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हिंदी सतसई परंपरा By शैलेंद्र् बुधौलिया

रबंध और मुक्तक का स्वरूप

और विशेषताएं

काव्य में एक विशेष बन्ध- एक विशिष्ट पूर्वाक्रम - की दृष्टि से उसके दो भेद स्वीकार किए गए हैं -प्रबंध और मुक्तक!

प्रबंध काव्य की रचन...

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उत्‍सुक काव्‍य कुन्‍ज By Ramgopal Bhavuk Gwaaliyar

नरेन्‍द्र उत्‍सुक एक ऐसे व्‍यक्तित्‍व का नाम है जिसे जीवन भर अदृश्‍य सत्‍ता से साक्षात्‍कार होता रहा। परमहंस सन्‍तों की जिन पर अपार कृपा रही।

सोमवती 7 सितम्‍बर 1994 को मैं...

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धर्म से अंजान प्यार By shama parveen

प्यार एक भावना है एक एहसास है। जो कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को जोड़े रखती है प्यार से ही दुनिया कायम है। प्यार किसी को भी किसी से भी कभी भी हो सकता है। जैसे एक मां को अपने बच्...

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From Bottom Of Heart By Jiya Vora

1. A Dream To Achieve Till Yesterday, She was disgraced while passing from that narrow street. Her million dreams were destroyed on that night. Her eyes are full of tears when she...

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जादुई तोहफ़ा By जॉन हेम्ब्रम

गांव के बिलकुल बीचों बीच प्रतीक का घर था। जब भी कोई दूर के रिश्तेदार आते "कितना बड़ा हो गया है" कहते। ये उनके सबसे पसंदीदा वाक्यों में से एक था, पर प्रदीप को इन सब से चिढ़...

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण By Manoj kumar shukla

हमने अपने जीवन काल में भारत के अनेक शहरों एवं पर्यटन स्थलों का भ्रमण ट्रेन व बस माध्यम से किया। पर विदेश यात्रा जाने का यह पहला अवसर था वह भी हवाई जहाज से। हमारी यह उड़ान हवाई जहाज...

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सरहद By Kusum Bhatt

चीड़ के पेड़ों की टहनियां तेज हवा के दबाव से जोरां से हिलती हैं सायं-सायं के कनफोडू षोर से काँंप उठती हूँ। इन चीड़ों से ढेर सूखी पिरूल भी लगातार झर रही है। ऊपर चढ़ने की कोशिश करते पाँव...

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क्या यही प्यार है By Deepak Bundela AryMoulik

क्या यही प्यार है.....? क्लास नॉर्सरी से आठवीं तक की पढ़ाई में काफ़ी नियम और क़ानून थे, वजह ये थी कि स्कूल स्वामी दीपनंद जी का था जिन्होंने समाज में अपनी छवि महान साध्विक जीवन जी कर ब...

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बागी आत्मा By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

बागी आत्मा 1 रचना काल-1970-71 उपन्यास रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलो...

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हमनशीं । By Shwet Kumar Sinha

"इतनी जरूरी मीटिंग और ऊपर से लेट हो गया। आज तो मेरी खैर नहीं। पक्का आज तो मुझपर शामत आने वाली है और बॉस से गालियां खाने को मिलेंगी।" – अपनी अम्मी को बोलता हुआ रफ़ीक़ घर से बा...

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रुड डॉक्टर की स्वीट वाइफ By DEEPAK KUMAR

बहुत बड़ी बिल्डिंग जिसके बाहर बहुत बड़ा बड़ा खुराना हॉस्पिटल लिखा हुआ था। हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर के बाहर कुछ आदमी आपस में बात कर रहे थे ,"तुम टेंशन मत लो जे डॉक्टर इंडिया के...

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स्याह उजाले के धवल प्रेत By Pradeep Shrivastava

वह उस बार में रोज़ ही देर शाम को बैठ कर घंटे भर तक व्हिस्की पीती है, जो शहर का एक ठीक-ठाक बार कहा जाता है। जगह ज़्यादा बड़ी होने के कारण शान्ति से देर तक बैठ कर पीने वालों का वह पसंद...

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हमराज By Gajendra Kudmate

खिड़की खुली जरा, जरा परदा सरक गया बहोत ही खबसूरत सा गाना सोनू नीगम का गाया हुआ रेडिओ पर बज रहा था और तभी रोडपर हंगामा हो गया. कोई राह चलता हुआ युवक एक महिला से टकरा गया जो सब्जीमंड...

