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डरावने सपने का रहस्य!

सपने सबको आते हैं । अच्छे या बुरे । येसेही एक बुरे सपने के बारे में मैं आपको बताना चाहता हूँ । हम चार दोस्त बचपन से साथ में रहते थे और वक्त के साथ बढे हो गये । हम सब अपने - अपने काम में उलझे हुए थे । एक रात डीनर हो जाने के बाद में छत पर बैठा हुआ था । सुंदर झगमगाते तारे देख रहा था और रात के नौ बजे थे । मेरे दोस्त राजु का का फोन आता है ।
राजु और मेरी फोन पे बातचीत -
राजु : क्यया कर रहे हो भाई ? खाना वाना खाया की नहीं ?

मै: कुछ नहीं यार, खाना तो हो गया, और बोल आज मेरी याद कैसे आयी तुझे ।
राजु : अरे तुम सबकी बढ़ी याद आ रही थी तो सोचा बात कर लु ।
मै : हा यार काफी समय हो गया हम सब साथ में कही घुमने नहीं नहीं गये ।

राजु : अच्छा तो चलो आज रात को 11 बजे एक नाईट राईड पर चले जाते है । मै गण्या और बंट्या को भी फोन करता हु। मैं दोनों को लेके तेरे पास आता हु और फिर जायेंगे ।
मैं : अच्छा तो आजा में भी तयार ही हु ।
ऐसा बोल के मेने फोन रख दिया ।
थोड़ी देर बाद राजु कार लेकर आया और हम घुमने चले गए।
रास्ता एकदम सुनसान था । और हम सब पुरानी यादों में खो गए थे । रास्ते में हमे एक बंद पड़ी हवेली हमे दिखाई देती है । गांव से लगभग दो से तीन कोस दुर थी । हमने वहां गाड़ी रोकी । सब बोलने लगे चलो हवेली में जाते हैं । पर राजु कहता है कि यार उस हवेली में हमे नहीं जाना चाहिए वो हवेली 30 से 40 सालों से बंद पड़ी हुई हैं । उसमें एक औरत रहती थी और हो एक दिन मर गई । तबसे वहां कोई नहीं गया है और गांव में सब बोलते हैं कि उसका भुत उसी हवेली में भटकती है । राजु की यह बात सुनकर हम अंदर जाने के लिए और भी उतावले हो गये । मैंने कहा भुत वुत कुछ भी नहीं होता चलो चल के देखते हैं कैसी है ये हवेली । बंट्या और गण्या ने भी मेरी हा में हा मिलाई । कार हवेली के सामने लगा के हवेली में चले गए । हवेली तीन मझला थी ।
ऊपर के दो मझलो मे जाने के लिए तो दरवाजे थे । लेकिन सबसे निचले वाले मजले मे जाने के लिए कोई दरवाजा या रस्ता नहीं था । हम सब दुसरे मजले पर गये और इधर- उधर
देखने लगे दुसरा और तिसरा मजला तो कमरो का भुलभुल्लया था । सब चिजे बिखरी और तुटी हुयी थी । मखडी ओ के जाले बोहत हो गये थे । हम डरते हये छत पर जाके बैठे । इधर- उधर के गप्पें मारते है । थोड़ी देर बाद घर जाने की बात करने लगे । वहाँ से ऊठते ही राजु कहता है कि ' अगर अचानक यहासे निचे जाने के सभी रास्ते बंद हो जाय तो हम क्या करेंगे ' । हमने कहाँ छोड़ ना यार क्यों डरा रहा हे चल बोहत देर हो चुकी है घर चलते है । हम सबको राजु अपने- अपने घर छोड़ कर हो अपने घर चला जाता है । मैं हमेशा की तरह छत पर सो जाता हूँ । सोने के बाद मुझे एक डरावना सपना आता है की -
बारीश आ रही है और में बारिश से बचने के लिए इधर- उधर दौड़ रहा हु दौड़ते हुए मुझे वही हवेली दिखाई देती है । बारिश से बचने के लिए मैं उस हवेली में चला जाता हु । और थोड़ी देर बाद बारिश बंद हो जातीं हैं । मैं छत पर जा रहा हूँ और मेरी ही कदमों की आवाज पुरे हवेली में गुंज रही है । मै डरते हुए छत पे जाता हूँ उपर से सभी और देखने लगता हु की आसमान से एक औरत जैसा दिखने वाला साया मेरी ओर आने लगा । मैं बोहत डर गया और डर के मारे निचे जाने के लिए भागने लगा तो देखता हूँ कि मैं जहाँ से ऊपर आया था वहां कोई दरवाजा हे ही नहीं । मैं डर के मारे चिल्लाने लगा । पिछे देखा तो वो साया मेरे पास ही आ रहा था । मैं डर के मारे उपर से निचे खुद जाता हूँ । मुझे बोहत चोट भी लगती हैं । लेकिन मैं डर के वहाँ से भागने लगता हु।
मै रस्ते पे डर के मारे दौड़ रहा हु । और सिर्फ दौडा जा रहा हु । आगे से राजु चलता हुआ आता है । मेरे हात कहीं से चाकू आ जाता है और में राजु के पास जाकर जोर ऊसके सिने चाकु खौप देता हूँ । फिर रस्ते पे जो लोग जा रहे थे हो सब वहा इक्कठा हो जाते हैं और जोर- जोर से चिल्लाने लगते हैं । की तुमने राजु को मार दिया । और तभी नहीं ......
चिल्लाते हुए मेरी निंद खुल जाति है । ऐसा डरावना सपना मैंने आज तक नहीं देखा था । क्या हो सकता हैं इस डरावने सपने का रहस्य !