडा था. जैसे उसकी ही प्रतीक्षा में हो. “गुड मार्निंग फ्रेंड्स…”, यह आरव था. मार्निंग का अभिवादन यूँ तो भूमि और आरिणी के लिए था, पर आरिणी के तेवर अच्छे नहीं लग रहे थे. कल चार-चार बार कॉल और फिर मैसेज के जवाब ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 6

६. कुछ और भी काम दो दिन कॉलेज बंद था, परसों २६ जनवरी की औपचारिक उपस्थिति जरूर लगनी थी, उससे अगले दिन यानि २७ जनवरी को नक्खास मार्किट जाना बहुत जरूरी था. कल का दिन महत्वपूर्ण बन गया था. कल सबसे सलाह के बाद जरूरी सामान की लिस्ट फाइनल करनी थी. चंद्रन सर द्वारा सुझाये गये परिवर्तन के बाद अब काम का स्कोप और सामान की वैरायटी के साथ लागत बढ़ने का भी खतरा था. पर, उनसे हुए विमर्श को अनदेखा नहीं किया जा सकता था. तो, तय हुआ कल, यानि शनिवार को पूर्वाह्न ११.३० बजे, कॉलेज कैंटीन. तब ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 7

७. पुराना लखनऊ… एक खोज नक्खास बाजार… लखनऊ के रविवार के कबाड़ी बाज़ार का पता है. नक्खास से याहियागंज सडक के इर्द-गिर्द बेहतरीन बंद शटर के दुकानों के बाहर की जगह पर कब्जा कर फ़ैली हुई तथाकथित खुली दुकानों में सूई से लेकर हवाई जहाज के पुर्जे और विदेशी चिड़ियाओं से लेकर जहरीले सांप तक की संरक्षित प्रजातियाँ, या फिर किसी भी मोटर गाडी अथवा इलेक्ट्रिक बोट के इंजन को खोजना कोई मुश्किल काम नहीं है. बस एक तरह का जूनून हो आपके पास और पारखी नज़र. पर एक बात और समझने की है कि अगर इन पटरी दुकानदारों ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 8

८. घर पर काम… कुछ आराम वह मंगलवार का दिन था. आरव के घर ग्रुप को मिलना था. ठीक बजे दोपहर. आरव ने गैराज का एक हिस्सा अच्छे से साफ़ करवा दिया था. यूँ भी गैराज भले ही था वह, पर उनकी गाड़ी कभी खड़ी नहीं होती थी उसमें. हमेशा पोर्टिको ही इस्तेमाल होता था. कुछ पुराना सामान और गाड़ी के टायर एवं टूल्स आदि ही रखे थे वहां. वैसे वह काफी बड़े स्पेस में था जहाँ गाड़ी खड़ी करने के बाद भी खूब जगह बचती थी. हवादार भी थी वह जगह. वहां बैठकर काम करने में कोई विशेष ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 9

९. कुछ और काम… थोड़ा और पहचान काम पर जुट गयी थी पूरी टीम. देव भी कम रूचि नहीं रहा था बीच में थकान उतारने एक कॉफ़ी ब्रेक लिया गया. देव और आरव कुछ सामान लेने मार्किट गए और पीछे बातो का सिलसिला चल निकला उर्मिला जी बोली, “अच्छा हुआ कि आरव को यहीं कॉलेज मिल गया था, उसे तो हॉस्टल में जाना पसंद ही नहीं. यूँ कहो कि वह हॉस्टल में रह ही नहीं पायेगा…” उर्मिला जी शायद अपने बेटे की नाजुकता का बखान कर रही थी, पर आरिणी ने हंसकर कहा, “आंटी, हमने तो पहली बार इतनी ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 10

१०. पड़ाव आज प्रोजेक्ट को जमा करने का दिन था. एक सप्ताह कैसे बीत गया पता ही नहीं चला. शनिवार था, और सोमवार को प्रोजेक्ट जमा करना था. रिपोर्ट का काम भी साथ-साथ चल रहा था. अंतिम एडिटिंग के लिए चर्चा होनी थी आरिणी और आरव की. तय हुआ कि आज ही रात को दोनों एक दूसरे से व्हाट्सएप पर एक्सचेंज करेंगे अपने-अपने नोट्स. रात को डिनर के बाद आरिणी का मैसेज आया. उसने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट भेजी. हालांकि काफी सामग्री वही थी जो आरव ने चयन की थी परन्तु फिर भी उसने जो परिवर्तन किये उनमें से ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 11

