AAO CHALE PARIVERTAN KI OR - PART-6 books and stories free download online pdf in Hindi

आओ चलें परिवर्तन की ओर.. - 6

सोमेश, अक्षित और सोनिया को देख कर मुस्कुराते हुए बोला “आप लोग पन्द्रह मिनट लेट आए हैं |”

गाड़ी से बाहर निकल कर दरवाज़ा बंद करते हुए सोनिया बोली “भाई साहिब आपको तो पता ही है, यह ऑफिस से निकलते-निकलते कितनी देर कर देते हैं | यह तो बस आज रास्ते में ट्रेफ़िक कम था तो हम जल्दी पहुँच गये वरना और भी लेट हो जाते |”

अक्षित रिमोट से गाड़ी बंद करते हुए कहता है “भाई इतना भी समय का ध्यान न रखा करो और सुनाओ, भाभी कैसी हैं |”

“ठीक है लेकिन आजकल कुछ उदास रहती है | बहुत दिन हो गए, न तो बच्चों ने फ़ोन किया और न ही वह आए हैं | शायद इसलिए भी उदास...........|”

सोनिया बीच में ही बात काटते हुए बोली “मैं अभी कल ही बच्चों से कह रही थी कि अब की बार तुम लोगों को अपनी बड़ी माँ के घर गये, बहुत दिन हो गये हैं | अब तुम्हारी छुट्टियाँ शुरू होने वाली हैं कुछ दिन के लिए वहाँ चले जाओ | वह खुद भी इस बात के लिए चिंतित थे और आने के लिए पहले से ही तैयार थे | आप चिंता न करें, बच्चों के साथ मैं खुद भी आऊँगी | मुझे भी काफी समय हो गया है उनसे मिले हुए | आपको तो पता ही है भैया, बच्चों के साथ समय ही नहीं मिलता और आप इनसे तो कोई उम्मीद कर ही नहीं सकते |”

“भाभी, यह भी अच्छा है कि आज सब इकट्ठे खुश हैं और मजे कर रहे हैं.....|”

अक्षित बीच में ही बोला “यार तुम दोनों जब भी मिलते हो तो सब से पहले मेरी बुराई क्यों शुरू कर देते हो | इन बातों को छोड़ो और यह बताओ कि तुम्हें क्या लग रहा है? सौरभ ठीक हो जाएगा कि नहीं ?”

सोमेश एक लम्बा साँस खींचते हुए बोला “भाई मैं कल बहुत संघर्ष के बाद एकाग्र हो ध्यान लगा सका | मैं ईश्वर से सौरभ के लिए कुछ प्रार्थना कर पाता इससे पहले मुझे ध्यानावस्था में गुरूजी के दर्शन हुए | उन्होंने मुझे एक कहानी सुनाई और अंतर्ध्यान हो गए | उनके जाते ही मेरा भी ध्यान टूट गया.......|”

*

“एक घर के आँगन की दीवार के पास ही एक पौधा निकलने लगा तो घरवालों ने उसे कई बार काटने और हटाने की कोशिश की लेकिन वह पौधा बिना पानी और खाद के भी तेज़ी से बढ़ने लगा | कुछ ही महीनों में उस पौधे ने पेड़ का रूप ले लिया | उस पेड़ को जितना काटा जाता उतनी ही वह तेज़ी से बढ़ता | अतः दुःखी हो कर घरवालों ने अपने आंगन की दिवार बनवा कर उस पेड़ को अपने आँगन से बाहर कर दिया | आँगन से बाहर होते ही पेड़ पर आम लगने शुरू हो गये | पेड़ पर आम हर मौसम में लगते हैं यह बात पूरे शहर में फैलते ही लोग दूर-दूर से उस पेड़ को देखने आते व उसके मीठे-मीठे आम खाते |

एक दिन वहाँ से एक साधु गुजरा और उस पेड़ के आसपास लगी बाड़ देखकर साधु ने उस घर का दरवाज़ा खड़काया | कुछ ही क्षणों में दरवाज़ा खुला और एक बहुत ही खूबसूरत और शालीन औरत ने दरवाज़े से बाहर झाँका और अपने दरवाज़े पर एक साधु को देखकर हैरानी से बोली “बाबा क्या आपने दरवाज़ा खड़काया था, यदि हाँ तो कृप्या बताएं मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूँ |”

साधु ने उस महिला के शिष्टाचार को देखकर हैरानी से पूछा “बेटी, जब मैं पिछली बार इधर से गुजरा था तो यहाँ बैठ कर इस पेड़ के नीचे आराम किया था और भूख लगने पर मैंने इस पेड़ के बहुत ही मीठे आमों का लुत्फ़ उठाया था | लेकिन इस बार मैं यह क्या देख रहा हूँ | कृपया बताएं कि क्या यह आप लोगों ने किया है और किया है तो क्यों किया ?”

