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वो अधूरा इश्क़ - Novels
by Singh Srishti
in
Hindi Fiction Stories
फ़ुरसत का दिन था दोपहर भर के बाद करीब शाम के तीन सवा तीन का वक्त होगा मैं दोस्तों के साथ गपशप करके घर लौट ही रहा था कि अचानक से मेरी बाइक से आगे एक तेज़ से चली आ रही नब्बे की स्पीड में स्कूटी से मेरी बाईक टकरा गई। मुझे होश ही नहीं रहा कि मेरे साथ ये सब क्या हो रहा है। हम दोनों अपनी-अपनी गाड़ियों से गिर गए अचानक से तेज " धड़ाम "की आवाज से पूरा चौराहा गूंज गया और लोग इकट्ठा होने लगे ।"क्या हो क्या?अरे देखो देखो बहुत तेज आवाज़ अाई है।अरे एक्सिडेंट
फ़ुरसत का दिन था दोपहर भर के बाद करीब शाम के तीन सवा तीन का वक्त होगा मैं दोस्तों के साथ गपशप करके घर लौट ही रहा था कि अचानक से मेरी बाइक से आगे एक तेज़ से चली ...Read Moreरही 30-40 की स्पीड में स्कूटी से मेरी बाईक टकरा गई। मुझे होश ही नहीं रहा कि मेरे साथ ये सब क्या हो रहा है। हम दोनों अपनी-अपनी गाड़ियों से गिर गए अचानक से तेज " धड़ाम "की आवाज से पूरा चौराहा गूंज गया और लोग इकट्ठा होने लगे ।"क्या हो क्या?अरे देखो देखो बहुत तेज आवाज़ अाई है।अरे एक्सिडेंट
जैसे की अपने पहले ही जान लिया कि एक लड़के और लड़की की एक हसीन तो नहीं कह सकते पर एक अनोखी मुलाक़ात ज़रूर हुई। इसे सिर्फ़ एक मुलाक़ात ही कहे ये सही होगा या गलत ये आप पर ...Read Moreछोड़ता हूं। ख़ैर आज जो हुआ उसे कौन भूलने वाला था। हाथ पैर की चोट तो हर किसी को नज़र आ रही थी लेकिन असली चोट तो दिल पर लगी थी। वो भी मेरे दिल पर । जिसके बाद मुझे ये शरीर के कोई जख्म कोई तकलीफ़ नज़र ही नहीं आ रही थी। थी तो बस इन आंखों में उस