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पूना पलट

पूना पलट

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ]

[ टी वी शो ‘बिग बॉस’ की शूटिंग लोनावाला [महाराष्ट्र] में होती है जिसके होस्ट महानायक हैं। इसी शूटिंग की पृष्ठभूमि पर एक फ़िल्मी स्ट्रगलर की कहानी है ये ]

रिसॉर्ट आम रिसॉर्ट जैसा ही था --बड़ा सा रिसेप्शन, छत के बीच में लटकता झाड़ फ़ानूस, कुछ आड़े तिरछे से लैंप, भव्य सोफ़े कुर्सियां, दीवारों पर मॉडर्न आर्ट की तस्वीरे, रिसेप्शन के पीछॆ स्विमिंग पूल. अपने कमरे की बालकनी से देखो तो मुंबई व पूना के बीच की रेलवे लाइन, उसके समानांतर मुंबई पूना हाई वे दिखाई देती है. इन के पीछॆ लोनावाला की पहाडिया. ऊंह ! खंडाला---लोनावाला ----हम हिमालय की तलहटी में रहने वाले यू. पी. वालों को कैसे ये पहाड़ लगेंगे ? हाँ, पहाड़ों के बच्चे नजर आते हैं. वो तो फ़िल्म इंडस्ट्री वालों ने ग्लेमराइज़्द कर रक्खा है --`आती क्या खंडाला ?`दिसंबर के कारण हरियाली भी कम नजर आ रही है. बाल्कनी में वह डाले अचरज में पड़ती जा रही है कैसी रिसॉर्ट कल्चर उग आई है. जहाँ देखो वहीं रिसॉर्ट.

पता नहीं ज़िन्दगी को क्या हो गया है कि वह अजीब से इत्तेफाक उसे थमाने लगी है. वे लोग दोपहर में ही यहाँ आ गये थे. रात को सुलभ व प्रीति मुंबई से पहुँचने वाले थे. तय हुआ था कि दो दिन लोनावाला रुककर उनके साथ ही मुंबई चले जायेंगे. उसके पति उनका नीचे ही इंतज़ार करते नीचे टहल रहे थे, वह तीसरी मंज़िल के अपने कमरे की बालकनी में बैठी इंतज़ार कर रही थी. पोर्च में चार पाँच कार खड़ी थी, कुछ सैलानी भी यहाँ वहाँ खड़े नज़ारे देख्र रहे थे. साढ़े नौ बज चुके थे तभी सुलभ की कार गेट से अन्दर आती दिखाई दी.

प्रीति ने कमरे में पहुँचते ही, पैर छूते ही उत्साहित हो कहना शुरू कर दिया है, "आपको मालूम है लोनावाला में ही बिग बॉस की शूटिंग होती है मेरा एक कज़िन झनझन वहाँ सैट डिज़ाइनिंग का काम करता है. "

" झनझन ?"

वह हंस पड़ती है, "ये उसका `निक नेम` है, वैसे उसका नाम अभिषेक मुखर्जी हैं. `

"ओ-----. "

" मुंबई में फ़ोन आया था कि तू लोनावाला शूटिंग देखने क्यों नहीं आती है? तुझे इसके सुपर हीरो से मिलवाऊँगा. मैंने उसे बता दिया है कि पापा मम्मी व हम लोग लोनावाला पहुँच रहे हैं. मम्मी जी मैंने उससे फ़िक्स कर लिया है कि कल सुबह की शिफ़्ट में आप लोग शूटिंग देखने जाइये, दूसरी शिफ़्ट में हम लोग जायेंगे. "

वह बेमन "हां` `हूँ करती रह जाती है, कैसे उसका दिल तोड़ दे ? उसकी आउट डेटेड अकल आज तक ये नहीं समझ पाई कि बिग बॉस जैसे शोज़ बनाए क्यों जाते हैं, यदि बनाये जाते हैं तो लोग अपने घंटों को इन्हे देखने क्यों अपना समय कत्ल कर देते हैं. ? रात के खाने के बाद, गप्पें मारने के बाद वे लोग सो जाते हैं. वैसे भी अपने शहर से निकल कर नींद सबसे प्यारी होती है. सुबह खिड़की के पर्दों के पीछॆ से झाँकती रोशनी को अधखुली आँखों से देख फिर सो जाते हैं. तभी ज़ोर से कॉल बैल बजती है. वह दरवाज़े की तरफ़ घड़ी पर नज़र डालती दरवाज़ा खोलती है. प्रीति हाथ में ट्रे में दो कप चाय लिए खड़ी है. सुलभ कहते हैं, "नौ बज रहे हैं और आप लोग अभी तक तैयार नहीं हैं ? बिग बॉस में दस बजे तक एंट्री बंद हो जाती है. "

अलसाया सा दिमाग `न `नहीं बोल पाता. मै चाय पीकर एक चटक रंग का सूट निकाल सुलभ के कमरे की ओर बढ़ जाती हूँ., "मै इनके कमरे में नहा रही हूँ, आप यहाँ नहा लीजिये. "

हम लोगो को प्रीति कार में सफ़ाई दिए जा रही है. `ममी जी ! पापा जी ! सॉरी अभी ब्रेक फ़ास्ट का टाइम ही नहीं है. आप लोगो को हम ऎसे ही ले जा रहे हैं लेकिन मैंने झनझन से पूछ लिया है, वहाँ वो लोग ब्रेकफ़ास्ट देंगे क्यों कि आप लोग वहाँ गेस्ट की तरह जा रहे हैं. `

"ओ. के.. "

" झनझन पैंतीस का हो गया है. अपने इसी जुनून के कारण शादी नहीं की. मैंने उससे पूछा भी था कि सीज़न -7 खत्म हो गया तो वह क्या करेगा, वह कह रहा था कि अभी और भी भाषा में बिग बॉस बनेगा तो उसका काम चलता रहेगा. "

भला हो जी पी एस सिस्टम का सुलभ कार चलाते उसमें रास्ता ढूँढ़ते कभी ऊँचे, कभी नीचे रास्ते पर चल रहे हैं जैसा कि हर हिल स्टेशन पर होता है. स्टेशन से रिसॉर्ट जाते समय देखा था व वह अब भी देख रही है, हर तीसरी दुकान पर एक बोर्ड नजर आ रहा है -`मगनलाल की चिक्की", उसे लगता है कि क्यों ना लोनावाला का नाम बदलकर `मगनलाल चिक्कीवाला `रख देना चाहिये --वह ये सोचकर मुस्करा उठती है. आस पास की ऊँची पहाड़ियों पर दूर दूर कुछ होटल्स व रिसॉर्ट दिखाई दे रहे हैं जहां पर आए दिन महाराष्ट्र या गुजरात की कॉरपोरेट्स की `एनुअल मीटस"होती रह्ती हैं.

