muskarate chahare ki hakikat - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

मुस्कराते चहरे की हकीकत - 13

R.k कम्पनी
अवनी अंदर ऑफिस में जाती है जहां कंपनी के डायरेक्टर तरुण सिंघानिया, सीईओ रविंद्र जैन और दो-तीन लोग और बैठे थे
अवनी, उनके पास जाकर- सॉरी सर.. दो दिन से ऑफिस ज्वाइन नहीं किया.... बट आई प्रॉमिस सर, मैं आज ही अपना वर्क कंप्लीट कर लूंगी,,,,
तरुण सिंघानिया- मिस अवनी हमें आपके बारे में सब कुछ मालूम है और हमें बहुत गर्व है आप पर, आपने हज़ारों बच्चो की जान बचाई, देश के प्रति आपने अपनी जो जिम्मेदारी निभाई वह सच में काबिले तारीफ है और इससे भी ज्यादा की आपने दूसरी जॉब की वो भी अपनी मेहनत से.....
अवनी, मुस्कराकर- थैंक यू सर......
रविंद्र जैन, अवनी से- मिस अवनी आप चाहे तो दोनों जॉब एक साथ कर सकती हैं हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है बल्कि हम तो बहुत खुश है कि आप हमारी कंपनी कि मेंबर है....
अवनी- थैंक यू सर... बचपन से मै इसी फिल्ड में जॉब करना चाहती थी लेकिन मुझे उस फील्ड में जाना पड़ा पर अब मैं इस जॉब में अपना बेस्ट देना चाहती हूं आप मुझे जो भी काम देंगे मैं उसे पूरी ईमानदारी से निभाने की कोशिश करूंगी...
रविंद्र- हमें तुमसे यही उम्मीद थी अवनी,,,और आज इसी सिलसिले में हमें तुमसे बात करनी थी इसलिए तुम्हें यहां बुलाया......
अवनी, हैरानी से- क्या सर......
तरुण सिंघानिया, सामने रखी चेयर की ओर इशारा करते हुए- बैठो अवनी....
अवनी चेयर पर बैठती है और उन सब की तरफ देखती हैं
तरुण सिंघानिया- अवनी हमने तुम्हारा काम देखा था हमें बहुत पसंद आया इसलिए तुम्हें डेढ़ महीने तक एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में हैदराबाद जाना होगा अगर तुम चाहो तो वरना हमें किसी और को भेजना होगा...
अवनी- नॉ सर, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है बल्कि मैं तो बहुत खुश हूं कि आपने मुझे यह अपॉर्चुनिटी दी इस प्रोजेक्ट के लिए मुझे जो भी करना होगा मैं तैयार हूं,,,,,
रविंद्र, खड़ा होकर अवनी के हाथ में फाइल देते हुए- हमें तुम पर पूरा विश्वास है अवनी... इतना याद रखना यह डील और प्रोजेक्ट बहुत इंपोर्टेंट है इससे हम बड़ी-बड़ी कंपनियों को मात दे सकते हैं इससे हमारे रिलेशंस बाकी कंपनियों से और भी अच्छी हो सकते हैं,,,,
अवनी, फाइल अपने हाथ में लेते हुए- डोंट वरी सर,,,,कब जाना है.......
वीरेंद्र- दो दिन बाद की टिकट है,, तुम्हारे साथ दो मेंबर कनिका और रियान भी जाएंगे,,,,,
अवनी- ओके सर....
अवनी फाइल लेकर वहां से अपने केबिन में जाकर काम करने लगती हैं,,,,,,
अवनी ऑफिस से फ्री होकर घर जाती है, रामू काका बगीचे में पौधों को पानी दे रहे थे अवनी चेंज करके उनके पास ही आकर बैठ जाती है थोड़ी देर में रामू काका अवनी के लिए चाय लेकर आते हैं और दोनों वहीं बैठे बैठे चाय पीते है।।।।
अवनी, रूम में आकर- पहले प्रवीण भाई से इस बारे में बात करनी चाहिए... वरना उन्हें बिना बताए गई तो... और उन्होंने कॉल भी किया था,,,
अवनी प्रवीण को कॉल लगाती है थोड़ी देर रिंग जाती है और प्रवीण कॉल उठाता है
अवनी- भाई मुझे आपसे कुछ बात करनी है....