११. आखिरकार अंततः रिपोर्ट सबमिट करने का समय आ गया था. ग्रुप का नाम पुकारा गया. जूरी में डॉ पी चंद्रन विभागाध्यक्ष के रूप में मौजूद थे, जबकि ए पी कुलश्रेष्ठ वरिष्ठ प्रोफेसर तथा आई आई टी कानपुर के मैकेनिकल विभाग के प्रमुख के पी वरदराजन एक्सटर्नल एग्जामिनर के रूप में बैठे थे. पहला नंबर था उन लोगों के ग्रुप का इसलिए चारों ने हाल में प्रवेश किया. आरव और देव मॉडल को संभाले थे. मॉडल क्या था, मिनी कार का वर्सन था, जैसे वाकई डी सी मोटर्स के वर्कशॉप से निकालकर लाया गया हो. नेवी ब्लू रंग की ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 12

१२. अनुभूतियां-- कुछ स्नेह कुछ प्रेम उर्मिला आरिणी को मन ही मन पसंद करने लगी थी, यह किसी से नहीं था. वर्तिका भी आरिणी में एक सहज अपनापन महसूस करती थी, पर आरव से जब भी चर्चा होती वह टाल जाता, कुछ नहीं था फिलहाल उसके दिमाग में, सिर्फ प्रोजेक्ट थी अभी. “मम्मी, आरिणी भी कितना खुश होती है हम लोगों के साथ न ? आपने देखा शुरू में वह चुप-चुप सी रहती थी, पर समय बीतते-बीतते कितना खुश रहने लगी थी हम लोगों के साथ”, वर्तिका ने बोला. आरिणी का व्यवहार और बात कहने का अंदाज वर्तिका को ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 13

१३. प्रेम की पींग “अगली बार मिलने का मन हो तो सीधे बुला सकती हो. बहाना बनाने की जरूरत आरव ने कॉफ़ी और कुकीज रखते हुए कहा. “तुम्हें मालूम है ना कि तुम कितने अजीब हो! आई ऑलवेज फील प्राउड एंड थैंकफुल टू माय पेरेंट्स फॉर गिविंग मी सच ए ब्यूटीफुल नेम... बट नाउ आई विश दे कुड हैव नेम्ड मी फ्रॉम वाई….. “, आरिणी ने आरव को घूरते हुए कहा. “ओह रियली! तो मैडम कहना चाहती हैं कि रात के साढे नौ बजे वह और मैं केवल सेम अल्फाबेट की वजह से कॉलेज से चार किलोमीटर दूर अलीगंज ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 14

१४. बात यूँ ही बनती हैं आज आरिणी को आरव के घर जाना था. उर्मिला कल शाम और फिर सवेरे ही कॉल करके याद दिला चुकी थी. वर्तिका की भी एक मिस्ड कॉल पडी थी जब वह बाथरूम में थी. आकर उसे फोन मिलाया तो वह भी जल्दी आने का अनुरोध कर रही थी. हाँ, आरव की कोई कॉल नहीं आई थी. पर यह कोई आश्चर्यजनक भी नहीं था. उसका व्यवहार कभी भी यू टर्न लेता था, और वह सिर्फ अपने काम में ही शिद्दत से खोता था. आरिणी को उसकी इस बात का बिलकुल भी बुरा नहीं लगता, ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 15

१५. थोड़ा प्रेम… थोड़ा रोमांच “सुनो, आपको कैसी लगी आरिणी ? अपने मन की बताओ…”, चाय का प्याला अपने राजेश सिंह के हाथ में पकड़ाकर बोली उर्मिला. “मैं क्या कहूँ.. मेरी तो थोड़ी ही देर की मुलाक़ात है. वो तो आप लोगों को ही देखना है...फिर उसका और उसके घर वालों का मन भी तो टटोलना पड़ेगा”, और अभी दोनों बच्चे भी अपनी अपनी पढ़ाई में भी व्यस्त है. राजेश ने व्यवहारिक पहलू पर चर्चा की. “अब ऐसे रिश्तों में तो पहल खुद ही करनी पड़ती है.और मैं कौन सा अभी शादी करने के लिए कह रही हूँ. बस ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 16