वे ए बी सी स्टेट पहुँच जाते हैं. एक पुराने बड़े चौड़े लकड़ी के गेट के कोने बने केबिन में सीक्योरिटी गार्ड्स लिस्ट में उनका नाम चेक करते हैं. लिस्ट में उनका नाम नहीं है. प्रीति उतरे हुए चेहरे से मोबाइल से झनझन से बात करती हैं व गार्ड्स को मोबाइल दे देती है. वह बात करके उन्हें अन्दर जाने का इशारा करते हैं. पीछॆ से प्रीति कह रही है, " रियली सॉरी !हमने आपको ब्रेकफ़ास्ट भी नहीं करने दिया. "

"बेटे ! नेवरमाइंद. "

गेट से अन्दर जाते ही बहुत बड़ा अहाता है. एक लंबे कच्चे रास्ते के बाद फिर एक लम्बा गेट आता है, वहां के सीक्योरिटी गार्ड्स के पास बाहर के गेट- से फ़ोन पहुँच गया है. अन्दर जाते ही फिर फैला हुआ मैदान नजर आता है, जहाँ वाहनों की भरमार है. दूर आगे एक बड़ा खुला शमियाना सा दिखाई दे रहा है. इस जगह दो चार सोफ़े व बहुत सी कुर्सियाँ लगी हुई हैं. दाँयीं तरफ़ मेज पर चाय नाश्ता लगा हुआ है.

यहाँ की अधिकतर तो कुर्सियां खालीं हैं. वहाँ जो लोग हैं उन्हें देखकर लग ही रहा है खूब बन संवर कर आए हैं, चैट शो के मेहमान जो हैं. थोडी़ देर बाद वे दोनों प्लेट में इडली लेकर चाय ले लेते हैं. सोफ़े पर बैठते हुए देखतें हैं दस बारह लड़कियों का ग्रुप ब्लैक जींस, थ्री फोर्थ या ब्लैक, रेड, यलो फ़्रॉक्स में वहाँ आ गया है. लगता है किसी कॉलेज की लड़कियां हैं जो लोनावाला घूमने आयी हैं. शूटिंग क्र्यू का एक लड़का लपकता सा उन्हें रिसीव करके बैठा देता है. उनकी धीमी सरगोशियों व हंसी से सारा माहौल जीवंत हो गया है. सादे दस----ग्यारह ---बज चुके हैं ----घड़ी की सुई आगे खिसकती जा रही है --लोग आते ही जा रहे हैं --नियम तो सिर्फ़ बनाने के लिए होते हैं. उसके पास वाले बैठी एक लड़की कहती हैं, "यहाँ शूटिंग हमेशा सही समय पर शुरू हो जाती है. पता नहीं आज क्या हुआ. "

वह कहती है, "शायद सुपर हीरो नहीं आए होंगे. `

"वो तो आ गए हैं, उनकी केनोय[वेनिटी वैन ] बाहर खड़ी है. `

"आप लोग कहा से आए हैं ?`

"पूना से खासतौर से शूटिंग देखने आए हैं थ. मेरे अंकल इसके फ़ाइनेंसर हैं. "

"ओ. के. . "---पूना -?----`पूना पलट `---अरे !इतने बरसों में ये नाम कैसे दिमाग से उतर गया था? ज़िन्दगी किस तरह बदलती जाती है ---कुछ नाम बिलकुल दिमाग से उतर जाते है -----कहां होगा `पूना पलट "उर्फ राजेश --गोरा चिट्टा सुडौल बदन का, कुछ कुछ नेपाली लगने वाला, अतिरिक्त आत्मविश्वास से दमकते चेह्ररे वाला --- वो अब तक तो अधेड़ हो चुका होगा. मम्मी के घर अपनी शादी के दो वर्ष बाद बाहर के कमरे में रहने वाले बी. ए. में पड़ने वाले किराएदार को देखा था. वो हर किराएदार को घर का सद्स्य बना लेती थी. नया पकवान बन रहा है तो उसे खिलाना है. अगर होटल बंद है तो उसे खाने की चिन्ता करने की ज़रूरत नहीं है, मम्मी जो हैं. यदि उसके माँ बाप या बहिन भाई मिलने आएंगे तो मम्मी तो हैं उनकी देखभाल के लिए. इस बात पर यकीन तब होगा जब जानेगे उसके माँ के घर के भूतपूर्व किरायेदार, अब तो परिवार के सद्स्य जैसे उपाध्याय अंकल जो उसके घर से जाकर कमला नगर अपनी कोठी में बस गए थे. अपनी कोठी में दस वर्ष बाद भी जब नींद में हो और कोई फ़ोन आ जाए हड़बड़ा कर कह उठते है, "मै अशोक नगर से डॉ. जे. सी. उपाध्याय बोल रहा हूँ . "

वह जब भी घर जाती तो कभी राजेश की बहिनों सुमन व गुंजन से, कभी उसके पिता से मिलती थी. गॊरी दोनों बहिने थीं लेकिन सुमन वाकई सुंदर थी. ये लोग एटा के किसी गांव के थे. पिता ब्लॉक ऑफ़िसर थे. पुरखों की छोड़ी ज़मीन जायदाद थी, पिता ने दो तीन दुकानें भी खड़ी कर ली थी. उस रईसी से सबके गोरे चेहरे दिप दिप करते से लगते थे. मम्मी ने राजेश से ही जलेसर के प्रसिद्ध घुँघरू मंगवाकर उसे दिए थे.

बस उसे एक बात का बहुत बुरा लगता था कि जब भी मम्मी बीमार होती या पापा के वापिस आगरा ट्रांसफ़र की बात होती तो वे राजेश के बह्कावे में भाई के साथ कबूतर वाले बाबा के पास चल देती थी. इन बाबा को उसने आते जाते रिक्शे से ही देखा था, नाईं की मण्डी की गली में जाने किसकी मजार के आगे गुटर गूँ करते कबूतरों से घिरे ये बाबा सिर पर हरा रूमाल तुर्क लोगों की तरह बाँधे, चेक की लूँगी व मटमैले कुर्ते में आँख बंद किये अपनी काली लम्बी दाढ़ी पर हाथ फेरते, कबूतर की बीट से भरी ज़मीन पर एक बोरी बिछाये काम पूरा होने के लिए कुछ जाप करते रहते थे. अपने दान्ये हाथ में पकड़ी मोर के पंखों वाली झाड़ू से फ़रियादी के शरीर को बुहारते से रहते थे. लोग कबूतरों के लिए कुछ दान सामने रक्खी पेटी में कर देते.

उसके भाई की सगाई की गहमागहमी में अचानक राजेश उसके कमरे में आ गया था., "जीजी ! आपके पास पीले या नारंगी रंग का कलर का दुपट्टा होगा ?"