“बाबा, हमने यह कदम बहुत परेशानी के बाद ही उठाया था | हर कोई जब दिल करता था पेड़ पर चढ़ कर आम तोड़ता था | बच्चे तो हर समय पत्थर मार-मार कर आम तोड़ते रहते थे | इस कारण हमारा घर के अंदर चल पाना भी मुश्किल हो गया था | यह देख कर ही हमने आम के पेड़ के चारों तरफ बाड़ लगवा दी थी |

बाड़ लगवाते ही हमारी तरफ के पेड़ का हिस्सा सूख गया और हमारे घर में बीमारी और परेशानियां भी बढ़ने लग गयी थीं | तब हमें यह समझ में आया कि हमने कुछ गलत किया है लेकिन हमारे पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था | कुछ समय बाद हमने इसका हल भी खोज लिया | अब हम रोज सुबह-शाम को यह दरवाज़ा खोल देते हैं और किसी को भी इस पेड़ पर चढ़ कर फल तोड़ने देते हैं | जो भी उस समय यहाँ पर लोग होते हैं उनमें यह सब बांट देते हैं |

अपनी दीवार के साथ ही हमने एक छाया देने के लिए छत भी बनवा दी है और पानी का प्याऊ भी लगवा दिया है ताकि पहले जो भी इस पेड़ के नीचे आराम करते थे अब वह वहाँ आराम कर सकें | जब से हमने यह किया है हमारी तरफ का पेड़ फिर से हराभरा हो गया और उस पर फल भी लगने शुरू हो गये | यह सब करने के बाद हमने काफी तरक्की भी की और हमारे घर में खुशहाली भी आई | शायद यही ईश्वर की इच्छा है, फिर भी आप बताएं कि क्या हमने कुछ गलत किया |”

“नहीं बेटी, तुमने वक्त रहते अपने दिल की आवाज़ या यूँ कहें कि ईश्वर की वाणी को सुन लिया, यही तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की तरक्की और खुशहाली का कारण है |” कह वह साधु उस औरत को आशीर्वाद देकर वहाँ से चला जाता है |

*

यह कहानी सुना कर सोमेश, सोनिया को देखता है | वह समझ जाती है कि सोमेश उसका ज़वाब सुनना चाहता है | सोनिया बोली “इसका मतलब तो यह हुआ कि गुरु जी यह कहना चाहते थे कि तुम्हें जो भी आशीर्वाद प्राप्त है उसका इस्तेमाल कर सौरभ का भला करो और उसे इस मुसीबत से बाहर निकालो |”

सोमेश मुस्कुराते हुए कहता है “भाभी मुझे आपकी यह बात बहुत ही पसंद आती है कि आप किसी भी बात का उत्तर बहुत जल्दी दे देती हैं | किसी भी प्रश्न के उत्तर का विश्लेषण भी अच्छा कर लेती हैं | मैं भी गुरु जी के संदेश का मतलब लगभग यही लगा पा रहा हूँ कि हमें जो भी ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त है उसे दूसरों में बांटना चाहिए | हाँ, आपने ज्योतिष के हिसाब से क्या समझा कि सौरभ की उम्र कितनी है और इस बीमारी से वह कब तक बाहर निकल आएगा |”

“आपको तो मालूम ही है मैं कभी किसी की उम्र का हिसाब-किताब ना लगाती हूँ और ना ही कभी देखने की कोशिश करती हूँ क्योंकि मेरी अपनी राय में हमें जिस दशा में ज्योतिष मिली है वह इतनी परिपक्व नहीं है कि वह इंसानी उम्र का आंकलन कर सके और यह सब ईश्वर के हाथ में ही रहे तो ज्यादा अच्छा है |” सोनिया फिर कुछ गंभीर भाव से कहती है “मुझे नहीं लगता वह इस बीमारी से उभर पायेगा और यह सिर्फ़ मेरी अपनी ज्योतिष की गणना है |”

यह सुन कर सोमेश प्रश्न भरी निगाह से अक्षित को देखता है कि वह चुपचाप खड़ा मंद-मंद मुस्कुरा रहा है | यह देख कर उससे रहा नहीं जाता है, वह अक्षित को देख कर पूछ ही लेता है “लगता है आपके साहिब हम दोनों के विश्लेषण से सहमत नहीं है |”

