Daffodils - 4 by Pranava Bharti in Hindi Poems PDF

डेफोड़िल्स ! - 4

by Pranava Bharti Matrubharti Verified in Hindi Poems

36 - मेरे पारिजात ! पारिजात ! मैंने लगाया कितने जतन से तुम्हें प्रतीक्षा की और अचानक एक दिन तुम्हें देखा, मुस्कुराते हुए हरियाली के बीच तुम बिना मेरे स्पर्श के बिछुड़ गए थे डाल से किस कमाल से ...Read More