Aakhir kya rahasy tha 7 baje ka ?? books and stories free download online pdf in Hindi

आख़िर क्या रहस्य था 7 बजे का??

7 बज गए क्या,नीना बेटा।
जी पापा बस 5 मिनिट ही है, आपकी चाय तैयार है, क्या हुआ? आप बार बार समय क्यों पूछ रहे है।
वो कुछ नही बेटा मुझे सुबह की सैर करनी होती है ना तो 7 बजे निकलना होता है,अच्छा मैं आता हूँ,तुम दरवाजा बंद कर लो
पापा आपजी चाय ,2 मिनट लगेंगे पीकर चले जाइयेगा।

नही समय नही है 7 बज गए,
पता नही पापा को क्या हो गया,जबसे दूसरे शहर में आये है तब से बड़े बदले बदले से लग रहे है, अब भला 5 मिनट में कौनसी गाड़ी छूट जाती ,चाय भी ऐसे ही छोड़ गए, कुछ पूछो तो बताते भी नही,
तभी आवाज आई नीना चाय बना दो,
रोहित तुम पापा से बात करो ना 
क्यों क्या हुआ पापा को,उनकी तबियत तो ठीक है ना।
हाँ तबियत तो ठीक ही लगती है, आजकल बहुत बदले बदले नजर आते है ,रोज सुबह तैयार हो जाते है ,7 बजे का इंतज़ार करते है और जैसे ही 7 बजते है वैसे ही उतावले हो जाते है सैर पर जाने को, 

ये अच्छी बात है पापा का मन तो लग रहा है यहाँ कम से कम, और समय का पाबन्द होना अच्छी बात है, इसमें क्या गलत है,

मैंने कब कहा कि कुछ गलत है,मैं तो पूछ रही हूँ, की तुम पापा से बात करो, आजकल तुम ऑफिस में इतने व्यस्त रहते हो हमें ही वक़्त नही दे पाते तो पापा को क्या वक़्त दोगे,पर सच कहूँ पापा को तुम्हारी जरूरत है, मम्मी के जाने के बाद जैसे उनकी दुनिया ही थम गई थी, उदासी को अपना जीवन बना लिया था उन्होंने, होठों की हँसी को आँसुओ में परिवर्तित होते देखा मैंने, तुम तो अपने काम में इतना व्यस्त रहते की उनसे 2 पल बैठ कर बाते भी नही कर पाते, पहले तो रौनक के साथ थोड़ा वक्त बिताते थे तो उनका समय लग जाता था, पर अब रौनक भी बड़ा हो गया अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया, अब वो भी इतना समय नही बिता पाता।

मैं जानता हूँ नीना, माँ के जाने के बाद उन पर जैसे एक पहाड़ ही टूट पड़ा, आदत ही नही थी उन्हें माँ के बिना जिंदगी में कुछ भी करने की,सुबह से शाम तक बस कैसे दोनों अपनी जिंदगी का आनंद लेते थे पता हो नही चलता था, हमसफ़र खोया है उन्होंने तो उनका सफर भी जैसे रुक सा गया है, मैं भी शायद एक अच्छा बेटा बनने की बस कोशिश ही करता रह गया,पर उनके गम का आधा हिस्सा भी नही बांट न पाया, मैंने तो माँ की यादों को तुम्हारे और रौनक के साथ बांट लिया पर वो आज भी उन यादों की पोटली अपने दिल में छुपाए रखे है,
सही कहा रोहित मैने कई बार पापा को सिसकते देखा है अकेले में, बिस्तर का एक कोने को घंटो तक निहारते रहते थे,पर आजकल बदल गए है वो, एल भीनी सी मुस्कुराहट उनके चेहरे की रौनक बढ़ाने लगी है, मैं ये तो नही जानती की वजह क्या है,पर आजकल उन्हें 7 बजे का इंतजार रहने लगा है, सुबह अपने आप को आईने में निहारने लगे है, कभी कभी तो तुम्हारा इत्र भी लगा लेते है, कल मुझे बोल रहे थे मेरे फ़ोन में गाने रिकॉर्ड करदू,ताकि खाली वक़्त में वो उन्हें सुन सके,ये सब अच्छा है उनका मन लगने लगा है, पर अगर हमें वजह मिल जाये तो उनकी खुशियों में हम चार चाँद लगा दे,