यह सुन सोनिया, अक्षित को देखते हुए बोलती है “वैसे भी इनकी राय ज्यादातर हम से अलग होती है | वह शायद इसलिए भी होती है कि इनकी विश्लेषण की क्षमता असाधारण है | इन पर तो वैसे भी ईश्वर काफी मेहरबान है और इसलिए इन्हें भविष्य में घटित होने वाली बहुत सी अच्छी या बुरी घटनाएं पहले ही पता चल जाती हैं |”

सोमेश, सोनिया की बात सुन कर बोला “जब से ये तुमसे मिला है इस पर ईश्वर की कृपा और भी बढ़ गयी है | अब तो ये मुझ से मीलों आगे पहुँच गया है |”

अक्षित हँसते हुए कहता है “नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है | ये आपका बड़प्पन है जो आप मेरे बारे में ऐसा कह रहे हैं | अच्छा अब मुद्दे की बात कर लें, मैं तुम दोनों के विचारों से सहमत नहीं हूँ | मेरी राय में कल आप एक ऐसे व्यक्ति के लिए प्रार्थना करने बैठे थे जिसे आप अंतर्मन में इसके काबिल नहीं मानते हैं | क्योंकि? वह आपके नज़दीक है और तेज़ल भाभी आपको भाई कम और गुरु ज्यादा मानती हैं, आपने ईश्वर से प्रार्थना करने की सोची | वरना जहाँ तक मैं जानता हूँ, आप दूसरों के लिए तो अक्सर प्रार्थना कर देते हैं लेकिन अपनों या अपने लिए कभी नहीं करते हैं | क्यों सही कह रहा हूँ ?”

“हाँ, बात तो सही ही कह रहे हो |”

यह बातें सुन सोनिया हैरान और परेशान सी हो जाती है लेकिन कुछ बोलती नहीं है|

अक्षित दोनों के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है “चलो चलते हुए बात करते हैं, वहाँ भाभी हमारा इन्तजार कर रही होगीं |”

“चलिए|” कह कर सोमेश, अक्षित और सोनिया के साथ अस्पताल की बहुमंजिला इमारत की तरफ चल पड़ता है |

अक्षित आगे बढ़ते हुए कहता है “भाई, गुरु जी के दर्शन वहाँ होना ही यह संदेश देता है कि वह आप से सहमत नहीं थे | जहाँ तक मैं इस कहानी का विश्लेषण कर पा रहा हूँ, उसमे भी यही समझ में आता है कि जब कोई कार्य या बात आपके आसपास बार-बार होती है, चाहे वह सकारात्मक(positive) या नकारात्मक(negative) है तो उसके बारे में गहन विचार या अध्ययन अवश्य करना चाहिए | क्योंकि हो सकता है कि प्रकृति या ईश्वर आपको बार-बार वह सकारात्मक रास्ता दिखा रहा हो जिस पर आपको चलना चाहिए या वह नकारात्मक रास्ता दिखा रहा हो जिस पर आपको नहीं चलना चाहिए |

अब यह आपकी विचार शक्ति के विश्लेषण पर निर्भर करता है कि आप वह रास्ता चुनते हैं जो दिखाया जा रहा था या वह चुनते हैं जिसके बारे में आपको आगाह किया जा रहा था कि वह गलत रास्ता है |

इस कहानी में भी प्रकृति ने उन्हें बार-बार चेताया लेकिन उस घरवालों ने आख़िर उस सकारात्मक(positive) वृक्ष को घर से बाहर कर ही दिया | उस सकारात्मक वृक्ष ने सबको अपने फल दिए और उस घरवालों को फल और पत्थर दोनों दिए | इस कहानी में घरवालों की किस्मत अच्छी थी | वह प्रकृति या ईश्वरीय इच्छा को जल्दी ही समझ गए | जो भूल पहले की थी उसकी भरपाई छप्पर और प्याऊ लगा कर दी और ऐसा बहुत ही कम लोगों के साथ होता है कि वह समय रहते चेत जाते हैं|”

सोनिया और सोमेश मंत्रमुग्ध अक्षित की बातें सुनते हुए अस्पताल के गलियारे में चले जा रहे थे | उनका ध्यान तब टूटा जब अक्षित ने बोलना बंद कर दिया, दोनों एक साथ बोले “क्या हुआ चुप क्यों हो गए....?”

