महात्मा गांधी, नमक सत्याग्रह Learn Hindi - Story for Children

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Learn about \"The Salt March\" also called the \"The Dandi march\", a non violent protest organized by Mahatma Gandhi. This event later became a turning point in the history of the Indian independence movement. नमक सत्याग्रह प्रस्तुतकर्ता एस्थर डेविड यह शुरुआत हुई १८३५ में, जब भारत के प्रान्त एक-एक करके अंग्रेजों के कब्ज़े में आ रहे थे, इस समय अंग्रेजों ने भारतीय नमक पर कर लगाया और नमक के ऊपर कई क़ानून भी लाद दिए। कर ने भारतीय नमक का दाम बढ़ा दिया। रोजाना ज़रूरतों के लिए नमक खरीदना, अब भारत के लोगों के लिए और ख़ास तौर से गरीबों के लिए बहुत मुश्किल हो गया। नमक क़ानून के बाद भारतीय मूल के लोगों के लिए नमक इकठ्ठा करना, बनाना या बेचना गैरकानूनी काम हो गया। भारत में अंग्रेजों के अलावा कोई भी नमक बनाता या बेचता तो उसे छह महीने की जेल हो सकती थी। गांधीजी और उनके साथियों को नमक कर और नमक बनाने पर लगा प्रतिबन्ध सही नहीं लगा और उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करने का फैसला किया। गांधीजी ने कहा, “माना जाए तो हवा और पानी के बाद नमक ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ज़रूरत है।” नमक वाकई ज़रूरी है क्योंकि ये हमारे खाने का स्वाद बढ़ाता है, उससे भी बड़ी बात, अच्छी सेहत के लिए शरीर को नमक की हमेशा ज़रूरत है। गांधीजी ने अहमदाबाद के गांधी आश्रम से नमक यात्रा की शुरुआत की। उनकी मंजिल थी दक्षिण गुजरात में समुद्र के किनारे बसा दांडी नाम का गाँव। १२ मार्च १९३० को गांधीजी[SM1] और अठहत्तर लोग यात्रा पर निकले। इन सभी को स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने गलत कानूनों के खिलाफ आवाज़ उठाई और अंग्रेजों से भारत को आज़ाद करवाने के लिए भी लड़े। अहमदाबाद से दांडी तक के २४० मील के रास्ते में हिंदुस्तान भर से आये हुए हजारों लोग अंग्रेजों के खिलाफ हो रही इस यात्रा से जुड़ गए। यात्रा का मकसद था नमक पर लगे कर और भारतियों के नमक बनाने और बेचने पर जो पाबन्दी थी उसका विरोध। गांधीजी और उनके सहयोगी रोज़ दिन में बारह मील पैदल चले और दांडी पहुँचने में [SM2] उन्हें तीन हफ्ते लगे। गांधीजी ने इसे “सच की लड़ाई” का नाम दिया। यात्राके अंतिम समय पर दांडी पहुँच कर, गांधीजी ने समुद्र किनारे से एक मुठ्ठी नमक उठाया और कसम ली, “नमक के इन दानों की मदद से मैं ब्रिटिश राज की नींव हिला दूँगा।” दांडी यात्रा के साथ ही गांधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ सविनय अवज्ञा आन्दोलन की भी शुरुआत की। नमक यात्रा की वजह से अस्सी हज़ार भारतवासियों के साथ गांधीजी को जेल भेज दिया गया। मगर आखिरकार अंग्रेज प्रशासन को हार माननी पड़ी। भारत में सुधार के बारे में बात करने के लिए गांधीजी को लन्दन आमंत्रित किया गया। गांधीजी की नमक यात्रा ने अख़बारों में खूब सुर्खियाँ बटोरी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मील का पत्थर साबित हुई, जिसकी वजह से १९४७ में हमें आज़ादी मिली। अन्याय के खिलाफ खड़े होने की इस छोटी सी पहल से, गांधीजी ने भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला दी। उन्होंने दिखाया साहसी और दृढ निश्चयी लोग चाहे नमक के दानों जैसे छोटे ही क्यों ना हो, एकजुट होकर काम करें तो बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। Story: Esther David Artwork: Emanuele Scanziani Translation: BookBox Narration: Bhupesh Bhayana Music: Jerry Silvester Vincent Production & Animation: BookBox

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