Daffodils - 5 by Pranava Bharti in Hindi Poems PDF

डेफोड़िल्स ! - 5

by Pranava Bharti Matrubharti Verified in Hindi Poems

51 - मैं, माँ–तुम सबकी बिखरी चली जाती हूँ जब दीवानगी छाती है मेरी धड़कन मेरी साँसें ठिठक जाती हैं मैं तुम्हारी माँ हूँ तुम रूठ क्यों जाते हो मुझसे सारे ही बंधन तोड़ जाते हो मुझे रौंदने लगते ...Read More