कल कब पापा 7 बजे निकलेंगे तो तुम उनका पीछा करना और देखना की कहाँ जा रहे है,

ठीक है देखता हूँ ये कहकर वो दोनों रोज के कार्यो में व्यस्त हो गए

अगली सुबह रोज की तरह पापा नीना को बोले, जल्दी चाय दे दो वरना 7 बज जाएंगे,आज नीना भी उत्साहित थी, आखिर 7 बजे का रहस्य खुलने वाला था, 
जैसे ही पापा निकले रोहित ने उनका पीछा किया, थोड़ी देर चल कर वो एक पकौड़े वाले कि दुकान पर ठहरे, पकौड़े लिए और आगे चल दिए, फिर एक पार्क की तरफ रुख किया, पार्क में जाने से पहले अपने जेब से कंघा निकाला और बाल बनाने लगे, रोहित को बहुत अजीव लगा, 

तभी पापा ने आवाज लगाई, सुमन जी ,मैं यहाँ हूँ

लगभग पापा की उम्र की एक महिला उनकी तरफ़ बढ़ती चली आ रही थी, 
आप तो वक़्त के बड़े पाबन्द है, 
ये देखिए मैं आपके लिए पकौड़े लाया हूँ, बहुत स्वादिष्ट है, आपको अच्छे लगेंगे,

माजरा समझ आ गया था 7 बजे का , पता नही क्या क्या खयाल आया रहे थे मन मे,किसी को मुँह दिखाने लायक नही छोड़ा पापा ने, माँ चली गयी तो किसी और को माँ की जगह देने चले है, एक बार भी हमारी और अपनी इज्जत की परवाह नही की, आखिर इस उम्र में उन्हें क्या जरूरत है ये सब करने की, घर में क्या हम लोग उन्हें प्यार नही देते,उन्हें सम्मान नही देते ये सब उसने नीना को बताया,

बहुत अच्छी सोच है तुम्हारी अपने पापा के लिए, क्या गलत कर रहे है वो अगर किसी के साथ वक़्त बिताने से उनकी तकलीफें कम होती है तो वो गलत है, इतने वक़्त से आँखों मे बस आँसू बहा रहे थे वो सही था,परन्तु आज किसी की वजह से उनके चेहरे पर थोड़ी मुस्कुराहट आ गयी तो गलत बात हो गयी, थोड़ी खुशी वो खुद अपने आप तलाश करने लगे तो तुम्हें अपनी इज्जत नजर आ गयी, तब तुम्हारे दिल को महसूस नही हुआ जब वो रातों को सिसक सिसक कर रोते रहते थे, एक रात भी तुम सोए अपने पिता के साथ उन्हें हौसला देने को, एक बार भी तुमने पूछा कि पापा ऐसा मैं क्या करूँ की आपके जीवन मे खुशियां आ जाये,पूछा एक बार भी कि इस उदासी को मैं कैसे आपसे दूर करदू,पर आज उन्हें थोड़ी से ख़ुशी मिली तो दिल मे दर्द उठ गया, एक तरफा है मोहब्बत तुम्हारी, जो तुम्हारे नियम पर चलती है,

मुझे माफ़ करदो नीना जो बहु बनकर तुम उनके दर्द को समझ पाई वो उनकी औलाद बनकर भी मैं महसूस नही कर पाया, कितने साल निकाल दिए उन्होंने तन्हाई में और मैं उनके सुकून को ढूंढ ना सका,लानत है ऐसे बेटे पर,
इतने में पापा जी आ गए उन्हें खबर नही थी कि रोहित उनके पीछे गया था वो अपनी धुन में मस्त थे, मुस्कुराहट उनकी जीवन का राज बयान कर रही थी, कुछ ना कहकर भी शब्द जुबान पे आ रहे थे,
क्या बात है आज बहुत खुश लग रहे हो पापा ,

कुछ नही बेटा बस अब जीने की इच्छा करती है ,मन करता है जिंदगी जितनी मौहलत देगी अब खुश होकर जीऊँगा , 

