Shoukilal ji ka khat chor ji ke naam book and story is written by Krishna manu in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shoukilal ji ka khat chor ji ke naam is also popular in Comedy stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शौकीलाल जी का खत चोर जी के नाम - Novels
by Krishna manu
in
Hindi Comedy stories
सर्व गुण संपन्न, सर्व शक्तिवान श्री श्री 108 श्री चोर जी महाराज ! चरण युगल में अकिंचन शौकीलाल का साष्टांग दण्डवत। मैंने कई कई रातें जाग कर, अपने नालेज को ठोक-पीट कर , सब तरह से आश्वस्त होने के बाद आप के श्री चरणों में में यह खत भेज रहा हूँ। इसे खत नहीं दबे-कुचले, निचुड़े, अपनो से चोट खाये एक निरीह प्राणी का आर्तनाद समझिए। समझिए कि बेकारी के 'ग्राह' के जबड़े में शौकीलाल रूपी 'गज' उद्धार के लिए आप को पुकार रहा है। समझिए कि बाजारीकरण की होलिका जल रहे आम जनता रूपी प्रह्लाद आप का आह्वान
सर्व गुण संपन्न, सर्व शक्तिवान श्री श्री 108 श्री चोर जी महाराज ! चरण युगल में अकिंचन शौकीलाल का साष्टांग दण्डवत। मैंने कई कई रातें जाग कर, अपने नालेज ...Read Moreठोक-पीट कर , सब तरह से आश्वस्त होने के बाद आप के श्री चरणों में में यह खत भेज रहा हूँ। इसे खत नहीं दबे-कुचले, निचुड़े, अपनो से चोट खाये एक निरीह प्राणी का आर्तनाद समझिए। समझिए कि बेकारी के 'ग्राह' के जबड़े में शौकीलाल रूपी 'गज' उद्धार के लिए आप को पुकार रहा है। समझिए कि बाजारीकरण की होलिका जल रहे आम जनता रूपी प्रह्लाद आप का आह्वान
मैं शौकीलाल जी के निवास पर जा धमका। उस वक़्त जनाब बाथरूम का आनंद उठा रहे थे। बाथरूम से आ रही गुनगुनाने की स्वर लहरी उनके आनंद मग्न होने की चुगली कर रही थी। उनके आनंद में खलल डालने ...Read Moreमेरा इरादा नहीं था। मैं चुपचाप उल्टे पांव लौट जाता लेकिन मुझे उनसे भेंट करना जरूरी था। अतएव व्यवधान डालना पड़ा। मैंने उन्हें ऊंची आवाज दी। वे वहीं से ऊंची आवाज में बैठने को कहा फिर गुनगुने लगे। मैं उनके बिस्तर पर ही बैठ गया। कमरे में पड़ी चीजों को बेवजह निहारने लगा। सारी चीजें पुरानी थीं जिन्हें मैं पहले
हे चोर महाराज, पत्र-पत्रिकाओं में पढकर, अखबारों में बांचकर, दूरदर्शन में झाँककर मैं ज्यों-ज्यों आप के कारनामो, करिश्मों का अवलोकन करता गया, मेरे सामने आप की महानता का 'पर्दाफाश' होता गया। और अब मैं आप के चरणों ...Read More नतमस्तक हूँ।आप केेेवल महान ही नहीं, धनवान भी हैं। 'एक तूू हीं धनवान चोर जी, बाकी सब कंगाल ।' आप के रहमों-करम पर आज दुनिया का हर शख्स जिंदा है। नेेेता, अभिनेेता, मंत्री, संत्री, तंंतरीसेेब के सब आप के चरणों के दास हैैं।आप का प्रसाद ग्रहण कर फल- फूल रहेें हैं। इसलिए हे कृपानिधान, दया के खान, चोर जी महाराज, मुझे