Prem ke Rang - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम के रंग - 7 - अँधा इश्क़, मेरी बेकार सी जिंदगी

1 अँधा इश्क़
एक लड़का था दीवाना सा, वह एक लड़की से बहुत प्यार करता था। लेकिन परेशानी यह थी कि वह लड़की अंधी थी। लकिन फिर भी वह लड़का लड़की को दिलों जान से चाहता था। उस लड़की की हर जरुरत को ध्यान में रखता और उसके घरवालों की हर संभव मदद करने की कोशिश करता था। लड़की भी उसे धीरे-धीरे चाहने लगी थी। लेकिन अंधी होने के कारण वह काफी उदास रहती थी। वह अक्सर उस लड़के से कहा करती थी, “तुम किसी और से शादी कर लो, नहीं तो दुनिया मुझे जीने न देगी और ताने देगी कि लड़की ने लड़के को झूठे प्यार में फँसा लिया।” लड़की की बात सुनकर लड़का काफी उदास हो जाता। लेकिन लड़का उसे दिलों जान से चाहता था और वह यह अच्छे से जानता था कि लड़की भी उससे बहुत प्यार करती है। लेकिन देख न पाने की बजह से वह किसी और से शादी करने के लिए बोलती है। एक दिन लड़के ने उस लड़की के आँखों को दृढ़ ठीक करने का निश्चय किया और एक बहुत बड़े हॉस्पिटल में आँखों के डॉक्टर से उस लड़की की आँखों को चेकअप कराया। चेकउप के बाद डॉक्टर ने लड़के से कहा, “यह लड़की फिर से दुनिया को देख सकती है, बशर्त इनको कोई अपनी आँखें दान कर दे।” कुछ समय सोचने के बाद लड़के ने डॉक्टर से लड़की की आँखों का ऑपरेशन करने के लिए कहा। लड़की की आँखों का ऑपरेशन हो गया और सब कुछ सही रहा। कुछ समय बाद जब लड़की की आँखों से पट्टी हटाई गई तो लड़की ने सबसे पहले उस लड़के से मिलने की इच्छा जाहिर की। लेकिन जब लड़की लड़के से मिली, तो उसे पता चला कि वह लड़का भी अँधा है। लड़की का दिल बैठ सा गया। उसने न जाने क्या-क्या अरमान सजा रखे थे, उस लड़के के प्रति जो उसे एक पल में ही टूटते हुए नजर आ रहे थे। लेकिन उस लड़के ने अपने सभी अपेक्षाओं पर पानी फिरता देख किसी और लड़के से शादी कर ली। जब यह खबर लड़के को पता चला तो उससे यह बर्दाश्त न हुआ और वह बीमार रहने लगा। एक दिन उस लड़के की एक रोड एक्सीडेंट के दौरान मौत हो गई। जब यह खबर लड़की को पता चली तो वह जोर-जोर से रोने लगी। तभी उसे एक अदृश्य आवाज सुनाई दी, “तुम मेरे दिल को तो संभाल न सकी, कम से कम मेरी आँखों का तो ख्याल रखो और रोना बंद करो।” लड़की को यह आवाज कुछ जानी पहचानी लगी। लड़की को समझते देर न लगी कि यह आवाज उसे क्यों सुनाई दे रही है।