प्रवीण- मुझे भी अवनी... तुम्हें पता है मा पापा तुमसे अब नाराज नहीं है उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है कि तू गलत नहीं थी बल्कि तुमने तो कितने लोगों की जान बचाई........
अवनी, खुश होकर- आप सच कह रहे हैं भाई...... मुझे भी उनसे बात करनी थी,,,
हां बेटा प्रवीण सच कह रहा है मुझे माफ कर देना तुम्हें जिस वक्त मेरी जरूरत थी उस वक्त हम तेरे साथ नहीं थे,,,,,, सामने से आवाज आती है
अवनी, आंखों में आंसू लिए- नहीं मामू ऐसा मत बोलिए... आपने हमेशा मेरा साथ दिया है एंड थैंक यू मामू मुझे समझने के लिए........
विनोद मिश्रा (अवनी के मामू) - नहीं बेटा काश हम पहले यह बात समझ जाते...
अवनी- मामु भुल जाइए उन बातों को.... क्या मामी अभी भी मुझसे नाराज है.....
रेणुका(अवनी की मामी)- नहीं बेटा... बिल्कुल नहीं... कोई भी मां अपनी बेटी से ज्यादा दिनों नाराज नहीं रह सकती और बच्चे भी अपने मां-बाप को माफ कर देते हैं हमें माफ कर देना बेटा......
अवनी- मैं बता नहीं सकती मामी मै आज कितनी खुश हूं मेरी इतने वर्षों की शिकायत सब कुछ खत्म हो गई प्लीज अब मुझसे कभी नाराज मत होना....
रेणुका- अब तुम्हारी मामी मर जाएगी पर कभी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेगी बेटा.. यह वादा है मेरा....
अवनी, खुश होकर- थैंक्यू मामी... इस वक्त आपको गले लगाकर रोने का मन कर रहा है काश इस वक्त मैं आपके पास होती....
विनोद- तू चिंता मत कर बेटा.. हम दो दिनों बाद वहीं आ रहे हैं तुमसे मिलने...
अवनी- नहीं मामू.. मुझे इसी बारे में प्रवीण भाई से बात करनी थी,,,
प्रवीण- क्या अवनी.....
अवनी- भाई मुझे डेढ़ महीने के लिए कंपनी की तरफ से हैदराबाद जाना होगा और मैंने हा भी बोल दिया... दो दिन बाद निकलना है...
रेणुका- पर अवनी....
अवनी- मामी डेढ़ महीने बाद मैं खुद आपके पास आऊंगी आपसे मिलने....अभी मेरा जाना जरूरी है...
रेणुका- ठीक है बेटा.. अपना ध्यान रखना और फोन करते रहना,,,
अवनी- ओके मामी... गुड नाइट....
अवनी फोन रखकर अपने बैग से अपने मम्मी पापा की फोटो निकालती है और बेड पर लेटकर उनकी तस्वीर निहारते हुए- आज मैं बहुत खुश हूं पापा.... एक तरफ कंपनी की ओर से मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली और दूसरी ओर मामा मामी भी मुझसे नाराज नहीं....
अब जाने से पहले मुझे नित्या और अंकल से एक बार बात करनी होगी और कल आश्रम भी जाना है,,,,,,
अवनी फोटो को दुसरी ओर रखकर सो जाती है
अग्रवाल मेंशन में विवान, काव्या, करण, नित्या, रिया, श्रेया और कुणाल हॉल में एक साथ बैठे थे
काव्या, नित्या की तरफ देखकर- नित्या तेरी अवनी से बात हुई...
नित्या - नहीं....मैंने किया था पर उसने उठाया ही नहीं पहले उसने किया था तब मैं आंटी के पास थी और फोन रूम में था और अब वो उठाएगी भी नहीं...
रिया- क्यों..?
नित्या- क्योंकि एक बार सोने के बाद उसे उठाना बहुत मुश्किल है फिर पूरी रात उसे जगाने में ही लगानी पड़ती हैं,,
विवान, बीच में ही- और दूसरों को किस तरह उठाती हैं वो..
सभी विवान की तरफ देखते हैं जो अपने फोन में बिजी था,,
कुणाल- आपको क्या पता भाई और आप अब तो उसको बख्श दीजिए अब वह यहां नहीं है....