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भीड़ में By Roop Singh Chandel

भीड़ में (1) सुनकर चेहरा खिल उठा था उनका. उम्र से संघर्ष करती झुर्रियों की लकीरें भाग्य रेखाओं की भांति उभर आई थीं. आंखें प्रह्लाद पर टिकाकर पूछा, “कहां तय की लल्लू ने शादी?” “आपको...

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अधूरे संवाद ( अतुकांत ) By Alok Mishra

कुछ रचनाऐं भाव के प्रवाह मेंं .... सोचने को क्षजबूर करेंगी । संवाद तब पूर्ण होगा जब पाठक पढ़ेगा और चिंतन करेगा।

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इंडियन By Dikshadixit

आज मैं एक ऐसी कहानी लिख रही हूं, जो एक अनाथ छोटी बच्ची के जीवन से जुड़ी है, जो रहती तो एक बड़े ही अमीर पढ़े लिखे परिवार में है। पर सबके होते हुए भी उसका कोई नही होता। उस कहानी के क...

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प्रायश्चित. By Devika Singh

यह कहानी चोर की है जिसका नाम राज है।

अपने दोस्त के साथ रह रहा है उसके दोस्त का नाम अंकित है। जिंदगी से उसे खास उम्मीद तो नही है। उसे पता है। जिंदगी से क्या मिलने वाला है। और जिं...

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जिंदगी के पन्ने By R B Chavda

रागिनी का जन्म एक ऐसी रात को हुआ, जो माँ दुर्गा के पूजन के दिनों में ख़ास मानी जाती है—नवरात्रि का चौथा दिन। रात के ठीक तीन बजे, जब चारों ओर सन्नाटा था और रात अपने पूरे अंधकार में...

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कहानियों का रचना संसार By Dr Yogendra Kumar Pandey

रवि एक रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स में सिक्योरिटी गार्ड की ड्यूटी करता है। यह एक बड़ी रहवासी सोसायटी है जो शहर के बाहरी हिस्से में है ।रवि तथा उसके दो अन्य साथी 24 घंटे शिफ्टवाईज ड्यूटी...

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क्या कहूं... By Sonal Singh Suryavanshi

पतझड़ का महीना था। कभी कभी हवाएं बहती तो ठंड से तन सिहर उठता। रोज की तरह विवान अपने छत पर सूर्योदय देखने के लिए आया था। आज सूर्योदय तो हो चुका था पर उसकी आंखें नीम के पेड़ पर जा ठह...

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वेलेंटाइंस डे By Vaidehi Vaishnav

साँझ ढलने को थीं। जाड़ो में दिन छोटे औऱ रात लंबी हो जाती हैं , उतनी ही लंबी जितनी ऑफिस से घर को जाती सड़क। दूधिया स्ट्रीट लाइट से रोशन होता शहर बेहद खूबसूरत लगता हैं। सत्रह किलोमीटर...

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सावन का फोड़ By नंदलाल मणि त्रिपाठी

तपती गर्मी लोग परेशान चारो तरफ हाहाकार जेठ कि भयंकर गर्मी भुवन भास्कर का कहर जैसे आग उगल रहे हो पृथ्वी के जल स्रोत सूखते जा रहे थे नगरों एव गांवों की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था चरमरा...

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बस अब और नहीं! By Saroj Prajapati

भाग- 1 विद्या सदन आज फूलों व सजा था और रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था।। द्वार पर सजा वंदनवार व घर के अंदर बाहर लगा सुंदर सा शामियाना विद्या सदन में हर आने वाले मेहमान का स्वागत क...

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डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ By Dr. Pradeep Kumar Sharma

(1) लाइक एंड कॉमेंट्स

रात के लगभग साढ़े ग्यारह बजे रामलाल जी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। उनका बड़ा बेटा शंकरलाल गाँव से सैकड़ों मील दूर एक शहर में अफसर था। छोटे बेटे भोल...

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मेरा स्वर्णिम बंगाल By Mallika Mukherjee

देश विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी त्रासदी है, जिसकी पीड़ा पीढ़ियों तक महसूस की जायेगी। इस विभाजन ने सिर्फ सरहदें ही नहीं खींचीं, बल्कि सामाजिक समरसता और साझा संस्कृति की विरासत...

