kota allen and love - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

कोटा एलेन वाला प्यार - 1

चैप्टर 1

एक बार की बातहै एक लड़का जो डॉक्टर बनना चाहता है। उसने मेडिकल exam की prepration के लिए एक बार फिर अंतिम बार कोटा जाने का निर्णय किया।उससे पहले के cpmt और aipmt exam में उसका सिलेक्शन महज़ कुछ अंको से रह गया था। काफी दिनों तक जिसकी वजह से वो सदमे में भी रहा।आखिर कॉउंसिलिंग के mop up राउंड के बाद कोटा गया जहाँ उसे एडमिशन के लिए अच्छी सी स्कॉलशिप भी मिली।।उसने दोपहर 2बजे से लगनेवाली class में admisson लिया। classes सत्यार्थ बिल्डिंग में लग रही थी।इसलिए उसने उसी के पास जैसेTT hospital और blood बैंक सुवि नेत्र चिकित्सालय ,जवाहर नगर के आसपास PG room लेने का विचार किया।आखिर उसने tt hospital के सामने वाली रोड के उस पर की सोसाइटी में room लिया।
पढ़ाई की सुरुआत achiver batch के top टीचरों ने की।उनसे पढ़कर काफी मज़ा आने लगा। क्योंकि इसबार सिलेक्शन का प्रेशर घर वालो से ज्यादा खुद का था।इसिलये कभी कोई फालतू टाइम पास नही।सिर्फ पढ़ाई करूँगा उसने ऐसा सोचा ।लेकिन इतना आसान होता नही है जो सोचना उसे करना।

चैप्टर2

दो तीन महीने बीत चुके थे।
काफी लोग दोस्त बन गए थे।घूमना टहलना badmiton क्रिकेट के साथ साथ ताश खेलने में भी मज़ा आ रहा। क्योंकि वो सिलेबस कई बार पढ़ चुका था थोडी बोरियत होने लगी थी और एक वक्त हम सबकी लाइफ आता है जब सब पढ़ा पढ़ा सा लगता है। तब हम निश्चित हो जाते है।
अब मोहल्ले में और आसपास के गर्ल्स हॉस्टल के तरफ जाना भी बढ़ गया था। क्योंकि 16-17 की उम्र में अपोजिट एक्स की तरफ आकर्षित होना, उन्हें जानने और उनसे दोस्ती और खास रिश्ते की उम्मीद करना बहुत ही nautral होता है
।सबकी तरह हम भी नोस्टैल्जिक हो गए है। पहले बहुत कम होस्टल की छत पर जाना होता था।लेकिन एक बार new year मानने के लिए गए।फिर छत से लौट के आये ही नही।शाम होते ही छत के चारो तरफ गर्ल्स हॉस्टल का नजारा मरते है।बकचोदिया करते थे। इसी दौरान सबने अपना कुछ स्पेशल चुन लिया था।हम भी कहा पीछे रहने वाले। उसी ताक झांक में बेचैनियों भी होने लगी थी। लेकिन नजर हमने भी भिड़ा ही ली। अब उसके लिए भी अतिरिक्त चकर काटना पड़ता था।

चैप्टर3

चूंकि लड़कियों की class एलन में जयदादातार सुबह लगती थी।अब कुंभकरद के तरह सौने वाले लड़के सुबह 6 बजे उठने लगे। सुबह सुबह दौड़ने और gym जाने का नया चस्का पाला ।इसी बहाने मोहतरम का दीदार हो जाता था। वैसे सुबह उठना खासकर सर्दियों में बहुत कठिन काम होता है। चार छै दिनों में सबका jym का bhot उतर गया ।हम ठहरे fitnesस फ्रीक रोज जाते रहे। लगभग पंद्रह दिनों के बाद मोहतरमा दिखी तो पता लगा अपने मोहहले के ही CK होस्टल में रहती है जोकि कोचिंग जाते समय हम हमेशा उसी रास्ते से जाते हैं। मोहतरमा के बालकनी का दरवाजा या खिड़की जो भी कहो हमारी गली के तरफ ही खुलता था। उस दिन इतना जान के बहुत खुसी हुई कि अब सुबह gym में पैसा waste करने की जरूरत नही।बस सुबह महेश बुक डिपो तक दौड़ के आओ तो उनका दीदार हो जाएगा। लेकिन ये दौड़ भाग ज्यादा दिनों तक चल नही पायी। और देखते देखते मार्च गया ।मार्च में होली थी।हमने dj वैगरह का aarangment किया।खूब जमकर होली खेली गई।लड़कियां गली में नींचे आकर हमारे साथ होली तो नही खेली। लेकिन उन्हीने अपने होस्टल में हमारे dj पर लगाये गानों में खूब नाची।कुछ एक ने तो लास्ट में हमारे ऊपर पानी फेंक ही दिया। अब पानी वाली ही दोस्ती हो गयी । लगा कि अब कुछ हो सकता है

