Rose day books and stories free download online pdf in Hindi

रोज़ डे

कुछ बातें/यादें बरसों बरस भी ताजा रहती है । पिछले बरस मन के सिक्त सुगन्धित कोने की छोटी सी पर्ची लिखी थी । एक बार फिर से सब यादें ताजा हो गयी ।
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एक महीना हो चला था हमको एक दूसरे का हुए । याद है जब एक बार प्रेम नगर से वापिस लौट रहे थे तो आपके एक पुराने से मकान के बाहर चेतक स्कूटर रोक कर कहा था,
" आओ जरा मेरे साथ ... "
हैरान परेशान सी मैं आपके पीछे पीछे चल दी थी। बाहर से जंग खाये गेट वाला वो मकान अंदर एक विस्तृत रूप मे नर्सरी (अनुराग नर्सरी) था । लाइन से लगे अनेक तरह के डेहलिया पैन्जी ओर क्रोटन को देखकर ही मैं मुग्ध हो रही थी ।
तभी आपने धीरे से आकर मेरे कंधे पर हाथ रखा और आँखों से कहा,
"आओ ..."
और मैं साड़ी को सम्हालते हुए पथरीली जमीन पर पेंसिल हील में चलती हुई डगमगा रही थी । आपने पीछे मुड़कर देखा तो एक हाथ से मेरा पर्स लिया और दूसरे में मेरा हाथ थाम लिया।
सामने गुलाबों की क्यारी थी ।हर रंग का गुलाब था । मुझे गुलाब बहुत पसंद है आप हमेशा से जानते थे।। लेकिन मुझे पौधे उगाना/लगाना भी पसंद है यह साथ रहकर जाना। जब भी अकेली होती थी तो कुर्सी लेकर गमलों के आस पास जो जा बैठती थी।

"बताओ, कौन सा गुलाब लेना है?"
आपके सांवले चेहरे पर जैसे गुलाब का रंग उतर आया था और मुझमें उनकी महक ।
दूर दूर तक गुलाब ही गुलाब थे । लाल... महरून.... गुलाबी.... सफेद... और पीला भी ।

"बोल न कौन सा लेना है?"
"सारे के सारे...." ललचाई सी बोली थी मैं
मेरे चेहरे पर नजर गढ़ाये आपने कहा।

"लेकिन घर में गमला एक ही ख़ाली है और नया गमला रखने की जगह भी नहीं।"

रूमानी मौसम था जिंदगी का तो जाहिर है नजर लाल पर ही रुकी वो भी देसी गुलाब। आख़िर मैं भी तो स्माल टाउन गर्ल थीं न , (ऐसे ही कहते थे न तब आपके घर के लोग)।

थोड़ी देर बाद हाथ में काली पॉलीथीन में लगा देसी लाल गुलाब लिए मैं स्कूटर तक आ गयी और खामोशी से बल्ली वाला चौक की तरफ जाते वाहनों को तकती रही ।

अचानक स्कूटर की टोकरी में आपने झुक कर कुछ रखा।

पीला गुलाब।

अहा, कितनी ललचाई नजरों से उसको देख रही थी मैं। पीला रंग बहुत पसंद था मुझे।

शादी से पहले आपकी बहन ने पूछा था,
"कौन कौन से रंग बहुत पसंद है? हमने बरी बनानी है।"

"पीला और नीला..."

"अरे, खुद ही नीली पीली है रंग भी ऐसे पसंद। बरी में लाल गुलाबी साड़ियाँ सूट ही बनाये जाते। मेरे भाई को तो तुम्हारे लिए गुलाबी रंग पसंद आता जब भी कुछ खरीदने लगो "

चुप रह गयी थी ,

"जैसे आप लेना चाहें ले लेना।"

बरी में पीला कोई सूट न था लेकिन नीली साड़ी थी जिस पर रेड और सिल्वर गुलाब बने थे।(बाद में पता लगा था आप खुद दिल्ली से खरीद कर लाये थे ओर आज भी सुरक्षित है )

"पीला गुलाब क्यों?" मैंने आंखों से ही सवाल पूछा।

"क्योंकि कल बसंत पंचमी है और तुमको पीला रंग पसंद है। कल रोज डे भी है तो यह रोज़ भी है और हम अब पति पत्नी भी है और हमेशा दोस्त बनकर रहे और यह पीला गुलाब दोस्ती का प्रतीक भी है "

"तुमने लाल गुलाब लिया कि हमारा प्यार हमेशा खिला रहे और मैंने पीला भी लिया कि इस रिश्ते में दोस्ताना भी बना रहे ।"

"लेकिन गमला एक ही है "

"जगह बनाई जा सकती है अगर चाहो तो,बना लेंगे जगह "

25 साल तक देहरादून में उस पीले और लाल देसी गुलाब ने मेरे साथ हर मौसम देखा।

दिल्ली की 20 इंच की बालकनी में बिना धूप के क्या गुलाब लगाए जाएं?
कभी तो मेरे घर गमलो में हर रंग के गुलाब खिलेंगें न ।

Happy Rose day उन सबको मुबारक जो मन से गुलाबो सा महकते है किसी न किसी के लिए

तेरी महक इस कदर समायी हैं भीतर
मुझे आज गुलाबो की जरुरत ही नही

Teri Mahak Is kadar Samayi Hai Bheetar
Mujhe Aaj Gulaabo Ki Jarurat Hi Nhi !!!
#Nivia
#Neelima