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अजीब दास्तां है ये.. - 2

(2)

मुकुल कुछ समय पहले ही सोसाइटी की मीटिंग से लौटा था। हर बार की तरह मीटिंग में कुछ शिकायतें आईं, कुछ सुझाव दिए गए। उसके बाद अगली मीटिंग की तारीख तय करने के बाद मीटिंग बर्खास्त हो गई।

वैसे तो मीटिंग हर बार की तरह मुकुल को बोरिंग लग रही थी। लेकिन एक बात ने उस नीरस माहौल में जान डाल दी थी। वह बात थी रेवती का मीटिंग में आना। रेवती कुछ देर से मीटिंग में पहुँची थी। उसने सबसे पहले बड़ी विनम्रता के साथ देरी के लिए लोगों से माफी मांगी। उसके बाद एक मुस्कान के साथ सबको अपना परिचय दिया। उसने बताया कि वह एक फ्रीलांस ग्रैफिक डिज़ाइनर है। उसने कर्नाटक संगीत सीखा है। बॉलीवुड की फिल्मों और लता मंगेशकर के गानों की बहुत शौकीन है।

जब वह सबको अपने बारे में बता रही थी तब उसके चेहरे की मुस्कान और बातचीत से झलकता आत्मविश्वास मुकुल को आकर्षित कर रहा था। यही नहीं सोसाइटी की कुछ समस्याओं पर उसने बड़े ही प्रैक्टिकल तरीके के सुझाव दिए। इस बात के लिए सभी ने उसकी तारीफ की थी। लेकिन मुकुल उसके व्यक्तित्व से सबसे अधिक प्रभावित हुआ था।

वह सोफे पर बैठा रेवती के बारे में ही सोच रहा था। तभी अनय ने आकर कहा,

"पापा... आप तो कह रहे थे कि आज हम लोगों को घुमाने ले जाएंगे।"

"बिल्कुल ले जाऊँगा।"

"तो फिर तैयार हो जाइए।"

"तुम हो गए तैयार ?"

"बहुत देर का..."

मुकुल ने उसकी तरफ देखा। वह जाने के लिए पूरी तरह तैयार था। मुकुल जानता था कि वह घूमने जाने के लिए बहुत उतावला है। उसने कहा,

"गुड... तुम जाकर बुआ से कहो कि वो लोग भी जल्दी तैयार हो जाएं। हम आज द ब्लू पैलेस में लंच करेंगे और फिर मस्ती करेंगे।"

अनय द ब्लू पैलेस का नाम सुनकर खुशी से उछल पड़ा। उसने उसे गले लगाकर कहा,

"थैंक्यू पापा....आई लव यू...."

मुकुल ने उसकी पीठ पर हाथ फेरकर कहा,

"लव यू टू बेटा। तुम उन लोगों को रेडी होने को कहो। मैं भी रेडी होता हूँ।"

 

अनय और रिया बहुत खुश थे। कार की पिछली सीट पर दोनों आजी के अगल बगल बैठे थे। हमेशा की तरह दोनों में नोंकझोंक चल रही थी। आजी उन्हें चुप करा रही थीं। मुकुल के साथ आगे बैठी हुई नीली ने कहा,

"दोनों फिर शुरू हो गए।"

कार चलाते हुए मुकुल ने कहा,

"बच्चे तो लड़ते ही हैं दी।"

"तुम भी अपने बचपन में लड़ाई करते थे ?"

मुकुल मुस्कुरा कर बोला,

"कभी मनीषा दीदी से पूँछिएगा। बचपन में जब दादी के घर में मुलाकात होती थी तो हम दोनों में खूब झगड़ा होता था।"

"पर मुझसे तो कभी झगड़ा नहीं किया तुमने ?"