हाँ क्यों नही पापा खुशी पर सबका अधिकार है जहाँ से मिले बस बटोर लो, और कोशिश करो कि खुशी आपको कभी छोड़ कर जा सके, उसे इस तरह सहेज़ लो, समझ नहीं आ रहा था कि बात खुशी की हो रही है या किसी और कि बस सब पहेलियां बुझा रहे थे,

अगले रविवार को पाप का जन्मदिन है , मैंने कुछ सोचा है रोहित, 

दिन निकलते गए और जब रविवार आया तो वही पापा के जन्मदिन पर फिर तैयार हो गए, पर आज तो पापा के चेहरे की रौनक बता रही थी कि ये जन्मदिन केवल उनके लिए खास नही है बल्कि किसी और के लिए भी है,
 

नीना मेरी चाय, 

अभी 7 बजने में वक़्त है पापा और आज तो आपका जन्मदिन है आज तो घर पर रहिए कमसे कम आज का दिन तो हमारे साथ बिताओ, 

हाँ क्यों नही बस मैं सैर करके आता हुँ फिर हम सब साथ मे जन्मदिन मनाएंगे और आज तो रविवार है रोहित भी और रौनक भी घर पर रहेगा,

अच्छा बातों बातों में मुझे लेट हो रहा है 7 बज गए मैं जा रहा हूँ, जैसे ही दरवाजा खोला ,जो सामने था उसे देखकर पापा के होश उड़ गए

आप यहाँ, 

कौन है पापा आपके कोई दोस्त है क्या
नही नही वो कोई नही मैं आता हूँ अभी।
और नीना मन ही मन मुस्कुरा रही थी, आज जो खुशी पापा के चेहरे पर सबको नजर आने वाली थी पापा ने कभी सपने में भी नही सोचा होगा

देखा तो दरवाजे पर सुमन जी थी आज तो 7 घर पर ही बज गए थे वो भी साथ साथ, और पीछे से पूरी पलटन थी , सबकी मिली जुली खिचड़ी आज पकने वाली थी, दरवाजे पर रोहित, रौनक ओर सुमन जी के बच्चे भी थे, जिन्हें देखकर पापा समझ नहीं पा रहे थे की खुश होना चाहिए या सबकी नजरों में शर्मिंदगी,

पापा हमने सोचा आज आपके जन्मदिन पर आपके लिए जिंदगी भर की खुशियाँ देदे, और जो खुशी सुमन आंटी आपको दे सकती है वो कोई नही, 

पर ये सब कैसें और तुम्हें कैसे पता चला, और सुमन जी से तुम कब मिले।

वो हुआ यूं कि जब आप 7 बजे की वार्तालाप ख़त्म करके आये तो हम सुमन आंटी से बात करने चले गए , वो हमें अपने घर लेकर गयी और अपने परिवार से मिलाया, वही हमने आपको आपके जन्मदिन पर ये जिंदगी की खुशी देने का विचार बनाया,

मैं बहुत गलत था पापा पता नही क्या क्या सोच रहा था आपके लिए, पर ये कभी सोच नही पाया कि एक हमसफ़र की जगह दुनिया का कोई रिश्ता नही ले सकता,वो एक हमसफ़र ही होता है जो हमसफ़र की जगह ले सकता है, माँ के जाने के बाद इतने सालों तक हम आपको तकलीफ में देखते रहे पर आप जो महसूस कर रहे थे वो कभी महसूस ही नही कर पाए, मैंने तो नीना और रौनक से अपना दर्द बांट लिया,पर आप कितने सालो तक ये दर्द छुपा के रखें ये कोई नही समझ सका,पर आपकी बहु ने आज वो कर दिखाया जो आपका बेटा कर नही पाया ।

बस आँखों में नीर अपनी जगह बना रहे थे, मैं कैसे अपने बच्चों का सुक्रिया करू।
अरे वो बाद में करना आज बहुत काम है मंदिर जाकर शादी की तैयारियों में लगना है,और कल कोर्ट जाना है आपकी शादी पर हमेशा के लिए खुशियों की स्टैम्प लगाने,,

तो इस तरह एक बेटे ने अपने पिता की जिंदगी को फिर से खुशहाल बना दिया।

धन्यवाद
सोनिया चेतन कानूनगों