१६. कुछ आगे भी आज रविवार था. रविवार यानी आराम का दिन. पर भरोसा कुछ भी नहीं. न जाने सा ऐसा काम आ पड़े, या कोई इमरजेंसी. फिर भी… रविवार सबके लिए एक राहत ही लेकर आता है. सप्ताह भर की गहमागहमी के बाद एक दिन तो आराम का होना ही चाहिए. पर, कहाँ हो पाता है आराम गृहणी के लिए वही तो सबसे कठिन दिन होता है. जैसे परीक्षा हो हर सप्ताह उसकी. और परीक्षा लेने वाले कौन… निर्दयी बच्चे.... जिनकी फरमाइशें कभी पूरी नहीं होती. पति भी साथ में मिल जाएँ तो क्या कहना. शेफ़ के हाथों ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 17

१७. मुलाक़ात, जिनसे जिंदगियां बदलती हैं वर्किंग डे था राजेश सिंह के लिए आज भी, रोज की तरह. पर एक ख़ास दिन इसलिए भी था कि आज आरिणी के मम्मी-पापा आ रहे थे. उसके पापा की एक सरकारी बैठक थी, लखनऊ के शक्ति भवन में. दोपहर बाद तक बैठक से मुक्त होकर उनका शाम को आरव के घर पहुंचना तय हुआ था. डिनर के बाद उनको ट्रेन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आरव ने पहले ही ले ली थी. उनका उसी दिन का नौचंदी एक्सप्रेस से कनफर्म्ड रिजर्वेशन था. उर्मिला सब चीज़ परफेक्ट चाहती थी. कोई समझौता नहीं होना ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 18

१८. समय चक्र समय का चक्र बे-फिक्र होकर चलता रहता है, निरपेक्ष भाव से. न जल्दी, न विलम्ब से. वह तो हम अपने-अपने स्वार्थों के वशीभूत हैं कि या तो उसके शीघ्र आने की कामना करते हुए आतुर हुए जाते हैं, अथवा उसे अपनी कुछ जटिलताओं के वशीभूत लम्बित रखना चाहते हैं. कभी-कभी आरिणी को लगता कि कुछ जल्दी तो नहीं हो गया सब कुछ विवाह शब्द अपने आप में ही कितना वजनदार शब्द है. आकाश में उडती लड़की के पंख कतर जमीन पर लाने की क्षमता जो रखता है लेकिन वहीं प्रेम की ताकत भी तो है .बिना ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 19

१९. विवाह और आगे कहते हैं समय और पैसा-- दोनों के पंख होते हैं. जब सोचते हैं कि समय रुक जाए, तो वह कुछ और गति से बढ़ने लगता है… कुलांचे मारने लगता है, यही हाल पैसे का भी है कितना भी बचाओ खर्च हो ही जाता है खैर… समय का चक्र है यह, हमेशा अपनी गति से चलता है. विवाह की तिथियाँ निकट आने लगीं. जुलाई का महीना था. प्रथम सप्ताह बीत चुका था, तृतीय सप्ताह में विवाह की तिथि थी. सब तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थी. आज १८ जुलाई थी. दोनों पक्षों की सुविधानुसार लखनऊ में ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 20

२०. रोमांच… नहीं, कुछ असमंजस धीरे-धीरे मेहमान जाने लगे थे. एक-एक करके सब चले गये शाम तक. घर में मात्र वही-- राजेश प्रताप सिंह, उर्मिला, आरव, वर्तिका और स्वयं आरिणी. थोडी देर झपकी लेकर वह अब सहज हो गई थी. आज डिनर की तैयारी करना चाहती थी, पर उर्मिला ने स्नेहवश उसे मना कर दिया. ठीक भी था… आरिणी अभी इतनी भी सामान्य नहीं हुई थी कि डिनर जैसी बड़ी जिम्मेदारी का निर्वाह कर सकने में समर्थ हो. आरव तो घोड़े बेचकर सोया था. शाम होने को आई और शाम से फिर रात का घना अंधकार भी उतर आया, ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 21

