No one wanted to buy the sweet bananas that Sringeri Srinivas grew on his farm. Find out what he did with them in this cute story. केले के गुच्छे लेखक नोनी शृंगेरी श्रीनिवास के लिए यह बुरा दिन था| उनके खेत में उगे मीठे और पके केले कोई नहीं लेना चाहता था| ना तो उनका परिवार, ना ही उनके पड़ोसी, ना ही उनके दोस्त, ना ही व्यापारी जो केलों को दूर बाजारों में बेच सकते थे| ना ही उनकी गायें भी| “शुक्रिया, मगर नहीं चाहिए,” सबने कहा| “केले तो बहुत मीठे हैं, मगर हम हद से ज़्यादा[P1] खा चुके हैं| इससे ज़्यादा हम नहीं खा सकते!” बेचारे शृंगेरी श्रीनिवास! खेतों में खूब केले हुए हैं, मगर वे इनका करेंगे क्या? उन्होंने डोदुरु किसान केंद्र की मदद लेने का फैसला किया जो उनके गाँव से सटे बड़े कसबे में स्थित था| केलों की सबसे शानदार फसल लेकर वे निकल पड़े, यकीनन वहाँ उन्हें कोई तो सही रास्ता बतलाएगा| कुछ दिनों बाद, शृंगेरी श्रीनिवास घर वापस लौटे, वे बहुत खुश नज़र आ रहे थे| लौट कर उन्होंने अपने खेतों में फिर से केलों की खेती शुरू कर दी| मगर इस बार उन्होंने पहले की तरह किसी को केले नहीं बाँटे| ना ही अपने परिवार को| ना ही अपने पड़ोसियों को| ना ही अपने दोस्तों को| ना ही उन व्यापारियों को जो ये केले दूर बाजारों में बेच सकते थे| और तो और अपनी गायों को भी नहीं| सब सोच में पड़ गए, आखिर ये केले के गुच्छे जा कहाँ रहे हैं? एक दिन पड़ोसी शिवन्ना ने बहुत बड़ी पूजा आयोजित की| पुजारी ने कहा कि भगवान के भोग के लिए एक सौ आठ केलों की ज़रूरत है| शिवन्ना दौड़ा-दौड़ा शृंगेरी श्रीनिवास के पास गया| “पिछली बार मना करने के लिए आपसे माफ़ी चाहता हूँ| मगर आज मुझे १०८ पके हुए केलों की ज़रूरत है| क्या आप मेरी मदद करेंगे?” शृंगेरी श्रीनिवास ने कहा, “देखो, मेरे खेतों में कटाई हो गयी है, सोचना पड़ेगा कि मैं कैसे मदद कर सकता हूँ| फिलहाल आप पूजा शुरू कीजिये, में ज़रूर आऊँगा |” पूजा शुरू हुई | शामिल होने के लिए गाँव के सारे लोग आये| पंडित जी ने मंत्र पढ़ना शुरू किया| जल्द ही वह समय आया, जब केलों का भोग लगना था| ठीक इसी समय शृंगेरी श्रीनिवास भी पहुँचे उनके हाथ में एक बड़ा सा थैला था| उन्होंने बड़ी सावधानी से थैले में से २७ पुड़ियाँ निकालीं[P2] : और उन्हें हवन की वेदी के चारों ओर सजा दिया| हर पुड़िया केलों के पत्तों[P3] में लिपटी हुई थी| और उन पर लिखा था – “उत्तम गुणवत्ता से बना केले का हलवा, एस.एस.[P4] फार्म्स की ओर से|” शृंगेरी श्रीनिवास ने एक पुड़िया पंडित जी को दी, “हर पुडिया में चार केलों का भुरता भरा है| कुल मिला कर सत्ताईस पुड़ियाँ हैं| तो ये रहे आपके एक सौ आठ पके हुए केले!” पंडित जी इतने हैरान हुए कि मंत्र पढ़ना ही भूल गए| सन्नाटे के बीच एक बच्चे की हँसी छूट गयी | देखते ही देखते सारा गाँव हँसने लगा, तालियाँ बजाने लगा| अब हमें पता चल गया कि शृंगेरी श्रीनिवास जो केले उगा रहे थे वे कहाँ इस्तेमाल हो रहे हैं| Story: Noni Illustrations: Angie & Upesh Music Composed and Arranged by Jerry Silvester Vincent SFX Design, Mix and Mastered by Jerry Silvester Vincent Narration: Piyush Agarwal Animation: BookBox
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.