अजीब दास्तां है ये..

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शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा और ब्रेड सप्लाई करने वाले सोसाइटी में प्रवेश कर रहे थे। लगभग हर फ्लैट में स्कूल जाने वाले बच्चे जल्दी जल्दी तैयार हो रहे थे। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी स्कूल बस में बैठाने के लिए गेट के पास खड़े थे। अनय स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर तैयार खड़ा था। उसने घड़ी की तरफ देखा। स्कूल बस का टाइम हो गया था। उसने कहा, "जल्दी करिए ऐसा ना हो कि बस मुझे छोड़कर चली जाए। आज मेरा मैथ्स का टेस्ट भी है।" "बस हो गया..."

Full Novel

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अजीब दास्तां है ये.. - 1

(1) शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा ब्रेड सप्लाई करने वाले सोसाइटी में प्रवेश कर रहे थे। लगभग हर फ्लैट में स्कूल जाने वाले बच्चे जल्दी जल्दी तैयार हो रहे थे। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी स्कूल बस में बैठाने के लिए गेट के पास खड़े थे। अनय स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर तैयार खड़ा था। उसने घड़ी की तरफ देखा। स्कूल बस का टाइम हो गया था। उसने कहा, जल्दी करिए ऐसा ना हो कि बस मुझे छोड़कर चली जाए। आज मेरा मैथ्स का टेस्ट भी है। ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 2

(2) मुकुल कुछ समय पहले ही सोसाइटी की मीटिंग से लौटा था। हर बार की तरह मीटिंग में कुछ आईं, कुछ सुझाव दिए गए। उसके बाद अगली मीटिंग की तारीख तय करने के बाद मीटिंग बर्खास्त हो गई। वैसे तो मीटिंग हर बार की तरह मुकुल को बोरिंग लग रही थी। लेकिन एक बात ने उस नीरस माहौल में जान डाल दी थी। वह बात थी रेवती का मीटिंग में आना। रेवती कुछ देर से मीटिंग में पहुँची थी। उसने सबसे पहले बड़ी विनम्रता के साथ देरी के लिए लोगों से माफी मांगी। उसके बाद एक मुस्कान के साथ ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 3

(3) दो महीने बीत गए थे। मुकुल और रेवती के बीच एक दोस्ती का रिश्ता पनप चुका था। दोनों खुलकर एक दूसरे से बात करते थे। सिक्सथ फ्लोर के तीन फ्लैट्स अब एक परिवार की तरह थे। आजी इस परिवार की मुखिया थीं। रेवती भी अब नीली को दी कहकर पुकारती थी। दोनों बच्चों के लिए वह आंटी थी। दोस्ती समय के साथ गहरी हो रही थी लेकिन मुकुल के मन में रेवती के लिए दोस्ती से अधिक एक भाव था। कई बार उसे ऐसा महसूस होता था कि वह रेवती के प्यार में पड़ गया है। रेवती हमेशा ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 4

(4) बात खत्म करके रेवती ने मुकुल को अपने साथ आने को कहा। वह उसे लेकर कैफ़े के बाहर गई। कैफ़े के बगल में एक छोटा सा गेट लगा था। उसे खोल कर रेवती अंदर चली गई। मुकुल को कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन चुपचाप उसके पीछे चल रहा था। एक पैसेज पार करके दोनों एक दरवाज़े के सामने आ गए। दरवाज़े पर लगी घंटी बजाने से पहले रेवती ने कहा, अंकल इस वक्त कैफ़े में नहीं हैं। यह उनका घर है। रेवती ने घंटी बजाई। एक बीस बाइस साल के लड़के ने दरवाज़ा खोला। रेवती को ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 5

(5) मुकुल अपने एक दोस्त नमित के साथ एक पार्टी में गया था। पार्टी नमित के कज़िन के नए के गृह प्रवेश के अवसर पर रखी गई थी। यहीं वह पहली बार नेहा से मिला था। यह एक छोटी सी गैदरिंग थी। जिसमें सब एक दूसरे को जानते थे। मुकुल नमित के अलावा किसी को भी नहीं जानता था। उसे बहुत ऑकवर्ड लग रहा था। वह एक कोने में बैठा हुआ था। नमित उससे कह चुका था कि वह संकोच ना करे। भाभी भैया बहुत फ्रेंडली हैं। वह भी औरों की तरह इंज्वॉय करे। बार काउंटर से अपने लिए ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 6