"आप बचपन में मिली नहीं। अब इस उमर में झगड़ा करते अच्छा लगूंँगा।"

उसकी बात पर नीली हंस दी। रिया और अनय के बीच कौन सा गाना बजाना चाहिए इस पर सुलह हो गई थी। मुकुल ने उनकी पसंद का गाना बजा दिया। कुछ देर के लिए दोनों शांत हो गए। गाना खत्म होने पर आजी ने कहा,

"मुकुल हम सबको लंच पर लाने की क्या ज़रूरत थी। तुम और अनय घूम आते।"

मुकुल ने कहा,

"आजी मुझे एक बड़ा काम मिला है। उसकी खुशी सेलीब्रेट करनी थी। बिना फैमिली के कहीं सेलीब्रेशन होता है।"

नीली ने कहा,

"वो ठीक है मुकुल पर द ब्लू पैलेस जैसे महंगे रेस्टोरेंट की क्या ज़रूरत थी।"

"क्योंकी मुझे आप सबको एक अच्छी ट्रीट देनी थी।"

"मुझे लगता है कि मैं ठीक से तैयार नहीं हुई।"

"दी यू आर लुकिंग फैब... चाहिए तो अभी जीजू को वीडियो कॉल कर लीजिए। देखते ही उड़ कर आ जाएंगे।"

"हाँ... तुम्हारे जीजू हनुमान जी बन जाएंगे।"

अचानक नीली कुछ उदास हो गई। मुकुल ने कहा,

"दी आर यू मिसिंग जीजू ?"

नीली उसकी तरफ देखकर बोली,

"हाँ...पर खुश हूँ कि उनका सपना पूरा हो रहा है। अब तो कुछ ही महीने बचे हैं।"

"ये भी कट जाएंगे दी।"

नीली हौले से मुस्कुरा दी और बाहर देखने लगी। कार में सभी शांत थे। कुछ ही देर में रेस्टोरेंट आ गया।

 

सब बातें करते हुए लंच कर रहे थे। मुकुल ने ध्यान दिया कि अनय बहुत खुश था। बाहर आने से अधिक उसकी खुशी का कारण यह था कि मुकुल उन लोगों को बाहर लेकर आया था। उसके मन में एक अपराधबोध जागा‌। वह अनय को वक्त नहीं दे पाता था। उसने तो अनय का पूरा खयाल रखने का वादा किया था। वरना अनय का इस दुनिया में आना संभव नहीं होता।

खाना खाते हुए मुकुल अपने विचारों में डूबा था। तभी रेवती की आवाज़ कानों में पड़ी।

"हैलो अनय..."

"हैलो आंटी...."

रेवती ने बाकी सबकी तरफ देखकर कहा,

"हाई एवरीवन..."

नीली ने कहा,

"आप हमारी नई नेबर हैं।"

"जी... रेवती कृष्णन..."

"मैं नीलम कपूर हूँ।"

उसके बाद उसने आजी और रिया का परिचय दिया। नीली ने मुकुल की तरफ देखा। वह उसका इशारा समझ गया। उसने कहा,

"रेवती ज्वाइन अस..."

"नो थैंक्यू.... मैं तो बस अपने एक क्लाइंट का वेट कर रही थी। अनय को देखा तो हैलो कहने चली आई। यू गाइज़ कैरी ऑन।"

रेवती अपनी टेबल पर चली गई। अब मुकुल की निगाहें उस पर ही जाकर टिक गई थीं। उसने पर्पल कलर का टॉप और जींस पहन रखा था। उसके बाल कंधे से कुछ नीचे पर सीधे थे। मुकुल को वह बहुत सुंदर लग रही थी।

नीली ने देखा कि मुकुल की नज़रें रेवती की टेबल पर ही टिकी हैं। उसने उसके कंधे पर हाथ रख दिया। मुकुल ने अपनी नज़रें वहाँ से हटा लीं। वह लंच खाने लगा। कुछ देर में उसने जब दोबारा रेवती की टेबल की तरफ देखा तो वह किसी से बात कर रही थी।

लंच के बाद मुकुल ने कहा,

"दी यहाँ की कुल्फी बहुत मशहूर है। क्या खयाल है। कुल्फी मंगाऊँ या आप और आजी कुछ और लेना पसंद करेंगी।"

नीली ने आजी की तरफ देखा। उन्होंने सर हिला कर हाँ कर दिया। नीली ने कहा,

"कुल्फी मंगा लो..."