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बारिश, चाय और तुम By सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव

"अरे यार अब ये चीनी का डिब्बा कहाँ रखा है? नीलू ने जाने कहाँ रखा है? फ़ोन मिला कर फिर से पूछना पड़ेगा।" आकर्ष किचन में डब्बो से उलझता हुआ बड़बड़ा रहा था।

अभी आकर्ष जेब में स...

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लौट आओ अमारा By शिखा श्रीवास्तव

यूँ तो अभी कृष्ण-पक्ष की समाप्ति में दो दिन बचे हुए थे और चंद्रमा अपनी बहुत ही हल्की छाया में तारों के साथ धीमी-धीमी रोशनी फैलाते हुए आसमान में चहलकदमी कर रहा था लेकिन फिर भी अपने...

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रेत होते रिश्ते By Prabodh Kumar Govil

एकरात के दो बजे थे, लेकिन कमरे की बत्ती जली हुई थी। मँुह से चादर हटाकर मैंने देखा तो अवाक् रह गया। शाबान रो रहा था। मैंने उठकर घड़ी एक बार फिर देखी और उसके नजदीक पहुँच गया। वह मेरी...

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सुरतिया By vandana A dubey

’नमस्ते बाउजी. कैसे हैं?’बाहर बरामदे में बैठे बाउजी यानी रामस्वरूप शर्मा जी, सुधीर के दोस्त आलोक के इस सम्बोधन और उसके पैर छूने के उपक्रम से गदगद हो गये. ’ठीक ही हूं बेटा. अब बुढ़ाप...

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रब की लिखी जोगी By Damini

यह कहानी है खुद को रब दी बेटी मानने वाली समरीत की जो दिखने में कुवारी सलोनी और दिल से दरियादिल है। प्यार से भरी समरीत खुद अपने असली प्यार से दूर है?? कौन है उसका असली प्यार?? कोई...

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धवल चाँदनी सी वे By Neelam Kulshreshtha

गुजरात की प्रथम हिन्दी कवयित्री कुमारी मधुमालती चौकसी के संघर्षशील रोगी जीवन का जीवंत दस्तावेज

[ 'धर्मयुग' से अपना लेखन आरम्भ करने वाली मधु जी के लिए 'धर्मयुग 'क...

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शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ By शैलेंद्र् बुधौलिया

।।। एकांत ।।।

................


सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन ।

कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।।



जिन लवों की बात सुन सब खिलखिलाते मस्त हो।...

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पागल-ए-इश्क़ By Deepak Bundela AryMoulik

दोस्तों.. नमस्कार.. ?आपके सामने एक फिर प्यार की कहानी के साथ मौजूद हूं... मेरा हमेशा से मकसद यहीं रहा हैं कि प्यार को समझें एक दूसरे की भावनाओं को समझें आप कितने खुश नसीब हैं कि आप...

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सलाखों से झाँकते चेहरे By Pranava Bharti

जैसे ही इशिता ने उस कमरे में प्रवेश किया उसकी साँसें ऊपर की ऊपर ही रह गईं | एक अजीब सी मनोदशा में वह जैसे साँस लेना भूल गई, लड़खड़ा गई जैसे चक्कर से आने लगे |

"व्हाट हैपेंड म...

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जंग-ए-जिंदगी By radha

जंग-ए-जीवन भाग-1पैरो में काले रंग के मजबूत जूते पहने हुए, काला रंग का कुर्ता और पायजामा भी काला।सिर पर पगड़ी भी काले रंग की पहनी हुई एक डाकूरानी अपने कक्ष से बाहर आई।अपने दोनों हाथ...

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मैं वही हूँ! By Jaishree Roy

मैं वही हूँ! (1) मैं नया था यहाँ। नई-नई नौकरी ले कर आया था। इलाके की सभी पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों की देख-रेख और मरम्मत की ज़िम्मेदारी थी मुझ पर। काम आसान तो नहीं था मगर मुझे पसंद...

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गृहस्थ संन्यासी By PARIKH MAULIK

एक बुक है जिसका में जिक्र कर रहा हूं। गृहस्थ संन्यासी जो बहुत पोपुलर है, जिसका आज सेमिनार आयोजित किया गया है और उसमें उसके लेखक खुद प्रस्तुत होने वाले हैं, जो स्टेज पर जा कर बुक के...

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त्रीलोक - एक अद्भुत कहानी By Sanaya

( उपन्यास )1. एक बहुत बढ़ा बंगला था बिलकुल एक आलीशान हवेली की तरह। उस बंगलाके आगे बड़े बड़े पोस्टर लगेहुवे थे। वो पोस्टर लड़कीकी थी जो की एक हीरोइन की है। उस पोस्टरके ठीक नीचेकी तरफ...

