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कोरोना और बदलता लाइफस्टाइल

आलेख - कोरोना और बदलता लाइफस्टाइल

नए वर्ष के आगमन के साथ ही दुनिया में नए मेहमान का पदार्पण हुआ है जो कहीं भी किसी कोण से स्वागत के योग्य नहीं है . ये नया अवांच्छित मेहमान कोरोना वायरस है . इसके चलते समस्त विश्व में जो स्वास्थ्य और आर्थिक क्षति हुई है उसकी भरपाई करना लगभव असंभव है . इसके अतिरिक्त कोरोना ने हमारी दिनचर्या और लाइफस्टाइल को झकझोर कर रख दिया है . अनेक देशों में लॉकडाउन लगाना पड़ा और अनेकों देश में आज भी लॉक डाउन है .लॉक डाउन तो कोई भी देश लम्बे समय के लिए सहन नहीं कर सकता है .


कोरोना ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र में अतिक्रमण कर उसकी दिशा और दशा दोनों ही बदल दिया है . इसके चलते हमारी शिक्षा व्यवस्था , यातायात , खान पान , मिलना जुलना , मनोरंजन , उद्योग , रोजगार , सामाजिक , खेल कूद , और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रभाव पड़ा है . लगभग सभी देश की सरकारों और प्रशासन को अपनी नीति में बदलाव कर अपने नागरिकों के लिए दिशा निर्देश देने पड़े हैं .


1 . सोशल डिस्टेंसिंग - सोशल डिस्टेंसिंग का व्यवहारिक अर्थ हुआ आप किसी अन्य व्यक्ति से दूरी बना कर रखें - कम से कम 6 फ़ीट . यह सुनने में कितना आसान लगता है परन्तु इसका मतलब यह हुआ कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में हमारी भागीदारी पहले जैसी नहीं हो सकेगी . पर यह जरूरी भी है . 1918 के स्पेनिश फ़्लू और 2009 के मेक्सिको के फ़्लू में लॉक डाउन के कारण ही हजारों लोगों की जान बची थी . सोशल डिस्टेंसिंग कब तक जारी रखना होगा , इस पर निश्चित तौर से अभी कुछ कहना बहुत कठिन होगा हालांकि इसका प्रतिकूल असर मानसिक और भावनात्मक रूप से हम पर पड़ता है .


सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ यह नहीं है कि आप समाज से कट कर रहें , आवश्यकता पड़ने पर एक दूसरे की मदद जरूर करें . इसे शारीरिक डिस्टेंसिंग कहना बेहतर होगा , WHO का भी यही कहना है .

2 . हाथ मिलाना या चुंबन की आदत भूल जाईये - कहावत है ‘ ओल्ड हैबिट डाइज हार्ड ‘ . अभी तक हमलोग दोस्त और सहकर्मी का एक दूसरे से हाथ मिला कर स्वागत करते हैं . बड़े हमें चूम कर आशीर्वाद देते हैं या हम भी छोटों को प्यार से चूमते हैं . जहाँ तक चुंबन का प्रश्न है प्रेमियों की बात बिल्कुल अलग है , पश्चिम में तो जब भी जान पहचान वाले मिलते हैं गाल पर चुंबन करते हैं , पूल लंच या डिनर का लुत्फ़ लेते हैं - यह सब भूलना

होगा . ये सब करना बहुत कठिन होगा पर इसे जारी रखना और भी खतरनाक होगा और ये खतरा शायद ही कोई उठाना चाहे .


3 . हेल्थ रिस्क - कोरोना महामारी में आम लोग सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के चलते कुछ सुरक्षित जरूर होंगे . पर डॉक्टर्स , नर्स , अन्य स्वास्थ्यकर्मी , पुलिस और सामाजिक कार्यकर्त्ता जो रोगियों की देखभाल में लगे हैं या आवश्यक सेवाओं को बरक़रार रखने में लगे हैं , उनके स्वास्थ्य पर खतरा बना रहता है .


4 . धार्मिक आयोजन , शादी , अंतिम संस्कार अब पहले जैसा नहीं - हमारे जीवन में पूजा पाठ , शादी , अंतिम संस्कार के अवसर आते हैं . पर अब यह पहले जैसा नहीं होगा , लोगों को कुछ दूरी बना कर रखना होगा और बहुत कम संख्या में लोग इसमें शामिल होंगे . इसका प्रतिकूल असर हम पर मानसिक और भावनात्क रूप से पड़ेगा .


