Pain of old memories - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

यादें - (पुरानी यादों का दर्द) - 2

कुछ धटनाऐ अचानक से धटित हो जाती है जिनके बारे मे हमने सोचा भी नहीं होता ऐसी ही एक धटना आपके लिए लेकर आ रहा हूँ जो कि बिलकुल सच्ची घटना है...

रात को लगभग 9 बजे तीनो लोग(वीर, लक्ष्मण और महिमा) खाना खा रहे होते हैं.....

वीर:- महिमा का हमेशा ख्याल रखना लक्ष्मण, और कभी भी कही अकेला नही छोडना, यात्रा के दौरान हमेशा साथ रहना |

(महिमा और लक्ष्मण वीर को सवालिया नजरो से देखते हैं )

लक्ष्मण:- जो भी कहना है कह डाल बेटा, अभी कोई तेरी क्लास लेने बाला भी नहीं है |

महिमा:- मतलब क्या है तुम दोनो का |


वीर:- अरे भई मेरा मतलब है, कि अगर फिर से किसी से लडाई हो गई, और कही फिर से महिमा की शादी करवानी पडी तो |

(और इतना कहकर दोनो ठहाका मार कर हंसने लगते हैं, महिमा शर्मा जाती है)

(और फिर तीनो हंसने लगते हैं और पुरानी यादों मे खो जाते हैं)

लगभग 3 महीने पहले, वीर और लक्ष्मण कही से सैर सपाटा करके मस्ती करते हुऐ वापस ट्रेन से घर आ रहे होते हैं, तभी ट्रेन मे पीछे से शोर सराबे की आवाजे आती हैं, तो किसी अनिष्ट की आशंका से वीर जाके देखता है, तो कुछ लोग शराब पी के शोर कर रहे होते हैं, तो वीर वापस आ जाता है, तभी लक्ष्मण की नजर एक लडकी पर पडती है, जो ठीक उनके सामने बाली सीट पर बैठी होती है....

लक्ष्मण:‌‌- अरे वीर उस लडकी को पहले कहीं तो देखा है, कया तुमने कहीं देखा है?

वीर:- देख भाई, तुझे सारी लडकी जानी पहचानी लगती हैं तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ, तू ये सब अपने तक ही रख और मुझे माफ कर |

(और मुह ढक के अपनी सीट पे लेट जाता है)

वो लडकी(महिमा) काफी देर से उन दोनों को देख रही होती है, फिर उठकर के लक्ष्मण के सामने बाली सीट पर आके बैठ जाती है......

महिमा:- तुम लक्ष्मण हो ना, ग्रेजुऐशन में तुम लोग एक टीम बनाकर रहते थे, और तुम्हारी टीम थी ‘रुद्रा’ |

लक्ष्मण सोचने लगता है, कि जो लडकी इतने समय से शांत बैठी थी, एक दम से अलादीन के जिन्न की तरह सामने आके बैठ गई, आखिर कौन है ये लडकी, फिर उसे अपने टीम की आरूहि याद आती है, बो भी हमेशा बोलती ही रहती थी, चेहरा भी ठीक बैसा ही है, लेकिन बो नहीं हो सकती, उसने तो आत्महत्या कर ली थी, बो तो मर चुकी है..
(लक्ष्मण भूतो की फिल्मे ज्यादा देखता था तो बो सोचने लगता है कि कहीं ये भी भूतनी..........)

और तभी किसी शोर की बजह से अपनी यादो से बाहर आता है, और देखता है कि कुछ लडके उस लडकी को परेशान कर रहे होते हैं, उसे समझ नही आता है कि क्या करे और क्या ना करे, कुछ लोग लडकी की मदद के लिए आते हैं, लेकिन बो लोग उन्हे डरा के बिठा देते हैं....

महिमा:- दोस्त ना सही, इंसान होने के नाते तो मेरी मदद करो.....

लेकिन लक्ष्मण किसी जड की तरह खडा रहता है, तभी महिमा को अपनी छोटी बहन आरूहि की बताई बात याद आती है, कि जब किसी को कौलेज मे मदद की जरूरत होती थी, तो जोर से आवाज लगाता था 'रुद्रा', और रुद्रा टीम का कोई भी व्यक्ति आके मदद जरूर करता था, यही सोचकर, कि अगर ये या फिर कोई और उस कौलेज का, और रुद्रा टीम का कोई व्यक्ति हो, तो शायद उसकी मदद कर सके, महिमा जोर से चिल्लाके कहती है ‘रुद्रा’, वो इतनी जोर से चिल्लाती है, कि बोगी के सारे लोगो को आवाज सुनाई देती है, तभी वीर हडबडा के उठ बैठता है, उसे ऐसा लगता है जैसे कोई उसके कान पे आके चिल्लाया हो, और सोचने लगता है, कि ये तो उसकी टीम का नाम था, और जब किसी को मदद की जरूरत होने पर ही ये नाम पुकारा जाता था, लेकिन यहाँ कौन हो सकता है ???

तभी बो देखता है उन लोगो को, और उठ के खडा हो जाता है, और लडकी को देखता है, तो उसे आरूहि याद आ जाती है, वही चहरा वही आवाज, लेकिन तभी पीछे से आने बाली आवाज से उसका ध्यान उस ओर जाता है, वीर उन लोगो को नहीं जांनता, क्योंकी ये लोग टीम के नही थे, शायद साथ मे पडने बाले थे, आते ही जोर से किसी को मदद चाहिए ???

महिमा:- ये लोग मुझे परेशान कर रहे हैं....

