शेर के साथ स्कूल तक books and stories free download online pdf in Hindi

शेर के साथ स्कूल तक


किसी भी काम को सही ढंग से नहीं करता था चिंटू. बहुत ही शरारती था.

ऐसा एक भी दिन न होता, जब चिंटू के कारण उसकी मां को दो चार शिकायतें न सुनती पड़ती.

स्कूल गांव से दूर था. फिर भी सारे बच्चे पैदल ही स्कूल जाते थे और वक्त पर स्कूल पहुंचते थे. लेकिन चिंटू की बात दूसरी थी. पैदल स्कूल जाना उसकी शान के खिलाफ था.

शहर जाती बैलगाड़ी दिखती तो उस पर बैठ जाता. परमू कुम्हार का गधा कहीं चरता दिखाई देता तो उसे हांक कर सवारी करता-करता वह स्कूल पहुंचता.

कभी-कभी घंटों तक सड़क पर खड़ा होकर चिंटू स्कूल की तरफ जाने वाली साइकिलों का इंतजार करता और इस चक्कर में अक्सर स्कूल देर से पहुंचता.

चिंटू स्कूल और घर में कई बार पिटता था. फिर भी वह स्वयं को हीरो समझता था. खेलने, लड़ने, पेड़ पर चढ़ने, तालाब में तैरने सभी में वह सदा आगे रहता था.

इधर कुछ दिनों से चिंटू को रोज एक नया खेल सूझा था. शहर जाने वाली सड़क पर उस ने एक ऐसा पेड़ खोज निकाला था, जिस की एक मोटी शाखा सड़क के ऊपर तक फैली थी.

चिंटू सड़क में बड़े-बड़े पत्थर बिछा कर रास्ता बंद कर के पेड़ की उस शाखा पर बैठ जाता. जब शहर जाने वाला ट्रक वहां से गुजरता तो मजबूरन उसे ट्रक रोकना पड़ता.

जब तक ट्रक वाला पत्थर हटा कर रास्ता साफ करता, उतने में चिंटू ट्रक में कूद जाता और जब स्कूल के पास पहुंचता तो चिल्ला कर ट्रक रूकवाता और उतर कर खिलखिलाता हुआ अपने रास्ते चल देता.

उस दिन भी चिंटू ने ऐसा ही किया था. नीला ट्रक जैसे ही सामने आ कर रूका, वैसे ही उस ने ट्रक की छत पर छलांग लगा दी थी और साथ ही भय से चींख उठा था.

यह सर्कस वालों का ट्रक था जिसमें एक शेर को बंद करके कहीं ले जाया जा रहा था. ट्रक के पिछले हिस्से को पिंजरे जैसा बनाया जाता था और अब चिंटू पिंजरे की छत पर था.

थप्प की आवाज से जब वह पिंजरे की छत पर कूदा तो ऊंघता शेर उठ कर खड़ा हुआ और इतने जोर से गुर्राया कि चिंटू एकाएक कांप उठा.

कंपकंपाहट से बस्ता चिंटू के हाथ से छूट कर पिंजरे के अंदर जा गिरा. इससे शेर और भी गुस्से में आ गया. उसने उछल कर चिंटू पर वार करना चाहा.

लेकिन तभी ट्रक चल पड़ा और शेर वहीं पसर कर गर्र-गर्र करने लगा.

चिंटू का जी चाहा कि जोर से चीख कर ट्रक रूकवा दे, पर उस की जीभ तालू से चिपक गई थी और बोलती बंद.

ट्रक चला जा रहा था. एकाएक शेर चिंटू की ओर लपका. लेकिन वह सीखचों से टकरा कर वापस गिर गया. फिर भी चिंटू के रोंगटे कर देने के लिया वह काफी था. वह पूरी ताकत से चिल्ला उठा. साथ-साथ शेर भी गुर्राया.

तभी झटके से ट्रक रूक गया. ड्राइवर के साथ बैठा रिंग मास्टर उतर कर पीछे यह देखने आया कि शेर इतना बेचैन क्यों हो रहा है.

जब रिंग मास्टर ने ट्रक की छत पर चिंटू को थरथर कांपते देखा तो उस का मुंह खुला का खुला रह गया. रिंग मास्टर की समझ में नहीं आया कि यह लड़का पिंजरे के ऊपर और इसका बस्ता पिंजरे के अंदर पहुंचा तो कैसे?

खैर, चिंटू को उतार कर जब सारी बातें पूछी तो रिंग मास्टर का पारा चढ़ गया. वह चिंटू को कान से पकड़ कर सीधा हेडमास्टर के पास ले गया. उस का बस्ता पिंजरे में ही रह गया.

फिर तो सारे स्कूल को पता चल गया कि चिंटू के साथ क्या हुआ है. सबको उस पर हंसने का मौका मिल गया.

इस घटना के बाद दो दिन तक चिंटू सब से मुंह छिपाता रहा.

फिर एक सुबह सबने देखा कि चिंटू नया बस्ता लिए पैदल ही स्कूल की ओर चला जा रहा है. उस ने बैलगाड़ी, गधे या साइकिल किसी का भी इंतजार नहीं किया था.