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वो नेपाली लड़की

वो नेपाली लड़की

“सुधीर, आज तो तुम्हें बताना ही पड़ेगा कि क्या किस्सा है उस नेपाली लड़की का, जिसे याद करके ही तुम इतने आधीर हो जाते हो” मैंने डॉ सुधीर से पूछा तो उसकी आँखें नम हो गयी, और वह गहरी सोच में डूब गया ........

सुधीर उस दिन घर में अकेले थे और उन्होने फोन करके मुझे भी अपने घर पर बुला लिया था। सुधीर अपने दिल में एक प्रेम कहानी दबाये हुए थे जिसको आज मैं किसी भी तरह बाहर निकलवाना चाह रहा था।

मैंने गिलास में पानी भर कर सुधीर को पीने को दिया और रसोई में जाकर दो कप कॉफी बना लाया। कॉफी का सिप लेकर सुधीर बोला कॉफी तो अच्छी बनाई है तूने .........

“बात उस समय की है जब मैं चिकित्सकों की एक सभा को संबोधित करने नेपाल जा रहा था, मैंने हवाई अड्डे के लिए टैक्सी ले ली, मैं पिछली सीट पर बैठ कर एक पत्रिका पढ़ रहा था, और टैक्सी अपने गन्तव्य की ओर बढ़ रही थी। अचानक ड्राईवर ने सड़क के किनारे ले जाकर टैक्सी रोक दी, मैंने पत्रिका सीट पर रखी और बाहर देखने लगा। एक और टॅक्सी सड़क के किनारे खड़ी थी जिसका बोनट खुला था, शायद खराब हो गयी थी, उस टैक्सी के पास ही एक खूबसूरत लड़की खड़ी थी जो काफी परेशान लग रही थी। उस टैक्सी के ड्राईवर ने ही हमारी टैक्सी को रुकने का इशारा यह सोच कर किया था, शायद टैक्सी खाली होगी, लेकिन जब उसने पिछली सीट पर मुझे बैठे देखा तो वह माफी मांगने लगा और जाने के लिए अपनी टैक्सी की तरफ मुड़ गया, तभी वह लड़की हमारी टैक्सी के पास आई और बड़ी ही विनम्रता से बोली, “मुझे हवाई अड्डे जाना है, नेपाल की फ्लाइट लेनी है, मैं पहले ही काफी लेट हो चुकी हूँ अगर और लेट हो गयी तो मेरी फ्लाइट चली जाएगी, अगर आप मुझे अपनी टैक्सी में लिफ्ट दे दें तो ....... ”

मैंने हाँ में सिर हिला दिया और उस लड़की को अपने बराबर की सीट पर बैठा लिया। लड़की बहुत सुंदर और मृदु भाषी थी, न चाहकर भी मेरी आँखें बार-बार उसके सुंदर चेहरे को निहारने लगती, मैंने पूछ लिया, “क्या आप भी डॉ हैं? क्योंकि मुझे लगा कि वह भी उस चिकित्सक सभा में भाग लेने जा रही है।” “नहीं, मैं तो नेपाल अपने घर जा रही हूँ, यहाँ दिल्ली में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सी ई ओ हूँ, छुट्टी लेकर मॉम डैड से मिलने जा रही हूँ।”

हम हवाई अड्डे पहुँच गए, हमने अपना अपना सामान लिया, मैंने टैक्सी का किराया चुकाया और अपने अपने गन्तव्य की तरफ चल पड़े। उसने आधा किराया देने की पेशकश भी की थी लेकिन मैंने मना कर दिया। मुझे तो पता ही था कि हमारी फ्लाइट एक ही है लेकिन यह बात मैंने उसको नहीं बताई इसलिए मैं सुरक्षा जांच के लिए उसके बाद ही गया।