विवान- तो मैं कौनसा उसे गालियां निकाल रहा हूं...
विवान फ़िर बीना किसी की तरफ देखे अपने फ़ोन में बिज़ी हो जाता हैं
श्रेया- नित्या तुम्हें अवनी की फैमिली के बारे में पहले से पता था...
नित्या - अवनी ने कभी हमें नहीं बताया कि उसके मम्मी पापा नहीं है कॉलेज में भी यह बींदाज रहतीं थीं जैसे उसकी लाईफ में कोइ तकलीफ़ हो ही नहीं, चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट, अपना दुख कभी किसी से शेयर नहीं किया....
काव्या- हां उसने मुझे भी कभी एहसास नहीं होने दिया,, वह कि वो अकेली है,, बहुत खुश रहती थी वो...
विवान उन सब की बातें सुनकर मन ही मन- वो जितनी स्ट्रांग है अंदर से उतनी ही इमोशनल किस तरह रो रही थी वह मेरे सामने.....
विवान को अवनी की कही हुई एक ही बात बार-बार याद आ रही थी,, आई डोंट वांट टू लिव विवान...
विवान, जोर से- नहीं...
विवान की आवाज़ सुनकर सब उसकी तरफ देखते हैं,,
नित्या- क्या हुआ विवान.. तुम ठीक तो हो ना...
विवान नित्या की तरफ देखकर- कुछ नहीं मुझे नींद आ रही है मैं चला अब सोने और तुम भी सो जाओ रात बहुत हो गई है,,,,
वह अपने रूम में चला जाता बाकी सब भी अपने अपने रूम में चले जाते हैं,,,,
अगली सुबह
अवनी सुबह जल्दी ही ऑफिस निकल जाती हैं ऑफ़िस जाकर रियान और कनिका से मिलती है जिन्हें वह पहले से ही जानती थी तीनों मिलकर प्रोजेक्ट से जुड़े डॉक्यूमेंट चेक करते हैं और कुछ देर में तीनों को अंदर बुलाया जाता है तीनों कॉन्फ्रेंस रूम में जाते हैं जहां वीरेंद्र और उसके साथ तीन लोग और बैठे थे जो इसी कंपनी के हेड एम्पलॉइज थे,,,, विरेंद्र तीनों को उनका काम समझाता है और उन्हें टिकट देकर जाने की तैयारी करने के लिए बोलता हैं
तीनो बाहर आते हैं और अपने अपने घर चले जाते हैं... अवनी घर आकर कपड़े चेंज करके आश्रम की ओर निकल जाती है कुछ देर में वह आश्रम पहुंचती हैं वहां पहले सुरेखा जी और महेश जी से मिलती हैं और उन्हें सब कुछ बताती हैं नित्या और बाकी बच्चों के बारे में भी.....
अवनी आश्रम के बाकी बुजुर्गों से मिलकर कुछ बात करती है और फिर बच्चों के पास आती है, 3-4 घंटे अवनी वहीं रुकती हैं और बाकी लड़कियों से भी मिलती है जिनको नित्या के साथ छुड़ाया गया था,,,,
रात के 8:00 बजे अवनी वहां से निकलकर सीधे काव्या की मम्मी पापा के पास आती है,,,,,
अंदर अनुराग बजाज, स्वाति और काविन बैठकर डिनर कर रहे थे अवनी को देखकर काविन दौड़कर उसके पास आता है
काविन ख़ुशी से चिल्लाते हुए- सरप्राइस दी... आप यहां...
अवनी, हंसते हुए कविन के गले में हाथ डालकर- क्यों मै यहां नहीं आ सकती छोटे शेर...
अनुराग- क्यों नहीं आ सकती बेटा.. यह भी तो आपका ही घर है...
स्वाती- एक बेटी को तो ससुराल भेज दिया अब दूसरी को दूर नहीं जाने देंगे.. अब तुम हमारे पास ही रहोगी और कहीं नहीं जाओगी...
अवनी, अन्दर उनके पास आकार बैठती हैं
अवनी - अंकल, आंटी मुझे आप से बात करनी थी...
स्वाति- कहो बेटा.. कोई प्रॉब्लम है क्या..?