लेकिन
होली के बाद पढ़ाई का जबरदस्त माहौल बना सब जलपरियां गायब हो गयी,कई दिनों तक दिखी नही । हम भी मन मारकर बैठ गए और सब किस्मत के सहारे छोड़ दिए।
मार्च खत्म होने वाला था ,सिलिबस कब पुरा हो चुका था। सब हमेशा होस्टल में रहते या allen में जाके पढ़ाई करते ।
हमने भी सिद्दत वाली पढ़ाई सुरु कर दिया।
एक दिन सुबह चाय पीके लौट रहा था। ऐसे अनायास ही तीसरे मंजिल की बालकनी की तरफ नजर गई।
मैं वही ठहर सा गया।

चैप्टर4

मोहतरमा हल्की गुलाबी रंग के towel से अपने सुनहरे बालो को कसम से सुनहरे बाल ही सूखा रही रही थी।
चुकी सुबह 9 बजे के आसपास का वक्त रहा होगा हल्की मखमली धूप उनके बालों से छनकर चेहरे पड़ रही थी।उसने towel रख के ,बालों को अपने दोनों हाथों से जड़ से लेकर सिरे तक पानी सूखा रही।
चूंकि बालो के दाये तरफ किया था तो चेहरे के आधे हिस्सा पर बालो से छनकर आने धूप से बड़ा आकर्षके लग रहा था ।आधा हिस्से पर धूप डायरेक्ट पड़ने से उसके गाल सुर्ख लाल रंग की तरह चमक रहा था। आज सच मे मैं कोई pari देख रहा।
मुझे अपनी किस्मत पर आज बहुत नाज़ हो रहा था । आखिर इतने दिनों बाद चंद दिखा तो सूरज की तरह चमकता हुआ।
न जाने मेरा अब क्या होगा। ना जाने किन खावबो में खोया था कि टेम्पो के तेज हॉर्न बजाते हुए ड्राइवर चिल्लाया वो मजनू की औलाद मरना है के।
तेज़ आवाज सुनके उसने नीचे की तरफ देखा । मैं इधर उधर छिपकर उसकी नजरो से बचना चाहता था।
आखिर हिम्मत करके उसकी ओर देखा....

मोहतरमा उस टाइम अपना specs नही लगाई थी तो शायद नही पहचान पायी हो।चलो बच गए लेकिन वो अपना लेफ्ट हैंड मेरी तरफ देखते हुए wave कर रही थी।मैं समझ नही पाया ।आगे पीछे सड़क की तरफ देखकर मैंने कन्फर्म करने की कोसिस की किसी और से तो Hi नही कर रही है। शायद कोई सहेली या batchmate हो।
जब तक दोबारा मैं उसकि तरफ देखता उपर से आवाज आई हाँ -तुम्ही से hi कर रही हु ,मारे ख़ुशी के मैंने हाथ उठाकर उसको जबाब देता ,तब तक वो कमरे के अंदर जा चुकी थी।
मुझे हल्का सा डर लगा कहीं कोई चप्पल या सैंडिल फेंक के न मारे। लेकिन फिर भी खड़ा रहा- इसी बहाने दो बात हो जाएगी
लेकिन वो लौट के नही आयीं।उसदिन हज़ारो बहाने सुबह से रात तक और रात से फिर रात तक चक्कर लगाते रहे । कुछ बात या एक बार फिर hi कहने की बात छोड़िए वो हफ़्ते भर नही दिखी । मुझे ये बात अब अपने दोस्तों को बतानी ही पड़ी।
उन्होंने ने भी फील्डिंग लगाई की जब भी दिखेंगी ,मूझे इन्फॉर्म करेंगे। फिर भी कुछ नही पता चला। उसे देखने के बहाने होस्टल वाली आंटी के 3 साल के बच्चे को गोदी में जबर्दस्ती उठाकर बहुत बार फ्रूटी और स्लाइस पिलाया।किसी ने बताया था लड़कियों को पसंद होते है वे लड़के जो छोटे baccho का आसानी से प्यार दुलार से संभाल लेते है।

