Tanmay - In search of his Mother - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

Tanmay - In search of his Mother - 7

7

पुरानी दोस्त

 

तन्मय राघव को छोड़ता हुआ सीधे पापा के मॉल में पहुँच  गया अभिमन्यु ने उसे  देखकर   आने का कारण  पूछा,

 

कुछ नहीं पापा, बस वो चॉक्लेट्स खाने का मन कर रहा था I

 

अच्छा  तुम बैठो ! मैं  तुम्हारे लिए  चॉकलेट और केक लेकर आता हूँI

 

अभिमन्यु वहीं रखी कुर्सी पर बैठ गया और आसपास देखने लगाI जब उसने देखा कि  पल्लवी  उसकी  तरफ़  ही  देख  रहीं  है तो उसने  बिना देर   करे, उसे  ईशारे  से अपने पास बुला  लियाI

 

क्या  हुआ तनु ?

 

आंटी, मालिनी आंटी नहीं आई ?

 

बेटा, अभी  थोड़ी  देर  में  आ आएगीI  क्यों कुछ काम है ?

 

नहीं, बहुत दिनों से  उनसे नहीं मिला था, सोचा  मिल लूँI पल्लवी ने उसका  गाल  थपथपाया और  वहाँ से  चली गई  I अभिमन्यु  उसके लिए केक और चॉकलेट रखकर  चला गयाI उसने  अनमने मन से केक उठाया  और खाने लगा I जब  एक घंटा  बीतने पर भी  मालिनी  आंटी  नहीं आई  तो  वह अपने पापा को बाय  बोलकर  वहाँ से  चला  गयाI मॉल  से  निकलकर  वह अभी  कुछ दूर ही चला  होगा कि  उसको  सामने से  मालिनी आती दिखाई दीं I उसने  तन्मय  को देखा  तो वह मुस्कुरा  दी और  उसके पास  आकर बोली, बेटा  कैसे  हो? बहुत दिनों बाद दिखें I

 

आंटी आपसे कुछ बात करनी है I

 

क्या ! बात करनी है?

 

उसने आसपास देखा और उसे  एक कोने में  चलने का ईशारा कियाI मालिनी को कुछ समझ नहीं आया पर उसने  तन्मय की बात मानते हुए  उसके साथ जाना  ठीक  समझाI

 

क्या हुआ ? कुछ कहना है ?

 

आंटी  आपको पता है, मेरी  मम्मी कहाँ है ?

 

क्या ! वह हैरान  हो गई  और उसे  एकटक  देखते  हुए बोली, बेटा, मुझे  कैसे पता होगा ? तुम  मुझसे  क्यों  पूछ रहें हो ?

 

जतिन अंकल बता रहें थें कि  आपको पता होगा I

 

जतिन  वो  मार्केटिंग वाला I वो  एक नंबर का झूठा और वाहियात इंसान हैI अपनी करतूत  मुझ पर मढ़  रहा हैI उसने  गुस्से में  दाँत  भींच  लिएI

 

अगर आपको पता है........ मालिनी उसकी बात को बीच में  काटते हुए बोली, बेटा,  नहीं पता I मैं और नैना तो ठीक से  बात भी नहीं करते थें I मतलब हम तो दोस्त भी नहीं  थें I

 

क्योंकि  आप  पापा की दोस्त है और मम्मी आपको पसंद नहीं करती थींI यह  सुनकर मालिनी को झटका लगा I उससे कुछ कहते नहीं बनाI मगर  तन्मय  उसे  घूरता हुआ वहाँ से  चला गयाI लम्बा  कद, लम्बे बाल, बड़ी-बड़ी आँखे और साँवले  रंग की मालिनी को नैना  ने कभी पसंद नहीं किया I हालाँकि वह  अभि  पर  शख नहीं  करती थीं, मगर उसे मालिनी का उसके  पति से  चिपकना पसंद भी नहीं  थाI मालिनी की आँखों के  सामने  पिछला  पल आ  गयाI जब  वह आख़िरी  बार  नैना  से मिली  थींI