२१. संदेह और असमंजसता का चक्र एक बार फिर जाकर देखा आरिणी ने. कोई अंतर नहीं था… आरव एक शिशु की भाँति निद्रामग्न था. उसने कोशिश की जगाने की… लेकिन उसे नहीं जागना था, सो नहीं जागा. आरव सोता रहा.. और घर की दिनचर्या यूँ ही चलती रही. तीसरे दिन दोपहर को आरव की नींद पूरी हुई. अब जाकर वह स्नान कर के बेहतर लग रहा था. उसे सहज देख कर आरिणी ने उससे साफ़ शब्दों मे पूछ लिया- “शादी की रस्मों से ही इतना थक गए. शादी कैसे निभाओगे श्रीमान”, आरिणी ने अपने चिर परिचित अंदाज में नाराज ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 22

२२. कुछ उलझन आज डिनर के लिए सबको कैंट एरिया में जाना था. राजेश जी के बचपन के मित्र कैंट में एक वरिष्ठ अधिकारी थे जिन्होंने आज परिवार को रात्रि भोज पर आमंत्रित किया था. सब कुछ खुशनुमा-सा लग रहा था अभी. इस सबके बावजूद आरिणी का मन रह-रह कर कुछ सशंकित-सा हो जाता था. लगता था जैसे उससे कुछ छिपाया जा रहा हो. पर, दूसरे ही क्षण वह ऐसा कोई विचार अपने मन से जबरन निकाल फेंकती. सोचती कि उसके अधिक सोचने का ही परिणाम हो सकती है यह स्थिति. हो सकता है कि आरव किसी हलके-फुल्के तनाव ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 23

२३. हंसी-खेल नहीं है असली जिंदगी थोड़ी देर वर्तिका के पास बैठी वह. उसके पास स्कूल-कॉलेज की गप्पबाजियों का था. वर्तिका भी उसे बहुत पसंद करती थी. उसका व्यवहार ठीक वैसा ही था, जैसा पहले था. वाकई रत्ती भर भी अंतर नहीं था. हाँ, अगर अंतर था तो कुछ अतिरिक्त स्नेह का. केवल वर्तिका ऐसी थी जो अभी भी उसके नजदीक बनी हुई थी. न जाने क्यों ऐसा होता है कि जो लोग आपके बहुत करीब होते हैं वो धीरे-धीरे दूर होते दिखने लगते हैं, मन ही मन सोचने लगी आरिणी. जीवन भर के बंधन और भारी-भरकम रस्म-रिवाजों के ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 24

२४. दिन निकल रहे थे ऐसे ही. बीच में तीन दिन के लिए अरु अपनी मम्मी-पापा से मिलने सहारनपुर गई. उसका चचेरा भाई आकर लिवा ले गया था. मां से खूब बातें हुई, पर आरिणी ने स्वयं को समझा रखा था कि वह मां को कोई ऐसी बात नहीं बतायेगी जिससे उन्हें परेशानी हो. फिर, अभी तक वह स्वयं नहीं समझ पा रही थी कि आरव की जिन्दगी की वास्तविकता क्या है. आरव स्वयं लेने पहुंचा था उसे . रात को रुका नहीं क्यूंकि उसी रात की ट्रेन से रिजर्वेशन भी था. आज आरिणी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण दिन ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 25

२५. कुछ दुविधा… कुछ सच आरव के यूँ तो मार्क्स आरिणी से थोड़ा बेहतर थे. कुल स्कोर में उसका आरिणी से ऊपर था, पर वह व्यवहारिक रूप से उसके सामने कहीं नहीं टिक पाता था. ख़ास तौर से किसी इंटरव्यू या प्रेजेंटेशन में. प्रेजेंटेशन के मामले में तो आरिणी ने स्वयं देखा था. वह पहले इस बात को नार्मल समझ रही थी. उसने आरम्भ से ही प्रोजेक्ट वर्क के प्रस्तुतिकरण में लीड लेने से साफ़ मना कर दिया था. अब उसे याद आ रहा है कि यह बात भी उसके किसी मनोविकार या दिमाग में बैठी किसी गम्भीर बात ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 26