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तीसरी रात By mahesh sharma

वह आवाज़ ठीक वैसी थी मानो किसी चाकू या तलवार को, धारदार बनाने के लिए, किसी पत्थर पर घिसा जा रहा हो। हालाँकि यह आवाज़ बहुत ही धीमे से उभरी थी लेकिन इस सन्नाटे में साफ-साफ सुनी जा सकती...

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इश्क तो होना ही था By Manshi K

डिस्क्लेमर : यह मेरी रचना पूर्ण रूप से काल्पनिक है । इसमें सभी किरदार भी काल्पनिक है । इसका सम्बन्ध किसी व्यक्ति , स्थान , जाती , धर्म से संबंधित नहीं है
अगर आपको लगता है की संबंध...

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साजिश By padma sharma

साजिश 1 नितिन पसीना पसीना होते हुए नींद से जाग गया। बहुत डरावना सपना था, लग रहा था कि कोई उसका गला पकड़ना चाहता था। सर्दियों का मौसम था। रात्रि का सन्...

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रश्मी और मेहुल का याराना By Mehul Pasaya

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ नमशकार दोस्तो हमे उमीद है की आप सब ठीक ही होंगे और सब सुरक्षित होंगे... {रश्मी सदमवार ♡दोस्ती♡...

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हडसन तट का ऐरा गैरा By Prabodh Kumar Govil

हडसन नदी की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि यह अत्यंत तेज़ वेग से बहती थी। और तो और, इसे मौसम के साथ बदलना भी खूब आता था। जाड़ों के मौसम में जब तेज़ हिमपात होता तो यहां ठंडे पानी में बर्फ़...

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बेटी By Anil Sainger

मेरी शादी हुए पाँच साल हो गए हैं लेकिन मैं आजतक न तो अपने पति को और न ससुराल वालों को समझ पाई हूँ | सब कहते हैं कि दुनिया बदल रही है साथ ही हमारे देश की सोच भी बदल रही है | मगर मुझ...

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भारत By नन्दलाल सुथार राही

भारत की विविधताओं एवं यहाँ की संस्कृति पर एक काव्य ग्रंथ जिसमें अलग-अलग कविताओं का संग्रह है। जिसकी शुरुआत "भारत" कविता से कर रहा हूँ । आशा है आप इस रचना को उचित प्रोत्साहन...

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मेरी नजर से देखो By Rajat Singhal

मै एक नवीन लेखक अपनी इन लघु कहानियों से एक समाज की भिन्न - २ समस्याओ से ग्रस्त छवि को दिखाने का प्रयत्न करूँगा। मै हर समस्या के मध्य रह व मुझसे जूडे अनुभवो की भ्रांतियो को अपने लेख...

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा By Jitendra Shivhare

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (1) धरम की गिनती असामाजिक तत्वों में होने लगी थी। परिवार वाले उसकी मारपीट और गुंडागर्दी से तंग आ आ गये। पुरे मोहल्ले में बेड ब्वॉय क...

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हंसता क्यों है पागल By Prabodh Kumar Govil

कुछ दिन पहले शाम को पार्क में अपने साथी सीनियर सिटीजंस के साथ टहल कर गप्पें लड़ाते समय पड़ौस में रहने वाले एक साथी ने बताया कि आज तो उनका सारा दिन बहुत आराम से बीत गया। उनका गीज़र...

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रात के ग्यारह बजे के बाद By Rajesh Maheshwari

राकेश और गौरव गहन सदमे की स्थिति में थे उन्हें विश्वास नही हो रहा था कि उनका मित्र आनंद अब इस दुनिया में नही हैं। राकेश ने गौरव से कहा कि मानव जीवन बहुमूल्य होता है क्योंकि यही हमा...

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वर्जित व्योम में उड़ती स्त्री By Ranjana Jaiswal

यह उपन्यास डायरी विधा में लिखित एक स्त्री की दास्तान है। समाज ने स्त्रियों के लिए कुछ साँचे बना रखे हैं जैसे अच्छी माँ ....सुगढ़ गृहणी और फरमावदार बीबी, जो इन साँचों में फिट हो जाती...