"क्यों नहीं ?लेकिन तुम क्या करोगे ?"

"आज ! अपने भाई की आर्ट देखना. ` उसकी नारंगी चुन्नी लिए उसे उलझाता वह चला गया था. सगाई की रस्मो के बाद उसने देखा एक छोटे स्टेज पर सिर पर उसका दुपट्टा बाँधे ढपली बजाते हुए स्टेज पर नाचते हुए म्युज़िक सिस्टम में बजते गाने, "अपनी तो जैसे तैसे कट जायेगी, आपका का क्या होगा जनाबे आली. "गाने पर वह हूबहू अमिताभ की नकल कर रहा था -----पूना पलट.

उसके इस ज़ोरदार डांस के बाद सबने उसे घेर लिया. सबको `थैंक यु `, थैंक यु `कहता पसीने से भीगा नारंगी चुन्नी से बंधा उसका चेहरा चमक रहा था. बाद में जब उसने उसकी चुन्नी वापिस की तो पूछा, "जीजी !कैसा लगा मेरा डांस ?`

"बहुत अच्छा. "

"देखिए मुझे फ़िल्मो में काम करना है इसलिए इतनी भीड़ के सामने मैंने डांस किया कि मेरी झिझक चली जाए. आपको भी लग रहा होगा छोटे अमिताभ बच्चन डांस कर रहे हैं. "

वह कैसे उसका दिल तोड़ देती ?

उसके भाई की शादी के बाद राजेश को वह कमरा खाली करके होस्टल जाना पड़ा. वो तो जब वह आगरा गई तब मम्मी ने गुस्से से बताया, "एक अकेला लड़का था, बाहर के कमरे में रहता तो हमे क्या फ़र्क पड़ता लेकिन वह तो कॉलेज की किसी लड़की को कमरे बंद किये पड़ा रहने लगा. "

"इतनी हिम्मत ? इतनी छोटी उम्र में ?"

"मै भी उसे बच्चा समझती थी लेकिन उन्नीस बीस बरस का तो हो गया था. "

पास के सीट पर से उसके पति भुनभुनाये ------"अभी तक सुपर हीरो नहीं आया, चलो वापिस चलते हैं. "

उसे `आगरा `से` लोनावाला ` वापिस आने में कुछ देर लगी "----क्या कहा ?--मै तो वापिस नहीं जाऊँगी, थोड़ा इंतज़ार और करते हैं. " बारह बजे तक तक सारी कुर्सियां भर चुकी थी. कुछ लोग खड़े भी थे. वह चुपचाप सबकी ड्रेस का जायज़ा ले रही थी. आजकल इतनी विविधता है कि चोटी, लंबे लहराते बाल, , स्ट्रेट बाल, एक हाथ में दुनियाँ भर के कड़े लंबे इयर रिंग्स, बड़ी बाली यहाँ तक की लड़कों की कान की बाली, उनके जैकेट्स के डिज़ाइन्स व उनके हाथ के लटकते ब्रेसलेट्स देखते हुए व स्लेंग्स भरी उनकी भाषा सुनते देखते हुए समय गुज़ारा जा सकता है. कुछ जोड़े भी आपस में बात करके थक चुके हैं, बार बार घड़ी देख रहे हैं. शूटिंग क्र्यु के चार पाँच लोग सेट के गेट के बाहर गपिया रहे हैं. काले फ्रेम के चश्मे में जींस में एक मोटी लड़की सिगरेट पर सिगरेट उड़ाती बातें कर रही थी. एक कोने में एक एग्ज़ेक्यूटिव ने बोर होकर अपना लैपटॉप खोल लिया है. अभी पाँच मिनट ही कम किया होगा कि उसके ग्रुप के लड़के आ गए और उन्होंने वह बंद करवा दिया. वह सोचती है इनमें से कुछ ऎसे भी होंगे जो रुपहले पर्दे पर चमकना चाहते होंगे ------कभी बरसों पहले राजेश ने भी दूर ---आगरा में एक सपना पाल लिया था.

राजेश होस्टल में था तब भी अपने परिवार के लड़कों से खब्ररे मिलती रह्ती थी. वह अकसर अपने कमरे के दरवाजे को खोल कर दीवार पर टाँगें छोटे शीशे के आगे खड़ा कंघे से अपने बालों को कभी माथे पर छितरा देता, कभी बायी तरफ़ माँग निकलता, कभी दान्यी तरफ़, आँखों में भावुकता लिए बड़बड़ाता, "बाबू मो ----शाय ! हम तो रंग मंच पर नाचने वाली कठपुतलियाँ हैं. "उसकी दीवानगी देखकर अंकल यानि उसके पापा ने पूना फ़िल्म इंस्टीटयूट में दाखिला लेने की अनुमति दे दी थी. उस समय ज़माना भी जया भादुड़ी, अमिताभ बच्चन, ओम पूरी जैसे पूना के पास्ड आउट का था लेकिन पूना से नाकामयाब होकर वापिस लौटने से राजेश का आत्मविश्वास नहीं टूटा था

बस तभी से होस्टल में उसके नए नामकरण का शोर मच गया था ----`पूना रिटर्न` यानि `पूना पलट `. तुर्रा ये है कि वह अब भी होस्टल के कमरे का दरवाज़ा खोलकर ही डायलॉग बाज़ी करता, शायद अपना पब्लिक फ़ोबिया कम करता होगा, कोई हंसता है तो हंसता रहे. अब वह शीशे के सामने खड़ा धर्मेद्र के डायलॉग मरने लगा था. " सालों ! अभी मेरा मजाक उड़ा लो पूना में एडमिशन नहीं मिला तो क्या हुआ ?क्या राजेश खन्ना या धर्मेंन्द्र जी पूना से ही ट्रेनिंग लेकर निकले थे ?"

वह यहाँ वहाँ के फ़िल्मी सितारों के लिये विज्ञापन के फ़ॉर्म भरता रहता. आखिर वह पिता से बीस हज़ार रुपये [तब ये बहुत बड़ी रकम होती थी ]ले सिर पर हरा रूमाल बाँधने वाले कबूतर बाबा की मोर के पंख की झाड़ू से शरीर पर ली हुई दुआये लेकर, बंबई आकाश पर चमकने वाला सितारा बनाने निकल पड़ा. पिता से वायदा करके गया था कि उनके बीस हज़ार को बीस लाख में बदल देगा.