अवनी- नहीं आंटी.. परसों मै हैदराबाद जा रही हूं सोचा एक बार आपको बता दूं आखिर आपसे इतना गहरा रिश्ता जो बन गया है,,,,
अनुराग- कोई काम है क्या बेटा..?
अवनी- हां अंकल, मुझे कंपनी से एक नया प्रोजेक्ट मिला है जिसके लिए मुझे डेड महीने हैदराबाद जाना होगा,,,
अनुराग, ख़ुश होकर- हम तुम्हें नहीं रोकेंगे बेटा... आख़िर ये तुम्हारे कैरियर का सवाल है और हर मां-बाप अपने बच्चो को उड़ता हुआ देखना चाहते हैं इसलिए ध्यान लगाकर अपना काम करना....
स्वाति- जिस तरह तुम अपनी पहली जॉब में कामयाब हुई उसी तरह इसमें भी कामयाब होगी, हमे तुम्हारी हिम्मत और जोश दोनों पर भरोसा है,,
अवनी, मुस्कुराते हुए- थैंक्यू अंकल आंटी.. आंटी भूख लगी है खाने के लिए भी दे दो बहुत दिन हो गए आपके हाथ का खाना खाए....
स्वाति अवनी की प्लेट लगाती है और सारे एक साथ बैठकर खाना खाते हैं अवनी कुछ देर वही रुकती है और फिर वापस अपार्टमेंट में आ जाती है,,,,
अवनी नित्या से बात करती है और उसे सुबह मिलने के लिए कहती हैं,,,,,
अग्रवाल मेंशन,
सुबह 8:00 बजे,सारी फैमिली एक साथ डाइनिंग टेबल पर बैठे थे
कृष्णमूर्ति, राजेश से- राजेश, सूरत वाली कंपनी में सब कुछ ठीक से चल रहा है ना....
राजेश- हां भैया.. और मैं आज ही वहां निकल रहा हूं,,
करण- कुणाल और श्रेया तुम दोनों ने सोचा आगे क्या करना है अब तुम्हारी कॉलेज भी पूरी हो गई....
कुणाल- क्या भाई....अभी- अभी तो कॉलेज खत्म हुई है....
कृष्णमूर्ति- इट्स ओके कुणाल बेटा... अभी तुम रिलैक्स करो घूमो फिरो सोच लेना आराम से....( कृष्णमूर्ति विवान की तरफ देखकर) विवान बेटा ऑफिस में काम कैसा चल रहा है पहली बार आपने यह जिम्मेदारी अपने हाथों में ली है बिजनेस संभालना बहुत मुश्किल होता है....
विवान- डोंट वरी डैड अभी तक तो ठीक है कुछ प्रॉब्लम हुई तो मैं मैनेज कर लूंगा....
सुधा जी, जो कब से सबकी बातें सुन रही थी- तुम्हारा बिजनेस खत्म हो गया हो तो मैं कुछ कहूं कृष्णा....
कृष्णमूर्ति, हंसते हुए- हा मा.. बोलिए,,,
सुधा जी, शालिनी और कविता की तरफ देखती है
शालिनी- मां, करण और काव्या के बारे में बात करना चाहती है...
काव्या और करण एक साथ हैरानी से- क्या....
कविता, मुस्कुराते हुए- तुम्हारे हनीमून के बारे में...
सब दोनों की तरफ देख कर हसने लगते है
कृष्णमूर्ति- हां बेटा अभी अभी तुम्हारी शादी हुई है तुम दोनों को अभी एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करना चाहिए और काव्या की भी कॉलेज अभी खत्म हुई तो उसे भी घूमने फिरने का मौका मिलना चाहिए ना,,,
नित्या, कृष्णमूर्ति से- अंकल मुझे भी आपसे कुछ कहना था...
कृष्णमूर्ति- हां बेटा कहो...
नित्या - अंकल मै कॉलेज रिजोइन करना चाहती हूं दो साल पहले मै लास्ट ईयर के एग्जामस् नहीं दे पाई थी तो....
कृष्णमूर्ति- पर इसकी क्या जरूरत है बेटा...
जरूरत है अंकल,,, दरवाजे से अवनी की आवाज आती है सभी हैरानी से अवनी की तरफ देखते हैं
शालिनी- अवनी बेटा आप... अचानक...