 

11/9/2023

 

नैना अभि के साथ सोसाइटी में  रहने वाले सोहम  मालिक की रिटायरमेंट पार्टी  में आई हुई है I मालिनी भी अपने पति राजीव के साथ वहाँ पहुँची I प्याज़ी रंग की वन पीस पहने  नैना  बहुत  सुन्दर  लग  रहीं हैI पार्टी में  हर  किसी की नज़र उस पर एक बार तो ज़रूर ठहरती हैI नैना किसी से  बात कर रहीं  थीं, तभी  अभि  ने आकर  टोका, नैना इनसे मिलो, यह  मालिनी के पति  मिस्टर राजीव हैI वह  उन्हें  देखकर  मुस्कुराई  और राजीव ने भी ख़ुश  होते हुए, उसे  हेल्लो  कहाI मालिनी के चेहरे पर  भी हल्की सी मुस्कान  आ गई I

 

अच्छा! तो आप  मालिनी जी के पति हैI मैंने सुना है कि आप बहुत बिजी रहते  हैंI

 

बस शेयर मार्किट का काम ही कुछ ऐसा हैI

 

बच्चा तो आपका हॉस्टल गया हुआ है, मगर अपनी बीवी पर तो ध्यान देंI मालिनी ने सुना तो  उसे नैना की यह  बात  बुरी  लग  गई I उसने उसे घूरकर देखाI

 

ध्यान तो आप जैसी खूबसूरत पत्नी का रखा जाता है, राजीव ने हँसते  हुए कहा I

 

अजी  कहा, घर की मुर्गी  दाल  बराबरI अभिमन्यु नैना की बात  सुनकर हँस  तो दिया, मगर उसे और मालिनी को, राजीव का नैना की तारीफ़  करना अच्छा नहीं लगाI  वह ड्रिंक लाने  का बोल, वहाँ से  चला गयाI फ़िर मालिनी ने  भी  राजीव को  वहाँ से  हटने का ईशारा कियाI मगर उसने उसे अनदेखा  कर दिया और वह मन मसोस कर वहाँ से  खिसक गई I अब राजीव और नैना आपस में  बात करने लगेंI

 

सुना है ! आप  एंटरप्रेन्योर हैI

 

अरे ! कहाँ, बस छोटा सा बिज़नेस है, मेरा I

 

कोई मदद चाहिए हो तो बताएँ, मुझे ख़ुशी  होगीI

 

फ़िलहाल तो नहींI

 

वैसे भी आपको मदद की क्या ज़रूरत होगी, आपको तो लोग मना ही नहीं करते होंगेI उसके चेहरे पर एक कुटिल  मुस्कान हैI

 

मुझे  लोगों से काम लेना आता हैI  तभी राजीव का फ़ोन बज गया और  वो वहाँ से हट गया, तभी मालिनी उसके सामने आ गई I

 

नैना! अपनी हद में  रहा करोI तुम्हें मेरे पति को बताने की ज़रूरत नहीं है कि उसे क्या करना  चाहिएI

 

मैं उसे क्या बताऊँगी, तुम्हारा  पति तो कुछ ज्यादा ही समझदार हैI तुम  बस अभिमन्यु से कम  मतलब रखा करोI

 

हम काम की वजह से  बात करते हैंI

 

अगर मैंने राजीव के साथ काम की बात की तो तुम्हें बहुत  दिक्कत  हो जाएगीI यह  कहते हुए नैना अभिमन्यु के पास जाकर खड़ी  हो गई  और गुस्से में  मालिनी ने दाँत  पीस लिएI तभी  गाड़ी  के  हॉर्न ने उसका ध्यान भंग  किया और उसने  आसपास देखा तो उसे  याद आया कि  वह  तो अभि  के मिनी  मॉल  जाने के  लिए आई  थींI वह  तेज़ कदमों  से मॉल  के अंदर  चली  गईI

 

पुलिस स्टेशन में  शिवांगी कुछ फाइल देख  रहीं  हैंI तभी  हरिलाल ने उसके टेबल पर चाय  रखते  हुए कहा--

 

मैडम  साहब आज भी नहीं  आए ?