मुकुल ने बच्चों से पूँछा,

"तुम लोग डेज़र्ट में क्या लोगे ?"

अनय और रिया ने एकसाथ कहा,

"आइसक्रीम..."

नीली ने टोका,

"अभी उस दिन तो आइसक्रीम खाई थी। आज कुल्फी खाकर देखो। कभी-कभी नई चीज भी खाना चाहिए।"

उसकी बात पर अनय और रिया ने मुंह बना दिया। नीली ने कहा,

"ठीक है... जो मन करे वही मंगाओ।"

मुकुल ने वेटर को ऑर्डर दे दिया। कुछ ही समय में उनका ऑर्डर आ गया। सब डेज़र्ट का लुत्फ लेने लगे। नीली ने कहा,

"रियली इट इज़ वेरी नाइस..."

आजी ने भी उसकी बात का समर्थन किया। मुकुल ने एक बार फिर रेवती की टेबल की तरफ नज़र उठाई। वह कुछ परेशान लग रही थी। मुकुल ने सोचा कि शायद क्लाइंट के साथ बात नहीं बन पा रही है। वह कुल्फी खाने लगा।

एक ज़ोरदार तमाचे की आवाज़ आई। मुकुल ने रेवती की टेबल की तरफ देखा। उसका चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ था। क्लाइंट हक्का बक्का उसका चेहरा देख रहा था। सभी की निगाहें रेवती की टेबल पर थीं। क्लाइंट ने चारों तरफ देखा। उसके बाद रेवती का हाथ पकड़ कर मरोड़ते हुए बोला,

"यू #@#..हाऊ डेयर यू टु स्लैप मी। क्या समझती है खुद को ?"

रेवती को दर्द हो रहा था। पर वह खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। सब तमाशा देख रहे थे। मुकुल से यह देखा नहीं जा रहा था। वह उठकर रेवती की टेबल पर गया। उसने गुस्से से कहा,

"लीव हर हैंड..."

उस आदमी ने मुकुल की तरफ से गुस्से से देखा। फिर दूसरे हाथ से उसे धक्का देते हुए बोला,

"जस्ट गेट लॉस्ट..."

मुकुल को गुस्सा आ गया। उसने भी एक जोरदार तमाचा उस आदमी को रसीद कर दिया। मुकुल के तमाचे से वह हिल गया। उसने रेवती का हाथ छोड़ दिया। एक बार गुस्से से मुकुल को घूरा। उसके बाद वहाँ से चला गया।

रेवती अपने हाथ को सहला रही थी। नीली भी उठकर उसकी टेबल पर आ गई थी। उसने पूँछा,

"आर यू ओके रेवती ?"

रेवती ने धीरे से कहा,

"जी..."

वह रुआंसी थी। नीली ने आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया। रेवती स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख पाई। वह रोने लगी। नीली उसे चुप करा रही थी। मुकुल को रेवती का दुखी होना अच्छा नहीं लग रहा था। उसने वेटर से पानी लाने को कहा। अपने हाथ से उसे पानी पिलाकर उसने कहा,

"आप ठीक तो हैं ना ? डॉक्टर के पास चलना है ?"

रेवती ने टिश्यू से अपने आंसू पोंछते हुए कहा,

"आई एम फाइन..."

नीली ने मुकुल से कहा कि वह बिल सेटल कर दे। वह रेवती को लेकर अपनी टेबल पर चली गई। मुकुल ने अपना और रेवती का बिल चुका दिया। उसने रेस्टोरेंट के मैनेजर को बुला कर डांट लगाई,

"आपके इस रेप्युटेड रेस्टोरेंट में एक लेडी के साथ बदतमीजी हो रही थी। आप और आपका स्टॉफ उसकी मदद को भी नहीं आए।"

मैनेजर ने सफाई देते हुए कहा,

"कई बार गेस्ट्स का अपना पर्सनल मैटर होता है। इसलिए..."

