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एक बार फिर कुदरत की गोद में

एक बार फिर कुदरत की गोद में

लेखक: जगत कीनखाबवाला (स्पेरो मेन)

 

*ग्लोबल वॉर्मिंग, पक्षिओं के लिए एक भयजनक स्थिति - ग्लोबल वॉर्निंग*

पक्षी धरती पर रहनेवाले बेहद महत्वपूर्ण जीव है, जो आहार की श्रृंखला का संतुलन बनाये रखते है. जीव जंतु पक्षिओं की मुख्य खुराक है। फसल की मौसम में अनुकूल वातावरण के कारन जीव जंतु बहुत ही बढ़ जाते है, जो पक्षी और उनके बच्चों का खाना होते है।

इसी मौसम में पक्षी अंडे रखते है और उन्हें सेकते है. वह अपने बच्चों को पालने के लिए जीव जंतु और उनके लार्वा पर निर्भर रहते है।

इस तरह, पक्षी जीव जंतु की आबादी को काबू में रखते है और फसल को नुकसान पहुँचने से बचाते है। पक्षी खुराक के स्रोत के तौर पर उपयोगी है और खेतीवाड़ी में खाद देने का कार्य करते है। पक्षी किसानों को बिज़नेस में बनाये रखते है, ज़मीन की धुलाई रोक कर पीने के पानी की बचत करते है, रोग फैलने की गति को धीरे करते है और आवश्यक पर्यावरण का डेटा उपलब्ध करवाते है।

सर्दियाँ पक्षिओं के अंडे रखने का समय नहीं है। परन्तु २०२४ की सर्दियों में भारत के विविध स्थलों से चिड़ियाओं के घोंसला बनाने के समाचार मिले है। यह एक विचित्र घटना है। इस घटना ने अनेक प्रश्न खड़े किये है और वैज्ञानिक अभ्यास की ज़रूरत कड़ी कर दी है।

वर्तमान समय में ग्लोबल वॉर्मिंग के कारन सम्पूर्ण इकोलॉजिकल कम्युनिटीज में परिवर्तन देखा गया है। ब्रीडिंग सीज़न के लिए ज़रूरी बॉडी डिटॉक्स फ़ूड, प्रोटीन युक्त जंतु, वृक्ष में से मिलता पोषण इत्यादि, बच्चे की डिलीवरी के लिए बेहद ज़रूरी है, जो सर्दियों में बल्कि गर्मिओं में उपलबध रहता है। पक्षिओं को नए शिकारिओं का सामना करना, परजीवी प्रतिस्पर्धिओं का सामना करना पड़ता है, जिसके वह आदि नहीं है।

भारत में पक्षिओं की प्रजनन ऋतु मुख्यरूप से मार्च में शुरू होती है, जब तापमान ऊँचे जाने लगता है और जून अंत तक कायम रहता है। पक्षिओं के संवनन की एक प्रक्रिया होती है, घोंसला बनाना, अंडे रखने और इस दौरान बच्चों को पालना, प्रजनन पक्षिओं की प्रजाति के अस्तित्व के लिए बेहद महत्व रखता है।

इस साल सर्दियाँ देरी से आयी है, सर्दियों के पहले दो महीने, दिसंबर और जनवरी में तापमान सामान्य सर्दिओं से ऊँचा पाया गया है। दिसंबर और जनवरी में ऊपर का तापमान अब के इतिहास में सबसे ऊँचा, अप्रैल महीने के मध्य भाग जितना गरम पाया गया है।

शुरुआत में पक्षी प्रेमिओं से उनके वहां घोंसला बनाने की घटना को अपवादरुप माना, परन्तु यह विचित्र घटना समज में नहीं आई। मै अचंबित था।

कई जगहों पर पूछने पर मालूम हुआ के प्रवासी पक्षी उनके प्रजनन स्थल पर जल्दी आ गए है और ऊँचे तापमान अंडे रखना शुरू कर दिया है।

सीज़नल ब्रीडर्स ऐसे पक्षी और प्राणी होते है, जो वर्ष के निश्चित समय पर ही ब्रीडिंग करते है। वातावरण के तापमान, खुराक, जंतु और पानी की उपलब्धि के कारन वर्ष के इस समय में उनके बच्चों का अस्तित्व बने रहना आसान होता है, और अन्य शिकारी पक्षिओं के बर्ताव में भी बदलाव आता है।

प्रजनन क्रिया अधिक क्षमता और स्वस्थ बच्चों की मांग और उनकी देखभाल पर निर्भर है। इस तरह, तापमान प्रजनन क्रिया, उसके समय और उसकी सफलता में महत्वपूर्ण है।

आम तौर पर, प्रक्षिओं की प्रजनन क्रिया सर्दियों के बाद आनेवाले नए पत्तों और फूलों की शुरुआत का समय होता है, जो तापमान ऊँचा जाने के कारन जल्द से जल्द शुरू हो रहा है। फसल पकना और जंतुओं में बढ़त पक्षी के प्रजनन के पहले ही हो रहा है। इस असंतुलन के कारन पक्षी अपने बच्चों को आवश्यक आहार नहीं दे पाते।

बढ़ता तापमान प्रजनन में तनाव पैदा करता है, जिसमे शुक्राणु एवं महिला शुक्राणु / अंडीशुक्राणु विकास,

प्रजनन की सफलता, पेरेंटल देखभाल और बच्चों का अस्तित्व भी शामिल है।

समय से पहले होते जन्म कमज़ोर और अस्वस्थ बच्चे पैदा करता है, जिसमें विकलांग / डिफ़ॉर्मेशन और छोटी आयु देखने को मिलती है। यदि वह बच जाए तो उनकी आनेवाली पीढ़ी अधिक कमज़ोर पैदा होती है, जो खतरे की निशानी है और पक्षिओं की आबादी कम होने में कारणरूप है।

ग्लोबल वॉर्मिंग अनेक प्रवासी पक्षिओ के वार्षिक मार्ग पर असर करता है। बदलते वातावरण के कारन अनेक प्रवासी पक्षी अपना मार्ग और वर्षित प्रवास की पद्धति बदल रहे है।

यह एक कुदरती प्रक्रिया है। वैसे, पर्यावरण में आये बदलाव अलग है : मानवसर्जित ग्लोबल वॉर्मिंग तेज़ी से बढ़ रही है और पक्षिओं के अस्तित्व को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचा रही है।

यह एक बड़ा खतरा है और ग्लोबल वॉर्मिंग के सामने लड़ने का महत्व का कारन भी है।

Email : jagat.kinkhabwala@gmail.com

(+91 98250 51214)

*स्नेह करें, सीखें , संभालें*