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प्राचीन भारतीय इतिहास - 9 - वैष्णव पारसी धर्म

वैष्णव धर्म

– वैष्णव सम्प्रदाय (वैष्णव धर्म ) में, भगवान विष्णु को ईश्वर और पूरी श्रृष्टि का संचालन कर्ता माना जाता हैं। वैष्णव धर्म के बहुत सारे उप-सम्प्रदाय हैं। वैष्णव का मूलरूप सूर्य देवता की आराधना में मिलता हैं। प्राचीन काल में, वैष्णव धर्म का नाम “भागवत धर्म” या “पांचरात्र मत” था। इस सम्प्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव है, जिन्हें छः गुणों – बुद्धि, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज से संपन्न होने के कारण भगवान या भगवत कहा गया हैं और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं।

वैष्णव संप्रदाय के बारे में तथ्य

  1. विद्वानों के अनुसार लगभग 600 ई। पूर्व जब ब्राह्मण ग्रन्थों के हिंसा प्रधान यज्ञों की प्रतिक्रिया में बौद्ध-जैन सुधार आन्दोलन हो रहे थे तब यह धर्म अस्तित्व में आ गया था जो क्षत्रिय वशं के कुछ विशेष वर्गो तक ही सीमित था।
  2. श्रीमद्भागवत गीता इस सम्प्रदाय का मान्य ग्रन्थ हैं।
  3. वैष्णव धर्म के बारे में सामान्य जानकारी उपनिषदों से मिलती है। इसकी उत्पत्ति “भगवत धर्म” से हुआ हैं।
  4. वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे, जो वृषण कबीले के थे और जिनका निवास स्थान मथुरा था।
  5. विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख मत्स्यपुराण में मिलता है जोकि इस प्रकार हैं – मत्स्य, कच्‍छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्‍ण, बुद्ध और कल्कि।
  6. वैष्णव धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सार्वधिक महत्व भक्ति को दिया गया हैं।
  7. वैष्णव सम्प्रदाय के अन्य नाम पांचरात्र मत, वैष्णव धर्म, भागवत धर्म आदि हैं।
  8. भागवत धर्म शुरूआत में क्षत्रियों द्वारा चलाया हुआ, उपासना का मार्ग था।
  9. वैष्णव धर्म के तीर्थ स्थल इस प्रकार हैं – मथुरा, अयोध्या, बद्रीधाम, तिरूपति बालाजी, श्रीनाथ, द्वारकाधीश आदि।
  10. ऋग्वेद में वैष्णव विचारधारा का उल्लेख मिलता है।

वैष्‍णव संस्‍कार

  1. वैष्णव मंदिरों में भगवान विष्णु, राम और कृष्ण की मूर्तियां होती हैं।
  2. इस धर्म के लोग एकेश्‍वरवाद के प्रति कट्टर नहीं हैं।
  3. इस धर्म या सम्प्रदाय के साधू-संन्यासी सिर मुंडाकर चुटिया रखते हैं।
  4. ये सभी पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान दिन में करते हैं।
  5. यह सात्विक मंत्रों को महत्व देते हैं।
  6. सन्यासी जनेऊ धारण कर पितांबरी वस्त्र पहनते हैं और हाथ में कमंडल तथा दंडी रखते हैं, जबकि सामान्य लोग भी जनेऊ धारण कर सकते हैं।
  7. वैष्णव धर्म के लोग सूर्य पर आधारित व्रत उपवास करते हैं।
  8. वैष्णव दाह संस्कार (मृत शरीर को जलाने) की रीति हैं।
  9. यह चंदन का तिलक लगाते हैं।
  10. वैष्‍णव साधुओं को आचार्य, संत, स्‍वामी, महात्मा आदि कहा जाता है।




पारसी धर्म




पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म भी कहते हैं ।

फारस का यह प्राकृतिक धर्म कालांतर में धर्म श्रवौन के रूप में स्वीकार किया गया. इस धर्म के संस्थापक जरथुष्ट्र थे. यही श्रवौन धर्म बाद में पारसी धर्म बना. जरथुष्ट्र का जन्म पश्चिमी ईरान के अजरबेजान प्रान्त में हुआ था. उनके पिता का नाम पोमशष्पा और माता का नाम दुरोधा था ।

ज़रथुष्ट्र धर्म की मान्यता

ज़रथुष्ट्र धर्म में दो शक्तियों की मान्यता है

  • स्पेन्ता मैन्यू, जो विकास और प्रगति की शक्ति है और
  • अंग्र मैन्यू, जो विघटन और विनाशकारी शक्ति है।
  • ज़रथुष्ट्र धर्मावलम्बी सात देवदूतों (यज़त) की कल्पना करते हैं, जिनमें से प्रत्येक सूर्य, चंद्रमा, तारे, पृथ्वी, अग्नि तथा सृष्टि के अन्य तत्वों पर शासन करते हैं। इनकी स्तुति करके लोग अहुरमज्द को भी प्रसन्न कर सकते हैं।

    धर्मग्रंथ

    पारसियों का प्रवित्र धर्मग्रंथ 'जेंद अवेस्ता' है, जो ऋग्वेदिक संस्कृत की ही एक पुरातन शाखा अवेस्ता भाषा में लिखी गई है। ईरान के सासानी काल में जेंद अवेस्ता का पहलवी भाषा में अनुवाद किया गया, जिसे 'पंजंद' कहा जाता है। परन्तु इस ग्रंथ का सिर्फ़ पाँचवा भाग ही आज उपलब्ध है। इस उपलब्ध ग्रंथ भाग को पांच भागों में बांटा गया है

  • यस्त्र (यज्ञ)- अनुष्ठानों एवं संस्कारों के मंत्रों का संग्रह,
  • विसपराद- राक्षसों एवं पिशाचों को दूर रखने के नियम,
  • यष्ट- पूजा-प्रार्थना,
  • खोरदा अवेस्ता- दैनिक प्रार्थना पुस्तक,
  • अमेश स्पेन्ता- यज़तों की स्तुति।