२६. प्रेम… या उलझन आज, आरव के बात करने से वह थोड़ा अच्छा महसूस कर रही थी. प्रेम के शब्द ही काफी होते हैं स्त्री का मन जीतने के लिए, यह जानने के लिए कोई विशेषज्ञता की पढ़ाई भी नहीं करनी होती. सिर्फ संवेदना का स्तर ही तो मैच कराना होता है, जो आज लगता था, फिर से मेल खा रहा था. प्रेम के इन चार शब्दों से ही आरिणी पिघल कर वही पुरानी थोड़ा चुलबुली-सी बनने को तैयार हो गई थी. यह आरव भी देख पा रहा था कि आरिणी के मन की बात होने भर से उसकी ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 27

२७. दूरियां एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में उनके बीच बस दीवारों की ही दूरी नहीं थी, विचारों की दूरी भी बढ़ती जा रही थी. नहीं समझ पाते कुछ लोग एक दूसरे का दृष्टिकोण, क्योंकि विश्वास नहीं जम पाता है. न विज्ञान पर, और न डॉक्टर्स पर. नई पुत्रवधू से भी रिश्ता जमाने में समय तो लगता है न? लेकिन फिर भी विश्वास को ढूंढना, और उस खोज को संचित कर एक बेहतर जीवन के पथ पर चलना हम सब के लिए बहुत आवश्यक है. निष्पक्ष विवेचना और विश्लेष्ण सही पथ-प्रदर्शक होते हैं, यह सभी जानते हैं. ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 28

२८. स्वप्न हमेशा खूबसूरत नहीं होते आज आरिणी का मन डायरी लिखने का था. उसने डायरी निकाली और लिखा, हमेशा खूबसूरत नहीं होते. ऐसे ही जिन्दगी के रंग हमेशा इन्द्रधनुषी- नही होते . यदि हर दिन आकाश में इन्द्रधनुष खिल उठे, हर शाम सुहानी हो जाए तो जिन्दगी की कशमकश, कुछ द्बद्घ विराम न पा जाएँ. और ऐसी स्थिति में जिजीविषा का रोमांच कैसे बना रहेगा ?” “इसलिए, जिन्दगी से शिकायत कैसी. सुख-दुःख, अच्छा-बुरा, प्रसन्नता-अवसाद यह भी नैसर्गिक आविर्भाव ही तो है इस जीवन का. उनसे कैसा मुंह मोड़ना. चाहे पपीहा अपनी गर्दन उठाकर बारिश की राह में उमड़ते ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 29

२९. द्वंद्व और क्लांत मन आज कूरियर आया था. आरिणी ने लिफाफा खोला तो यह होंडा कार कंपनी का रिमाइंडर था. वे चाहते थे कि आरिणी या तो १५ सितम्बर तक ज्वाइन कर ले, या इस ऑफर को ‘फोरगो’ करने का विकल्प चुन ले. शर्त में यह भी लिखा था कि ‘फोरगो’ करने के उपरान्त आरिणी अगले दो साल तक कंपनी में किसी पद पर आवेदन करने की पात्र नहीं रहेगी. उसने गिन कर देखा लगभग सवा महीना था, निर्णय लेने में. पर समय कब किसकी प्रतीक्षा करता है, वह चिंतातुर हो उठी. छोटी-मोटी दुविधा नहीं थी यह ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 30

३०. प्रयास… और दूरियां उर्मिला जी की अवहेलना और कटुता के बावजूद भी आरिणी समझती थी कि आरव की के लिए घर का वातावरण खुशनुमा रखना आवश्यक है, इसलिए अब बेवजह भी मुस्कुरा देती थी. आरव की मेडिसिन्स का भी ख्याल खुद ही रखती. आज से उन दोनों ने कैंट के कस्तूरबा पार्क में मॉर्निंग वाक के लिए जाना भी आरंभ कर दिया था. उनके घर से डेढ़ किलोमीटर पर था वह खूबसूरत पार्क. वे दोनों जॉगिंग करते, सेंट्रल फाउंटेन की फुहारों की कणिकाओं में झूमते, और खिलखिलाते, आसपास के लोगों से बेपरवाह. विवाह के सपने सब देखते हैं, ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 31

