Jijivisha book and story is written by KAMAL KANT LAL in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jijivisha is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जीजीविषा - Novels
by KAMAL KANT LAL
in
Hindi Moral Stories
कीमती जीन्स, टी शर्ट, एक हाथ में खालिस लेदर की बैग और दूसरे में अपना कीमती मोबाईल फोन लेकर जब अविनाश रेलवे के ए. सी. वेटिंग रूम के सामने पहुँचा तो कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि वह पूरी तरह कड़का है. वह एक नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आया था और उसके पास टैक्सी करने का भी पैसा नहीं था. अटेंडेंट ने उसकी साहबी ठाठ से प्रभावित होकर उसकी टिकट जाँच किए बिना उसके लिए अदब से दरवाजा खोल दिया. नॉन ए. सी. में सफर करने वाले अपनी सूरत और हाव-भाव से ही पहचाने जाते हैं,
कीमती जीन्स, टी शर्ट, एक हाथ में खालिस लेदर की बैग और दूसरे में अपना कीमती मोबाईल फोन लेकर जब अविनाश रेलवे के ए. सी. वेटिंग रूम के सामने पहुँचा तो कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि ...Read Moreपूरी तरह कड़का है. वह एक नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आया था और उसके पास टैक्सी करने का भी पैसा नहीं था. अटेंडेंट ने उसकी साहबी ठाठ से प्रभावित होकर उसकी टिकट जाँच किए बिना उसके लिए अदब से दरवाजा खोल दिया. नॉन ए. सी. में सफर करने वाले अपनी सूरत और हाव-भाव से ही पहचाने जाते हैं,
उसकी जेब में केवल चालिस रुपये बचे थे और बचा था ट्रेन पकड़ने से पहले का बहुत सारा समय. रात होने तक टिकट के लिए क्या जुगत भिड़ाई जाए यही सोचता हुआ वह स्टेशन से बाहर निकल कर सामने ...Read Moreस्टैंड के पास जाकर खड़ा हो गया. बाहर अफरा-तफरी का बाजार गर्म था. इस कोलाहल में भी उसके दिमाग में सन्नाटा गूँज रहा था. कुछ सूझ नहीं रहा था कि टिकट के पैसों का इंतजाम कैसे होगा. उसने पन्द्रह रुपये की अपनी पसंदीदा सिगरेट खरीदी और उसके गहरे-गहरे कश खींचता सोचने लगा. एक उपाय यह हो सकता था कि उसकी