वह एक तेज़ आवाज़ से चौंक जाती है- सादे बारह बजे एक आदमी बिग बॉस के सेट के गेट के बाहर हाथ में एक लिस्ट लेकर नाम पुकारना शुरू करता है. लोग अपना नाम सुनते ही अन्दर जाना शुरू कर देते हैं. वह देखती है उसके बाद आए लोग भी जाना शुरू कर चुके हैं, तो उसका माथा ठनकता है. वह लिस्ट वाले व्यक्ति को बताती है कि उनका नाम लिस्ट में नहीं होगा, वह् अभिषेक मुखर्जी को फ़ोन करे. वह अपने बाज़ू वाले आदमी को फ़ोन करने को कहता है. तभी एक मध्यम कद का मूँछों वाला लड़का सेट के अन्दर से आकर लिस्ट वाले से कुछ पूछ्ता है, वह हमारी तरफ़ इशारा करता है. वह मोबाइल पर बात करता हुआ उन दोनों को अपने पीछॆ आने का इशारा करता है. वे तीन चार सीढ़ियाँ चद्कर बहुत बड़े पर्दे में बना दरवाजे का पर्दा उठाता है. इस कपड़े के कक्ष में बहुत से बिजली की तार केबल्स पड़े हुए हैं. अब वे दोनों एक और पर्दे के पार चार पाँच सीढ़िया चढ़कर बिग बॉस के सेट के बीच वाले रास्ते में पहुँच चुके हैं जिसके दोनों तरफ़ दर्शकों की कुर्सियां पड़ी हुई है. वे लोग दान्यी तरफ़ इस रास्ते से उतरकर दो खाली कुर्सियों पर बैठ जाते हैं. वह कहती हैं, "झनझन हम लोग प्रीति के इन -लॉज हैं. "

वह कान पर मोबाइल पर लगाए सुनता भी है या नहीं. उसकी नज़र सामने की विशाल भव्य व राजसी स्टेज पर पड़ती है उस बी च के रास्ते के खत्म होते ही सामने है विशाल मंच पीछॆ के दीवार पर बनी विशालकाय नकाबपोश बिग बॉस की तसवीर व बीच में उठती हुई अग्नि की लपटें -------

इन्ही महत्वाकांक्षाओं, उम्मीदों, शहर के हर नुक्कड़ पर चमकते पोस्टरों में अपनी तसवीर की चाहतों की लपटों ने राजेश की ज़िन्दगी को आँच देना शुरू कर दिया था. शायद तीन वर्ष हो गया थे उसे फ़िल्म स्ट्रगलर बने, उसकी ख़ासी जान पहचान हो गई थी फ़िल्मी दुनिया में. उसने एक तीर तो मार ही लिया था. एक भोजपुरी फ़िल्म में इन्सपेक्टर का रोल कर लिया था. उसके चेहरे का आत्मविश्वास कि मेरे दिन भी आयेंगे सोचकर जगमगाता रहता था. उन दिनों हम लोग बंबई में ही थे. उसे मम्मी से पता लगा तो उसने बहुत ज़ोर दिया, "जीजा जी ! अब आपका साला फ़िल्मी दुनिया में है तो फ़िल्म सिटी देखा जाओ. "

उसे याद है कि किसी एटा के कलाकार से जान पहचान के कारण उसने उन्हें `चाणक्य ` सीरियल की शूटिंग दिखाई थी और इसके एतहासिक भव्य सेट पर घूमते हुए कहा था, "द्विवेदी जी मुझे अपने सीरियल में लेना चाह रहे थे किन्तु मैंने ही मना कर दिया. एक बार यहाँ का ठप्पा लग जाए तो समझो फ़िल्में हाथ से गई. "

बाद में सबको बुरा लगने लगा था क्योंकि फ़िल्में ही नहीं उसकी ज़िन्दगी भी हाथ से फिसलती जा रही थी. मम्मी बताया करती थी, "राजेश को मुंबई पैसे भेजने में उसके पिता ने दोनों दुकानें बेच दी हैं. थोड़ा खेत बेच दिया है. वो यहाँ आए थे, तू देखेगी तो पहचान नहीं पायेगी, एकदम दुबले व काले हो गए हैं. वह जब भी यहाँ आता है बस यही कहता है कि अगले महीने उसकी फ़िल्म लॉन्च होने वाली है. "

मानखुर्द के एक चौल में रहकर आर. के. स्टूडियो और आस पास के स्टूडियोज में चक्कर लगाने के बाद, प्रोड्यूसर्स के पैर पकड़ने के बाद वह जोगेश्वरी शिफ्ट हो गया था. उसके पति भी तो बंबई की जोगेश्वरी के उसके एक कमरे के घर में होकर आए थे, वह वहाँ तीन चार लड़कों के साथ रह रहा था, तब ही वह् बहुत उत्साहित था व उनको शूटिंग देखने के लिए चलने की कहता रहा था. जब वो चलने लगे तो उनके पैर छूकर बोला था, "जीजाजी ! आशीर्वाद देकर जाइये मै कल एक फ़िल्म साइन करने वाला हूँ . "

तो क्या वह बंबई का नौटंकी छाप स्ट्रगलर बन कर रह गया था जो रोज़ फ़िल्म साइन करने की कल्पना करता रह जाता है ? उसकी मुंबई वाली मौसी ने जो ख़बर दी थी वह और भी ख़राब थी. उन्होंने उसे किसी एक्जीबिशन में एक कोने में खड़े खड़े टाई बेचते देखा, जब उन्होंने उससे बात करने कि कोशिश कि तो वह भीड़ में गायब हो गया था. उसे मानो झटका लगा - लाखों कीं जायदाद का इकलौता वारिस बंबई में टाई बेचने के लिये आया था ? गनीमत है उन्होंने उसे जुहू या गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास अपने एक हाथ में लाल रूमाल बाँधे `जिगोलो `के रुप में नहीं देखा. जो अक्सर कुछ फ़िल्मी स्ट्रगलर्स की नियति बन जाती है.

"हाय ! एव्रीबदी !वेलकम टु सेट ऑफ़ बिग बॉस. आपका स्वागत है. "

स्टेज पर एक पेरेट ग्रीन टीशर्ट व ब्लैक जैकेट में एक उद्घोषक की कॉलर माइक से आवाज़ से वह चौंककर सेट की कुर्सी पर सजग होकर बैठ गई है. वह आगे कह रहा है, " आप लोग पता नहींकहाँ कहाँ से सोर्स लगाकर, जाने कहाँ कहाँ की जान पहचान निकाल कर यहाँ तक पहुंचे हैं. "

वह झटका खा जाती कि बताये वो दो लोग जबरदस्ती हाईजैक करके लाये गये है. हे भगवान ! यहाँ तक आना इतना दुर्लभ होता है ? तभी सुलभ ने ये सब सुलभ करवा दिया है, वह आगे बोल रहा है, " एक रिक्वेस्ट है कि आप लोग शूटिंग देखते समय बालों पर हाथ ना फेरें, ना नाक में उँगली दें और ना अधिक हिलें डुलें क्योंकि कब कैमरा आप पर फ़ोकस जाए. स्थान स्थान पर ज़ोर से ताली बजाये. बस थोड़ी देर में ही शूटिंग शुरू होने वाली है. "