अवनी उनके पास आकर सुधा जी का आशीर्वाद लेती है और फिर काव्या से मिलकर नित्या के पास आती है
अवनी- सॉरी आपको बिना बताए आ गईं,,, लेकिन भुलिए मत मेरे दो कोहिनूर इसी घर में है (हंसते हुए काव्या और नित्या की तरफ देखती है)
कृष्णमूर्ति- नहीं अवनी, तुम यहां कभी भी आ सकती हो...
अवनी- अंकल मुझे आपसे और नित्या से इंपॉर्टेंट बात करनी थी इसलिए आना पड़ा....
कृष्णमूर्ति- हा बेटा बोलो..
अवनी, नित्या की तरफ देखकर -नित्या मैंने तुम्हारा और तुम्हारे साथ उस वक्त दिल्ली में जितनी भी लड़कियां पढ़ रही थी उनका एडमिशन करवा दिया,, तुम चार-पांच दिन बाद कॉलेज फिर से ज्वाइन कर सकते हो...
करण- पर अवनी अभी नित्या को डिग्री की कहां जरूरत है.....
अवनी- जरूरत है करण.. नित्या को इंडिपेंडेंट बनने के लिए, खुद के पैरों पर खड़ा होना होगा,,, दो साल तक इन सबके साथ जो हुआ यदि उस बात को भूलकर यह आगे नहीं बड़े तो यह सब लाइफ में खुद के लिए भी खड़े नहीं हो पाएंगे,, मैं नहीं चाहती कि नित्या अगर शादी करे तो उसे उसके पति के नाम से जाना जाए नित्या के लिए लोग यह नहीं कहे की भोपाल के बड़े बिजनेसमैन ने एक अनाथ को अपनाया,,, लोग उसे उसके खुद के नाम से जाने,,, लड़की चाहे बिजनेसमैन की हो, गरीब कि हो या अनाथ उसकी खुद की एक पहचान होनी चाहिए,,,,
अंकल आपको पता है काव्या, रिया और श्रेया को लोग उनके नाम से नहीं जानते लोग उन्हें जानते हैं आपके नाम से... काव्या, रिया, श्रेया भी करण विवान और कुणाल की तरह आपका बिजनेस चला सकती है लेकिन आपने बचपन से उन्हें बिजनेस से दूर रखा आपकी इतनी सारी कंपनियां है जिनका जिम्मा आपने अपने बेटों को सौंप रखा है और कई जगह रिश्तेदारों को वहां रिया और श्रेया भी बिजनेस संभाल सकती है उन्हें उनके नाम से पहचान मिल सकती है... लड़कियों को बचपन से यहीं सिखाया जाता है कि हमें किसी भी चीज की जरूरत हो तो आपसे बोले लेकिन यह नहीं सिखाया जाता कि उस चीज को हम खुद खरीदें या समझे....
अवनी चुप हो जाती है,,,,सब चुपचाप उसकी बातें सुन रहे थे किसी के पास उसकी बात का कोई जवाब नहीं था,,, अवनी, सबको इस तरह खामोश देखकर, कृष्णमूर्ति से- सॉरी अंकल.. मेरा मतलब आपको हर्ट करना नहीं था...
कृष्णमूर्ति, उठकर अवनी के पास आते हैं और उसके सिर पर हाथ रखकर- हम दुखी नहीं है बेटा.. बल्कि आज मैं बहुत खुश हूं कि मेरी मुलाकात एक ऐसी लड़की से हुई जिसके विचार स्वतंत्र है जो खुद के लिए, अपनी पहचान के लिए बिना किसी की सहायता के लड़ सकती है,, तुमने सही कहा बेटा हमने कभी रिया और श्रेया को बिजनेस के बारे में नहीं बताया.. हमने हमारी बेटियों के बारे में इतना ही सोचा था कि उनकी कॉलेज खत्म होने के बाद किसी अच्छे लड़के से उनकी शादी करा देंगे जो हमारी जैसी ही फैमिली से बिलॉन्ग करता हो... अब ऐसा नहीं होगा हम काव्या, श्रेया और रिया तीनों को मौका देंगे उन्हें आजादी देंगे, अपनी ख़ुद की पहचान बनाने के लिए और नित्या भी अपने लिए खुद खड़ी होगी....
