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बंद नाक खोलने के उपाय


                                                 बंद नाक  खोलने के उपाय 


जब आपका नाक बंद या संकुचित  या कंजस्टेड हो जाता है तब आपके मन में उलझन और घबराहट होना स्वाभाविक है  . ऐसे में हाथ में रुमाल या टिश्यू होता है और बार बार हाथ नाक पर जाता है और ऐसे में पब्लिक प्लेस या दफ्तर में हम असहज महसूस करते हैं . हमारे सूंघने और स्वाद में भी बदलाव होता है और रात में सोने में कठिनाई भी होती है . इसके अलावा दिन में अपने काम में ध्यान केंद्रित करने में भी दिक़्क़त होती है . 


नेसल कंजेशन के कारण - इसके  मुख्य कारण एलर्जी , साइनस प्रॉब्लम , प्रदूषण ,धूलकण , श्वास प्रणाली की बीमारी , सर्दी , फ्लू , ड्राई एयर , कुछ दवाएं  ( खास कर ब्लड प्रेशर , डिप्रेशन , सीजर आदि रोगों की  ) , स्ट्रेस और Covid 19  हैं . आमतौर पर इसका उपचार उपलब्ध है . 


कंजेशन क्यों होता है - अक्सर रात में नाक का कंजेशन ज्यादा परेशान करता है , पर क्यों ? नाक के अदंर दो छिद्र हैं जिन्हें नॉस्ट्रिल या नासिका मार्ग  ( नेसल पैसेज ) कहते हैं और इनके बीच एक  म्यूकस झिल्ली की परत होती है जिसमें अनगिनत सूक्ष्म बाल के समान सेल होते हैं  . ये सेल म्यूकस को गले ( throat ) की तरफ मूव करते हैं   . अक्सर नाक का  कंजेशन एक नेसल पैसेज में होता है   . नेसल पैसेज का भी अपना एक चक्र या साइकिल होता है  . एक बार में  ज्यादातर  हवा एक पैसेज से गुजरती है और कुछ समय के बाद वह दूसरे पैसेज से और यह साइकिल चलते रहता है   . इसलिए जब हम उस  करवट सोते हैं जिस तरफ के  पैसेज  से ज्यादा हवा जाती है तो दूसरा पैसेज कंजस्टेड महसूस होता है   . इस तरह का कंजेशन सामान्य है और यह सुबह होते स्वतः ठीक हो जाता है   . पर यदि फिर भी यह ठीक नहीं होता है तब हमें इसके दूसरे कारणों का पता लगाना जरूरी हो जाता है   . 


नाक से वायु प्रवाह बाधित होने के निम्न प्रमुख कारण हो सकते हैं - 


एनाटॉमिक ऑब्स्ट्रक्शन ( Anatomic obstruction ) - नेसल सेप्टम ( septum ) या पार्टीशन वाल  किसी कारण से एक नॉस्ट्रिल की तरफ ज्यादा खिसक जाता  है तब दूसरे  नॉस्ट्रिल का कंजस्टेड होना स्वाभाविक है  . 


बाह्य कारण से टिश्यू में स्वेलिंग - एलर्जी - नाक के अंदर कभी प्रदूषण ,धूलकण , पॉलेन , किसी पालतू जानवर की रुसी ( dander ) और  धूम्रपान , इंफेक्शन आदि के चलते नेसल पैसेज में इंफ्लेमेशन ( सूजन ) हो जाता है जिसके चलते कंजेशन होता है  . 


ज्यादा म्यूकस बनना - कभी किसी इंफेक्शन होने से उस से निपटने के लिए शरीर का डिफेंस सिस्टम ज्यादा म्यूकस बनाता है जिसके चलते कंजेशन होता है  . 


नेसल कंजेशन किसी एक कारण या उपरोक्त कारणों के मिले जुले  असर से भी हो सकता है  . 


