Prem ke Rang - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम के रंग - 10 - बचपन के प्यार की अधूरी कहानी

बचपन के प्यार की अधूरी कहानी

एक दिन रूही का मिट्ठू बहुत बीमार हो जाता है। रूही मिट्ठू को दवा पिलाकर बैठी रोती रहती है। मिट्ठू अपनी आखिरी सांसें लेता रहता है। घर के सारे लोग रूही का मज़ाक उड़ाते हैं और कहते हैं कि कोई बात नहीं एक मिट्ठू ही तो है, कौन सा इंसान है। लेकिन रूही के जज्बात कोई नहीं समझ रहा था। रूही को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मिट्ठू के साथ साथ उसकी भी सांसें निकल रही हों। वह अपने मिट्ठू को सहलाए जा रही थी और उसकी आंखों से आंसू जैसे रुक ही नहीं रहे थे। तभी वहां हमजा आ जाता है और रूही के पास जाकर बैठ जाता है। वह भी मिट्ठू के सिर पर हाथ फेरता है और रूही की तरफ अफसोस की निगाह से देखता है। रूही को लगा था शायद हमजा भी औरों की तरह उसका मज़ाक उड़ाएगा। लेकिन हमजा ही एक ऐसा था, जो उसके दर्द को समझ रहा था और मिट्ठू के लिए उसकी आंखों में भी अफसोस दिख रहा था। हमजा और रूही दोनों मिट्ठू को बचाने की बहुत कोशिश करते हैं, लेकिन थोड़ी देर के बाद मिट्ठू की जान निकल जाती है। हमजा को मिट्ठू के मरने का बहुत ग़म रहता है, लेकिन रूही के आगे उसके ग़म कुछ भी नहीं रहते। रूही फूंट फूंटकर रोती है। रूही के घर वाले उसे समझाने की बहुत कोशिश करते हैं, लेकिन उस Time उसे मिट्ठू के आगे किसी की बात समझ नहीं आती। फिर थोड़ी देर के बाद हमजा रूही को अपने हिसाब से समझाता है और कहता है, “देखो रूही मिट्ठू के जाने का मुझे भी अफसोस है, लेकिन अगर तुम इस तरह रोती रहोगी तो तुम्हारी तबीयत खराब हो जाएगी। वैसे भी मिट्ठू तुमसे दूर थोड़ी ना गया है, वह हमेशा हम लोगों की यादों में रहेगा।” हमजा का इतना कहना ही था कि रूही अपने आंसू पोंछ लेती है और हमजा की हां में हां मिलाती है। हमजा और रूही की Understanding देखकर रूही की अम्मी और हमजा की अम्मी काफी खुश होती हैं। अंदर कमरे में जाकर दोनों आपस में बातें करती हैं कि यह दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं। जब बड़े हो जाएंगे तो इनकी शादी कर दिया जाएगा। इस तरह घर की बेटी घर में ही रह जाएगी और हम दोनों रिश्तेदार बन जाएंगे। कुछ दिन रूही अफसोस में रहती है। वह खेलने भी नहीं जाती। हमजा जब उसके घर आता है तो वह रूही से कहता है रूही चलो क्रिकेट खेलते हैं। लेकिन रूही कहती है कि उसका Mood नहीं है। हमजा कहता है कोई बात नहीं मैं जा रहा हूं सना, नेहा और जैनब लोगों के साथ खेलने। तुम यहीं बैठकर देखो। हमजा फिर रूही की बहनों के साथ खेलने लगता है। रूही सिर्फ बैठकर देखती है कि तभी वह अपनी बहन नेहा से कहती है कि ठीक से खेलो कैसे खेल रही हो। तो इतने में हमजा रूही से कहता है, “तुम तो खेल नहीं रही ऊपर से उसको Training दे रही हो। तुम्हें खेलना है तो खेलो वरना चुपचाप बैठकर देखो।” हमजा जानबूझकर रूही का Mind Convert करना चाहता था, ताकि वह मिट्ठू को भूलकर वापस पहले जैसी हो जाए। फिर वह 7-8 दिन में ही रूही को उस सदमे से बाहर निकाल लेता है। दोनों फिर से साथ में खेलने लगते हैं। रूही खुश रहती है कि हमजा उसकी कितनी Care करता है। उसको समझाता भी है और उसके साथ ही खेलना ज़्यादा पसंद करता है। हमजा और रूही को जैसे एक दूसरे की आदत हो गई थी। अब तो रूही दिल ही दिल में हमजा को पसंद भी करने लगी थी। एक दिन रूही सो रही थी और उसकी अम्मी भी उसके बगल में लेटी हुई थीं। तभी हमजा और उसकी अम्मी आ जाते हैं। हमजा कहता है “रूही सो रही है क्या खाला?” रूही की अम्मी कहती हैं, “हां बेटा वह काफी देर से सो रही है।” तो हमजा कहता है, “अब मैं किसके साथ खेलूं।” रूही की अम्मी कहती हैं, “कोई बात नहीं बेटा ऊपर सना, नेहा लोग सब हैं, जाओ तुम उनके साथ खेल लो”। हमजा कहता है, “ठीक है खाला मैं जाता हूं। जब रूही उठ जाएगी तो उसे भेज दीजिएगा”। रूही की अम्मी कहती हैं, “ठीक है बेटा।” इतना कहकर रूही की अम्मी और हमजा की अम्मी आपस में बातें करने लगती हैं और बातों ही बातों में हमजा और रूही की शादी की बात भी करती हैं। रूही की नींद तब तक कच्ची हो जाती है और वह अपनी अम्मी और खाला की बातें सुन लेती है। वह दिल ही दिल में खुश हो जाती है। क्योंकि वह भी हमजा को पसंद करने लगी थी। अब रूही हमजा के साथ सिर्फ खेलती नहीं थी, उसको हर वक़्त हमजा की सोहबत में रहना अच्छा लगता था। हमजा का बात करने का Style, उसका रूही को समझाने का Style, उसका रूही को छेड़ना ये सभी अब रूही को अच्छा लगने लगा था। रूही कभी हमजा के साथ साइकिल पर घूमने जाती तो कभी वह हमजा के साथ अपना पियानो बजाती। इस तरह रूही दिल ही दिल में हमजा को बहुत चाहने लगी थी। वह छोटी जरूर थी, लेकिन उसको पता था कि एक न एक दिन वह बड़ी होगी और उसकी शादी होगी। लेकिन वह इस बात से खुश थी कि किसी अंजान की बजाय उसकी शादी हमजा से होगी।