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हिंदी सतसई परंपरा By शैलेंद्र् बुधौलिया

रबंध और मुक्तक का स्वरूप

और विशेषताएं

काव्य में एक विशेष बन्ध- एक विशिष्ट पूर्वाक्रम - की दृष्टि से उसके दो भेद स्वीकार किए गए हैं -प्रबंध और मुक्तक!

प्रबंध काव्य की रचन...

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उत्‍सुक काव्‍य कुन्‍ज By Ramgopal Bhavuk Gwaaliyar

नरेन्‍द्र उत्‍सुक एक ऐसे व्‍यक्तित्‍व का नाम है जिसे जीवन भर अदृश्‍य सत्‍ता से साक्षात्‍कार होता रहा। परमहंस सन्‍तों की जिन पर अपार कृपा रही।

सोमवती 7 सितम्‍बर 1994 को मैं...

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धर्म से अंजान प्यार By shama parveen

प्यार एक भावना है एक एहसास है। जो कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को जोड़े रखती है प्यार से ही दुनिया कायम है। प्यार किसी को भी किसी से भी कभी भी हो सकता है। जैसे एक मां को अपने बच्...

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From Bottom Of Heart By Jiya Vora

1. A Dream To Achieve Till Yesterday, She was disgraced while passing from that narrow street. Her million dreams were destroyed on that night. Her eyes are full of tears when she...

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जादुई तोहफ़ा By जॉन हेम्ब्रम

गांव के बिलकुल बीचों बीच प्रतीक का घर था। जब भी कोई दूर के रिश्तेदार आते "कितना बड़ा हो गया है" कहते। ये उनके सबसे पसंदीदा वाक्यों में से एक था, पर प्रदीप को इन सब से चिढ़...

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टोरंटो (कनाडा) यात्रा संस्मरण By Manoj kumar shukla

हमने अपने जीवन काल में भारत के अनेक शहरों एवं पर्यटन स्थलों का भ्रमण ट्रेन व बस माध्यम से किया। पर विदेश यात्रा जाने का यह पहला अवसर था वह भी हवाई जहाज से। हमारी यह उड़ान हवाई जहाज...

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सरहद By Kusum Bhatt

चीड़ के पेड़ों की टहनियां तेज हवा के दबाव से जोरां से हिलती हैं सायं-सायं के कनफोडू षोर से काँंप उठती हूँ। इन चीड़ों से ढेर सूखी पिरूल भी लगातार झर रही है। ऊपर चढ़ने की कोशिश करते पाँव...

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क्या यही प्यार है By Deepak Bundela AryMoulik

क्या यही प्यार है.....? क्लास नॉर्सरी से आठवीं तक की पढ़ाई में काफ़ी नियम और क़ानून थे, वजह ये थी कि स्कूल स्वामी दीपनंद जी का था जिन्होंने समाज में अपनी छवि महान साध्विक जीवन जी कर ब...

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बागी आत्मा By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

बागी आत्मा 1 रचना काल-1970-71 उपन्यास रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलो...

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हमनशीं । By Shwet Kumar Sinha

"इतनी जरूरी मीटिंग और ऊपर से लेट हो गया। आज तो मेरी खैर नहीं। पक्का आज तो मुझपर शामत आने वाली है और बॉस से गालियां खाने को मिलेंगी।" – अपनी अम्मी को बोलता हुआ रफ़ीक़ घर से बा...

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रुड डॉक्टर की स्वीट वाइफ By DEEPAK KUMAR

बहुत बड़ी बिल्डिंग जिसके बाहर बहुत बड़ा बड़ा खुराना हॉस्पिटल लिखा हुआ था। हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर के बाहर कुछ आदमी आपस में बात कर रहे थे ,"तुम टेंशन मत लो जे डॉक्टर इंडिया के...

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स्याह उजाले के धवल प्रेत By Pradeep Shrivastava

वह उस बार में रोज़ ही देर शाम को बैठ कर घंटे भर तक व्हिस्की पीती है, जो शहर का एक ठीक-ठाक बार कहा जाता है। जगह ज़्यादा बड़ी होने के कारण शान्ति से देर तक बैठ कर पीने वालों का वह पसंद...

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हमराज By Gajendra Kudmate

खिड़की खुली जरा, जरा परदा सरक गया बहोत ही खबसूरत सा गाना सोनू नीगम का गाया हुआ रेडिओ पर बज रहा था और तभी रोडपर हंगामा हो गया. कोई राह चलता हुआ युवक एक महिला से टकरा गया जो सब्जीमंड...

