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गढ़वाल का इतिहास

गढ़वाल (उत्तराखंड) का इतिहास


गढ़वाल को गढदेश भी कहा जाता था। प्राचीन समय में यहां 52 गढों के होने की सूचना मिलती है। गढ़वाल के निवासी प्राचीन काल से ही बहुत ही बहादुर, स्वस्थ, सुंदर और सीधे-साधे होते हैं। भारतीय सेना में गढ़वाल रेजीमेंट नाम से गढ़वालियों की बहुत बड़ी धाक है।


इस समय गढ़वाल में दो मंडल हैं। एक कुमाऊं मंडल और एक गढ़वाल मंडल। इस समय उत्तराखंड में 13 जिले हैं। इसमें सात जिले गढ़वाल मंडल में और 6 जिले कुमाऊं मंडल में हैं।


प्राचीन समय में गढ़वाल एक राज्य हुआ करता था और कुमाऊं भी एक राज्य हुआ करता था। तो आप को हम गढ़वाल राज्य के राजाओं और इतिहास के बारे में रोचक जानकारी देंगे।







अब हम आपको गढ़वाल के राजाओं, उनकी वीरता, शौर्य और उन के पराक्रम के बारे में जानकारी देंगे।


कत्यूरी राजवंश के पतन के बाद उत्तराखंड छोटे-छोटे हिस्सों में बंट गया। ये हिस्से ठाकुराइयां कहलाते थे। आगे चलकर ये गढ़वाल, कुमाऊं व सिरमौर राज्यों के रूप में विकसित हुए। रामपुर, सहारनपुर, अल्मोड़ा, बिजनौर के सीमांत क्षेत्र गढ देश के अंतर्गत थे।


गढ़ देश के पूर्व में नंदा देवी व चांदपुर का पठार थे। पश्चिम में यमुना व उस की सहायक नदियां थी। उत्तर की और तिब्बत देश था। दक्षिण की ओर जंगल थे।








अंग्रेजों व उनके चमचों ने इतिहास में लिखा कि सप्तसिंधु प्रदेश 7 नदियों का प्रदेश था. बाद में 2 नदियां लुप्त हो गई और वह प्रदेश पांच नदियों का बन गया. आज वह प्रदेश पश्चिम - उत्तर भारत का क्षेत्र है. परंतु मेरा विचार है कि सप्त सिंधु प्रदेश पूरे भारत देश को ही कहते थे. क्योंकि


गंगा च यमुना, गोदावरी, सरस्वती.
नर्मदा, सिंधु, कावेरी जल संनिधिं कुरु.

के अनुसार असली सप्तसिंधु पश्चिम - उत्तर भारत नहीं बल्कि पूरा भारत वर्ष ही था. क्योंकि इस श्लोक में उत्तर व दक्षिण पूरे भारत की मुख्य सात नदियों का जिक्र है.


अतः आर्य बाहर से सप्तसिंधु में बसें और यहां से पूरे भारत में बसे. यह थ्योरी बहुत अंशों में गलत हो गई. क्योंकि असली सप्तसिंधु तो पूरा भारत ही है.


यह तथ्य साबित करता है कि आर्य भारत के मूलनिवासी ही थे.









दोस्तों, प्रिय पाठको आपने अक्सर हरद्वार या हरिद्वार का नाम सुना होगा. तो आपके दिमाग में यह बात आती होगी कि इस शहर का असली नाम क्या है?


तो प्रिय मित्रों असल में इसका नाम हरद्वार भी है और हरिद्वार भी है. असल में बाहर के यात्री और भक्त गण इस शहर से होकर ही शिव और विष्णु के मंदिरों तक जाते हैं. उत्तराखंड में स्थित शिव और विष्णु के ये मुख्य मंदिर केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं.


शिव को हर और विष्णु को हरि भी कहा जाता है. क्योंकि इन दोनों के मंदिरों का मुख्य रास्ता हरिद्वार से होकर गुजरता है. इसलिए शिव के नाम पर इसे हरद्वार और विष्णु के नाम पर से हरिद्वार कहा जाता है.


हरद्वार का मतलब हुआ हर का द्वार अर्थात हर के मंदिर का द्वार अर्थात शिव के मंदिर का द्वार अर्थात केदारनाथ का द्वार


जबकि हरिद्वार का मतलब हुआ हरि का द्वार अर्थात हरि के मंदिर का द्वार अर्थात विष्णु के मंदिर का द्वार अर्थात बद्रीनाथ के मंदिर का द्वार.


इस प्रकार इस शहर का नाम हरद्वार भी है और हरिद्वार भी है प्रिय पाठकों आपकी क्या राय है? कृपया कमेंट करके या इनबॉक्स में कमेंट करके अपनी राय और अपनी जानकारी मुझसे साझा करें. जय केदारनाथ भगवान जय बद्रीनाथ भगवान जय हर जय हरि.