2 मेरी बेकार सी जिंदगी

मैं एक अनाथ लड़की थी, अनाथालय में पली-बड़ी थी। 10 वीं के बाद पढाई के साथ-साथ पार्ट टाइम नौकरी भी करने लगी थी। तन्हाई और दर्द तो जैसे कभी न जाने के लिए ही मेरी जीवन में आए थे। वैसे तो कई क्लासमेट थे मेरे, पर सायद मेरे दर्द को मुझसे अच्छा कोई भी नहीं समझ सकता था। जिस लड़की की न माँ हो, न बाप हो, न कोई बहन और न कोई भाई उसके लिए जिंदगी एक सजा से कम नहीं होती हैं। न तो रोने के लिए कोई कंधा, न परेशानी हल करने के लिए किसी का साथ, उलझकर रह गई थी मैं अपनी बेकार सी जिंदगी में। न तो मुझे किसी से प्यार था और न मुझे किसी का इंतजार था लेकिन वक्त को कुछ और ही मंजूर था। मैं 18 साल की हो चुकी थी। आगे की पढाई के लिए मुझे दूसरे शहर में जाना पड़ा और साथ ही पार्ट टाइम जॉब भी करने लगी। सप्ताह के छह दिन क्लासेस और ऑफिस में बीत जाते थे और संडे थोड़ा आराम कर खत्म हो जाता था। खुद के लिए तो समय ही नहीं मिलता था मुझे। कुछ पैसे सेविंग्स में चले जाते थे और बाकि के पैसे जरुरत का सामान खरीदने और कमरे का किराया देने में खत्म हो जाते थे। तभी एक दिन जिंदगी ने एक नई मोड़ ली। मेरे घर के बगल में रहने एक नया पडोसी आया। वैसे तो मैंने पहले उसे नोटिस नहीं किया लेकिन धीरे-धीरे मैं उसे नोटिस करने लगी। मेरे घर से बाहर जाते वक्त और वापस घर आते समय वह अक्सर छत पर टहलता हुआ मिल जाता था। उस दिन हमने एक-दूसरे से पहली बार बात की। धीरे-धीरे बातों का सिलसिला शुरू हो गया। उसने बड़े ही चालाकी से मुझसे मेरा फोन नंबर माँगा और फिर मुझसे फोन पर बात करने की परमिशन माँगी। अब हम दोनों अक्सर रात-रात भर बातें करने लगे। वह पढाई में भी मेरी मदद करने लगा। जब मैंने पहली बार उसे i love you कहा तो उसका चेहरा देखने लायक था। सायद वह नर्वस भी था और खुश भी। उसने मुझे महंगे-महंगे गिफ्ट लाकर दिए। हमने प्यार में साथ-साथ जीने-मरने की कसमें खाई। मैं बहुत खुश थी कि मेरी तन्हाई को दूर करने वाला और मेरा ख्याल रखने वाला कोई मुझे मिल गया है। मैं सपनों की दुनिया में रहने लगी और अपने आने वाले सुनहरे कल के सपने बुनने लगी। वक्त बीतने लगा। देखते-देखते 3 महीने गुजर गए। अब उसने बाइक ले ली और अब हम दोनों बाइक में घूमने जाने लगे। पर कहते हैं न कि प्यार अँधा होता है, उसके प्यार में मैं अंधी हो गई थी। एक दिन वह मुझे बाइक पर बैठाकर शहर से दूर ले गया। वह मुझे जिस जगह ले गया वह जगह बहुत ज़्यादा सुंदर थी। उसने बाइक रोकी और मुझे उतरने के लिए कहा। कुछ देर तक वह खामोश रहा और फिर मुझसे कहा, “सुनो मुझे पता है की तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो लेकिन मुझे तुमसे कुछ कहना है।” मैंने कहा, “हाँ बोलो” उसने कहा, “असलमे मैं यहाँ इस शहर में कुछ काम से आया था। मेरे घरवालों ने मेरी शादी किसी और लड़की के साथ तय कर दिया दिया हैं अब वह मुझे वापस घर बुला रहे हैं। मुझे अपने घर वापस जाना होगा। मुझे माफ कर दो मैं तुम्हारे साथ अब और नहीं दे सकता।” यह कहकर वह बाइक पर बैठा और मुझे वहाँ अकेला छोड़कर चला गया। यह सुनने के बाद मैं पूरी तरह से शॉक में पड़ चुकी थी। उसने मुझे कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया। मैं चुप होकर कुछ देर तक वहाँ खड़ी रही। सामने ही नदी था। पहला सोचा कि की अब तो कुछ बचा ही नहीं हैं मेरे लाइफ में। एक प्यार करने वाला था अब वह भी छोड़कर चला गया तो क्यों न नदी में कूदकर अपनी जान ही दे दूँ। फिर सोचा की ऐसा पागलपन करना ठीक नहीं होगा। मैंने अपनी पूरी जिंदगी अकेले बिता दी और अब जान देकर क्या फायदा। मेरी इस बेकार सी जिंदगी में मैं अकेला ही ठीक हूँ। उस दिन से मेरा प्यार के ऊपर भरोसा एकदम ही उठ चूका था। मैं वहाँ से सीधे घर आ गई और सब कुछ भूलने की कोशिश करने लगा लगा। उसे भूलना मुश्किल था पर नामुमकिन नहीं। कुछ महीनो बाद मुझे एक अच्छे कंपनी में जॉब मिल गई और सैलेरी भी अच्छी थी। अब मुझे और कुछ नहीं चाहिए था। मैं अब मेरी इस बेकार सी जिंदगी में ही एक जॉब के साथ खुश रहने लगा।