मुझे ज्ञात था कि वह लड़की मुझे फ्लाइट में ही मिलेगी लेकिन यह नहीं पता था कि उसकी सीट मेरी सीट के साथ ही होगी। हवाई जहाज के अन्दर पहुँच कर मैं अपनी सीट पर गया तो बराबर वाली सीट पर वही लड़की बैठी थी, यह एक इत्तफाक था या भगवान की रची हुई कोई लीला थी, मैं जान नहीं सका और मैंने अपनी सीट पर जाने के लिए उस लड़की से रास्ता मांगा तो उसने कहा, “अरे! आप भी इसी फ्लाइट से जा रहे हैं, आपको भी काठमांडू ही जाना है लेकिन आपने बताया नहीं।” मैंने कहा, “आपने पूछा ही कहाँ था?” वह फिर कहने लगी, “आपको बुरा न लगे तो मैं आपसे विनती करती हूँ कि आप मेरी सीट पर बैठ जाएँ मैं आपकी सीट पर बैठ जाऊँगी, मुझे विंडो के पास वाली सीट पर बैठना अच्छा लगता है।”

मैंने उसकी बात मान ली और विंडो वाली सीट पर उसको बैठने दिया, स्वयं उसकी सीट पर बैठ गया। मैं महसूस कर रहा था जैसे मैं अनायास ही उस लड़की की तरफ खिंचा जा रहा हूँ उसकी सुंदरता बरबस ही बार बार मुझे उसकी तरफ देखने को मजबूर कर रही रही थी। मैंने एक चिकित्सा पत्रिका निकाल कर उस पर अपना ध्यान लगाने की कोशिश की लेकिन फिर भी मैं पत्रिका पर कम और उस लड़की के चेहरे की तरफ ज्यादा नजर गड़ा रहा था। बीच बीच में वह भी मुझे देख रही थी और ऐसे हम दोनों की नजरें मिल भी जाती थीं लेकिन फिर हम दोनों ही शर्मा कर नजरें झुका लेते थे।

उसने पूछ ही लिया, “आप तो दिल्ली के ही लगतें हैं, काठमांडू घूमने के लिए जा रहें है क्या?” मैंने कहा, “मैं एक डॉक्टर हूँ, मेरा नाम सुधीर है, और मैं काठमांडू में एक चिकित्सकों की सभा को संबोधित करने जा रहा हूँ।” लड़की ने ‘ओह’ कहा और कहने लगी, “मेरा नाम उर्मिला है और मैं अपने मॉम डैड से मिलने काठमांडू जा रही हूँ, मैं उनकी अकेली संतान हूँ, अब वे बूढ़े हो गए हैं, उनकी देखभाल मुझे ही करनी है, मेरी नौकरी दिल्ली में है लेकिन वे मेरे साथ दिल्ली नहीं आना चाहते, काठमांडू मे अच्छा लगता है उन्हे अपने पुश्तैनी घर में, इसीलिए मुझे बीच बीच में छुट्टी लेकर आना पड़ता है उनकी देखभाल के लिए।”

वह आगे बोली, “अच्छा डॉ सुधीर, आप किस चीज के डॉक्टर हैं?” मैंने कहा, “मैं तो दिमाग का डॉक्टर हूँ, सर्जन हूँ, दिमाग खोल कर देखता हूँ और उसकी कमियाँ दूर करके फिर बंद कर देता हूँ।”

उर्मिला बड़ी उत्सुकता से पूछने लगी, “अच्छा डॉक्टर साहब जब आप दिमाग खोल कर देखते हैं तो उसमे दिखाई देता है कि प्यार कहाँ बसता है?”

मैंने बोला, “उर्मिलाजी, प्यार दिमाग में नहीं बसता, प्यार तो दिल में बसता है और हमे पता भी नहीं लगता कि कब वह आँखों के रास्ते से दिल में उतर जाता है और वहीं बस जाता है।”

लेकिन हमें पता कैसे लगता है कि प्यार हो गया है, उर्मिला ने यह सवाल पूछा तो मैं यही कह सका, “उर्मिला जी जब हमे किसी से प्यार हो जाए तो उसको देखते ही, उसके नजदीक आने से, उसके साथ बात करते समय, दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है।”

“मैं तो आपको जानती भी नहीं, फिर भी मेरा दिल, जब मैं आपके साथ टैक्सी में बैठी तब भी और अभी जब आप मेरे साथ आकर बैठे तब भी मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था, मुझे तो कोई प्यार नहीं है।” उर्मिला कहती रही और मैं सुनता रहा और सोचने लगा, क्यो मेरा दिल भी ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से धडक रहा है?