३१. न जाने क्यों कई बार बड़ी बातें इतना उद्देलित नहीं करती जितनी छोटी-छोटी बातें मन को आहत कर हैं. आरिणी ने उर्मिला जी के विषय में पहले जो बेहतर, और फिर नकारात्मक धारणा बनाई थी, अब वह सब कुछ भूलकर उससे उबर ही रही थी, सकारात्मकता की ओर, कि यह नई बात उसने अपने कानों से सुन ली थी. बुखार पर तो किसी का भी जोर नहीं है. और अगर वह बेड रेस्ट पर है, तो अर्थ यह है न कि वह काम करने के लिए सक्षम नहीं है-- शारीरिक और मानसिक रूप से, फिर ऐसी बातों के ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 32

३२. अनपेक्षित परिणति आरिणी वापिस अपने कमरे में आ कर लेट गई. थकान और बढ़ गई थी. शायद बुखार चरम पर था. थर्मामीटर देखने की भी हिम्मत नहीं थी. इतने में ही आरव आया. न जाने क्या हुआ कि वह बहुत गुस्से में चिल्लाने लगा, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी मां से ऐसे बात करने की… अब वो किचेन में गंदे बरतन साफ़ करेंगी और तुम आराम करोगी… तुम उन्हें हुकुम दो यह नहीं चलेगा”. आरिणी का शरीर ज्वर से तप रहा था, मन भी ठीक नहीं था, ऊपर से आरव का यह आक्रोश असहनीय था. उसने उठकर बैठने ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 33

३३. नाउम्मीदी दिन बीत गया. शाम होते-होते आरिणी का बुखार अब हल्का लग रहा था. पर घर का वातावरण बोझिल था. आरव पूरे समय मौजूद था, लेकिन नीचे अपनी मम्मी के पास था या टी वी देखता रहा. उर्मिला जी भी देखने नहीं आई आरिणी को. उसे आरव की बहुत चिंता हो रही थी. सोचा कि अनायास काम के दबाव से क्रोध आया होगा, और क्रोध में हमारा विवेक हमें जिस रास्ते पर धकेलता है, उसी पर हम चल पड़ते हैं… बिना सोचे-समझे. पर कहीं यह बिगडती बीमारी का लक्षण तो नही ? शाम को बाई आ गई थी, ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 34

३४. रिश्तों का कुचक्र आरिणी के चचेरे भाई डॉ विनय से माधुरी ने अनुरोध किया कि वह जाकर देखें समस्या क्या है. उसी के अनुरूप समझा जाए कि करना क्या है, ताकि रिश्तों पर भी आंच न आये और अरु भी प्रसन्न रहे. वह स्वयं एक स्थानीय स्वयंसेवी संस्था से जुड़ी थी जो अवसादग्रस्त लोगों को मुख्य धारा में लाने के नियमित कार्यक्रम संचालित करती थी. वह समझती थी कि यदि अरु एक बार अवसाद में डूब गई तो न जाने कब जाकर यह कुचक्र खत्म होगा. इसलिए समय रहते ही कार्यवाही की जानी जरूरी है. डॉ विनय दोपहर ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 35

३५. विचलन अप्रत्याशित चीजें विचलित करती हैं, पर जब कदम-दर-कदम आप समझ सकते हो कि क्या होने जा रहा तो आप स्वयं संवेदना के स्तर पर भाव शून्य हो जाते हो. यही कुछ आरिणी के साथ हो रहा था. वह अब समझ गई थी कि चाहे जितना प्रेम दिखाओ, जितने समर्पण से रहो, वे हर बात में कोई न कोई कमी निकाल कर मूड खराब करने का रास्ता ढूंढ ही लेती हैं. वे उन कुछ लोगों में से लगी उसे, जो अपने हाथों से अपनी दुनिया में कांटे बिछा देते हैं. न उन्हें पता चल पाता है, और न ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 36