कृष्णमूर्ति की बात सुनकर सब बहुत खुश होते हैं
राजेश- अवनी, काश हर लड़की खुद के बारे में इतना सोच पाती तो उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती,,,
शालिनी, अवनी से- बेटा तुम जितनी बहादुर हो तुम्हारी सोच भी उतनी ही मजबूत है....
करण, मुस्कराते हुए- रियली अवनी, तुम सिंगल पीस हो इस दुनिया में....
काव्या- जो भी है, है तो मेरी बेस्ट फ्रेंड ही ना.....
नित्या - मेरी भी.. नहीं हम दोनों की काव्या...
अवनी नित्या की तरफ देखकर- अब हो गया तेरा... तो मुझे अंकल से बात करनी है....
विवान, धीरे सें- तो रोक कौन रहा है...
अवनी और बाकी सभी विवान की तरफ देखते हैं जो सबसे नजरें चूरा रहा था लेकिन अवनी उसे कुछ नहीं बोलती और अपने बैग से एक फाइल निकालकर कृष्णमूर्ति जी से- अंकल प्लीज बुरा मत मानना लेकिन मुझे आपसे आश्रम के बारे में बात करनी थी मुझे पता है उस बारे में मेरा बात करना ठीक नहीं है बट....
कृष्णमूर्ति- नहीं बेटा मुझे यकीन है तुमने आश्रम के बारे में कुछ अच्छा ही सोचा होगा....
अवनी- अंकल मैंने उस आश्रम में रहने वाले बच्चों और वृद्ध लोगों की एक फाइल तैयार की है,, आश्रम में भी 1500 से अधिक बच्चे हैं अभिषेक ने जब से जिम्मेदारियां अपने ऊपर ली थी तब से उनकी एजुकेशन पर बहुत ज्यादा इफेक्ट पड़ा है,, अंकल मैं चाहती हूं कि बच्चों के लिए आश्रम के आसपास ही स्पोर्ट एकेडमी, डांस एकेडमी बने और इसके साथ ही बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो पेंटर बनना चाहते हैं, फोटोग्राफर, राइटर और अन्य कलाओं में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं... आश्रम के बच्चों को एजुकेशन तो मिल जाती है लेकिन अपने सपने पूरे नहीं कर पाते, बहुत से बचे हैं जो स्पोर्ट्स में बहुत अच्छे हैं यदि अभी से उन्हें एकेडमी में जगह मिल जाए तो नेशनल लेवल तक और आगे भी अच्छे खिलाड़ी बन सकते हैं... ऐसे ही कुछ बच्चे डांस, सिंगिंग में बहुत बेस्ट है मैंने खुद ने देखा है.... यदि उन्हें भी मौका मिले तो वह अपना नाम इस पूरी दुनिया में चमका सकते हैं,,, अंकल,, मैंने इस फाइल में सारे बच्चों की लिस्ट बना दी है और इससे भी बड़ी बात की आश्रम में जो बुड्ढे लोग रहते हैं वह भी इन बच्चों को पढ़ाने का, सिखाने का पूरा जिम्मा खुद भी लेना चाहते हैं,, सोचिए अंकल यदि बच्चों को अपने सपने पूरे करने का मौका यही मिलता है तो अग्रवाल आश्रम का नाम कितना बड़ा होगा... आश्रम पर उठे सारे सवाल बंद हो जाएंगे और बच्चों के एडॉप्शन में भी आसानी होगी,, अगर एडॉप्शन नहीं भी हो तो बच्चे ख़ुद अपना कैरियर चुन सकते हैं.....
अंकल यदि आपको मेरी बात अच्छी लगी हो तो आज से आप पूरे आश्रम की जिम्मेदारी खुद संभालेंगे और शालिनी आंटी, कविता आंटी भी आपका साथ देगी जिससे पिछली बार की तरह कोई आपका भरोसा ना तोड़ सके....
कृष्णमूर्ति जी की आंखों में नयी चमक थीं वहां बैठे हर शख्स अवनी को बड़े ही गर्व से देख रहा था,,,
कृष्णमूर्ति फाइल को दूर रखकर, अवनी को गले लगाते हुए - I am really proud of you Avni मेरे पास तुम्हें कहने के लिए कोई शब्द नहीं है बेटा.. तुम सच में भगवान का भेजा हुआ एक फरिश्ता हो जो न जाने कितनी जिंदगियों की मुस्कान बनकर आई हो,, मैंने क्या किसी ने भी अनाथ बच्चों के बारे में ऐसा नहीं सोचा होगा... आई प्रॉमिस,, मैं खुद सारी जिम्मेदारियां अपने हाथों में लूंगा और तुमने बच्चों के भविष्य के लिए जितने भी प्लानस बनाए हैं मैं उन सब पर काम शुरू करूंगा....