शूटिंग तो शुरू नहीं हो पाई अलबत्ता सेट के दोनों ओर की सीढ़ियों से आठ आठ दस दस लड़के व लड़कियां एक बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ उतर रही हैं. इन चीयर गर्ल्स ने नारंगी व सुनहरी छोटी छोटी फ्रौक्स पहनी हुई है. उसे तो ये सब रशियन ही लग रही है -चमचमाते भूरे रंग मिलें गोरे रंग की. लड़कों ने धोती व स्लीवलेस जैकेट पहन रक्खी है. इनके स्टेज पर आते ही एक छोटे कद का कोरियोग्रफर इनके बीच में डांस करने लगता है, सुपर हीरो की फ़िल्म का गाना बज उठा है, " तेरी अंखिया कमाल, तेरा नखरा कमाल --साँवरिया रे ओ साँवरिया, ले गई दिल मेरा ओ साँवरिया. "वह कोरियोग्राफर कभी नयनो के पास उँगली रख रहा है, कभी ठुड्डी पर उँगली रखते हुए नखरा दिखा रहा है. , कभी बड़े दिलफरेब अंदाज़ में दिल पर हाथ मार रहा है. इस समूह न्रत्य को बार बार दोहराया जा रहा है इनके गोरे रंग से सेट सच ही झमझमा उठा है. आठ दस बार प्रैक्टिस हो चुकी है.

आखिर सब थककर सीढ़ियों पर बैठ जाती हैं. उसका मन उड़ चला है -------इन गॊरी चमड़ी वाली लड़कियों ने ना जाने कितनी देशी फ़िल्मी एकस्ट्रा लड़कियों की रोज़ी रोटी छीनी होगी --- अब तो टी वी के एद भी डराते हैं जिसमे एक थाई लड़की लार टपकाते हुए सेक्सी आवाज़ में "इंडियन --मै---न "कहती हुई इंडियन मैन को शिप पार्टी में आमंत्रित करती है व यह कहना भी नई भूलती, " डोंट ब्रिंग योर मॉम. ` ये ग्लोबलाइज़ेशन कितनों के लिए समस्या पैदा कर रहा है ?

लेकिन राजेश का जुनून तो अपने सारे घर के लिए समस्या बन गया था. उधर मम्मी फ़ोन पर बताती, "राजेश के पिताजी को हार्ट अटैक आ गया था. वो भी अभी आगरा आया था, बहुत दुबला हो रहा है. पेंतीस का तो हो गया ना घर बस रहा है, ना फ़िल्मी हीरो बनाने का ठिकाना. "

चार महीने बाद वह् मम्मी के ऑपरेशन के समय जब आगरा गई थी तो उसकी दोनों बहिनों सुमन व गुंजन मम्मी को देखने अस्पताल आयी थीं. मम्मी को देखने और परिचित आए हुए थे इसलिए वे उन्हें लॉन में ली आयी थी व अपने पर्स में पड़े बिस्किट्स के पैकेट को खोलकर उनके सामने बड़ा दिया था. पता नहीं कहा चला गया था वह दिप दिप करता गोरा रंग ?कुम्हलाये चेहरे से वह अपने घर के बिगड़े से हाल चाल बताती रही थी. वह नहीं चाहती थी लेकिन प्रश्न फिसल ही गया था, " तुम लोगों की शादी ?"

सुमन ने ही कहा था, "कहाँ से होगी, खेत व दुकान बिक चुके हैं. पिताजी भइया को पैसे भेजते भेजते खोखले हो चुके हैं. हमारे यहाँ तो बिना लाखों रूपये दहेज में दिये बिना शादी नहीं होती. "

"सुमन ! तुम्हारी एक छोटी बहिन भी तो है जिसे मैंने कभी नहीं देखा. वह क्या कर रही है ?"

"उसने तो छिपकर एक छोटी जाति के लड़के से शादी कर ली है. पिताजी व भाई साहब ने उससे बिलकुल सम्बंध तोड़ लिए हैं. हम लोग कभी छिपकर उससे मिल आते हैं. "

बाद में भाभी ने ने बताया था कि सुमन की किसी पैसेवाले दूजिया से शादी हो गई है.

"उसके पिताजी इतने बीमार रहने लगे हैं तो वह तो अब क्या बंबई नहीं गया होगा ?"

"नहीं, फिर चला गया है और कह गया है अब वह पैसे नहीं मंगवायेगा और कुछ बनकर ही वापिस आयेगा.

------------"आंटी !आप लोग कहाँ से आए हैं ?" सेट में उसके पास बैठी लड़की पूछ रही है.

उसकी तन्द्रा टूटती है "अहमदाबाद से. "

"हम लोग चार पाँच लड़के लड़कियाँ मुंबई से आए है. पता है आंटी सुबह चार बजे के उठे हैं. "

`क्या ?"

"शूटिंग देखने इतनी दूर चार बजे उठकर भागे आ रहे हो ?"

"हां, आंटी! कितनी मुश्किल से भाई ने जान पहचान निकाली है. दूसरी शिफ़्ट देखने के बाद हम लोग तो मुंबई रात के डेढ़ दो बजे पहुंचेंगे. सुबह कुछ खाकर भी नहीं चले "

"हाऊ क्रेज़ी ?"वह कितनी बेवकूफ़ है उसके तो बिन माँगें मुराद झोली मे आ गिरी है.

चीयर गर्ल्स चार पाँच बार प्रैक्टिस कर फिर बैठ गई हैं, मज़े में गप्पे मार रही है. अचानक सेट के बीच के रास्ते में कुछ हलचल हो उठीं है, " सुपर हीरो आ गए. "

वह गर्दन बायी ओर घुमाकर देखती है, बहुत बड़ा झटका खा जाती है, एक साधारण कद काठी का युवकनुमा चालीस वर्ष का व्यक्ति तीन चार लोगों से घिरा तेज़ चाल से चला आ रहा है, हाय !ये सुपर हीरो है ?उसके पास से वह् गुज़रता सुपर स्टार स्टेज के बीच में पहुँच चुका है. एक व्यक्ति हेंगर पर कोट लिए आ गया है. सुलभ ने बहुत गर्व से बताया था कि इस सेट के लिए उनकी कम्पनी के ब्रैंड ने कपड़े तैयार किए है-----आश्चर्य ये है कि उस सुपर दुपर ब्रैंड का बनाया कोट इतनी दूर से पता लग रहा कि सुपर हीरो के कंधों पर झूल रहा है. वे तुरत उसे उतार देते है. एक आदमी उसे बाहर टेलर से ठीक करवाने ले जाता है.