३६. परिवर्तन अब आरिणी ने अपना सारा ध्यान जॉब की ओर लगा दिया. कॉलेज की पढ़ाई से अलग होती व्यवहारिक दुनिया, यह कुछ ही हफ़्तों में समझ आ गया था उसे वह सारा समय समर्पण के भाव से काम करती, नई टेक्नोलॉजी को सीखने-समझने और जानने में समय देती. शेष समय में स्वयं पर भी ध्यान देती. लेकिन आरव का ख्याल भी किसी साये की तरह पीछे लगा रहता… उसकी दवाई का समय होता तो वह चिंतित हो जाती कि पता नहीं ली भी होगी या नहीं…. ऐसे में वह वर्तिका को फोन कर उसी से अनुरोध करती. उधर ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 37

३७. कुछ जटिलताएं दिल उदास हो गया. दोपहर के भोजन का भी मन नहीं किया. क्यूं होते हैं हम इतने जटिल, सोचने लगी माधुरी. और यह तो वही परिवार है न जो हर दिन आरिणी को अपनी आंखों के सामने रखता था. आरव और उसकी मम्मी की कितनी प्रशंसा करती थी आरिणी. अब न जाने ऐसा क्या हुआ है कि आरिणी उन्हें एक पल भी नहीं सुहाती. जब भी बात होती है कुछ न कुछ तनाव! और आज तो इस तनाव की पराकाष्ठा ही हो गई, सोचा उन्होंने. उनका रोने का मन हो रहा था. इसी उधेड़बुन में शाम ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 38

३८. बड़ा निर्णय ...और आरिणी चली गई. पूरे तीन महीने के लिए. वह धीरे-धीरे अपने करियर के उस मोड़ पहुंच रही थी, जहां का रास्ता चुनौतियों से भरा अवश्य होता है, पर उसका फल मिलना अवश्यम्भावी होता है. आरिणी इतनी व्यस्त हो गई थी कि वीकेंड पर ही घर पर बात या संदेश भेजने का समय निकल पाता था. आरिणी स्वयं ऐसे जीवन को पसंद करती थी. कंपनी के हेड क्वार्टर आकर वह उन पहलुओं को भी जान सकी थी, जिसके कारण कंपनी विश्व की चुनिंदा ऑटो कंपनी के रूप में जानी जाती थी. उस दिन सवेरे के 11 ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 39

३९. अंधकार… दु:स्वप्न चाहे जितनी भी बड़ी समस्या हो, अथवा जो भी परेशानी हो, माधुरी ने कभी अवसाद को नहीं फटकने दिया था. हमेशा परिस्थितियों का सामना बहुत धैर्य और तर्क के साथ करने की आदत डाली थी उसने. क्रोध उनके चेहरे पर शायद ही कभी दिखा हो. मुस्कुराहट से भरा उनका चेहरा सदैव एक सकारात्मक भाव का तेज दर्शाता था. पर… आज स्थिति कुछ अलग थी. सब कुछ जैसे धूमिल हो गया था. उनके सुनहरे संसार को… उनकी बेटी के सपनों को जैसे किसी ने दु:स्वप्न के अन्धकार में बदलने का प्रयास किया हो. फिर, ऐसा करने वाला ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 40

४०. कुछ और कटुता अनुभव सिंह अपना एक और कटु अनुभव लिए लौट आये. उन्हें दुःख अवश्य हुआ, पर नहीं हारी. इसी महीने की १७ तारीख को कोर्ट में उपस्थित होना था आरिणी को. चूँकि वह मौजूद नहीं थी भारत में, इसलिए उसके बदले पिता ने स्वयं जाना तय किया था. चाहे तो किसी वकील को भी तय कर सकते थे, परन्तु उन्होंने इस हेतु खुद को ही उपयुक्त पाया था. माधुरी में फिर से हिम्मत और हौसला लौट आया था. उनका मानना था कि इंसान को मन से प्रयास करना चाहिए, पूरी शिद्दत से, शेष ईश्वर के हाथ ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 41