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भीड़ में By Roop Singh Chandel

भीड़ में (1) सुनकर चेहरा खिल उठा था उनका. उम्र से संघर्ष करती झुर्रियों की लकीरें भाग्य रेखाओं की भांति उभर आई थीं. आंखें प्रह्लाद पर टिकाकर पूछा, “कहां तय की लल्लू ने शादी?” “आपको...

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अधूरे संवाद ( अतुकांत ) By Alok Mishra

कुछ रचनाऐं भाव के प्रवाह मेंं .... सोचने को क्षजबूर करेंगी । संवाद तब पूर्ण होगा जब पाठक पढ़ेगा और चिंतन करेगा।

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इंडियन By Dikshadixit

आज मैं एक ऐसी कहानी लिख रही हूं, जो एक अनाथ छोटी बच्ची के जीवन से जुड़ी है, जो रहती तो एक बड़े ही अमीर पढ़े लिखे परिवार में है। पर सबके होते हुए भी उसका कोई नही होता। उस कहानी के क...

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प्रायश्चित. By Devika Singh

यह कहानी चोर की है जिसका नाम राज है।

अपने दोस्त के साथ रह रहा है उसके दोस्त का नाम अंकित है। जिंदगी से उसे खास उम्मीद तो नही है। उसे पता है। जिंदगी से क्या मिलने वाला है। और जिं...

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जिंदगी के पन्ने By R B Chavda

रागिनी का जन्म एक ऐसी रात को हुआ, जो माँ दुर्गा के पूजन के दिनों में ख़ास मानी जाती है—नवरात्रि का चौथा दिन। रात के ठीक तीन बजे, जब चारों ओर सन्नाटा था और रात अपने पूरे अंधकार में...

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कहानियों का रचना संसार By Dr Yogendra Kumar Pandey

रवि एक रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स में सिक्योरिटी गार्ड की ड्यूटी करता है। यह एक बड़ी रहवासी सोसायटी है जो शहर के बाहरी हिस्से में है ।रवि तथा उसके दो अन्य साथी 24 घंटे शिफ्टवाईज ड्यूटी...

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क्या कहूं... By Sonal Singh Suryavanshi

पतझड़ का महीना था। कभी कभी हवाएं बहती तो ठंड से तन सिहर उठता। रोज की तरह विवान अपने छत पर सूर्योदय देखने के लिए आया था। आज सूर्योदय तो हो चुका था पर उसकी आंखें नीम के पेड़ पर जा ठह...

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वेलेंटाइंस डे By Vaidehi Vaishnav

साँझ ढलने को थीं। जाड़ो में दिन छोटे औऱ रात लंबी हो जाती हैं , उतनी ही लंबी जितनी ऑफिस से घर को जाती सड़क। दूधिया स्ट्रीट लाइट से रोशन होता शहर बेहद खूबसूरत लगता हैं। सत्रह किलोमीटर...

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सावन का फोड़ By नंदलाल मणि त्रिपाठी

तपती गर्मी लोग परेशान चारो तरफ हाहाकार जेठ कि भयंकर गर्मी भुवन भास्कर का कहर जैसे आग उगल रहे हो पृथ्वी के जल स्रोत सूखते जा रहे थे नगरों एव गांवों की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था चरमरा...

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बस अब और नहीं! By Saroj Prajapati

भाग- 1 विद्या सदन आज फूलों व सजा था और रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था।। द्वार पर सजा वंदनवार व घर के अंदर बाहर लगा सुंदर सा शामियाना विद्या सदन में हर आने वाले मेहमान का स्वागत क...

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डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ By Dr. Pradeep Kumar Sharma

(1) लाइक एंड कॉमेंट्स

रात के लगभग साढ़े ग्यारह बजे रामलाल जी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। उनका बड़ा बेटा शंकरलाल गाँव से सैकड़ों मील दूर एक शहर में अफसर था। छोटे बेटे भोल...

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मेरा स्वर्णिम बंगाल By Mallika Mukherjee

देश विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी त्रासदी है, जिसकी पीड़ा पीढ़ियों तक महसूस की जायेगी। इस विभाजन ने सिर्फ सरहदें ही नहीं खींचीं, बल्कि सामाजिक समरसता और साझा संस्कृति की विरासत...

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बारिश, चाय और तुम By सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव

"अरे यार अब ये चीनी का डिब्बा कहाँ रखा है? नीलू ने जाने कहाँ रखा है? फ़ोन मिला कर फिर से पूछना पड़ेगा।" आकर्ष किचन में डब्बो से उलझता हुआ बड़बड़ा रहा था।

अभी आकर्ष जेब में स...