हवाई जहाज पूरी ऊंचाई पर उड़ रहा था और हम दोनों अपनी बातों में लगे थे कि तभी चार लड़कों ने खड़े होकर अपने अपने हाथों में पिस्टल निकाल ली और सभी को धमकाते हुए कहा, “कोई भी अपनी सेट से हिलने की कोशिश न करे अन्यथा हम तुरंत ही गोली मार देंगे।” हम समझ गए थे कि हमारा हवाई जहाज हाइजैक हो चुका है और हम सब घबराए हुए अपनी अपनी सीटों पर धँसे बैठे रहे।

डर तो मैं भी काफी गया था लेकिन उर्मिला तो इतना डर गयी कि उसने हमारी सीट के बीच का हत्था हटा कर स्वयं अपना सिर मेरे सीने में छुपा लिया और कहने लगी, “डॉक्टर सुधीर, मुझे मरने से बहुत डर लगता है, मैं मरना नहीं चाहती” मैंने उसके सिर पर हाथ फिराते हुए उसे सांत्वना दी, “कुछ नहीं होगा तुम्हें।” वह एक छोटे डरे हुए बच्चे की तरह मेरी छाती में अपना सिर छुपाए रही।

हाईजैकर्स के दो आदमियों ने पायलट को कंट्रोल किया हुआ था और हवाई जहाज को काठमांडू से वापस पाकिस्तान की तरफ मुड़वा दिया। पायलट ने पेट्रोल कम होने की बात कहकर हवाई जहाज को अमृतसर में उतार दिया एवं भारत सरकार को हाईजैकिंग के सिग्नल भी दिये लेकिन अमृतसर में दो घंटे रुके रहने के बाद भी भारत सरकार कुछ नहीं कर पायी। हाईजैकर्स ने पूरे हवाई जहाज को उड़ाने की धमकी देकर हवाई जहाज को अमृतसर से उड़वा लिया और ले जाकर लाहौर हवाई अड्डे पर उतरवा लिया। उस समय भारत और पाकिस्तान के संबंध अच्छे नहीं थे अतः पाकिस्तान सरकार ने भी कुछ नहीं किया और हाईजैकर्स के कहने पर हवाई जहाज में पेट्रोल भी भरवा दिया।

हवाई जहाज में पेट्रोल भरवाने के बाद हाईजैकर्स हवाई जहाज को अफगानिस्तान ले गए और काबुल हवाई अड्डे पर उतारने के निर्देश दिये। पायलट ने हवाई जहाज काबुल हवाई अड्डे पर उतार दिया। उन दिनों अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा था और वह आतंकवादियों के लिए स्वर्ग था।

हाईजैकर्स ने भारत सरकार से बात करके कहा कि वे दुर्दांत आतंकवादी अज़हर मसूद सहित पाँच आतंकवादियों को लेकर काबुल आए और अपने यात्रियों को छुड़ाकर ले जाए। विमान में करीब साड़े तीन सौ यात्री थे, सबका जीवन दांव पर लगा था, आतंकवादियों को छोडना भी भारत के लिए खतरनाक कदम था।

भारत सरकार निर्णय लेने में जितनी देर लगा रही थी उतना ही खतरा हम सब यात्रियों के जीवन पर बढ़ता जा रहा था। ऐसे में हाईजैकर्स ने भारत सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए एक यात्री को गोली मार कर कड़ा संदेश देने का निर्णय ले लिया। हाईजैकर्स ने मेरी ओर इशारा करके कहा, “चलो डॉ सुधीर, भारत के मशहूर न्यूरो सर्जन, खड़े हो जाओ।”