४१. कुछ उदासी… थोड़ी ख़ुशी और यूँ ही यह दिन भी बीत गया. अनुभव सिंह सहारनपुर के लिए वापिस चले, बिना किसी नतीजे के. संबंधों की कटुता राजेश सिंह के परिवार की ओर से थोड़ा अधिक थी पर कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या रुख अपनाया जाए. दोनों ओर कुछ अलिखित सीमाओं का निर्धारण हो चुका था. उन सीमाओं को राजेश लांघना नहीं चाहते थे, और अनुभव सिंह की लांघने की हिम्मत नहीं थी… कहीं कोई गलत सन्देश न चला जाए शायद, मात्र इसलिए. दिन बीतते रहे, पर सम्बन्धों की उष्णता का ह्रास होता गया. आरिणी ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 42

४२. कोर्ट-कचहरी इस बीच अनुभव सिंह ने लखनऊ में एक वकील से बात कर ली थी. वह फॅमिली कोर्ट मामलों के जानकार थे, पर अनुभव सिंह ने स्पष्ट कर दिया था कि यह मामला सुलझाने की कोशिश की जानी है, न कि सिर्फ तलाक की सहमति की. वह जहां तक समझते हैं जो भी गलतफहमियां हों, उन्हें दूर किया जाए, और फिर से आरिणी-आरव की जिन्दगी बेहतर ढर्रे पर आ सके, इस से बेहतर कुछ नहीं. अधिवक्ता रामेन्द्र अवस्थी ने उन्हें आश्वस्त किया और सोमवार २१ जनवरी को सवेरे १० बजे ही लखनऊ के कैसरबाग स्थित जिला न्यायालय के ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 43

४३. ऐसा भी होता है काउंसलिंग सेण्टर में अवकाश प्राप्त न्यायाधीश अनुज श्रीवास्तव के सामने आज दोनों पक्ष मौजूद उन्होंने एक निगाह फाइल पर डालकर केस इतिहास का अवलोकन किया. बोले, “कोई किसी से कुछ लेता या देता नहीं, शब्दों के व्यवहार में बस प्रभाव बाकी रह जाता है .... अच्छा या बुरा. आभामंडल कहीं दूर… बहुत दूर छूट जाते हैं. अनुभव सिंह, आरिणी और राजेश सिंह तथा आरव शांत मन से उनकी बात सुन रहे थे. उन्होंने सबसे पहले आरव को अवसर दिया कि वह अपनी बात रखे. पर आरव इसके लिए तैयार नहीं था. बोला, “लिख दिया ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 44

४४. इस रात की सुबह भी होगी ग्रेटर नॉएडा की हेवेंस प्राइड सोसाइटी की मेरीगोल्ड विंग के १००२ नंबर में मानो बसंत ठहर गया है. दो आतुर पंछी तिनका-तिनका सहेज अपना नीड बनाने की सहज प्रक्रिया से गुजर रहे हैं… साथ हँसते है...रोते भी हैं, मार्ग दुरूह है… मंजिल अलक्षित… लेकिन प्रेम, विश्वास और समर्पण के मुलायम गलीचे पैरों को थकने नहीं देते हैं! बहुत दूर, क्षितिज के पार पूर्व दिशा से उगता सूरज अपनी लालिमा से आरव और आरिणी के जीवन में कुछ नए रंगों के आने की पुष्टि कर रहा था. आसमां से पेंग बढ़ाती दसवीं मंजिल ...Read More

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360 डिग्री वाला प्रेम - 45 - अंतिम भाग

४५. यही है जिंदगी अब तीन साल बाद! आरिणी आज होंडा कार कंपनी में मैनेजर डिजाइन की पोस्ट पर हो चुकी है. आरव अपनी लगन और आरिणी के साथ से फरीदाबाद की एस्कॉर्ट्स कंपनी में जॉइन्ट मैनेजर की पोस्ट संभाले हुए है. आरव का भी नई दिल्ली के ‘विमहंस’ चिकित्सा केंद्र में उपचार चल रहा है. अब वह लगभग सामान्य और बेहतर ढंग से अपने जीवन को जी पा रहा है, और मन के अनुसार काम कर पा रहा है. लगभग ढाई साल की अविका अवसर मिलने पर आरव-आरिणी के साथ ही उर्मिला और राजेश को भी अपनी तोतली ...Read More