यह सुन कर अक्षित फिर से बोलने लगता है “यहाँ पर इस कहानी का हवाला गुरूजी ने इसलिए दिया कि सौरभ ने भी अपने पिता की जिन्दा रहते सकारात्मक शक्ति को नहीं पहचाना | हमेशा उनकी ईश्वरीय शक्ति और उनका मज़ाक यह कह कर बनाया कि ‘आप सिर्फ़ आपना नाम कमाने के लिए लोगो का तो भला करते हो लेकिन घर वालों से दुश्मनी करते हो | आपके रहते हुए भी हमें आम आदमी की तरह ही जीना पड़ रहा है | आप चाहते तो लोगो का भला कर पैसे कमा सकते थे लेकिन नहीं, आपको तो सिर्फ़ वाह-वाही ही चाहिए’|

तेज़ल चाहे बहुत कम समय अपने ससुर के साथ रही लेकिन उसने भी अपने पति का साथ दिया | आज लगभग चार साल हो गये हैं उनका देहांत हुए, तब से सिर्फ़ बुरा ही बुरा हो रहा है | इन दोनों की किस्मत कितनी ख़राब है कि सब कुछ समझ आने के बाद दूसरा मौका ही नहीं मिला | क्योंकि जब मौका मिला था तब सिर्फ़ गलत ही सोचा | इसको आप कह सकते हैं कि जब गलत सोच या कर्म किए हैं तो कर्मफल भी गलत ही मिलेगा | देखिए, सौरभ को कैंसर का पता भी तब चला जब वह आखिरी चरण में पहुँच चुका था | मैं यह भी मानता हूँ कि चमत्कार होते हैं | लेकिन मेरा मानना है कि इन्हें ईश्वर दूसरा मौका देना ही नहीं चाहता |

*

वह तीनो बात-बात करते सौरभ के वार्ड तक पहुँच जाते हैं और वहाँ का दृश्य देखकर दरवाज़े पर ही ठिठक कर खड़े हो जाते हैं |

“excuse me” कह कर एक लड़का व डॉक्टर अक्षित के पास से निकल कर वार्ड में प्रवेश करते हैं |

तेज़ल उन तीनों को देखकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है | सोनिया जल्दी से जाकर उसे अपने गले से लगा लेती है लेकिन तेज़ल का रोना चिल्लाना बंद नहीं होता|

डॉक्टर, सोमेश के पास आकर कहता है “कृपया जल्दी करें और इन्हें ICU में ले चलें |”

“डॉक्टर साहिब सब ठीक तो है |”

“लग तो नहीं रहा है |”

“मतलब |”

“मतलब-वतलब छोड़िये और इन्हें जल्दी से लेकर चलिए |” कह कर डॉक्टर जल्दी से बाहर निकल जाता है |

अक्षित भाग कर स्ट्रेचर ले आता है | सोमेश और अक्षित मिल कर सौरभ को उस पर लिटा कर भागते हुए ICU की तरफ बढ़ जाते है | उनके पीछे-पीछे तेज़ल और सोनिया चल पड़ती हैं |

डॉक्टर के साथ-साथ वह भी ICU में पहुँच जाते हैं | डॉक्टर उन्हें बाहर ही रुकने का इशारा कर अन्दर चला जाता है |

तेज़ल का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा है | वह बार-बार उन तीनो से एक ही बात पूछती है “ये ठीक तो हो जाएंगे, अभी कुछ दिन से तो काफी ठीक लग रहे थे | अब अचानक ये क्या हो गया है |”

तेज़ल रोते हुए सोमेश को देख कर फिर बोली “ये ठीक तो हो जाएंगे | अचानक क्या हो गया है | सुबह तो ये खुद कह रहे थे कि आज मुझे कुछ ठीक लग रहा है | आज मुझ से कह रहे थे कि सोमेश भाई की बहुत याद आ रही है | भाई ने वक्त रहते मुझे बहुत समझाया लेकिन उस समय मुझे कुछ भी समझ नहीं आया लेकिन अब मैं सब ठीक कर दूंगा | अगर मैं ठीक हो गया तो पिताजी की सारी इच्छाएं पूरी करूँगा |” कह कर तेज़ल फिर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है |

सोमेश तेज़ल के सिर पर हाथ रखते हुए कहता है “ईश्वर जो करेंगे, अच्छा ही करेंगे | रोने से कुछ हल थोड़े ही निकलेगा |”

वह अभी यह बात ही कर रहे थे कि डॉक्टर ICU से बाहर आ कर सोमेश के कंधे पर हाथ रख कर कहता है “sorry, he is no more ”|

सोमेश उसे कुछ चाह कर भी नहीं कह पाता है | तेज़ल यह सुनकर ज़ोर-ज़ोर से रोना शुरू कर देती है, और साथ ही साथ चिल्लाने लगती है “गुरु जी आप लोगों का क्या फायदा हुआ, आप अपने भाई को ही नहीं बचा पाए | सौरभ ठीक ही कहते थे कि यह सब बकवास है कोई कुछ नहीं कर सकता.......?”

सोनिया उसके मुँह पर हाथ रख उसे सहलाते हुए बोली “चुप इन सब बातों का यह समय नहीं है”, फिर वह दोनों लिपट कर रोने लगती हैं |

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