कंजेशन दूर करने के उपाय - चाहे कारण कोई भी हो हर कोई जल्द ही इस से छुटकारा प्राप्त करना चाहता है  . इसके लिए ओवर द काउंटर मिलने वाली कुछ दवाइयां भी उपलब्ध हैं पर सबसे पहले नमकीन पानी से नाक को रिंज करना एक सहज उपाय है  . रिंज करने के लिए स्वच्छ जल का उपयोग करना चाहिए - डिस्टिल्ड  वाटर या पानी को उबाल कर ठंडा कर के  . रिंज आवश्यकतानुसार दिन भर में दो  बार या ज्यादा भी कर सकते हैं  . साधारण कोल्ड या माइनर साइनस प्रॉब्लम में इससे आराम मिलेगा  . कंजेशन ज्यादा होने से डॉक्टर से सलाह ले कर नेसल रिंजिंग के साथ सामान्य नेसल स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं  . 


अगर पैसेज में कोई बाधा ( obstruction ) है तब म्यूकस ड्रेन करने के लिए स्टेरॉयड स्प्रे और अगर कोल्ड आदि एलर्जी है तब एंटीहिस्टामिन (  antihistamines ) स्प्रे डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं  . 


सेलाइन रिंजिंग के बाद दोनों नॉस्ट्रिल में स्प्रे का एक पफ ( puff ) दिन भर में दो बार डाल सकते हैं  . आमतौर पर  नेसल स्प्रे का इस्तेमाल दो या तीन दिनों से ज्यादा नहीं करना चाहिए वरना रिबाउंड कंजेशन ( rebound congestion  ) की संभावना रहती है . जब कंजेशन की तुलना में एलर्जी सिम्पटम्स ज्यादा हों जैसे आँखों का  खुजलाना या पानी ,नाक से पानी आना  , छींकना और खाँसना तब  डॉक्टर की सलाह से ओरल स्प्रे ले सकते हैं  . 


सेलाइन रिंजिंग के अलावा कंजेशन के कुछ घरेलु उपाय हैं - 


वार्म कम्प्रेशन  - एक स्वच्छ धुले तौलिये को गर्म पानी में भिगो लें और एक दूसरे तौलिये को नार्मल पानी से  . फिर लेट कर पहले गर्म तौलिये ( सहनीय ) को ललाट व नाक पर करीब तीन मिनट तक रखें  . फिर ठंडे तौलिये को उसी तरह 30 सेकंड तक रखें   . इस गर्म और ठंडे तौलिये की क्रिया को तीन बार करें   . दिन भर में तीन या चार बार पूरी प्रक्रिया को दोहराएं  . 


स्टीम - 


यदि बाथरूम में गीजर उपलब्ध है तो शावर खोल दें और कुछ दूरी से गर्म और नम हवा में सांस लें  . ऐसा करने से नेसल पैसेज का इन्फ्लेमेशन कम होगा और म्यूकस ढीला हो कर बाहर आएगा  . स्टीमी शावर और गर्म पानी से चेहरे और ललाट को धोने से भी पैसेज खुल जायेंगे और साइनस प्रेशर में आराम मिलेगा  .


सिंक या बड़े बोल ( bowl ) को वाष्प निकलते हुए गर्म पानी से भर लें  . एक तौलिये से अपने सिर को ढक कर उसी गर्म पानी में सांस लें  . चाहें तो इस गर्म पानी में विक्स वेपोरब या अन्य दवा ( डॉक्टर की सलाह से ) डाल सकते हैं  . 


ह्यूमिडिफायर - ह्यूमिडिफायर या इलेक्ट्रिक स्टीमर के  प्रयोग से भी हवा में मॉइस्चर ला सकते हैं   . आप अपनी पसंद से वार्म मिस्ट या कूल मिस्ट का चुनाव कर सकते हैं  और दोनों ही साइनस कंजेशन  और दर्द में लाभ देंगे  . ह्यूमिडिफायर में स्वच्छ या डिस्टिल वाटर का इस्तेमाल करें और उसकी सफाई पर ध्यान दें  . 