तभी साइड से कोई उन परेशान करने बाले लोगो को धक्का देता है, सभी उसी ओर देखते हैं, ये लक्ष्मण होता है, फिर बो लोग उठकर लक्ष्मण की तरफ जाते हैं, और तभी एक जोरदार मुक्का आगे बाले मे पडता है, ये वार वीर के द्वारा किया जाता है, इस वार के बारे मे उन लोगो ने सोचा भी नहीं था, मुक्का पडने से आगे वाला वन्दा दर्द से आधा हो जाता है, और जब सीधा होकर वार करने के लिए तैयार होता है, फिर तो सारे लोग टूट पडते हैं उन लोगो पर, और यात्री भी साथ देते हैं, वो लोग घबरा जाते हैं, और भाग खडे होते हैं, फिर सारे लोग वही वैठ जाते हैं....

वीर:- सभी को धन्यवाद वोलता है।

वो लड्के वताते हैं, कि कौलेज के समय से वीर और लक्ष्मण को जानते हैं, ट्रेन से घर जा रहे थे, और अचानक से रुद्रा शब्द सुनकर, किसी को मदद कि जरूरत है, ये सोचकर आ गये......और लक्ष्मण महिमा से पूंछता है कि-

लक्ष्मण:- तुम कौन हो, और रुद्रा के बारे मे कैसे जानती हो |

महिमा:- तुम्हारी टीम मे एक लड्की हुआ करती थी, सबसे तेज |

लक्ष्मण:- आरूहि, लेकिन......

वीर:- तुम नहीं हो सही कहा ना |

महिमा:- हा मैं आरूहि नहीं हूँ, उसकी बहन हूँ महिमा, घर जा रही थी, ये लोग मुझे परेशान करने लगे, तुम लोगो को भी आरूहि के साथ ही देखा था, लेकिन तुम लोगो ने मुझे नहीं देखा था शायद, इसी लिए नहीं पहचान पाए, और रुद्रा के बारे मे भी आरूहि ने ही बताया था |

फिर वीर प्लेट्फार्म पे खाने पीने के लिए कुछ लेने जाता है, और वो लडके भी उसके साथ कुछ लेने उतरते हैं, तभी जिन लोगो से झगडा हुआ था, पुलिस को लेके ट्रेन में आ जाते हैं, पुलिस आती है, तो लक्ष्मण और महिमा दोनो को लड्ते हुए देखते हैं

महिमा:- तुम मेरी मदद कर सकते थे लेकिन नहीं की, जो लडके किसी लडकी की मदद नहीं कर सकते, उन्हे चूडिया पहन लेनी चहिए |

और दोनो आपस मे ही झगड्ने लगते हैं

पुलिस:- क्या मामला है, शोर क्यो मचा रखा है....

और लक्ष्मण से कहते हैं, तू खुद को कही का डोन समझता है, अभी तेरी शिकायत मिली, कि तू रास्ते मे गुंडा गिरी करते हुए आ रहा था, और अपने लोगो के साथ मिलकर यात्रीयो के साथ मारा पीटी कर रहा है, तभी

महिमा:- हम ने किसी के साथ मारा पीटी नहीं की, ये लोग ही हमारे साथ मारा पीटी कर रहे थे, और हमारे साथ कोई नहीं था, ये लोग आपस में ही लड रहे थे...

पुलिस बाले ट्रेन में पूछताछ करते हैं, तो कोई खुद को बचाने के लिए कह देता है, कि ये दोनो पति पत्नी हैं वो लोग इन्हे परेशान कर रहे थे, तो थोडी सी झडप हो गई और कुछ नहीं, पुलिस बाले जब ट्रेन मे आये थे, तो दोनो को झगडते हुए देखा था, तो उन्हे लगता है शायद ये लोग सही कह रहे हो | महिमा लक्ष्मण से कहती है, तुम किसी काम के नही हो, तभी पुलिस बाले दोनो के पास आते है, और कहते हैं

पुलिस:- ये तो पहले ही बता देते कि तुम दोनो पति पत्नी हो, और जाने लगते हैं, तभी एक कि नजर महिमा पर पड्ती है, और बो कहता है, साहब जी लड्की की मांग मे सिन्दूर तो है नहीं, कही ये लोग झूठ तो नही बोल रहे हैं....

और पुलिस बाले वापस आकर उंनसे पूंछ्ते हैं, तो दोनो चुप ही रहते हैं, पुलिस बाले उन दोनो को रेल्वे पुलिस थाने मे ले आते है, और एक पंडित को बुलाकर दोनो की शादी करवा देते हैं, वीर और उन लड्को को जब पता चलता है, कि दोनो को पुलिस थाने मे ले गई है, तो वो लोग भागते हुए वहाँ पर जाते हैं, तो देखते हैं, कि दोनो कि शादी थाने मे ही हो रही है, तो चुप चाप खडे होकर देखते हैं, उसके बाद पुलिस बाले उन लोगो को उसी ट्रेन से बापस घर भेज देते हैं।

तीनो उस धटना को याद करके बहुत हंसते हैं और महिमा वीर से कहती है-

महिमा:- वीर मैंने न तेरी शादी किसी चुडैल से करवानी है |

(और तीनो ही बहुत जोर जोर से हंसते हैं)

महिमा:- वीर तुम्हारी शादी के लिए लड्की मैं देखुंगी।

वीर:- मुझे किसी चुडैल से शादी नहीं करनी।

और तीनो फिर जोर से हंसने लग जाते हैं और फिर खाना खाकर सोने चले जाते हैं |

(दोस्तो आपको हमारी कहाँनी कैसी लगी हमें अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें हम कोशिस करेंगे की आपके लिए और भी अच्छी कहाँनी लेकर आऐ)