शालिनी- हम सब इसमें साथ मिलकर काम करेंगे....
अवनी, मुस्कुराकर- थैंक्यू अंकल,मैं भी आपसे यही उम्मीद लेकर आई थी,,,,,
विवान, अचानक खड़ा होकर- क्या सुपर आईडिया है पहली बार दिल से किसी की तारीफ करने का मन कर रहा है वेल डन मिस अवनी....
अवनी, विवान की तरफ मुड़कर अनजान लहजे में- आप कौन......
सभी हैरानी से अवनी की तरफ देखते हैं और विवान की तरफ देखकर जोर-जोर से हंसने लगते हैं
विवान, थोडा सिरियस होकर- तुम मुझे नहीं जानती... विवान अग्रवाल को नहीं जानती,,, बड़ी अजीब लड़की हो यार तुम... एक तो तुम्हारी तारीफ कर रहा हूं और तुम मुझे ही.....
अवनी- वही तो... मैं जिस विवान अग्रवाल को जानती हूं उसने कभी मेरी तारीफ नहीं की,, तुमने तारीफ की तो लगा तुम कोई और हो....
काव्या और करण अपना सिर पकड़कर बैठ जाते हैं नित्या उनकी तरफ़ देखकर- तुम्हें क्या हुआ....
काव्या,अवनी और विवान की तरफ देखकर- तुम खुद ही देख लो....
नित्या, उन दोनों की तरफ देखती है जो अभी भी एक दूसरे से बहस कर रहे थे बाकी सब उनकी बातों पर हंस रहे थे,,,,
अवनी, गुस्से में- अब बंद करो मिस्टर विवान मेरे पास वक्त नहीं है तुमसे बहस करने के लिए,,,,,
विवान, उसी तरीके से- तो मेरे पास कौन सा वक्त है तुम्हारे लिए,,, सोचा था अब कभी नहीं आओगी वापस मेरे सामने लेकिन दो दिन में वापस आ गई और कैसे भड़क रही है जैसे मैं कोई तुम्हारा बहुत पुराना दुश्मन हूं....
अवनी- सही कहा तुमने, जिस दिन मैं यहां आई थी उसी दिन से तुम मेरे दुश्मन हो, और मैं यहां तुम्हें यही बताने आई हूं कि मैं जा रही हूं यहां से डेढ़ महीने के लिए और फिर....
नित्या, बिच में ही- कहां जा रही हो अवनी....
सब अवनी के जवाब का इंतजार करते हैं,,,,,,
अवनी- हा नित्या, मै यही बताने के लिए आई थी,,, डेढ़ महीने के लिए मुझे बाहर काम करना है जरूरी प्रोजेक्ट है मुझे ऑफिस से इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिला है एंड मै कल सुबह ही निकल रही हूं तो सोचा तुमसे और अंकल से यहीं आकर बात करू और फ़िर काव्या से भी मिलना था तो....
काव्या, अवनी के पास आकर- बेस्ट ऑफ लक अव्वी... हम तुम्हारा वेट करेंगे....
अवनी- थैंक्यू काव्या,,,,,
अवनी, सुधा जी के पास जाकर- दादी अब मुझे जाना होगा बहुत काम है,,,
अवनी सबसे मिलती है, विवान को छोड़कर और वहां से ऑफिस निकल जाती है विवान भी बिना खाना खाए ही ऑफिस के लिए कहकर निकल जाता है,,,,
शालिनी, विवान को जाते हुए देखकर- अब इसको क्या हुआ खाना भी नहीं खाया....
कृष्णमूर्ति- आप क्यों चिंता कर रही है वह खा लेगा ऑफिस में यश के साथ, पता नहीं इसे अवनी से क्या प्रॉब्लम है जब देखो दोनों झगड़ते रहते हैं,,,,
सब खाना खाते और अपने अपने काम के लिए निकल जाते हैं।।।।

Continue.....