Kuchh jineka tarik humebhi aata hai books and stories free download online pdf in Hindi

कुछ जीनेका तारिक हमेंभी आता हे।

केहते हे हर कोई किताब की शरुआत प्रस्तावना से होती हे ओर लेखक का परिचयभी
वो कहते हे ना
“कहना तो बहुत कुछ हे आपसे ,
मगर ये कम्बकत वक्त रुकता ही नहीं”
समय मूँजें इजाज़त नहीं देता की आपका में क़ीमती समय व्यर्थ करूँ।


. कुछ पनेके लिए तकलीफ़ तो उठनी पड़ेगी
क़ुदरत हमें हरबार कुछना कुछ कहती रहती हे। पाँखी का राजा.... समड़ी, कहते हे समड़ी
७० साल तक जीती हे। समड़ी की आयु तक़रीबन ७० सालों की होती हे मगर ... जब समडी ४० साल की होती हे तब उसके शरीर में कई अंग काम नहीं कर पाते।
जब वें ४० साल के होते तब उनकी चोंच आगेसे मुड़ जाती हे .... जीससे वो शिकार को खा नहीं पाता, उनके नाख़ून ख़राब हो जाते हे ... जिनसे वो शिकार को पकड़ नहीं पाता ओर उसके पर ख़राब हो जाते हे जीससे वो उड़ नहीं सकता...
पर वो अपनी एसी परिस्थिति लेकर बेठता नहीं ...
वो दूर बड़े पहाड़ों पे जाकर कोई बड़े से पत्थर पर बार-बार अपनी चोंचको मार-मार कर मार-मार कर
तोड़ता हे। उसके चिलोच से ख़ून निकल हे ... फिर भी वो बार बार लगादार अपने चोंच को मारे जा रहा हे .... आप ओर में अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते
उस दर्द का ....वेसेही वो अपने नाख़ुन रगड़ता हे पत्थर के साथ ..... वो दर्द।
समय जाने पे उस टूटी हुई चोंच के जगह नई चोंच आती हे। उस चोंचसे वो अपने पर को पकड़ पकड़ के निकालती हे। एसेही १ साल के बाद वो
फिर नया इगल बन जाता हे ओर फिर वो ३० साल ओर जिता हे। वो चाहता तो वो ४० साल जीकेभी मर सकता था पर इसने काम किया अपने पे ओर
३० साल ज़्यादा जी गया।
वेसेही शेरभी जंगल का राजा होता हे। पर क्यू......? वो नाहीं चींते जितना तेज़ हे,नाहीं हाथी जितनी ताक़त, नाहीं गिद्ध जेसी नज़र हे,नाहीं हाथी जेसी अक़्ल ..... फिरभी वो जंगल का राजा केसे बना...? तो जवाब हे, जब हाथी शेरको जंगल में देखता हे तब वो सोचता हे “देखो शिकारी आ गया” ओर जब शेर हाथी हाथीको जंगल में देखता हे तो सोचता हे “देखो शिकार मील गया”। यही सोच शेर को हाथी से बलवान बनाती हे।
कोई एक गाँव में एक कुतिया ओर एक हाथीनी अच्छे दोस्त हुआ करते थे। उन दोनो की शादी भी एक साथ हुई पर शादी के बाद काफ़ी वक़्त से दोनो एक दूसरेको मिले नहीं... अचानक एक दिन कुतिया को हाथीनी मील गई। हाथीनी गर्भसे थी तो कुतिया ने बोला तुम्हारे कितने बच्चे हुए अब तक मेरे तो १३ बच्चे हे। ये सुनकर हाथीनी ने बोला यहीतो फ़र्क़ हे तुम्हारे ओर बच्चे में। तुम्हारे बच्चे पेदा होते ही दर्दर की ठोकरें खाते हे, जब वे रास्ता पार करते हे, तब देखते हे कोई इंसान ठोकर ना मारदे ओर मेरा बच्चा जब जाता हे तब लोग सोचते हे कई ये ग़लती से ठोकर ना मारदे।वेसेही मेरे दोस्तों अगर काम हमको मिलता हेना तो काम हाथीनी जेसा करना हे , कुतिया जेसा नहीं।

२. आगे बढ़ने के लिए नज़र सामने होनी चाहिए।

गाऊँ में हम अक्सर देखते हे की जब गाऊँ से हाथी निकालता हे , तब लोग उसको ईश्वर का रूप मनके पूजते हे। उसके दर्शन करते हे , उसीवक़्त कुत्ते हाथीओ के पिछे भोंकते हे,
पर हाथी अपनी धुन में चलता। हाथी सुनरहा होता हे पर वो पलटकर नहीं देखता क्योंकि उसको पता आज में इन कुत्तों के लिए पीछे मुड़ा तो यें लोग मूजको पूजना बंध कर देंगे।
कोई काम अगर हम हाथमें लेते हे तो किसिके टोकने से या किसिके बोलनेसे तुम गभरना मत ( अगर काम सही हो) क्योंकि पूरी दुनिया जानती हे की गुलाब के छोड़ पे गुलाब की संख्या कम होती हे ओर काँटों की ज़्यादाँ।

“जिन तूफ़ाँनो में लोगोंके आशियाने उड़ जाते हे।
उन टफ़ॉनो में हम अपनी चड्डी-बनियान सकते हे।
कुछ ग़लती हुई होतों माफ़ करना। ....