5 . नियमों में बदलाव या सुधार - कोरोना महामारी के चलते आपादस्थिति हो गयी है . ऐसे में हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था , एक दूसरे से किस तरह सम्पर्क में रहें और जरूरत पड़ने पर कैसे सहायता करें ,आम जनता और प्रशासन कैसे मिलजुल कर इस विपत्ति का सामना करें - इन विषयों पर अभी तक की व्यवस्था और नियमों में कुछ बदलाव करना होगा .


6 .ऑनलाइन सेवाओं में बढ़ोत्तरी - व्यक्तिगत सम्पर्क कम होने से अब ऑनलाइन सेवाओं पर निर्भरता बढ़ जाएगी . हालांकि सब सेवाओं का ऑनलाइन उपलब्ध होना असम्भव है फिर भी रोजमर्रा का ऑनलाइन क्रय विक्रय और भुगतान के अतिरिक्त मेडिकल सेवाएं ( डॉक्टर से परामर्श , टेलीमेडिसिन , दवा की खरीदारी आदि ) , ट्यूशन , ऑफिसियल मीटिंग्स , वर्क फ्रॉम होम आदि अब पहले से ज्यादा ऑनलाइन होंगे . गूगल , ट्वीटर आदि बड़ी आईटी कंपनियों ने पहले से ही पूरे वर्ष या इसके आगे भी वर्क फ्रॉम होम कर रखा है .


7 . बुजुर्गों पर विशेष ध्यान - वर्तमान स्थिति में सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को है . उनके प्रति परिवार के अन्य सदस्यों को सावधान रहना होगा और उनकी जिम्मेवारी कुछ बढ़ जाएगी .


8 . घरेलू कामकाज पर असर - लॉक डाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के चलते अब घर पर काम करने वाली या करने वाले नहीं आ पा रहे हैं . इसलिए घर के दैनिक कामों का बोझ पति ,पत्नी या अन्य सदस्यों पर बढ़ गया है . हालांकि यह बंदिश ( महरी , धोबी , कुक ) स्थायी नहीं है फिर भी इसमें छूट मिलने के बाद हम उन्हें उतनी सहजता से घर के अंदर प्रवेश न देना चाहेंगे . जबतक यथा स्थिति नहीं बन जाती यह बोझ सहन करना पड़ेगा .


9 . रोजगार पर असर और उसमें बदलाव - कोरोना के संक्रमण के दौरान दुनिया भर में मंदी छायी है , उद्योग धंधे बंद पड़े हैं जिसके चलते बेरोजगारी बढ़ी है . सबसे बुरा असर दिहाड़ी मजदूरों और छोटे मोटे दूकानदारी करने वालों , न्यूज़पेपर वेंडर्स आदि पर पड़ा है जो रोज कमाते हैं तब अपना और अपने परिवार का पेट भर पाते हैं . फिर से इनकी जिंदगी को पटरी पर लाने में समय लगेगा . कुछ मदद कुछ दिनों के लिए सरकार भले कर दे पर यह स्थायी समाधान नहीं है . कुछ हद तक NGO और अन्य सामाजिक संस्थाएं भी मदद कर रही हैं . संगठित क्षेत्र में काम करने वाले अपनी निजी और घरेलू खर्च में कटौती कर स्थिति सामान्य होने तक काम चला लेंगे . अन्य कुछ लोगों को अपने रोजगार या व्यवसाय में मांग और मौसम के अनुसार बदलाव लाना होगा .

कुछ क्षेत्रों में नए अवसर मिल सकते हैं जैसे सैनेटाइजर्स , साबुन , मास्क आदि हेल्थ प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग के चलते इनके उत्पादन बढ़ेंगे जिसके चलते अधिक श्रम की जरूरत होगी . इस मंदी के दौर में इंफ़्रास्ट्रक्चर में ज्यादा लेबर लगा कर उसे मजबूत किया जा सकता है . वृक्षारोपण और वनीकरण में ज्यादा श्रम लगाने से प्रदूषण और क्लाइमेट कंट्रोल में मदद मिलेगी .