 

किसी काम से  जयपुर  गए हुए हैं I

 

आपने  उसके पति को नहीं बुलवाया?

 

मैं  रुद्राक्ष सर का इंतज़ार कर रहीं  हूँ, जैसा वो आर्डर देंगे, वैसा होगाI

 

हरिलाल  बत्तीसी दिखाता  हुआ, वहाँ से  चला  गयाI शिवांगी ने रुद्राक्ष को कॉल करके  उसके आने के बारे में  पूछाI

 

अभिमन्यु गुस्से में  मॉल  से निकला और  जल्दी से  गाड़ी  में  बैठकर  तेज़ स्पीड से गाड़ी  भगाता  हुआ जतिन की कंपनी पहुँच गयाI मगर  वहाँ जाकर उसे  पता चला  कि  वह तो घर  जा चुका  हैंI उसने  गाड़ी  उसके  घर की तरफ़  दौड़ा दींI वह  गुस्से में  बड़बड़ाता हुआ जा रहा है--

 

आज इस कमीने को नहीं  छोड़ूंगा I  पहले मेरी  बीवी, अब मेरा बच्चाI मुझे  तो इसका  गला  पहले  ही घोंट देना  चाहिए थाI  आज इसे  जान से मारकर  मुझे  शांति  मिल जाएगीI जतिन का अपना  घर हैI गेट पर गार्ड को धक्का  देते हुए वह अंदर चला गयाII गार्ड ने उसे  बहुत  रोकने की कोशिश की, मगर  वह नहीं  मानाI अंदर जाते ही उसने चिल्लाकर कहाI

 

जतिन ! जतिन !

 

जतिन अभि  को देखकर  हैरान  हो गयाI

 

तू  यहाँ ?

 

उसने  जतिन का कॉलर पकड़ लिया और उसके  मुँह पर दो-चार  घूँसे  जड़  दिए I जतिन ने भी उसे  पूरी  ताकत से  धक्का  दिया  और  फिर  अभिमन्यु ने उसे दोबारा मारना शुरू कियाI "साले ! कहाँ है, मेरी बीवी ? मेरे बच्चे को क्या सिखा  रहा थाI" उसने फ़िर  उसके  मुँह पर  एक चाटा  माराI अब जतिन ने भी उसका  मुँह  तोड़ते हुए कहा, "तू बता नैना कहाँ है ? क्या किया तूने, उसके साथ ? और तेरा बच्चा  ख़ुद आया था, मेरे पास I" अब अभिमन्यु ज़मीन पर गिर गयाI वह  खुद को पूरी  ताकत से  उठाता  हुआ  बोला, "मेरी गलती थीं, मैंने तुझे नैना से  मिलवाया थाI" साले!  वो तुझे  मेरा  दोस्त समझती थींI" "वो  गलत समझती  थीं, मैं  तेरा  दोस्त नहीं  हूँI" यह  सुनकर  अभिमन्यु ने ज़ोर से  एक  लात  जतिन को दे मारीI तभी गार्ड जतिन की पत्नी  प्रिया  को बुला लायाI  प्रिया ने उन दोनों  को झगड़ते हुए देखा तो डर गई फ़िर  जतिन  को अभिमन्यु से अलग करने लगी, मगर  वह दोनों ही जमीन पर गिर  पड़े I जैसे ही अभिमन्यु ने ख़ुद  को सँभालते  हुए  प्रिया  को देखा  तो वह चौंक  गयाI प्रिया ! तुम ! प्रिया भी उसे  देखकर  हैरान हो गईI