चैप्टर5

थोडी सी निराशा तो होती है जहां से उम्मीद की संभावनाएं होती है। हमने भी उसे एक संयोग मानकर उम्मीद छोड़ दी थी।
एक दिन sunday को mess ऑफ थी कुछ खाने का मन नही था।पूरा दिन ऐसा बीत चुका था। भूँख प्यास को आपके दुखो और सुखों से कोई मतलब नही होता है।उसे वक्त पर खाना चाहिए। मै भूँख बरदाश्त नही करपाया।रात के लगभग 10 बजे दूध लाने के लिए गली में ही दुकान पर गया। वहाँ मोहतरमा भी खड़ी थी।। मैंने जाते ही hi,., कहा ,उधर से हल्की सी मुस्कान के साथ hello का जबाब आया। मैंने बताया मेरा नाम surya shukla लखनऊ सेaur आप उसने धीरे से कहा-प्रज्ञा अवस्थी भोपाल से।मैंने पूछा कुछ लेने आए हो -उसने कहा -आज मूड खराब है पढ़ने का मन नही है इसीलिए कोई मूवी देखना है।वही मेमोरी कार्ड में ले रही हूं
उसने कहा और तुम -मैंने कहा मुझे भी आज कुछ अच्छा नही लग रहा था सुबह से कुछ खाया नही -लेकिन भूँख तुम तो जानती हो। तब दुकान वाले ने मेमोरी कार्ड बढ़ाते हुए कहा दीदी-एयरलिफ्ट और सनम तेरी कसम दो मूवी डाल दिया है
पैसे देकर जाते वक्त bye कह
मैने जबाब में कहा -see you soon❤️
और ये भी कहा Facebook पर request भेज दुंगा
उसने कहा मैं facebok uae नही करती हूं।

चैप्टर6

उस दिन रात सबसे सुकून भरी रही है ,दूध का पैकेट टेबल पर ही रह गया। उस रात सनम तेरी कसम का गाना-तेरा चेहरा और सनम रे loop में रात भर बजता रहा ।
सुबह 11 बजे के आसपास नींद खुली।allen पढ़ाई के लिए चला गया।शाम को तक़रीबन 7 बजे उसके साथ पहली बार सत्यार्थ से निकलकर महेश बुक दीपो और ऑर्बिट फोटो स्टूडियो से होते है पहली बार उसके होस्टल से ज़रा पहले तक साथ आये। कभी कभी हम चाहते है कि रास्ते ख़त्म न हो ।न चाइये ऐसे कोई मंजिल जहाँ जिंदगी में ठहराव आ जाये।जहाँ किसी से बिछड़ना हो। ये सब किताबी बाते है। हमारे हाथ मे कुछ नही होता है।सिर्फ जो हो गया है वही सोच सकते है।खैर
हमने उस दिन हमनेअपना मोबाइल no. एक्सचेंज कर लिया था।
रात के दस बजे पहली बार काल किया-उधर से आवाज आयी आपके द्वारा डायल की गया no किसी अन्य काल पर व्यस्त है। थोड़े इंतजार के बाद दोबारा किया -आपके द्वारा डायल किया गया नो.अभी switch ऑफ है।
मन मे बुरे बुरे से ख्याल आने लगे। बेचैनियां इतनी बढ़ गयी थी कि दवा की जरूरत लगने लगी ।किसी तरह से उसके बारे में सोचते हो ,करवट बदल बदल कर जैसे तैसे वक्त काट रहा था