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लौट आओ अमारा By शिखा श्रीवास्तव

यूँ तो अभी कृष्ण-पक्ष की समाप्ति में दो दिन बचे हुए थे और चंद्रमा अपनी बहुत ही हल्की छाया में तारों के साथ धीमी-धीमी रोशनी फैलाते हुए आसमान में चहलकदमी कर रहा था लेकिन फिर भी अपने...

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रेत होते रिश्ते By Prabodh Kumar Govil

एकरात के दो बजे थे, लेकिन कमरे की बत्ती जली हुई थी। मँुह से चादर हटाकर मैंने देखा तो अवाक् रह गया। शाबान रो रहा था। मैंने उठकर घड़ी एक बार फिर देखी और उसके नजदीक पहुँच गया। वह मेरी...

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सुरतिया By vandana A dubey

’नमस्ते बाउजी. कैसे हैं?’बाहर बरामदे में बैठे बाउजी यानी रामस्वरूप शर्मा जी, सुधीर के दोस्त आलोक के इस सम्बोधन और उसके पैर छूने के उपक्रम से गदगद हो गये. ’ठीक ही हूं बेटा. अब बुढ़ाप...

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रब की लिखी जोगी By Damini

यह कहानी है खुद को रब दी बेटी मानने वाली समरीत की जो दिखने में कुवारी सलोनी और दिल से दरियादिल है। प्यार से भरी समरीत खुद अपने असली प्यार से दूर है?? कौन है उसका असली प्यार?? कोई...

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धवल चाँदनी सी वे By Neelam Kulshreshtha

गुजरात की प्रथम हिन्दी कवयित्री कुमारी मधुमालती चौकसी के संघर्षशील रोगी जीवन का जीवंत दस्तावेज

[ 'धर्मयुग' से अपना लेखन आरम्भ करने वाली मधु जी के लिए 'धर्मयुग 'क...

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शैलेन्द्र बुधौलिया की कवितायेँ By शैलेंद्र् बुधौलिया

।।। एकांत ।।।

................


सब ने देखा फूल सा खिलता सदा जिसका बदन ।

कोई क्या जाने कि वह कैसे जिया एकांत में ।।



जिन लवों की बात सुन सब खिलखिलाते मस्त हो।...

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पागल-ए-इश्क़ By Deepak Bundela AryMoulik

दोस्तों.. नमस्कार.. ?आपके सामने एक फिर प्यार की कहानी के साथ मौजूद हूं... मेरा हमेशा से मकसद यहीं रहा हैं कि प्यार को समझें एक दूसरे की भावनाओं को समझें आप कितने खुश नसीब हैं कि आप...

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सलाखों से झाँकते चेहरे By Pranava Bharti

जैसे ही इशिता ने उस कमरे में प्रवेश किया उसकी साँसें ऊपर की ऊपर ही रह गईं | एक अजीब सी मनोदशा में वह जैसे साँस लेना भूल गई, लड़खड़ा गई जैसे चक्कर से आने लगे |

"व्हाट हैपेंड म...

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जंग-ए-जिंदगी By radha

जंग-ए-जीवन भाग-1पैरो में काले रंग के मजबूत जूते पहने हुए, काला रंग का कुर्ता और पायजामा भी काला।सिर पर पगड़ी भी काले रंग की पहनी हुई एक डाकूरानी अपने कक्ष से बाहर आई।अपने दोनों हाथ...

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मैं वही हूँ! By Jaishree Roy

मैं वही हूँ! (1) मैं नया था यहाँ। नई-नई नौकरी ले कर आया था। इलाके की सभी पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों की देख-रेख और मरम्मत की ज़िम्मेदारी थी मुझ पर। काम आसान तो नहीं था मगर मुझे पसंद...

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गृहस्थ संन्यासी By PARIKH MAULIK

एक बुक है जिसका में जिक्र कर रहा हूं। गृहस्थ संन्यासी जो बहुत पोपुलर है, जिसका आज सेमिनार आयोजित किया गया है और उसमें उसके लेखक खुद प्रस्तुत होने वाले हैं, जो स्टेज पर जा कर बुक के...