मुकुल ने गुस्से में कहा,

"डिस्गस्टिंग.... जो हुआ वह आपको पर्सनल मैटर लग रहा था।"

मैनेजर ने अपनी आँखें झुका लीं।

 

रेवती मना कर रही थी। पर नीली ने कहा कि वह उसकी कार चलाकर डॉक्टर को दिखाते हुए घर ले जाएगी।

मुकुल आजी और बच्चों को अपनी कार से घर ले गया।

 

रेवती ने दवा खाई और आराम करने के लिए लेट गई। उसके दिमाग में रेस्टोरेंट में जो कुछ घटा वही घूम रहा था। उसका क्लांइट नशे में था। जब से आया था उसे अजीब नज़रों से देख रहा था। उसे बहुत अनकंफर्टेबल महसूस हो रहा था। पर वह उसे अपने डिज़ाइन के बारे में बता रही थी। अचानक ही उसके क्लाइंट ने उसकी खूबसूरती की तारीफ करना शुरू कर दिया। उसने धन्यवाद देकर बात को टालना चाहा। लेकिन वह अपने ही शुरूर में था। उसके चेहरे की बात करते करते वह उसकी फिगर पर आ गया। रेवती ने गुस्से से उसे अपनी हद में रहने को कहा। इस पर उसने बेशर्मी के साथ उसका हाथ पकड़ कर अपने साथ चलने को कहा। रेवती अब तक चुप थी क्योंकी वह कोई तमाशा नहीं चाहती थी। पर उसकी इस हरकत को बर्दाश्त करना उसके लिए कठिन था। उसने एक तमाचा लगा दिया।

जो कुछ घटा था उसने रेवती के मन को कड़वाहट से भर दिया था। उस कड़वाहट के बीच मुकुल का चेहरा उसके ज़ेहन में उभरा। वह याद करने लगी कि किस तरह मुकुल उसकी मदद के लिए सामने आया था और उसने कड़क आवाज़ में उस बदतमीज आदमी से उसका हाथ छोड़ने को कहा था। उसके ना मानने पर किस तरह उसे सबक सिखाया था। उसके बाद बड़ी ही शालीनता और नरमी के साथ उसका हालचाल लिया था। उसका वह कड़क और नरम रूप उसे बहुत अच्छा लगा था। यह सब याद करके अचानक एक सुखद एहसास से उसका मन खुश हो गया।

 

मुकुल अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था। पर उसका मन बार बार रेवती की तरफ चला जाता था। वह सोच रहा था कि पता नहीं वह कैसी होगी ? हालांकि नीली ने उसे बताया था कि डॉक्टर ने कहा है परेशानी की कोई बात नहीं है। दवा खाकर सब ठीक हो जाएगा। लेकिन मुकुल फिर भी उसे लेकर चिंतित हो रहा था।

लेकिन एक बात उसके मन में उलझन पैदा कर रही थी। रेवती के लिए उसके मन में जो फिक्र थी उसका कारण वह समझ नहीं पा रहा था। उसकी फिक्र इंसानियत के नाते एक पड़ोसी की फिक्र नहीं थी। वह उससे अलग कुछ था। उसका मन रेवती के लिए बेचैन था। वह चाह रहा था कि अभी जाकर रेवती से उसका हालचाल पूँछे। लेकिन एक संकोच था जो उसे रोक रहा था।

अनय बैठा कार्टून देख रहा था। उसके मन में भी रेस्टोरेंट वाली घटना चल रही थी। मुकुल ने जैसे रेवती की मदद की थी वह उसे बहुत अच्छा लगा था। वह उठकर मुकुल के पास जाकर बोला,

"पापा यू आर ब्रेव। आपने उस गंदे आदमी से आंटी को बचाया।"

"बेटा जो मुसीबत में हो उसकी मदद करनी चाहिए।"

"पापा आंटी को बहुत दर्द हो रहा था।"

अनय की बात सुनकर मुकुल को रेवती का हालचाल पूँछने जाने का बहाना मिल गया। उसने कहा,

"हाँ दर्द तो बहुत हो रहा था। ऐसा करते हैं कि चलकर रेवती आंटी का हाल पूँछते हैं।"

यह बात अनय को भी बहुत अच्छी लगी। वह फौरन तैयार हो गया।