(6) मुकुल अपने और रेवती के रिश्ते को लेकर दुविधा में पड़ गया था। समझ नहीं पा रहा था क्या करे। वह रेवती को प्यार करने लगा था। पर रेवती उसके बारे में क्या सोचती है वह नहीं जानता था। जब भी वह इस बारे में रेवती से बात करने की सोचता था तो उसे अनय का खयाल आ जाता था। कई सवाल उसके मन को परेशान करने लगते थे। क्या उसके और रेवती के रिश्ते को अनय स्वीकार कर पाएगा ? रेवती के आने से उसे ऐसा तो नहीं लगेगा कि पापा ने उसे अपने से दूर कर ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 7

(7) मुकुल इस बात से खुश था कि रेवती भी उसे प्यार करती है। उसने कहा था कि उससे जीवनसाथी उसे नहीं मिल सकता है। नेहा ने जिस तरह से उसे छोड़ दिया था उसने उसे बहुत चोट पहुँचाई थी। जबकी उसने खुद को एक अच्छा जीवनसाथी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। एक लंबे समय तक वह नेहा की दी हुई चोट के दर्द को महसूस करता रहा था। रेवती मान रही थी कि वह एक अच्छा जीवनसाथी है। अब वह इस बात को प्रमाणित करना चाहता था। उसने रेवती से कहा, तुम्हारे अतीत को हराने ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 8

(8) तमिलनाडु से उपेंद्र रेवती को बिहार ले गया। पश्चिमी चंपारण के बेतिया में उसकी बहुत सी संपत्ति थी। दिन तो रेवती को वहाँ अच्छा लगा। पर उसे इस बात की चिंता थी कि उसके मास्टर्स के एडमीशन की प्रक्रिया शुरू होने वाली होगी। उपेंद्र की क्लासेज़ का भी हर्ज़ होगा। उसने उपेंद्र से कहा कि अब उन्हें बनारस वापस लौट जाना चाहिए। उपेंद्र ने कहा कि वह जल्दी ही बनारस लौट चलेंगे। उपेंद्र ने वापस चलने की बात कही तो थी पर उसके व्यवहार से ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह बनारस जाने के मूड ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 9

(9) रेवती रात दिन ईश्वर से प्रार्थना करती रहती थी कि कोई राह निकालें जिससे वह इस स्तिथि से सके। एक दिन उसका धैर्य और विश्वास रंग लाया। जिस कमरे में वह बंद थी उसके वॉशरूम की नाली बुरी तरह चोक हो गई। पहले तो उपेंद्र ने खुद नाली ठीक करने का प्रयास किया पर बहुत कोशिश के बाद भी ठीक नहीं कर सका। उसे हार कर नाली ठीक करने के लिए किसी को बुलाना पड़ा। उस आदमी के आने से पहले उपेंद्र ने रेवती को एक दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया। उसने रेवती को धमकी दी कि ...Read More

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अजीब दास्तां है ये.. - 10 - अंतिम भाग

(10) उसकी आँखों को देखकर रेवती पहचान गई कि वह उपेंद्र है। वह डरकर मुकुल के पीछे छिप गई। ने कहा, "मैं कहता था ना कि तुम औरतें धोखेबाज़ होती हो। मुझे जेल भिजवाकर इसके साथ ऐश कर रही हो।" मुकुल समझ रहा था कि इस समय ज़रा सी चूक भारी पड़ सकती है। उसे बड़ी होशियारी से काम लेना होगा। उसने खुद को संयत करके कहा, "देखो तुम कोई ऐसी वैसी हरकत मत करो। पुलिस तुम्हें तलाश रही है।" "मुझे पता है कि पुलिस मेरे पीछे है। फिर भी खुद को खतरे में डालकर यहाँ आया हूँ। मेरे ...Read More