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त्रीलोक - एक अद्भुत कहानी By Sanaya

( उपन्यास )1. एक बहुत बढ़ा बंगला था बिलकुल एक आलीशान हवेली की तरह। उस बंगलाके आगे बड़े बड़े पोस्टर लगेहुवे थे। वो पोस्टर लड़कीकी थी जो की एक हीरोइन की है। उस पोस्टरके ठीक नीचेकी तरफ...

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तीसरी रात By mahesh sharma

वह आवाज़ ठीक वैसी थी मानो किसी चाकू या तलवार को, धारदार बनाने के लिए, किसी पत्थर पर घिसा जा रहा हो। हालाँकि यह आवाज़ बहुत ही धीमे से उभरी थी लेकिन इस सन्नाटे में साफ-साफ सुनी जा सकती...

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इश्क तो होना ही था By Manshi K

डिस्क्लेमर : यह मेरी रचना पूर्ण रूप से काल्पनिक है । इसमें सभी किरदार भी काल्पनिक है । इसका सम्बन्ध किसी व्यक्ति , स्थान , जाती , धर्म से संबंधित नहीं है
अगर आपको लगता है की संबंध...

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साजिश By padma sharma

साजिश 1 नितिन पसीना पसीना होते हुए नींद से जाग गया। बहुत डरावना सपना था, लग रहा था कि कोई उसका गला पकड़ना चाहता था। सर्दियों का मौसम था। रात्रि का सन्...

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रश्मी और मेहुल का याराना By Mehul Pasaya

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ नमशकार दोस्तो हमे उमीद है की आप सब ठीक ही होंगे और सब सुरक्षित होंगे... {रश्मी सदमवार ♡दोस्ती♡...

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हडसन तट का ऐरा गैरा By Prabodh Kumar Govil

हडसन नदी की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि यह अत्यंत तेज़ वेग से बहती थी। और तो और, इसे मौसम के साथ बदलना भी खूब आता था। जाड़ों के मौसम में जब तेज़ हिमपात होता तो यहां ठंडे पानी में बर्फ़...

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बेटी By Anil Sainger

मेरी शादी हुए पाँच साल हो गए हैं लेकिन मैं आजतक न तो अपने पति को और न ससुराल वालों को समझ पाई हूँ | सब कहते हैं कि दुनिया बदल रही है साथ ही हमारे देश की सोच भी बदल रही है | मगर मुझ...

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भारत By नन्दलाल सुथार राही

भारत की विविधताओं एवं यहाँ की संस्कृति पर एक काव्य ग्रंथ जिसमें अलग-अलग कविताओं का संग्रह है। जिसकी शुरुआत "भारत" कविता से कर रहा हूँ । आशा है आप इस रचना को उचित प्रोत्साहन...

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मेरी नजर से देखो By Rajat Singhal

मै एक नवीन लेखक अपनी इन लघु कहानियों से एक समाज की भिन्न - २ समस्याओ से ग्रस्त छवि को दिखाने का प्रयत्न करूँगा। मै हर समस्या के मध्य रह व मुझसे जूडे अनुभवो की भ्रांतियो को अपने लेख...

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा By Jitendra Shivhare

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा जितेन्द्र शिवहरे (1) धरम की गिनती असामाजिक तत्वों में होने लगी थी। परिवार वाले उसकी मारपीट और गुंडागर्दी से तंग आ आ गये। पुरे मोहल्ले में बेड ब्वॉय क...

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हंसता क्यों है पागल By Prabodh Kumar Govil

कुछ दिन पहले शाम को पार्क में अपने साथी सीनियर सिटीजंस के साथ टहल कर गप्पें लड़ाते समय पड़ौस में रहने वाले एक साथी ने बताया कि आज तो उनका सारा दिन बहुत आराम से बीत गया। उनका गीज़र...

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रात के ग्यारह बजे के बाद By Rajesh Maheshwari

राकेश और गौरव गहन सदमे की स्थिति में थे उन्हें विश्वास नही हो रहा था कि उनका मित्र आनंद अब इस दुनिया में नही हैं। राकेश ने गौरव से कहा कि मानव जीवन बहुमूल्य होता है क्योंकि यही हमा...

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वर्जित व्योम में उड़ती स्त्री By Ranjana Jaiswal

यह उपन्यास डायरी विधा में लिखित एक स्त्री की दास्तान है। समाज ने स्त्रियों के लिए कुछ साँचे बना रखे हैं जैसे अच्छी माँ ....सुगढ़ गृहणी और फरमावदार बीबी, जो इन साँचों में फिट हो जाती...

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