सुपर हीरो आस पास के लोगों से मुस्कराते हुए बात कर रहे है, कोई किसी से का परिचय करवाता है तो उससे हाथ मिलाते है, वे दोबारा लाया कोट पहनते हैं, वह फिर भी ढीला है, उन सुपर स्टार का मूड ख़राब होना ही है. वे तेज़ कदमो से चलते सेट से बाहर चले जाते हैं.

"अरे ! शूटिंग होगी भी या नहीं. "पास बैठी दोनों लड़कियां झुंझलाती हैं. वह भी पशोपेश में हैं क्या होगा. सोचती रह जाती है यदि राजेश इस इंडस्ट्री में हिट हो जाता तो उसके भी ऎसे ही नखरे होते लेकिन मम्मी उसे फ़ोन पर बताने लगी थी, " राजेश की हालत सुधर रही है, उसने अपना कोई बिज़नेस जमा लिया है. अभी आगरा आया था लेकिन सुन तुझी से कह रही हूँ. उसने बहुत महँगे कपड़े, गले में मोटी सोने की चेन, महँगे जूते पहन रक्खे थे, . मुझे तो ऎसा लगता है कि वह स्मगलर बन गया है. उसका चेहरा कुछ अजीब हो गया है दादा टाइप. "

मम्मी के जजमेंट के तो सभी कायल थे. कैसा इत्तेफाक हुआ कि दो महीने बाद ही राजेश का फ़ोन आ गया, "जीजी मै अपने बिज़नेस के सिलसिले में आपके शहर आ रहा हूँ लेकिन मेरे एक फ्रेंड ने गाड़ी दे दी है मै सपूतारा घूमता हुआ आउंगा. "

वह् उसे कैसे ना कह देती कि मत आओ. वह उसके पास दो दिन रुका था, तब भी उसका हीरो बनने का सपना पूरी तरह नहीं टूटा था. अब तक तो टी वी पर धारावाहिक शुरू हो चुके थे लेकिन अब तो इनके रोल के लिए वह बड़ा हो चुका था तब भी बात ही वह ऎसे शुरू करता था, "हमारी इंडस्ट्री में ------. "

वह् अपनी हंसी दबती `हाँ` हूँ ` करती रही थी. उसके पति घड़ी देखतें बड़बड़ाये, "पौने दो बज रहे हैं और सुपर हीरो का पता नहीं है. "

वह फिर आगरा से सेट पर खींच ली गई. सुपर हीरो अब तक सेट पर पहुँच गए हैं. उन्होंने स्टेज के बीच फिर कोट पहना लेकिन वह अभी भी फिट नहीं है. वह उसे गुस्से से उतार कर अपनी हल्के फाल्सई रंग की कमीज में ही वे बीस चीयर गर्ल्स के बीच में खड़े डांस प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं, "साँवरिया रे !ओ साँवरिया ------"वह छोटा सा कोरियोग्राफर उन्हें डांस स्टेप्स सिखा रहे हैं, ये द्रश्य देखना एक अनुभव है सुपर हीरो गंभीर मुद्रा में आँखें नीची किए हुए, सख्ती से भिंचे होठों से `ट्रांस ` मनोस्थिति में जाकर एक एक स्टेप `मग अप` कर रहे हैं. बाज़ू की लड़की फुस्फुसाती है, " आंटी! हम लोगो को बहुत ठंड लग रही है, अप दोनों हमारी सीट पर आ जाइये प्लीज़ !"

ठंड तो उसे भी लग रही है क्योंकि यहाँ विशाल सेट पर बहुत बड़े कूलर हवा दे रहैं हैं. और वो मोजे भी नहीं पहनी लेकिन वह समझ गई है सुपर हीरो को देखकर उन्हें ठंड क्यों लग रही है क्योंकि किनारे की सीट से वह अधिक स्पष्ट दिखे देंगे व कैमरे में कवर होने के चांस अधिक है, हालाँकि सबको पता है इस चैट शो में दर्शकों के हाथ ऊपर किये हुए ही तालिया ही कैमरे से कवर होती हैं. वे दोनों उठ जाते हैं. वो लड़कियां गद्गगद् हो "थैंक यु आंटी!!थैंक यु अंकल !"कहती उनकी सीट पर बैठ गई हैं.

तीन चार बार की प्रैक्टिस के बाद शूटिंग शुरू होती है `----लाइट -----कैमरा----एक्शन `की आवाज़ के साथ सुपर हीरो की चिरपरिचित मुस्कराहट होठों पर लौट आयी है, आँखें नटखट हो जता रही हैं ---`ले गई दिल तू ओ!साँवरिया. "वह शरीर लचकाते न्रत्य कर रहे हैं.

न्रत्य के बाद लड़किया सीढ़ी चढ़ती स्टेज के पीछॆ गायब हो जाती हैं. बायी तरफ़ उभर आयी हैं बहुत बड़ी स्क्रीन जिसमे बिग बॉस सीज़न -सेवन के सितारे दिखाई दे रहे हैं. , जिन्हें वह बिलकुल नहीं पहचानती. वो सुपर हीरो को स्क्रीन के अन्दर से इज़्ज़त से विश करते हैं.

सुपर हीरो की लचकती सी आवाज़, उनके चेहरे की भावनापूर्न अभिव्यक्ति, चपल आँखें सब लौट चुकी हैं -----उनका `मेनेरिज़्म `लौट चुका है ---वो ग्लैमर लौट चुका है जो पर्दे पर उन्हें असाधारण बना देता है, वह शोख आवाज़ में कह रहे हैं, "इन लोगो को मै डराकर रक्खूंगा कि इनमें से एक आज बिग बॉस -सीज़न सेवन में से आऊट होगा. अभी ये मेरे बात नहीं सुन सकते इसलिए आपको व मुझे पता है कि आज इनमें से कोई आऊट नहीं होगा. "

वह बेवकूफ़ो की तरह स्क्रीन में दिखाई देते कलाकारो का परिचय इन लड़कियों से पूछ रही है "ये कौन है ---ये कौन है?