मैं थोड़ा हिचकिचाया तो उन्होने एक एक करके सभी यात्रियों को गोली मारने की धमकी दी तो मैं उर्मिला को अलग हटाते हुए लड़खड़ाते पैरों से अपनी सीट से खड़ा हो गया। मेरा आखिरी वक्त आ गया था, मुझे डर लग रहा था तो मुझे उर्मिला की वह बात याद आई, “मैं मरने से बहुत डरती हूँ।” मैंने मन ही मन कहा, “मरने से तो मैं भी बहुत डरता हूँ, लेकिन क्या करूँ मरना तो पड़ेगा।” उर्मिला की आँखों में आँसू थे और वह हाईजैकर्स से हाथ जोड़कर मुझे छोड़ देने की विनती कर रही थी।

तभी हाईजैकर्स ने मुझे निशाना बनाकर गोली छोड़ दी और मैंने देखा कि उर्मिला बिजली की फुर्ती से मेरे सामने आ गयी। गोली सीधी उर्मिला को लगी, मैं अवाक सा देखता ही रह गया। जीवन में पहली बार पहली नजर में किसी से प्यार हुआ था लेकिन वह तो अपने प्यार पर बलिदान होकर मुझे ही जीवन दान देकर चली गयी।

“उर्मिला, तुम्हें कुछ नहीं होगा मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ उर्मिला, बहुत सारा प्यार।” मैंने ऐसे शब्द उर्मिला से कहे और उसका सिर अपनी गोद में लेकर हवाई जहाज के बीचों बीच बैठ गया। उर्मिला की साँसे टूट रही थी, नब्ज धीमी पड़ रही थी, खून बह रहा था, मैंने प्राथमिक उपचार करके खून रोकने की कोशिश की थी और हाईजैकर्स से विनती की थी उर्मिला को किसी अस्पताल ले जाने के लिए, लेकिन वे नहीं माने।

उर्मिला ने कहा, “डॉ साहब, मेरी विनती मानोगे? मैं सुहागिन मारना चाहती हूँ, क्या तुम इसी समय मेरी मांग मे सिंदूर भरकर मुझे सुहागिन की मौत दे सकते हो?”

एक महिला यात्री ने तुरंत ही सिंदूर की डिब्बी खोल कर मेरे हाथ में रख दी और मैंने उसी समय उर्मिला की मांग भर कर उसे सुहागिन बना दिया।

“डॉ साहब मेरे मॉम डैड का ख्याल रखना, मेरे सिवा उनका इस दुनिया में कोई नहीं है” और इतना कहकर उर्मिला ने अंतिम सांस के साथ मेरी गोद में ही दम तोड़ दिया।

भारत सरकार के एक मंत्री उन दुर्दांत आतंकवादियों को लेकर काबुल पहुंचे जिनके बदले में हम सबको छुड़ा कर दिल्ली ले आए। मेरी विनती पर भारत सरकार ने एक विशेष विमान से उर्मिला के पार्थिव शरीर को काठमांडू ले जाने का प्रबंध कर दिया। मैंने काठमांडू में विधिवत उर्मिला का दाह-संस्कार किया और उसके मॉम डैड को आश्वासन दिया कि मैं उनकी पूरी देखभाल एक बेटे की तरह करूंगा।

तू हमेशा पूछता था न कि मैं हर महीने काठमांडू क्यो जाता हूँ, भाई, यही कारण है कि मैं हर महीने काठमांडू उनसे मिलने जाता हूँ क्योंकि मुझे यह जीवनदान देने वाली उनकी बेटी ही थी अतः मेरे जीवन पर उनका उतना ही अधिकार है जितना उन्हे उनकी बेटी के जीवन पर था।”

कॉफी अब तक ठंडी हो चुकी थी, मैं उठ कर रसोई में गया और फिर से दो गर्मा गरम कॉफी बना लाया, लेकिन डॉ सुधीर तो उसकी याद में पूरी तरह खोया हुआ था, मैंने कॉफी मेज पर रखकर उसके सामने चुटकी बजाई और उसको अतीत से वर्तमान मे ले आया।