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सच बोले

एक राजा था उसे चित्र बनाने का बहुत शौक था वह चित्र बनाने का बहुत प्रयास करता था लेकिन वह सही तरीके से चित्र नहीं बना पाता था
 सुबह सुबह राजा रोज एक चित्र बनाता और दोपहर के टाइम दरबार में अपने राज्य के सारे जाने-माने चित्रकार को अपने चित्र को जांचने के लिए बुलाता। राज्य के चित्रकार भी राजा के खराब से खराब चित्र को अच्छा बताते। और बढ़ चढ़कर चित्र  की तारीफ राजा के सामने करते थे।
 इसी पर राजा उन्हें कई सोने के सिक्के हीरे जेवरात देता था।
 एक दिन ऐसे ही राजा ने एक चित्र बनाया और अपने राज्य के आसपास के राज्य के सभी चित्रकारों को उसे जांचने के लिए बुलाया ।
दोपहर का टाइम था दरबार में सारे चित्रकार इकट्ठा हुए चित्रकार बहुत दूर दूर से आए थे ।
सभी को राजा के द्वारा बनाया गया चित्र दिखाया गया हमेशा की तरह सभी  चित्रकार ने राजा के चित्र की बहुत बढ़-चढ़कर तारीफ की तभी वहां पर एक बूढ़ा  व्यक्ति था।
 उसने कहा राजा जी मुझे आपके इस चित्र में कुछ खास नजर नहीं आता यह तो कोई छोटा सा बच्चा भी बना सकता है।
 यह सुनकर राजा को गुस्सा आया उसने कहा यह चित्रकार मेरे साथ 1 साल से हैं उन्होंने कभी मेरे चित्र की कोई गलती नहीं निकाली। और तुम एक बूढा इंसानमेरे चित्र की बेइज्जती कर रहे हो। तभी एक चित्रकार ने बोला देखिए- बूढ़े काका  आप क्या जानते हो चित्र के बारे में यह राजा जी का चित्र इतना अच्छा बनाया गया है।
  तभी उस बूढ़े ने कहा कि  राजा जी अगर मैं आपकी आज्ञा हो तो एक चित्र बनाना चाहता हूं ।
तब राजा ने कहा ठीक है बूढ़े व्यक्ति ने चित्र बनाना स्टार्ट किया।
 कुछ ही देर में उसका चित्र बन गया उसके चित्र को देखकर सारे चित्रकार हैरान थे। चित्र ऐसा लग रहा था कि मानो वह कोई तत्काल का दृश्य हो ।इस चित्र को देखकर राजा भी हैरान था  बूढ़े व्यक्ति ने कहा  राजा जी मैंने सिर्फ आप के चित्र को बुरा बोला क्योंकि वह चित्र प्रशंसा के लायक नहीं था लेकिन और चित्रकार लोग इतने सालों से उस आपके द्वारा बनाए गए चित्रों की तारीफ करते आ रहे थे क्योंकि उन्हें क्योंकि आप उनके राजा थे और वह नहीं चाहते थे कि आप नाराज हो।
 तब राजा ने कहा इन सारे चित्रकारों ने इतने सालों से मुझसे झूठ बोला कि मैं एक अच्छा चित्रकार हूं और मेरे चित्र की इतनी प्रशंसा की इन सारे चित्रकार को दंडित किया जाएगा
,राजा ने उन सारे चित्रकार को दंड दिया।
 दोस्तों हमें कभी भी परिस्थिति में फस कर झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि क्योंकि परिस्थिति बदल जाती है लेकिन वह झूठ नहीं बदलता इसलिए जितनी भी कठिन से कठिन परिस्थितियों हमें सच बोलना चाहिए आज अगर चित्रकारों ने राजा से सच बोला होता उसके चित्र के बारे में तो राजा उन्हें कभी डन दंडित नहीं करता और राजा भी सीख सीख कर एक अच्छा चित्रकार बन गया होता हमें परिस्थिति का सामना करके ही सच बोलना चाहिए ना ही झूठ बोलकर परिस्थिति को और भी गाना चाहिए क्योंकि परिस्थिति कभी समान नहीं रहती वह बदलती रहती है