वे धीरज से बता रही है, "ये नया टी वी आर्टिस्ट है ----------ये फ़ेमस रेस्टलर-----ये फ़ेमस हीरोइन सपना की बहिन ------ये सुंदर मॉडल है ------ये यंगमैन एक स्ट्रगलर -------ये फ़ॉरेन की बी ग्रेड एक्ट्रेस---------और ये -------"

वह जहां बैठी होती है अक्सर वहाँ नहीं होती ---- उसका दिल सुपर हीरो के टीवी में देखे इंटर्व्यू में उलझा हुआ है जिसे देखकर वह द्रवित हो गई थी. लोकप्रियता व दौलत के शिखर पर बैठे सुपर हीरो एंकर से कह रहे थे, "मै शादी कैसे कर लूँ ?मेरे अभी इतने ऑपरेशंस बाकी है कि बचूँगा भी या नहीं. कैसे किसी को विधवा बनाने के लिए शादी कर लूँ ? और मान लीजिये बच भी गया तो इतने पुलिस केस चल रहे हैं कि हो सकता है जेल ही चला जाउ तो कैसे किसी को अपने पीछॆ रोने छोड़ दूं ?. "

सुपर हीरो सही कह रहे हैं लेकिन सुपर हीरो तो सुपर हीरो हैं उनसे शादी करने के लिए, उनकी विधवा बनने के लिये भी कोई तैयार हो जाए, वो जेल में हों तो उनका इंतज़ार भी कर ले क्योंकि उन्हें देखते ही शूटिंग देखने आई लड़कियां सजग हो अपनी ज़ुल्फ़ें सँवारने लगती हैं या कन्धे पर पड़ा स्टॉल बेवजह ठीक करने लगती हैं.. शूटिंग चल रही है ------सुंदर मॉडल के लिए दो प्रेमियों की नोक झोंक लिये --- सुपर हीरो स्टेज पर चहलकदमी करते हुए, हाथों को घुमाते हुए, कोई इशारा करते हुए, कॉलर माइक से एक एक सितारे से बात किए जा रहे हैं और उन्हें बेवज़ह ही डराये जा रहे हैं कि आज एक सितारा ज़रूर एलिमिनेट होगा. .

वह राजेश को याद कर रही है जो फ़िल्मी दुनिया में कही तक नहीं पहुंच पाया ---पता नहीं वो बिजनेस करता था कि स्मगलिंग, वह रइसी सिर्फ़ तीन चार बरस रही थी. वह खोटे सिक्के सा पचास वर्ष की उम्र में घर लौट आया था. उसने शादी की सोची तो उसके कैरियर का ठिकाना नहीं था. माँ भी बहू की आस लिए बिस्तर से लग गई थी ----पिता हार्ट अटैक के तीन बरस बाद मर गए. अनब्याही गुंजन ने दो बार आत्महत्या की कोशिश कर चुकी थी. बाद में सुमन की कोशिश से उसकी भी शादी हो गई थी, यह बात और है दूल्हा उससे बारह वर्ष बड़ा था.

उसकी नज़र घड़ी पर जाती है, "अरे तीन बज गए. ` अचानक सुपर हीरो संजीदा हो सेट पर इधर उधर टहलते हुए कहते हैं, "आप सबको लग रहा होगा कितने मज़े उड़ाता है ये सुपर हीरो --कितनी लड़कियों के साथ डांस करता है. कुछ पता है मेरे बारे में ?----सुबह उठकर लोनावाला चला आ रहा हूँ. डाइरेक्टर के साथ स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूँ. दूसरी शिफ़्ट की शूटिंग करते करते दस बजेंगे. आप लोग तो जाकर सो जाओगे और मै एक डेढ़ बजे तक एडिटिंग करता रहूँगा. "

अरे! उसे खयाल ही नहीं रहा हर इतवार व शनिवार ये शो सिर्फ़ एक घंटे होता है और शुक्रवार को दोनों दिन की शूटिंग होती है दो शिफ़्ट में लगभग चार पाँच घंटे ? उससे भी पहले इस शो की जाने कब योजना बनी होगी, कितने लोगो ने शोध किया होगा, फ़ाइनेंसर तलाशें गए होंगे, कितनी सेलिब्रिटी़ज को बिग बॉस शो में भाग लेने का प्रस्ताव भेजा गया होगा, कितनों ने ठुकराया होगा ?इस भव्य सेट पर कितने ही लोग पर्दे के पीछॆ काम कर रहे है. बाप रे !कितने लोगो की कड़ी मेहनत व सपना है ये शो?

क्या सुपर हीरो हर शूटिंग में ऎसे ही संजीदा रहते हैं ?, "मै अकेला ड्राइवर के साथ कार में सफ़र करता चार बजे तक मुंबई पहुँचुंगा, बिलकुल अकेला यहाँ से जाऊँगा बिलकुल अक्केला-------. और एक ये हैं सीरियल एक्टर ----अकेले बिग बॉस में आए थे. इन्हे सुंदर मॉडल का प्यार मिल गया. ये आए थे अकेले बिग बॉस से जायेंगे, वो भी एक लड़की के साथ और मै ? रात के दो बजे अक्केला सफर करता हुआ -----. बिलकुल अक्केला. "

दर्शक ख़ामोशी से दिल थामे सेट पर सुपर हीरो की तड़पती, लह्कती लकीर के दर्द को महसूस कर रहे है. वह सोच रही है कोई आसमान पर जगमगा रहा हो या ज़मीन पर चल रहा हो या रेंग रहा हो, सबको अपने अपने कंधों पर कीलों से गड़ी अपनी सलीब तड़पते हुए ढोनी ही पड़ती है. सुपर हीरो तो ऎसे हैं कि कोई भी लड़की ऎसे भविष्य के बावजूद उनका हाथ थाम ले लेकिन उन्हें कहाँ मिलेगी अपनी कस्तूरी गंध ?कब उनके सीने में से मिटेगी ये दर्द की लकीर ? एक जबरदस्त सितारे को दो घंटे तक लगातार बोलते देखना ---वो भी बिना रिटेक ---यही तो चैट शो की ख़ास बात है.

वह् सोचती है नियति ने पूना पलट को भी किसी लड़की का होने नहीं दिया. बताते हैं उस कॉलेज वाली लड़की ने भी पाँच साल इंतज़ार करने के बाद निराश होक्रर कही और शादी कर ली थी मम्मी के आँगन से जुड़े हर रिश्तेदार व परिचितों के दिल में एक कसक हमेशा कसकती रह्ती है कि इस घर से जुड़ा एक सितारा अर्थात पूना पलट क्यो डूबता चला गया. जिस घर के आँगन से जो भी जुड़ा हमेशा प्रगति करता गया. आश्चर्य ये होता है कि इस आँगन से जुड़े दो लोग आई एफ़ एस बने यानि कि एक विदेशी सेवा विभाग में गया दूसरा वन्यविभाग में। इस फ़िल्मी आसमान में जगमगाने के लिए कितने पूना पलट को ये जगमगाती मुंबई निगल गई होगी. तब कही अनेकों स्प‌र्म्स की तरह नष्ट होने के बाद एक स्पर्म जैसी सरवाईवल फ़ॉर फ़िटेस्ट एक के हाथ लगती है. -----तब कोई हीरो या हीरोइन बनती है. किसी ने कभी सर्वे नहीं किया शायद सबसे बड़ा नरभक्षी व्यवसाय यही है, यही है सबका चहेता भी, बेहद दिलफ़रेब, बेहद मनोरंजक.

