हर्ज़ाना

(20)
  • 15.3k
  • 4
  • 5.6k

हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (1) घंटी बजी, नौकर ने दरवाज़ा खोला और वापस आकर कहा, “चार लोग हैं साब.” उनके चेहरे की हर झुर्री प्रफुल्लित हो उभर आई. वे इतनी तत्परता से उठे कि रीढ़ ने प्रतिवाद किया. नौकर समझ गया था. वकील साहब खुद दरवाज़े तक पहुंचते इससे पहले ही वह उन्हें अन्दर ले आया. नीम अँधेरे कमरे की वातानुकूलक से छनी हवा में पसीने की तीखी गंध ने उनके आगमन की सूचना दी. स्वाभाविक प्रतिक्रिया में वकील साहब ने सांस रोकी और सिकुड़े होंठ से हवा की लम्बी धार बाहर छोडी. “आइये,” उन्होंने कहा मगर लगा जैसे फुफकारे हों.

Full Novel

1

हर्ज़ाना - 1

हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (1) घंटी बजी, नौकर ने दरवाज़ा खोला और वापस आकर कहा, “चार लोग हैं साब.” उनके की हर झुर्री प्रफुल्लित हो उभर आई. वे इतनी तत्परता से उठे कि रीढ़ ने प्रतिवाद किया. नौकर समझ गया था. वकील साहब खुद दरवाज़े तक पहुंचते इससे पहले ही वह उन्हें अन्दर ले आया. नीम अँधेरे कमरे की वातानुकूलक से छनी हवा में पसीने की तीखी गंध ने उनके आगमन की सूचना दी. स्वाभाविक प्रतिक्रिया में वकील साहब ने सांस रोकी और सिकुड़े होंठ से हवा की लम्बी धार बाहर छोडी. “आइये,” उन्होंने कहा मगर लगा जैसे फुफकारे हों. ...Read More

2

हर्ज़ाना - 2

हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (2) “बड़ी ख़ुशी हुई सर, आपसे मिल कर. आपकी फोटो देखी थी न, अखबार में. आप असल में देख लिया. बहुत इच्छा थी.” वकील साहब गदगद हो गए. “सर, जैसा कि आपको समीर ने बताया ही होगा, हम लोग भोपाल से आये हैं. गरीब मज़लूमों को इकठ्ठा करके रोज़गार के लिए और बेहतर वेतन के लिए संघर्ष करते हैं,” नीले कुरते वाली ने कहा. वह इनमें सबसे कम उम्र की लग रही थी. “बहुत अच्छा काम है,” वकील साहब ने कहा. “सर, हम सब गेस पीड़ितों के परिवार से हैं. मतलब बाद में पैदा हुये,” वह ...Read More

3

हर्ज़ाना - 3

हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (3) “सर, कल इधर थे, आज उधर हो गए, दोनों जहाँ लूट रहे हैं आप,” भोपाल बार काउन्सिल के अध्यक्ष विकास गुप्ता ने कहा. उनका मन किया गुलदस्ता मसल दें. उसे उन्होंने टैक्सी में ही छोड़ दिया. जहान्नुमा होटल में मैनेजर खुद उनके आवभगत के लिए दरवाज़े पर खड़े मिले. जितनी इज्ज़त से उन्हें होटल में कमरे तक पहुंचाया गया साफ़ था हवा में उनके ही नाम की फुसफुसाहट थी. कमरे में गुलदस्ता कुछ ज्यादा ही बड़ा था. दोपहर का खाना भी वे ठीक से कर नहीं पाए. कई पत्रकारों ने साक्षात्कार के लिए फ़ोन किये. ...Read More

4

हर्ज़ाना - 4 - अंतिम भाग

हर्ज़ाना अंजली देशपांडे (4) “फिर भी ऐसा ही एक केस है जिसे लेने का मुझे अब बहुत ही अफ़सोस है. शायद अफ़सोस सही लफ्ज़ नहीं है. शायद मुझे पश्चाताप होता है. यह केस है भोपाल के गैस काण्ड का केस. जब उनपर चल रहा अपराधिक मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो मैं यूनियन कार्बाइड का प्रमुख वकील था. उनकी वकीलों की टीम का नेता. मैंने अपने ग्राहक को पूरी निष्ठा से अपनी सेवाएँ दीं. एक वकील की हैसियत से मैंने विधिशास्त्र के अपने समूचे ज्ञान को रचनात्मकता से उसके हित में इस्तेमाल किया. कम्पनी पर अपराधिक मानव वध का ...Read More