लगभग 3 बजे के आसपास........
एक मैसेज आया .उसमे लिखा था-मुझे पता है तुम मुझसे बात करना चाहते हो।लेकिन इस तरह से किसी अजनबी के लिए बेचैन नही होना चहिये। सायद मुझसे गुस्सा भी हो ,अभी मैंने तुम्हें कोई हक नही दिया है मुझ पर गुस्सा होने का।।
अभी तुम मेरे दोस्त भी नही बन पाए हो ।
मुझे उम्मीद है तुम सो गए होगे।सुबह messge पढोगे तब
तक गुस्सा खत्म हो चुका होगा। कल मैं तुम्हे खुद कॉल करूंगी।मैंने मेसेज तुरंत पढ़ लिया था।उसकी इतनी mature बातें लग अच्छी लग रही थी। वो सच भी कह रही थी मैं कौन हूं उसका क्या हक है?अगले दिन 10 बजे मैंने रिप्लाई में -तुम सच कह रही हो।मुझे तुम्हारी कॉल का इन्जार रहेगा।
वक्त बीत रहा था। 15 अप्रैल आ ही गया था।
उस रोज उससे पहले पापा की काल आ गयी ।डांट रहे रहे थे पिछले दो मेजर टेस्ट में 500 से भी कम no. आये है ।कर क्या रहे हो अंतिम दिनों में। मैं कुछ जबाब न दे सका।फिर उस दिन से पापा रोज याद दिलाने लगे थे एग्जाम आने वाला खूब पढ़ो।इस बार नही हुआ तो बीएससी कर लेना।
‌उस दिन उसने चार बार काल किया --हर बार उसे यही आवाज मिली होगी आपके द्वारा डायल किया गया no किसी अन्य कॉल पर बिजी है किर्पया कुछ देर बाद पुनः डायल करे। मेरी किस्मत में न जाने क्या लिखा था
‌ लेकिन मैं दूसरी पढ़ाई में ही लगा था।

चैप्टर7



पापा से बात करने के बाद कुछ गलतियों का एहसास हुआ।।अभी मेरी उम्र ही क्या है दुनियादारी करने के लिए।खुद को बहुत देर तक कोसता रहा ।अपनी गलतियों पर रोना आ रहा था। 17 दिन महज एग्जाम के बचे थे।लेकिन मै क्या ही करता।
काफी देर सोचने के बाद मैंने तय किया किएक आखिरी बार उसे मेसेज करू और उसमें लिखा कि क्या मैं तुम्हे कॉल सकता हूं। लगभग दस मिनट के बाद जबाव में उसका कॉल आया ।हमने उस दिन पूरी रात बात की है। सारी बातें जितना एक दोस्त एक प्रेमी प्रेमिका बनने से पहले की जाती हैं
अंतिम बात के लिए मैंने कहा -क्या हम एक बार मिल सकते है कुछ देर के लिए ।उसने कहा हमने सारी बाते कर ली अब शायद कुछ बचा नहीं है। फिर भी सोचके दोपहर तक बताऊंगी।
उसने दोपहर में काल करके बताया कल सुबह 10 बजे ,अमर पंजाबी ढाबे के पीछे वाले पार्क में । मैंने कहा ठीक है ।उसने फ़ोन कट कर दिया।

छोटेर8

अगले दिन मैं तय समय से कुछ पहले पहुच गया ।
पार्क लगे झूले पे बैठ के ख्वाबो के झूले झूल रहा था।
वो आचुकि थी, मुझे पता ही नही चला ।जाने कहाँ खोया था।
सामने आई तब ध्यान टूटा,- काले रंग के सूट में बला की खूबसूरत लग रही थी।मैं उसे देखता रहा,उसने कहा ऐसे देखते रहोगे या बात भी करोगे। हम लोग साथ बैठकर बातें करने लगे
।अनकहे शब्दो मे जितना प्यार बयाँ किया जा सकता है मैंने कहा डाला। उसने भी मेरे ही अंदाज़ में मना करती रही।फिर
पार्क से निकल के तलवंडी सर्किल पर हम गोलगप्पे खाये।
उसके साथ रहते रहते पांच कब बज गए पता ही नही चला।फिर उसने कहा - कल सुबह मेरी बस है मैं घर जा रही हूं
हमारी मुलाकात शायद हो पाए ।मेरी फैमिली बहुत consrvative है फ़ोन पर भी बात करना मुश्किल होगा
No है मेसज का देखा जाएगा।
मैंने कहा exam और रिजल्ट बता देना।और कुछ बोल नहीं पाया।उसने अपने बैग एक कार्ड निकाला जिसपे आने exam और आगे की life के शुभकामनाएं लिखी थी।साथ मे ही खुद की बनाई हुई मिठाई का डिब्बा दिया।
मैं खुद कोकोस रहा था ।मुझे भी कुछ देना चाइए था।
मेरी आँखें भर आयी थी मैं बस इतना कहा-
एक बार तुमहारे हाथों को छूना चाहता हूं-
उसने दोनों हाथ बढ़ाकर मुझे गला लगा लिया।
बस इतनी सी थी कहानी

आगे ....