तभी तीसरा दस मिनट का ब्रेक हो जाता है, झनझन बीच के रास्ते पर प्रगट हो जाते हैं, "आप लोग जाना तो नहीं चाह रहे ?"

वे दोनों तपाक से `हाँ `करते हुए उठ जाते हैं. पीछॆ से वो दो लड़कियां कह रही है, "आंटी !अँकल! बाय ----बाय---अगेन थैंक यु सो मच "

वे पलट कर मुस्कराते हुए उनको `बाय` करते हुए सेट से बाहर आ गए है. झनझन बाकायदा उन्हें बाहर के रास्ते तक एस्कॉर्ट करता है. बाहर निकल कर देखते हैं बड़ी बड़ी केनोय जिन पर एक बड़े डाइरेक्टर, प्रसिद्ध हीरो व हीरोइन का नाम लिखा हुआ है, खड़ी है --वे अपनी फ़िल्म को प्रमोट करने बिग बॉस के सेट पर दूसरी शिफ़्ट में जाने वाले हैं. तय ये होता है कि खाना खाकर ही रिसॉर्ट जाया जाए क्योंकि साढ़े तीन बजे वहाँ का रेस्टोरेंट बंद हो गया होगा, तो यहाँ ही कौन सा होटल खुला नजर आ रहा. बड़ी मुश्किल से एक छोटी दुकान पर पिज़ा का बोर्ड दिखाई देता है. दुकानदार थके हुए मूड से उनका पिज़ा बनाने में लगा है. पिज़ा आते ही वह् उस पर लगभग टूट पडटे हैं. तभी उन्हें एक जोड़ा आता दिखाई देता है जिसे उसने सेट पर देखा था. लड़की हाँफती सी अपना बड़ा काला पर्स मेज पर रखते हुए कहती है, `भइया !पहले जल्दी से ब्रेड खाने को दे दो तब तक पिज़ा बनाओ. "

"मैडम !हम लोग ब्रेड नहीं रखते. पिज़ा बनने में तो बीस पच्चीस मिनट तो लगेंगे ही. "

वह् लड़की हताश सी कहती है, "तब तक तो मै भूख से मर जाऊँगी. "

वह मन ही मन उत्तरी भारत की माताओं को प्रणाम करती है, चाहे सुबह के चार ही क्यों ना बजे हों जब तक वे एक परांथा या दो ब्रेड स्लाइस बच्चों के गले में ठूँस नहीं देती तब तक उन्हें घर से बाहर कदम नहीं रखने देती. वह पूछती है, "बिग बॉस की शूटिंग खत्म हो गई ?मैंने आपको सेट पर देखा था. "

"आंटी! शूटिंग चार बजे खत्म होते ही हम लोग खाने के लिए भागे चले आ रहे है. हम लोग मुंबई से आठ बजे निकले थे, सोचा था लोनावाला में कुछ खा लेंगे लेकिन दस बजे तो शूटिंग शुरू होनी थी फिर एंट्री बंद हो जाती. "

"लेकिन वहाँ गेस्ट के लिए नाश्ता चाय रक्खी हुई थी. "

"हमसे तो किसी ने खाने के लिये कहा ही नहीं. "भूख से बिलबिलाना क्या होता है-ये उसके चेहरे से पता लग रहा है.

रिसॉर्ट में सुलभ प्रीति बने ठने खड़े हैं. हमारे जाते ही शुभो को हमारे गोदी में दे देते हैं, "अरे आप लोग तो पूरी शूटिंग देखकर आए हैं. और ममी तो मुह बनाती गई थी, वही खुश नजर आ रही हैं, पापा परेशान नजर आ रहे है जो खुशी खुशी गए थे. "

"प्रीति !थैंक यु वेरी मच, झनझन को हमारा थैंक्स कह देना, उसने हमारा बहुत ध्यान रक्खा. "

"मम्मे !उसने फ़ोन से आप लोगो को सॉरी बोला है कि वह आपसे मिल नहीं पाया. "

" वॉट !तो वो कौन था ?"

"उस का असिस्टेंट. " प्रीति हँसते हुए चली जाती है.

मुंबई से लौटे हुए अभी सात आठ दिन ही हुए हैं कि अचानक पूना पलट का फ़ोन मिलता है, "जीजी !प्रणाम. कैसी हैं ?`

मै इस इत्तेफाक़ से अचम्भित हूँ, "मै बिग बॉस की शूटिंग देखते हुए तुम्हे बहुत याद कर रही थी. "

"और देखिये मेरा फ़ोन पहुँच गया. मेरी इंडस्ट्री वालों ने बताया था कि बिग बॉस की शूटिंग लोनावाला में चल रही है. "

"ये बताओ कैसे हो ?`

"बस ठीक ही हूँ. जब से गुंजन ने अपनी ससुराल में आत्महत्या की है तब से मेरा दिल दुनियाँ से उचट गया है, मैंने भगवा वस्त्र पहन लिए हैं. पूजा पाठ में लगा रहता हूँ . "

"क्या ? कब ?गुंजन ने ऎसा क्यों किया ?"

"ये तो पाँच साल पहले की बात है, बस कभी मिलेंगे तब बताऊँगा. आप बताइये यदि आपके यहाँ जीवन में कुछ गड़बड़ चल रही हो, आपके गृह आपको परेशान कर रहे हो तो मै आकर पूजा पाठ करके स---ब ठीक कर दूँगा. "

वह् घबरा जाती है कि कही सच में ही वह ना आ धमके, वह जल्दी से कहती है, "मेरे यहाँ ऊपर वाले की मेहरबानी से सब ठीक चल रहा है. "

"देखिये हर एक की लाइफ़ में कुछ बुरा चलता रहता है. आप शर्माइये नहीं, में आपका भाई हूँ . आपके यहाँ आकर सब ठीक कर दूँगा. "

"कहा ना मेरे यहाँ सब ठीक है और मुझे मम्मी की तरह मुझे इन बातों पर यकीन नहीं है. "

कहते हुए वह् फ़ोन काट देती है. बस ये कहना व पूछना भूल जाती है कि तुम भगवा वस्त्र तो बरसों पहले पहन चुके थे. हां, कभी ना असफ़ल होने वाले व्यवसाय में कब आए हो ? ये भी तय है कि पूना पलट यदि उस सुपर हीरो के चौथाई हिस्से जैसा भी सफ़ल हो गया होता तो तुरंत उसे घर आने के लिए `हाँ ` कर देती और लोकल टीवी चैनल्स को फ़ोन कर रही होती.

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नीलम कुलश्रेष्ठ

ई -मेल ---kneeli@rediffmail. com