सिर को ऊंचा रखना - सोते समय नेसल कंजेशन बढ़ सकता है क्योंकि ग्रेविटी के चलते म्यूकस नाक और साइनस में रह जाता है  . सोते समय हमारा ब्लड प्रेशर और एयर फ्लो भी बदल जाता है जिसके चलते भी नेसल पैसेज में इन्फ्लेमेशन हो सकता है  .करवट सोने से एक तरफ नॉस्ट्रिल पर दबाव बढ़ जाने से वह पैसेज  कुछ बंद हो सकता है  . ऐसे में एक अतिरिक्त तकिया सिर के नीचे रख कर पीठ के बल सोने से लाभ मिलेगा  .  


जल नेति - श्वास प्रणाली और नासिका मार्ग ( नेसल पैसेज ) से टॉक्सिंस ( विषाक्त तत्वों ) को दूर करने के लिए प्राचीन काल से ही हमारे देश में जलनेति क्रिया का प्रचलन है  . इस के लिए एक नेति पॉट ( pot )आता है  . इस पॉट में स्वच्छ जल भर कर एक नॉस्ट्रिल में पानी डाल कर दूसरे नॉस्ट्रिल से बाहर गिराते हैं  .  डिस्टिल्ड पानी  या उबाल कर ठंडा किया पानी बेहतर है  . चाहें तो पानी को हल्का गुनगुना गर्म ( सहनीय ) और एक चुटकी नमक ( सहनीय , जलन न हो ) भी डाल सकते हैं  . आरम्भ में यह प्रक्रिया किसी विशेषज्ञ की निगरानी में करें  . जलनेति से बंद नाक खुल सकता है और इसके अलावा माइग्रेन , साइनस , कोल्ड आदि में भी यह लाभदायक है  . इसे सुबह ब्रश करने के बाद करना अच्छा होता है  .  


अगर फिर भी कंजेशन नहीं जाए तब ? - आमतौर पर नेसल कंजेशन टेम्पररी होता है और इसका उपचार भी है  . सर्दी ज्यादा से ज्यादा 7 - 10 दिनों के अंदर ठीक हो जाती है और उपरोक्त उपायों से सीजनल एलर्जी से भी निपटा जा सकता है  . पर कंजेशन फिर भी ठीक न हो और बुखार , साइनस इन्फेक्शन , फेशियल प्रेशर , सूंघने की शक्ति में ह्रास आदि की समस्या बनी रहे तब डॉक्टर की सलाह जरूरी है   . डॉक्टर जांच के बाद उचित उपचार बताएँगे   . 


क्रोनिक कंजेशन के निम्न  कारण हो सकते हैं -


 बिना उपचार वाला एलर्जी -  बहुत दिनों तक एलर्जी का उपचार नहीं  किये जाने से यह होता है  . 


डेविएटेड सेप्टम  ( deviated septum ) - यह नाक के परदे या झिल्ली से जुड़ी समस्या है  . नाक के बीच की पतली दीवार एक तरफ विस्थापित हो जाती  है जिसके चलते एक नॉस्ट्रिल  बंद या छोटा हो सकता है . इसके चलते एयर फ्लो बाधित या बंद हो जाता है . इसमें नाक से खून भी बह सकता है  . 


क्रोनिक साइनोसाइटिस ( chronic sinusitis ) - यह रोग आरम्भ में सर्दी जुकाम , सांस लेने में दिक़्क़त और चेहरे की मांसपेशियों में दर्द के साथ होता है  . 


वसोमेटर रायनाइटिस   ( vasomotor rhinitis )- यह अक्सर बढ़ती उम्र में ज्यादा होता है  . इसमें एलर्जी के बिना ही नाक में कंजेशन होता है  .  इसमें नाक के अंदर की नसों में संवेदनशीलता की कमी होती है और जरूरत नहीं होने पर भी म्यूकस प्रोडक्शन बढ़ जाता है  . 


डेविएटेड सेप्टम और वसोमेटर रायनाइटिस में ENT विशेषज्ञ की सलाह  चाहिए  .